28-10-2021, 04:28 PM
(मैं ज्योति)
मेरी मां ने भी प्रेम विवाह किया था. वह प्रेम की अहमियत जानती थीं. मेरी मां के पिता राम रतन एक हवलदार थे जो कुमाऊं जिले के पोखरिया ग्राम के रहने वाले थे मेरी मां मेरी नानी के साथ उसी गांव में रहतीं. नाना अक्सर अपनी ड्यूटी के चक्कर में कुमाऊं से बाहर ही रहते हैं साल में वह कभी कभी घर आया करते थे.
मेरे नाना एक कड़क स्वभाव के आदमी थे. सिक्युरिटीवाला होने की वजह से उनमें संवेदना पहले ही कम हो चुकी थी. घर में भी उनकी हिटलर शाही चला करती कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था.
जब भी छुट्टियों में मैं अपनी मां के पास जाती वह मुझे नाना नानी की कहानियां सुनाया करती. मेरी मां ने मुझे पति पत्नी और प्रेम संबंधों की अहमियत समझाई थी. मेरी मां की मुलाकात मेरे पिताजी से कॉलेज फंक्शन में हुई थी मेरे पिता कुमाऊं जिले के एसडीएम थे मेरी मां की सुंदरता पर वह मोहित हो गए और कुछ ही दिनों में वह दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे.
उनका प्रेम परवान चढ़ता गया और अंत में उन दोनों ने शादी कर ली मेरी मां द्वारा बताई गई है प्रेम कहानी ने मेरे मन में पुरुषों के प्रति डर को खत्म कर दिया था सच उन दोनों का प्रेम अद्भुत था. मैंने अपने बचपन में उन्हें कभी भी लड़ते हुए नहीं देखा.
मां के विवाह के कुछ वर्षों बाद नाना और नानी दोनों एक दुर्घटना में स्वर्गवासी हो गए मेरे पिता ने वहां की जमीन बेचकर कुमाऊ शहर से अपना नाता तोड़ दिया और देहरादून में एक आलीशान मकान बना लिया. उनका अब कुमाऊं से कोई नाता नहीं बचा था पर उन दोनों के मन में कुमाऊं के प्रति अद्भुत प्रेम था.
आज भी जब भी मेरे माता-पिता कुमाऊं के बारे में बातें करते हैं वह भाव विभोर हो जाते हैं. कभी-कभी उनकी आंखों में आंसू दिखाई पड़ते. वह खुशी के होते या गम के यह तो मैं नहीं जानती थी पर उन्हें भाव विह्वल देखकर मैं उन्हें उनकी यादों से खींच कर हकीकत में ले आती. मेरी चंचलता देखकर वह दोनों मुझे अपनी गोद में खींच लेते और ढेर सारा प्यार देते.
मेरी मां ने भी प्रेम विवाह किया था. वह प्रेम की अहमियत जानती थीं. मेरी मां के पिता राम रतन एक हवलदार थे जो कुमाऊं जिले के पोखरिया ग्राम के रहने वाले थे मेरी मां मेरी नानी के साथ उसी गांव में रहतीं. नाना अक्सर अपनी ड्यूटी के चक्कर में कुमाऊं से बाहर ही रहते हैं साल में वह कभी कभी घर आया करते थे.
मेरे नाना एक कड़क स्वभाव के आदमी थे. सिक्युरिटीवाला होने की वजह से उनमें संवेदना पहले ही कम हो चुकी थी. घर में भी उनकी हिटलर शाही चला करती कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था.
जब भी छुट्टियों में मैं अपनी मां के पास जाती वह मुझे नाना नानी की कहानियां सुनाया करती. मेरी मां ने मुझे पति पत्नी और प्रेम संबंधों की अहमियत समझाई थी. मेरी मां की मुलाकात मेरे पिताजी से कॉलेज फंक्शन में हुई थी मेरे पिता कुमाऊं जिले के एसडीएम थे मेरी मां की सुंदरता पर वह मोहित हो गए और कुछ ही दिनों में वह दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे.
उनका प्रेम परवान चढ़ता गया और अंत में उन दोनों ने शादी कर ली मेरी मां द्वारा बताई गई है प्रेम कहानी ने मेरे मन में पुरुषों के प्रति डर को खत्म कर दिया था सच उन दोनों का प्रेम अद्भुत था. मैंने अपने बचपन में उन्हें कभी भी लड़ते हुए नहीं देखा.
मां के विवाह के कुछ वर्षों बाद नाना और नानी दोनों एक दुर्घटना में स्वर्गवासी हो गए मेरे पिता ने वहां की जमीन बेचकर कुमाऊ शहर से अपना नाता तोड़ दिया और देहरादून में एक आलीशान मकान बना लिया. उनका अब कुमाऊं से कोई नाता नहीं बचा था पर उन दोनों के मन में कुमाऊं के प्रति अद्भुत प्रेम था.
आज भी जब भी मेरे माता-पिता कुमाऊं के बारे में बातें करते हैं वह भाव विभोर हो जाते हैं. कभी-कभी उनकी आंखों में आंसू दिखाई पड़ते. वह खुशी के होते या गम के यह तो मैं नहीं जानती थी पर उन्हें भाव विह्वल देखकर मैं उन्हें उनकी यादों से खींच कर हकीकत में ले आती. मेरी चंचलता देखकर वह दोनों मुझे अपनी गोद में खींच लेते और ढेर सारा प्यार देते.