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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#76
अब संगीता दीदी पाँव पसारे बैठी थी और गाउन उसके कमर'पर गिर गया था. मेने दोनो बाजू से गाउन पकड़ लिया और उसके छाती के उभारों से उप्पर खींच लिया. उस'ने अप'ने दोनो हाथ उप्पर किए और एक झटके में मेने उसके सरीर से गाउन निकाल दिया और बाजू के कुर्सी'पर डाल दिया.

अप'नी आँखें बंद रख के वो वापस पिछे लेट गयी. अब संगीता दीदी सिर्फ़ ब्रेसीयर और पॅंटीस में मेरे साम'ने पड़ी थी. उसके गोरे गोरे बदन पर वो काले रंग की ब्रेसीयर और नीले रंग की पॅंटीस खुल के दिख रही थी. इस तरह से बीना रोक टोक उसे देख'ने का ये मेरा पह'ला मौका था और इस मौके का में पूरी तरह से फ़ायदा ले रहा था. काफ़ी देर में मेरी बहन के अध नंगे बदन को वासानभारी निगाह से देख रहा था.

"क्या हुआ, सागर?. तुम रुक क्यों गये??" संगीता दीदी ने बंद आँखों से मुझे पुछा.

"कुच्छ नही, दीदी! तुम्हें इन अंतर्वस्त्रो में थोड़ा निहार रहा हूँ. इस काली ब्रेसीयर और नीली पॅंटीस में तुम बहुत सेक्सी दिख'ती हो!"

"मुझे लग'ता है. इन अंतर्वस्त्रो के नीचे 'क्या' छुपा है उसे देख'ने में तुम्हें ज़्यादा दिलचस्पी है. है ना, सागर?"

"हाँ. हाँ. दीदी! ज़रूर!"

"तो फिर टाईमपास क्यों कर रहे हो, सागर? निकाल दो उन्हे. और पूरी कर लो अप'नी 'जिग्यासा'!" ऐसा कह'कर संगीता दीदी घूम गयी और अप'ने पेट'पर लेट गयी. अब मुझे उसके पिछले भाग का दर्शन हो रहा था. वो पिछे से भी काफ़ी सेक्सी नज़र आ रही थी. उसके दूध जैसे गोरी गोरी पीठ पर उसके ब्रेसीयर की तीन काली पट्टी नज़र आ रही थी. दो पट्टी उसके कंधे से आकर एक आधी पट्टी पर रुक रही थी. उसकी ब्रेसीयर काफ़ी टाइट थी जिस'से उसकी ब्रा की पट्टी के बाजू से उसकी त्वचा उभर'कर आई थी. नीचे उसके गोल गोल मांसल चुत्तऱ उसके पॅंटीस में से बिल'कुल भरे हुए नज़र आ रहे थे. और उसके नीचे उसकी गोरी लंबी टाँगें और भी बेहतरीन नज़र आ रही थी.

मेने मेरा हाथ संगीता दीदी की पीठ'पर, ब्रा के हुक'पर रख दिया. जैसे ही मेरी उंगलीयों का स्पर्श उसे हुआ वैसे उसके बदन'पर रोंगटे खड़े हो गये. मेने मेरे दोनो हाथों की उंगलीया उसके ब्रा के हुक के दोनो बाजू से पट्टी के नीचे घुसा दी और में उस'का हुक निकाल'ने लगा. ब्रेसीयर टाइट थी इस'लिए मुझे हुक निकाल'ने में परेशानी हो रही थी लेकिन फिर भी में हुक निकाल'ने में काम'याब हो गया. हुक खुलते ही ब्रा की पट्टी छिटक गयी और उसकी बगल में जाकर गीर गई.

फिर में उठ गया और वापस संगीता दीदी के पैरो तले बैठ गया. मेने मेरी उंगलीया उसकी कमर'पर पॅंटीस के इलास्टीक में घुसा दी और में उसकी पॅंटीस नीचे खींच'ने लगा. जैसे जैसे में पॅंटीस नीचे खींच रहा था वैसे वैसे उसके चुत्तऱ मेरी आँखों को नज़र आते गये. वो! क्या मस्त दिख रहे थे मेरी बहन के भरे हुए चुत्तऱ!! में जल्दी जल्दी पॅंटीस नीचे खींचता गया और फिर उसके पैरो से मेने उसे निकल दिया.

अब संगीता दीदी. मेरी लाडली बड़ी बहन. मेरे साम'ने. पूरी नंगी. अप'ने पेट'पर लेटी हुई थी..

वो मुझे देख नही रही थी इस'लिए मेने उसकी पॅंटीस, जो पैरो से निकालते सम'य लपेट के उल'टी हुई थी, उसे सीधी की और में उस'को गौर से देख'ने लगा. जब मेने पॅंटीस का चूत का भाग देखा तो वहाँ मुझे गीला स्पॉट नज़र आया. वो स्पॉट देख'कर मुझे आश्चर्य लगा. क्योंकी थोड़ी देर पह'ले जब मेने देखा था तब वो स्पॉट वहाँ पर नही था. मेने उस स्पॉट को उंगली लगा'कर चेक किया तो मुझे पता चला के वो संगीता दीदी की चूत का रस था. इसका मतलब ये था के वो उत्तेजीत हो गयी थी.

में संगीता दीदी को नंगी कर रहा था और उस'से अगर वो उत्तेजीट हो रही थी तो मेरा आगे का काम आसान था. अगर मेने कोशीष की तो उसकी उत्तेजना का फ़ायदा उठाकर में उसके साथ बहुत कुच्छ कर सकता था ये जान'कर में खूस हो गया. एक पल के लिए मुझे लगा के में उसकी चूत रस का वो गीला स्पॉट चाट लू लेकिन फिर मेने सोचा के उस'का चूत रस उसकी पॅंटीस से चाट'ने की क्या ज़रूरत है अगर वो 'सोमरस' सीधा मुझे जहाँ से पैदा हुआ है वहाँ से पीने को मिले तो?? यानी के संगीता दीदी की चूत अगर मुझे चाट'ने को मिल'नेवाली होगी तो..??
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 26-10-2021, 05:39 PM



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