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Adultery Old sotry_पंडित & शीला_copy paste
#12
गतांक से आगे......................

पंडित जी : नहीं ..मुझे नहीं मालुम ..तुम बताओ मुझे पूरी बात ..

माधवी : पंडित जी ..कहते हुए मुझे काफी शर्म आती है ..पर जब बात यहाँ तक पहुँच ही गयी है तो आपसे मैं कुछ भी नही छुपाऊगी .. ऐसा नहीं है की मेरा मन इन सब चीजों के लिए नहीं करता ..बल्कि मैं तो उनसे ज्यादा तड़पती हु उन सब के लिए ..पहले वो जब भी मेरे साथ प्यार करते थे तो मैं उन्हें हर प्रकार से खुश करने का प्रयत्न करती थी ..जैसा वो कहते थे, वैसा ही करती थी ..वो कहते की अंग्रेजी पिक्चर में जैसे होता है , वैसे करो ..''

पंडितजी ने बीच में टोका : ''अंग्रेजी पिक्चर में ..मतलब ..''

माधवी (शर्माते हुए ) :''वो ...वो अक्सर ...रात को टीवी में अंग्रेजी पिक्चर आती है न ..जिसमे ..जिसमे ..आदमी का ल ..चूसते हुए दिखाया जाता है ...''

वो धीरे से बोली ..

पंडित तो मजे लेने के लिए उससे ये सब पूछ रहा था, वर्ना उस कमीने को सब पता था की रात को केबल वाला ब्लू फिल्म लगाता है , जिसे देखकर वो अपने लंड का पानी कई बार निकाल चुके हैं और गिरधर ने ही उन्हें ये सब बताया था की ब्लू फिल्म देखकर उसने भी कई बार माधवी से अपना लंड चुसवाया है और फिल्म देखने के बाद ही उसे ये पता चला था की गांड भी मारी जाती है ..वर्ना उसे तो बस यही मालुम था की चूत में ही लंड डाला जाता है ..और जब गिरधर ने ब्लू फिल्म में गांड मारने का सीन देखा था , तब से वो माधवी के पीछे पड़ा हुआ था की वो भी उससे गांड मरवाए ..पर वो हमेशा मना कर देती थी ..

माधवी ने आगे बोलना शुरू किया : ''पिछले महीने एक रात जब वो पीकर घर आये तो उन्होंने ..उन्होंने ...रितु को अपने कमरे में बुलाया ..मैं किचन में थी ..काफी देर तक जब रितु वापिस नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए जैसे ही कमरे में गयी तो मेरे होश ही उड़ गए ...इन्होने रितु को अपने सीने से लगाया हुआ था ..और ..और ..उसे ..चूम रहे थे ..''

पंडित जी ने जब ये सब सुना तो उनके रोंगटे खड़े हो गए ..इस बारे में तो गिरधर ने आज तक नहीं बताया था ..साला हरामी ..

माधवी : ''मैंने बड़ी मुश्किल से रितु को इनके चुंगल से छुडाया ...वो बेचारी घबराई हुई सी ..भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और मैंने उन्हें जी भरकर गालियाँ निकाली ..पर वो तो नशे में चूर थे ..मेरी बातों का कोई असर नहीं हुआ उनपर ..इसलिए मैंने निश्चय कर लिया की उन्हें सबक सिखा कर रहूंगी ..जब तक वो अपने किये की माफ़ी नहीं मांग लेते और शराब नहीं छोड़ देते,वो मेरे जिस्म को हाथ नहीं लगा सकते ..पंडितजी ..एक बार तो मेरा मन किया की इनसे तलाक ले लू ..पर हम गरीब लोग हैं ..तलाक लेकर हम लोगो का गुजारा नहीं है ..और ना ही अब वो उम्र रह गयी है की आगे के लिए हमें कोई और जीवनसाथी मिल पाए ..इसलिए मन मारकर मुझे रोज उनकी बातें सुननी पड़ती हैं ..''

