28-10-2021, 12:36 AM
मैं दूध की दुकान पर तकरीबन 30 मिनट तक बैठा रहा... सुबह के 5:30 बज चुके थे और अब उजाला होने लगा था..... दूध की दुकान मेरे दोस्त मुन्ना की ही थी.... मुन्ना मुझसे तकरीबन 2 साल बड़ा था पर वह मुझसे बड़ी अच्छी जान पहचान थी उसकी.. कुछ देर इंतजार करने के बाद... मुझे मुन्ना दिखाई दिया आता हुआ...
वह अपनी आंखें मलता हुआ मेरे पास आया.... और मुझे देख कर उसे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ..... आज मैं पहली बार उसकी दूध की दुकान पर खड़ा था...
मुन्ना: क्या बात है बहन के लोड़े... तू यहां पर क्या कर रहा है...
सैंडी..
मैं: यार मुझे बस आधा लीटर दूध दे दे.... मेरे घर में दूध खत्म हो गया है..
मुन्ना: बहन चोद तेरे घर में दूध की क्या दिक्कत हो गई... तेरे घर में तो एक से बढ़कर एक दूध देने वाली है... सुबह-सुबह अपनी चंदा भाभी को ही घोड़ी बनाकर दूध निकाल सकता है तू तो...
मैं: चुप कर साले... कुछ भी बकवास करता है ..... चल जल्दी से आधा लीटर दूध निकाल कर दे दे मुझे...
मुन्ना: बकवास नहीं कर रहा हूं बहन के लोड़े... आज तो मैंने तेरी रूपाली दीदी को भी देखा.... क्या मस्त पटाखा माल हो गई है तेरी रुपाली दीदी... मार्केट में देखा था.... तेरी रुपाली दीदी भी तो दुधारू लग रही थी..
मैं: साले क्या बकवास कर रहा है... सुबह-सुबह तू पागल हो गया है..
मुन्ना: साले पागल तो मुझे तेरी प्रियंका दीदी ने कर दिया है.. उसकी छलकती हुई छोटी सी गांड और बड़े-बड़े आम देखकर तो मैं पागल ही हुआ रहता हूं..... तू मुझसे अपनी प्रियंका दीदी की शादी क्यों नहीं करवा देता.... साला तुझे मैं 500000 दूंगा..
मैं : बकवास मत कर और मुझे एक आधा लीटर दूध का पैकेट दे...
उसने मुझे एक आधा लीटर दूध का पैकेट दे दिया और बदले में मुझसे पैसा भी नहीं लिया...
उजाला होने से पहले ही मैं अपने घर के दरवाजे के सामने खड़ा था... दूध के पैकेट अपने हाथ में लिए हुए... मेरे घर का दरवाजा खुला हुआ था... मुझे आश्चर्य हुआ देखकर... मैं अपने घर के अंदर घुस गया और हॉल में पहुंच गया.... वहां पर कोई भी नहीं था......
लेकिन मेरी रूपाली दीदी के बेडरूम से कामुक सिसकियां और अजीब अजीब आवाजें निकल रही थी..... मैं अपनी बहन के बेडरूम के पास गया तो देखा कि दरवाजा खुला पड़ा है...
अंदर झांकने पर मैंने देखा..... वह बोला मेरे लिए ठीक नहीं है... लेकिन फिर भी दोस्तों मैं बता रहा हूं..... अंदर बेडरूम में मेरी रूपाली दीदी घोड़ी बनी हुई थी अपने बिस्तर पर..... और मेरी प्रियंका दीदी उनके ऊपर घोड़ी बनी हुई थी...... दरअसल मेरी दोनों बहने एक के ऊपर एक लेटी हुई थी... और पीछे से थानेदार साहब अपने घुटनों के बल बैठे हुए पीछे से अपने खड़े लंड से मेरी रूपाली दीदी की गांड मार रहे थे.... वह अपनी पूरी रफ्तार से मेरी बहन की गांड मार रहे थे... अपना सारा ताकत उन्होंने मेरी दीदी की गांड में डाल दिया था....... थानेदार साहब नंगे थे और उनके माथे पर पसीना था..... पेट और छाती पर भी पसीना दिखाई दे रहा था.... दरअसल थानेदार साहब तो पूरी तरह से पसीने में भीगे हुए थे..... मदमस्त काला बड़ा सा लोड़ा मेरी रूपाली दीदी की गांड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन पूरा अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था.... क्योंकि थानेदार साहब के खड़े लंड के ऊपर मेरी रूपाली दीदी का मंगलसूत्र लिपटा हुआ था..... मेरी बहन अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी और थानेदार साहब को उकसा रही थी.... अपनी गांड में और जोर-जोर से करने के लिए.....
