28-10-2021, 04:25 PM
तभी मनीष दौड़ता हुआ आया
"यार जीवन मजा आ गया. मेरे मम्मी पापा 2 दिनों के लिए बाहर गए हैं घर पूरा खाली है तू आज ज्योति को भी वहीं बुला ले. मैने ने अपनी मनीषा को भी वही बुला लिया है. मुझे पूरी उम्मीद है ज्योति मना नहीं करेगी."
उसने मुझसे कहा
"यार राहुल, तू रश्मि को बोल ना वह उन दोनों को मना लेगी. सच बहुत मजा आएगा. कुछ ही देर में प्रोग्राम सेट हो गया. हमारी प्रेमिकाएँ सहर्ष वहां आने को तैयार हो गयीं. हम तीनों के बीच गहरी दोस्ती थी."
ज्योति को छोड़कर बाकी दोनों लड़कियां अपना कौमार्य पहले ही परित्याग कर चुकी थीं. आज जीवन और ज्योति का मिलन नियत ने सुनियोजित कर दिया था.
जीवन एक आकर्षक कद काठी का युवा था जो पढ़ने में भी उतना ही तेज था जितना खेलने में. वह कालेज का हीरो था सभी लोग उसकी तारीफ करते हुए नहीं थकते. मुझे और मनीष को उससे कभी ईर्ष्या नहीं हुई . वह हम दोनों का बहुत ख्याल रखता था. वह एक सामान्य परिवार से था उसके माता-पिता उसका ख्याल रखते पर धन की कमी अवश्य थी. एक रईसजादा ना होने के बावजूद उसके चेहरे पर चमक थी उस से जलने वाले लड़के उसके पीठ पीछे यही बात कहते हैं जरूर इसकी मां ने किसी रईसजादे के साथ अपनी रातें गुजारी होंगी.
वह कभी भी फिजूलखर्ची में नहीं पड़ता और पूरी जिम्मेदारी से अपनी पढ़ाई करता. ज्योति से उसकी मुलाकात कॉलेज के पहले साल में ही हो गई थी. वह बला की खूबसूरत थी. आप ज्योति की शारीरिक संरचना की कल्पना के लिए मनीषा कोइराला(1942 ए लव स्टोरी वाली) को याद कर सकते हैं. वह जीवन का बहुत ख्याल रखती थी उन दोनों में अद्भुत तालमेल था.
जीवन और ज्योति का मिलन नियति ने नियोजित किया था. वह दोनों स्वतः ही एक दूसरे के करीब आते गए. वह साथ साथ बैठते, साथ-साथ पढ़ते और सभी कार्यक्रमों में एक साथ ही जाते. उन दोनों दोनों में अद्भुत तारतम्य था. उनका प्रेम सभी को पता था पर उससे किसी को आपत्ति नहीं थी. मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्होंने अपने कॉलेज जीवन के शुरुआती 3 वर्ष एक दूसरे को समझने में ही बिता दिए. एक तरफ मैं और मनीष अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ रंगरलिया मनाते और वह दोनों कभी साथ में ड्राइंग करते हैं कभी एक दूसरे से घंटों बातें. परंतु कुदरत ने शरीर की संरचना इस हिसाब से ही बनाई है कि लड़का और लड़की ज्यादा दिनों तक बिना अंतरंग हुए नहीं रह सकते. उनके यौनांग स्वयं एक दूसरे के करीब आ जाते हैं. यह बात जीवन और ज्योति पर भी लागू हुयी.
ज्योति के जन्मदिन पर जीवन ने पहली बार उसे चूमा था वह भी सीधा होंठों पर उनका यह अद्भुत चुम्बन लगभग 2 मिनट तक चलता रहा था. इस दौरान वह दोनों एक दूसरे में समा जाने के लिए तत्पर थे. इस अदभुत मिलन के गवाह और जोड़े भी थे परंतु उन्हें जैसे हमारी उपस्थिति का एहसास भी नहीं था. जब वह दोनों अलग हुए तालियां बज रही थी. जीवन ने घुटनों पर आकर ज्योति का हाथ मांग लिया ज्योति तो जैसे इसका इंतजार ही कर रही थी कुछ ही देर में दोनों फिर आलिंगन बंद हो गए. इसके पश्चात जीवन और ज्योति का शारीरिक मिलन शुरू हो गया पर उनके बीच मर्यादा कायम रही.
हम लोगों ने कई बार जीवन को उकसाया कि वह ज्योति के अंग प्रत्यंग से अपनी दोस्ती बना ले. पर उसने हमेशा बात टाल दी. हमें पूरा विश्वास था कि उन दोनों ने एक दूसरे को छुआ जरूर है पर यह बात हम भी जानते थे कि उन्होंने एक दूसरे से संभोग नहीं किया था.