माधवी की बातें सुनकर पंडितजी का लंड खड़ा हो चूका था ..वो तो बस यही सोचे जा रहे थे की कैसे गिरधर ने अपनी कमसिन बेटी रितु के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसा होगा ..

रितु के बारे में सोचते ही उनके मन में एक और विचार आया ..

पंडित : ''देखो माधवी ..जो कुछ भी गिरधर ने किया है वो बेहद शर्मनाक है ..पर हो सकता है की तुम्हारे द्वारा दुत्कारे जाने के बाद ही उसके मन में ऐसे विचार आये हो अपनी ही बेटी के लिए ..तुम उसे प्यार से समझा कर शराब छुडवाने की बात करो ..और रही बात रितु की तो तुम उसकी चिंता मत करो, मैं भी गिरधर को समझा दूंगा की अपनी ही बेटी के बारे में ऐसा सोचना पाप है ..तुम बस उसकी पढाई की चिंता करो ..और उसे जितना ज्यादा हो सके पढाई करवाओ ..अगर चाहो तो उसकी टयूशन भी लगवा दो ..''

माधवी : ''पर पंडितजी ..इतने पैसे नहीं है अभी की अलग से टयूशन लगवा सकू उसकी ..''
पंडितजी : ''तुम एक काम करो ..तुम रितु को रोज 2 बजे यहाँ मेरे पास भेज देना ..''

माधवी (आश्चर्य से) : ''आपके पास ..मतलब ..''

पंडितजी : ''अरे मेरी पूरी बात तो सुन लो ..हमारे ही मोहल्ले में वो शर्मा जी की विधवा बेटी है न शीला ..वो अपना खाली समय काटने के लिए आती करती रहती है ..मैंने कई बार उसे सुझाव दिया की अपने मोहल्ले के बच्चो को टयूशन पड़ा दिया करे पर बेचारी का घर इतना छोटा है की वहां कोई जाने से भी कतरायेगा ..वो रोज दोपहर को यहाँ आती है, रितु भी आकर यहीं पढ़ लिया करेगी ..मुझे विशवास है की वो रितु से पैसे नहीं लेगी ..उसका भी मन बहल जाएगा और थोडा आत्मविश्वास आने के बाद वो दुसरे बच्चो को भी पढ़ा सकेगी ..''

______________________________ पंडितजी ने अपनी तरफ से भरस्कर प्रयत्न किया था उसे समझाने के लिए ..इसलिए माधवी ने उनकी बात ख़ुशी-2 मान ली ..

माधवी : पंडित जी ..आप तो मेरे लिए साक्षात् अवतार है ..मेरी सारी चिंताएं दूर हो गयी अब ..''


पंडित : ''सारी चिंताए तो तब दूर होंगी जब तुम्हारे और गिरधर के बीच में पहले जैसा प्यार फिर से होगा ..और अगर तुम चाहो तो सब पहले जैसा हो सकता है ..''

माधवी उनकी बाते सुनती रही ..वो उन्हें मना नहीं कर सकती थी ..पंडितजी ने पहले रितु की कॉलेज की फीस देकर और बाद में उसकी टयूशन का प्रबंध करके उसके ऊपर काफी बोझ डाल दिया था ..

माधवी : ''आप बताइए पंडितजी ..मैं क्या करू ..ताकि हमारे बीच सब पहले जैसा हो जाए ..''

पंडित जी :'' तुम मुझे पहले तो ये बताओ की तुम्हे शारीरिक क्रियाओं में क्या सबसे अच्छा लगता है ..''

पंडितजी के मुंह से ऐसी बात सुनकर माधवी का मुंह खुला का खुला रह गया ..