मेरी प्रियंका दीदी तो निष्क्रिय होकर रूपाली दीदी के ऊपर बैठी हुई थी... उनको है रात और आश्चर्य हो रहा था... यह मेरी प्रियंका दीदी के लिए भी नया अनुभव था और मेरे लिए भी......
जैसे ही मैं कमरे के अंदर घुसा उन तीनों की नजर मेरे ऊपर पड़ी..... लेकिन उनकी का काम लीला में कोई फर्क नहीं पड़ा मुझे देखने के बावजूद....... बल्कि इसका तो उल्टा ही असर हुआ... मुझे देखकर थानेदार साहब कुटिल तरीके से मुस्कुराए... और फिर अपना मोटा लंबा काला लंड बाहर की तरफ खींच कर फिर से अंदर की तरफ डाल दिए और बड़ी बेदर्दी से मेरी बहन की गांड चोदने लगे...
मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए उनका भरपूर साथ दे रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी कनखियों से मुझे कमरे से बाहर जाने का इशारा किया....... और मैं कमरे से बाहर आ गया.... लेकिन वही दरवाजे के पास खड़े होकर अंदर के होने वाले कार्यक्रम का नजारा लेने का कोशिश करने लगा छुप छुपा के......
कुछ ही देर में अंदर कमरे की परिस्थितियां बदल चुकी थी... मेरी प्रियंका दीदी घोड़ी बनी हुई थी और थानेदार साहब पीछे से उनकी गांड मार रहे थे.... और मेरी रूपाली दीदी नीचे लेटी हुई थानेदार हरीलाल के दोनों बड़े बड़े आंड को चाट रही थी..
वह अपनी आंखें मलता हुआ मेरे पास आया.... और मुझे देख कर उसे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ..... आज मैं पहली बार उसकी दूध की दुकान पर खड़ा था...
मुन्ना: क्या बात है बहन के लोड़े... तू यहां पर क्या कर रहा है...
सैंडी..
मैं: यार मुझे बस आधा लीटर दूध दे दे.... मेरे घर में दूध खत्म हो गया है..
मुन्ना: बहन चोद तेरे घर में दूध की क्या दिक्कत हो गई... तेरे घर में तो एक से बढ़कर एक दूध देने वाली है... सुबह-सुबह अपनी चंदा भाभी को ही घोड़ी बनाकर दूध निकाल सकता है तू तो...
मैं: चुप कर साले... कुछ भी बकवास करता है ..... चल जल्दी से आधा लीटर दूध निकाल कर दे दे मुझे...
मुन्ना: बकवास नहीं कर रहा हूं बहन के लोड़े... आज तो मैंने तेरी रूपाली दीदी को भी देखा.... क्या मस्त पटाखा माल हो गई है तेरी रुपाली दीदी... मार्केट में देखा था.... तेरी रुपाली दीदी भी तो दुधारू लग रही थी..
मैं: साले क्या बकवास कर रहा है... सुबह-सुबह तू पागल हो गया है..
मुन्ना: साले पागल तो मुझे तेरी प्रियंका दीदी ने कर दिया है.. उसकी छलकती हुई छोटी सी गांड और बड़े-बड़े आम देखकर तो मैं पागल ही हुआ रहता हूं..... तू मुझसे अपनी प्रियंका दीदी की शादी क्यों नहीं करवा देता.... साला तुझे मैं 500000 दूंगा..
