28-10-2021, 04:27 PM
मैं ज्योति)
आज रविवार था सुबह-सुबह जीवन का मैसेज देख कर मैं मन ही मन आज उसके साथ बिताए जाने वाले पलों को सोचकर आनंदित हो रही थी. जितना ही मैं सोचती उतना ही मेरी उत्तेजना बढ़ती. मेरी मुनिया (योनि)आज अपने प्रेमी से मिलन की प्रतीक्षा में भावविभोर होकर खुशी के आंशू छोड़ रही थी. मेरी जाँघों के बीच फसा तकिया हिल रहा था उसे हिलाने वाला मेरा मस्तिष्क था या मेरी मुनिया यह कहना कठिन था पर खुश दोनो थे.
तभी मेरी मां का फोन आया
"कैसी है मेरी प्यारी बेटी"
" ठीक हूं मां"
"और वह तेरा जीवन कैसा है?"
" वह बहुत अच्छा है मां तुम उससे मिलोगी तो खुश हो जाओगी. मैं सचमुच उससे बहुत प्यार करती हूं."
" तो क्या तुम दोनों एक दूसरे के करीब आ चुके हो?"
"हम दोनों पिछले 3 साल से करीब है पर जो आप पूछ रही हैं वैसे नहीं पर हां आज मैं वह दूरी मिटा देना चाहती हूं."
"पर आज क्या है?
"यह मेरे कालेज जीवन का आखिरी वैलेंटाइन डे है. मैंने जीवन को अपना मान लिया है इसलिए उसके साथ इसे यादगार बनाना चाहती हूं."
" मेरी प्यारी ज्योति यदि वह तुझे पसंद है तो हमें भी पसंद है मेरी बेटी कभी गलत नहीं हो सकती. यह बात मैं जानती हूँ पर पर अपना ध्यान रखना. और हां यह भी ध्यान रखना कि तुम्हारा मिलन सुरक्षित हो"
"ठीक है माँ"
मैंने फोन काट दिया. मुझे इस बारे में और बातें करना अच्छा नहीं लग रहा था मुझे शर्म आ रही थी. उन्होंने अपनी हिदायत मुझे स्पष्ट रूप से दे दी थी. मैं स्वयं आज जीवन से एकाकार होने के लिए तत्पर थी. जब हम दोनों का मन एक हो ही चुका था तो तन एक होने में कोई दुविधा नहीं थी. मेरे यौनांगो को भी अब उसकी प्रतीक्षा थी.
आज रविवार था सुबह-सुबह जीवन का मैसेज देख कर मैं मन ही मन आज उसके साथ बिताए जाने वाले पलों को सोचकर आनंदित हो रही थी. जितना ही मैं सोचती उतना ही मेरी उत्तेजना बढ़ती. मेरी मुनिया (योनि)आज अपने प्रेमी से मिलन की प्रतीक्षा में भावविभोर होकर खुशी के आंशू छोड़ रही थी. मेरी जाँघों के बीच फसा तकिया हिल रहा था उसे हिलाने वाला मेरा मस्तिष्क था या मेरी मुनिया यह कहना कठिन था पर खुश दोनो थे.
तभी मेरी मां का फोन आया
"कैसी है मेरी प्यारी बेटी"
" ठीक हूं मां"
"और वह तेरा जीवन कैसा है?"
" वह बहुत अच्छा है मां तुम उससे मिलोगी तो खुश हो जाओगी. मैं सचमुच उससे बहुत प्यार करती हूं."
" तो क्या तुम दोनों एक दूसरे के करीब आ चुके हो?"
"हम दोनों पिछले 3 साल से करीब है पर जो आप पूछ रही हैं वैसे नहीं पर हां आज मैं वह दूरी मिटा देना चाहती हूं."
"पर आज क्या है?
"यह मेरे कालेज जीवन का आखिरी वैलेंटाइन डे है. मैंने जीवन को अपना मान लिया है इसलिए उसके साथ इसे यादगार बनाना चाहती हूं."
" मेरी प्यारी ज्योति यदि वह तुझे पसंद है तो हमें भी पसंद है मेरी बेटी कभी गलत नहीं हो सकती. यह बात मैं जानती हूँ पर पर अपना ध्यान रखना. और हां यह भी ध्यान रखना कि तुम्हारा मिलन सुरक्षित हो"
"ठीक है माँ"
मैंने फोन काट दिया. मुझे इस बारे में और बातें करना अच्छा नहीं लग रहा था मुझे शर्म आ रही थी. उन्होंने अपनी हिदायत मुझे स्पष्ट रूप से दे दी थी. मैं स्वयं आज जीवन से एकाकार होने के लिए तत्पर थी. जब हम दोनों का मन एक हो ही चुका था तो तन एक होने में कोई दुविधा नहीं थी. मेरे यौनांगो को भी अब उसकी प्रतीक्षा थी.