पंडितजी :'' देखो माधवी ..मुझे गलत मत समझो ..मैं तो सिर्फ तुम्हारी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा हु ..मैंने पोराणिक कामसूत्र का भी अध्ययन किया है ..और मुझे इन सब बातों का पूरा ज्ञान है की किस क्रिया को स्त्री और पुरुष अपने जीवन में प्रयोग करके उसका आनंद उठा सकते हैं ..''

पंडितजी की ज्ञान से भरी बातें सुनकर माधवी अवाक रह गयी ..उसे तो आज ज्ञात हुआ की पंडितजी कितने "ज्ञानी" हैं ..

उसने भी मन ही मन निश्चय कर लिया की अब वो पंडितजी की सहायता से अपने बिखरे हुए दांपत्य जीवन को बटोरने का प्रयास करेगी ..

माधवी का चेहरा देखकर धूर्त पंडित को ये तो पता चल ही गया था की वो मन ही मन पंडितजी को सब कुछ बताने के लिए निश्चय कर रही है पर खुलकर बोल नहीं पा रही है ..पंडितजी की पेनी नजरें उसकी छातियों पर जमी हुई थी जिसके बीच की गहरी घाटी में देखकर वो अपना मन बहला रहे थे ..


पंडितजी ने उसे ज्यादा सोचते हुए कहा : "देखो ..माधवी ..तुम अपनी इस समस्या को बीमारी की तरह समझो और मुझे डॉक्टर की तरह , मुझे सब बताओगी तभी तो मैं उसका निवारण कर सकूँगा ..तुम निश्चिंत होकर मुझपर भरोसा कर सकती हो ..जो भी बात हमारे बीच होगी उसका किसी और को पता नहीं चलेगा ..यहाँ तक की गिरधर को भी नहीं .."


माधवी अभी भी गहरी सोच में थी ..इसलिए पंडित ने दुसरे तरीके से माधवी के मन की बात निकलवाने की सोची


पंडित : "अच्छा मुझे ये बताओ ..जब गिरधर तुम्हारा चुबन लेता है ..तो तुम्हे कैसा लगता है ..??"


माधवी ने अपना चेहरा नीचे कर लिया ..वो शर्म के मारे लाल सुर्ख हो चूका था ..


माधवी (धीरे से) : "जी ..जी ..अच्छा ही लगता है .."


पंडित ने अपने पैर नीचे लटका लिए और अपने घुटनों के ऊपर अपनी बाजुए रखकर थोडा आगे होकर बोल : "कहाँ चूमने पर सबसे ज्यादा आनंद आता है .."


माधवी कुछ न बोली ...


पंडित : "तुम्हारे होंठों पर ..या गर्दन पर ..या फिर ..!!!!!"


पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..माधवी ने तेज सांस लेते हुए अपना चेहरा ऊपर किया, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर रहे थे ..


पंडित : "या फिर ...तुम्हारे स्तनों पर .."


पंडित ने स्तन शब्द पर जोर दिया ..और उसकी छाती की तरफ इशारा भी किया ..


माधवी की साँसे रेलगाड़ी के इंजन जैसी चलने लगी ..पंडित जी को पता चल गया की उन्होंने सही जगह पर चोट मारी है ..


माधवी ने सर हाँ में हिलाया और अपना चेहरा फिर से नीचे कर लिया ..


पंडित : "और क्या गिरधर ने कभी कल्पउर्जा क्रिया का प्रयोग किया है तुम्हारे स्तनों पर .."


माधवी : "ये ..ये क्या होता है .."


पंडित : "ये एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री को खुश करने के लिए पुरुष उसके उन अंगो पर विशेष ध्यान लगाता है जिसमे उसे सबसे ज्यादा आनंद प्राप्त होता है ..और ये क्रिया स्त्री और पुरुष एक दुसरे पर कर सकते हैं .."


माधवी :"अच्छा ..ऐसा भी होता है ..पर ना ही कभी इन्होने और ना ही कभी मैंने ऐसा कुछ किया है .."