मैं : बकवास मत कर और मुझे एक आधा लीटर दूध का पैकेट दे...
उसने मुझे एक आधा लीटर दूध का पैकेट दे दिया और बदले में मुझसे पैसा भी नहीं लिया...
उजाला होने से पहले ही मैं अपने घर के दरवाजे के सामने खड़ा था... दूध के पैकेट अपने हाथ में लिए हुए... मेरे घर का दरवाजा खुला हुआ था... मुझे आश्चर्य हुआ देखकर... मैं अपने घर के अंदर घुस गया और हॉल में पहुंच गया.... वहां पर कोई भी नहीं था......
लेकिन मेरी रूपाली दीदी के बेडरूम से कामुक सिसकियां और अजीब अजीब आवाजें निकल रही थी..... मैं अपनी बहन के बेडरूम के पास गया तो देखा कि दरवाजा खुला पड़ा है...
अंदर झांकने पर मैंने देखा..... वह बोला मेरे लिए ठीक नहीं है... लेकिन फिर भी दोस्तों मैं बता रहा हूं..... अंदर बेडरूम में मेरी रूपाली दीदी घोड़ी बनी हुई थी अपने बिस्तर पर..... और मेरी प्रियंका दीदी उनके ऊपर घोड़ी बनी हुई थी...... दरअसल मेरी दोनों बहने एक के ऊपर एक लेटी हुई थी... और पीछे से थानेदार साहब अपने घुटनों के बल बैठे हुए पीछे से अपने खड़े लंड से मेरी रूपाली दीदी की गांड मार रहे थे.... वह अपनी पूरी रफ्तार से मेरी बहन की गांड मार रहे थे... अपना सारा ताकत उन्होंने मेरी दीदी की गांड में डाल दिया था....... थानेदार साहब नंगे थे और उनके माथे पर पसीना था..... पेट और छाती पर भी पसीना दिखाई दे रहा था.... दरअसल थानेदार साहब तो पूरी तरह से पसीने में भीगे हुए थे..... मदमस्त काला बड़ा सा लोड़ा मेरी रूपाली दीदी की गांड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन पूरा अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था.... क्योंकि थानेदार साहब के खड़े लंड के ऊपर मेरी रूपाली दीदी का मंगलसूत्र लिपटा हुआ था..... मेरी बहन अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी और थानेदार साहब को उकसा रही थी.... अपनी गांड में और जोर-जोर से करने के लिए.....
मेरी प्रियंका दीदी तो निष्क्रिय होकर रूपाली दीदी के ऊपर बैठी हुई थी... उनको है रात और आश्चर्य हो रहा था... यह मेरी प्रियंका दीदी के लिए भी नया अनुभव था और मेरे लिए भी......
जैसे ही मैं कमरे के अंदर घुसा उन तीनों की नजर मेरे ऊपर पड़ी..... लेकिन उनकी का काम लीला में कोई फर्क नहीं पड़ा मुझे देखने के बावजूद....... बल्कि इसका तो उल्टा ही असर हुआ... मुझे देखकर थानेदार साहब कुटिल तरीके से मुस्कुराए... और फिर अपना मोटा लंबा काला लंड बाहर की तरफ खींच कर फिर से अंदर की तरफ डाल दिए और बड़ी बेदर्दी से मेरी बहन की गांड चोदने लगे...
मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए उनका भरपूर साथ दे रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी कनखियों से मुझे कमरे से बाहर जाने का इशारा किया....... और मैं कमरे से बाहर आ गया.... लेकिन वही दरवाजे के पास खड़े होकर अंदर के होने वाले कार्यक्रम का नजारा लेने का कोशिश करने लगा छुप छुपा के......
कुछ ही देर में अंदर कमरे की परिस्थितियां बदल चुकी थी... मेरी प्रियंका दीदी घोड़ी बनी हुई थी और थानेदार साहब पीछे से उनकी गांड मार रहे थे.... और मेरी रूपाली दीदी नीचे लेटी हुई थानेदार हरीलाल के दोनों बड़े बड़े आंड को चाट रही थी..