"यार जीवन मजा आ गया. मेरे मम्मी पापा 2 दिनों के लिए बाहर गए हैं घर पूरा खाली है तू आज ज्योति को भी वहीं बुला ले. मैने ने अपनी मनीषा को भी वही बुला लिया है. मुझे पूरी उम्मीद है ज्योति मना नहीं करेगी."
उसने मुझसे कहा
"यार राहुल, तू रश्मि को बोल ना वह उन दोनों को मना लेगी. सच बहुत मजा आएगा. कुछ ही देर में प्रोग्राम सेट हो गया. हमारी प्रेमिकाएँ सहर्ष वहां आने को तैयार हो गयीं. हम तीनों के बीच गहरी दोस्ती थी."
ज्योति को छोड़कर बाकी दोनों लड़कियां अपना कौमार्य पहले ही परित्याग कर चुकी थीं. आज जीवन और ज्योति का मिलन नियत ने सुनियोजित कर दिया था.
जीवन एक आकर्षक कद काठी का युवा था जो पढ़ने में भी उतना ही तेज था जितना खेलने में. वह कालेज का हीरो था सभी लोग उसकी तारीफ करते हुए नहीं थकते. मुझे और मनीष को उससे कभी ईर्ष्या नहीं हुई . वह हम दोनों का बहुत ख्याल रखता था. वह एक सामान्य परिवार से था उसके माता-पिता उसका ख्याल रखते पर धन की कमी अवश्य थी. एक रईसजादा ना होने के बावजूद उसके चेहरे पर चमक थी उस से जलने वाले लड़के उसके पीठ पीछे यही बात कहते हैं जरूर इसकी मां ने किसी रईसजादे के साथ अपनी रातें गुजारी होंगी.
वह कभी भी फिजूलखर्ची में नहीं पड़ता और पूरी जिम्मेदारी से अपनी पढ़ाई करता. ज्योति से उसकी मुलाकात कॉलेज के पहले साल में ही हो गई थी. वह बला की खूबसूरत थी. आप ज्योति की शारीरिक संरचना की कल्पना के लिए मनीषा कोइराला(1942 ए लव स्टोरी वाली) को याद कर सकते हैं. वह जीवन का बहुत ख्याल रखती थी उन दोनों में अद्भुत तालमेल था.
जीवन और ज्योति का मिलन नियति ने नियोजित किया था. वह दोनों स्वतः ही एक दूसरे के करीब आते गए. वह साथ साथ बैठते, साथ-साथ पढ़ते और सभी कार्यक्रमों में एक साथ ही जाते. उन दोनों दोनों में अद्भुत तारतम्य था. उनका प्रेम सभी को पता था पर उससे किसी को आपत्ति नहीं थी. मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्होंने अपने कॉलेज जीवन के शुरुआती 3 वर्ष एक दूसरे को समझने में ही बिता दिए. एक तरफ मैं और मनीष अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ रंगरलिया मनाते और वह दोनों कभी साथ में ड्राइंग करते हैं कभी एक दूसरे से घंटों बातें. परंतु कुदरत ने शरीर की संरचना इस हिसाब से ही बनाई है कि लड़का और लड़की ज्यादा दिनों तक बिना अंतरंग हुए नहीं रह सकते. उनके यौनांग स्वयं एक दूसरे के करीब आ जाते हैं. यह बात जीवन और ज्योति पर भी लागू हुयी.
ज्योति के जन्मदिन पर जीवन ने पहली बार उसे चूमा था वह भी सीधा होंठों पर उनका यह अद्भुत चुम्बन लगभग 2 मिनट तक चलता रहा था. इस दौरान वह दोनों एक दूसरे में समा जाने के लिए तत्पर थे. इस अदभुत मिलन के गवाह और जोड़े भी थे परंतु उन्हें जैसे हमारी उपस्थिति का एहसास भी नहीं था. जब वह दोनों अलग हुए तालियां बज रही थी. जीवन ने घुटनों पर आकर ज्योति का हाथ मांग लिया ज्योति तो जैसे इसका इंतजार ही कर रही थी कुछ ही देर में दोनों फिर आलिंगन बंद हो गए. इसके पश्चात जीवन और ज्योति का शारीरिक मिलन शुरू हो गया पर उनके बीच मर्यादा कायम रही.
हम लोगों ने कई बार जीवन को उकसाया कि वह ज्योति के अंग प्रत्यंग से अपनी दोस्ती बना ले. पर उसने हमेशा बात टाल दी. हमें पूरा विश्वास था कि उन दोनों ने एक दूसरे को छुआ जरूर है पर यह बात हम भी जानते थे कि उन्होंने एक दूसरे से संभोग नहीं किया था.