पंडित : "तुमने जब भी गिरधर के लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसा है ..वो इसी क्रिया का रूप है .."


लंड चूसने वाली बात सुनकर माधवी फिर से शर्मा गयी ..

पंडित : "तभी मैंने पुछा था की तुम्हारे तुम्हे किस अंग पर चुबन लेने से तुम्हे सबसे ज्यादा आनद प्राप्त होता है .."


माधवी उसकी बाते सुनती रही ..आखिर पंडित अपनी बात पर आया ..

पंडित : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे ये कल्पउर्जा क्रिया सिखा सकता हु ..जिसका प्रयोग करके तुम फिर से अपने जीवन में खो चुके प्यार को पा सकती हो .."


माधवी : "पर पंडित जी ...वो गिरधर को जो सबक सिखाना था वो .."


पंडित : "देखो माधवी ..मैंने पहले ही तुम्हे कह दिया है की तुम उसकी चिंता मत करो, अगर तुम चाहोगी तो मेरे कहने पर वो तुमसे माफ़ी भी मांग लेगा, शराब भी छोड़ देगा और सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचेगा ..हमारे पुराणिक कोक शास्त्र और कामसूत्र की पुस्तकों में ऐसी सभी समस्याओं का निवारण है ..."


माधवी : "ठीक है पंडित जी ..आप बताइए मुझे क्या करना होगा .."


पंडित : "मैं तुम्हे वो क्रिया सिखाऊंगा ..जिसका प्रयोग करके तुम अपने दांपत्य जीवन में फिर से खुशहाली पा सकोगी .."


माधवी : "ठीक है पंडित जी ..मैं तैयार हु .."


माधवी के आत्मविश्वास से भरे चेहरे को देखकर पंडित जी का लंड खड़ा हो गया ..


पंडित : "तो जैसा मैंने कहा था की कल्पउर्जा क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री या पुरुष अपने साथी को उत्तेजना के उस शिखर पर ले जा सकता है जहाँ पर वो आज तक कभी नहीं गया होगा .. अगर तुमने निश्चय कर ही लिया है तो तुम्हे मुझे अपने शरीर के उस अंग यानी तुम्हारे स्तनों पर वो क्रिया करने की अनुमति देनी होगी ..बोलो तैयार हो .."


माधवी पंडित की बात सुनकर फिर से शरम से गड़ती चली गयी ..


पंडित : "तुम ऐसा करो ...अपनी साड़ी उतार कर खड़ी हो जाओ और अपना ये ब्लाउस भी उतार दो .."

माधवी कुछ देर तक सोचती रही ..पर पंडितजी की बातें और उनके उपकार याद करके उसने अपनी आँखे बंद की और दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ी हो गयी और अपनी साडी उतारने लगी ..


पंडित : "ये क्या कर रही हो ..तुम ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी ..मेरी तरफ मुंह करो और ऊपर से निर्वस्त्र हो जाओ .."


माधवी गहरी सांस लेती हुई पंडितजी की तरफ घूमी और अपनी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया ..


पंडितजी भी ठरकी सेठ की तरह पालती मारकर उसका शो देखने लगे ..जैसे किसी कोठे पर आये हो ..

साडी का पल्लू गिरते ही माधवी की छातियाँ ब्लाउस में फंसी हुई उसके सामने उजागर हो गयी ..


ब्लाउस के अन्दर ब्रा और उसके नीचे नंगी चुचियों पर लगे मोटे निप्पल पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे ..


माधवी ने धीरे-2 अपने हुक खोलने शुरू किये ..जैसे-2 हुक खुलते जा रहे थे उसकी छातियाँ अपने अकार में आकर बाहर की तरफ उछलने की तेयारी कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसने आखिरी हुक खोला , उसके ब्लाउस के दोनों पाट बिदक कर दांये और बाएं कंधे से जा टकराए


माधवी की नजरे अभी तक नीचे ही थी ..


पंडित : "माधवी ...मेरी तरफ देखो ..और फिर खोलो अपने अंग वस्त्र को ..वर्ना तुम्हारे अन्दर की शरम तुम्हे आगे नहीं बड़ने देगी .."


माधवी ने अपना चेहरा ऊपर किया ..और पंडितजी की वासना से भरी आँखों में अपनी नशीली आँखों को डालकर अपने ब्लाउस के दोनों किनारों को पकड़ा और एक मादक अंगडाई लेते हुए अपने ब्लाउस को उतार फेंका ..


अब माधवी सिर्फ अपनी ब्लेक ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी ..


पंडित जी ने अपनी धोती में खड़े हुए सांप को सहला कर नीचे की तरफ दबा दिया ..


माधवी ने पंडित की आँखों में देखते हुए अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा के हुक खोल दिए ..और ब्लाउस की तरह ही ब्रा भी छिटक कर उसके जिस्म से अलग हो गयी ..माधवी ने अपनी ब्रा के कप के ऊपर अगर हाथ न लगाए होते तो शायद वो ब्रा पंडित के मुंह पर आकर गिरती ..


पंडित : "कितना जुल्म करती हो तुम अपनी छातियों को इतनी छोटी सी ब्रा में कैद करके .."


पंडित की बात सुनकर माधवी के चेहरे पर थोड़ी हंसी आई ..


पंडित : "नीचे गिराओ इस बाधा को ..और देखने दो मुझे अपने सुन्दर उरोजों को ..."


माधवी ने धड़कते हुए दिल से अपने हाथ हटा लिए और उसकी ब्रा सूखे हुए पत्ते की तरह नीचे की तरफ लहरा गयी ..

उफ्फ्फ्फ़ ...क्या नजारा था ..इतनी बड़ी और कसी हुई छातियाँ पंडित ने आज तक नहीं देखि थी ..

शीला से भी बड़ी थी वो ..अपने दोनों हाथ लगाने पड़ेंगे पंडित को ..लगभग 44 का साईस होगा ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..

और उसपर लगे हुए बेर जैसे निप्पल ..काले रंग के ..और उनके चारों तरफ दो इंच का घेरा ..कितना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य था ...


पंडित जी अब उठ खड़े हुए ..और माधवी के बिलकुल पास आकर खड़े हो गए ..

माधवी पंडित जी के कंधे तक आ रही थी ..पंडित जी ने आँखे नीचे करके उसके मोटे-2 चुचे देखे तो उनसे सब्र नहीं हुआ और उन्होंने हाथ उठा कर अपने दोनों हाथ उसके कलशों पर रख दिए ..


माधवी सिसक उठी ....


स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म ..


पंडित : "माधवी ..मैं सुन्दरता की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति हु ..और मैं तुमसे बस यही कहना चाहता हु की मैंने अपने जीवन में ऐसे सुन्दर स्तन आज तक नहीं देखे .."


बेचारी माधवी की हिम्मत नहीं हुई की पंडित से पूछ ले की और कितने स्तन देखे हैं उन्होंने ...


पंडितजी के हाथ की उँगलियाँ सिमटी और उन्होंने माधवी के मोटे निप्पलस को अपनी चपेट में लेकर धीरे से मसल दिया ..


अह्ह्ह्ह्ह्ह ....


माधवी की आँखे बंद हो गयी, सर पीछे की तरफ गिर गया ..और मुंह से मादक आवाज निकल पड़ी ..

पंडित के सामने माधवी आधी नंगी होकर अपना सब कुछ दिखाने को तैयार खड़ी थी ..पर उन्हें पता था की सब कुछ धीरे-2 और मर्यादा में रहकर करना होगा, जैसा शीला के साथ किया था उन्होंने .


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RE: Old sotry_पंडित & शीला_copy paste - by randibhabhi - 27-10-2021, 12:09 PM



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