Thread Rating:
  • 16 Vote(s) - 2.31 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#75
"यानी, दीदी.. में तुम्हारे कपड़े निकालू???" मेने बड़े उत्साह से उसे पुछा और उस'ने अपना सर हिलाके मुझे 'हां' कहा.

"ठीक है, दीदी.. तुम अगर यही चाह'ती हो तो में करता हूँ ये काम!"

"अरे नालायक!. ये में नही. तुम चाहते हो."

"हां, दीदी. हां !! में चाहता हूँ. तो फिर में चालू करू अभी??"

"अगर तुम्हें चाहिए तो. कर चालू!!." ऐसा कह'कर संगीता दीदी ने रिमोट से टीवी बंद किया और नीचे सरक के वो अप'नी पीठ'पर सीधा लेट गयी. उसके चह'रे पर शरारती हँसी थी. में थोड़ा आगे सरक गया और मेरे दोनो हाथ मेने उसके पाँव के पंजो के आगे, उसके गाउन'पर रख दिए. धीरे धीरे दोनो हाथों से में संगीता दीदी का गाउन उप्पर सरकाने लगा.

मेने गाउन संगीता दीदी के घुट'ने तक उप्पर किया. आगे का गाउन उसके पैरो तले अटका हुआ था इस'लिए उस'ने अप'ने घुट'ने थोड़े उप्पर लिए और मेने गाउन उसके घुटनो के उप्पर सर'काया. फिर में उठा के उसकी कमर के यहाँ बैठ गया. में संगीता दीदी का गाउन उप्पर कर रहा था और वो आँखें बंद करके पड़ी थी. मेने उसे कहा,

"दीदी! तुम'ने अप'नी आँखें क्यों बंद रखी है?"

"क्योंकी.. में तुम्हारी तरह बेशरम नही हूँ." उस'ने आँखें बंद रख के ही जवाब दिया.

"यानी क्या, दीदी?"

"यानी ये के.. में कैसे देख सकूँगी के मेरा छोटा भाई मुझे नंगी कर रहा है? मुझे ये बात बिल'कुल शर्मनाक लग रही है."

"ओह ! दीदी! अगर ऐसा है तो मुझे नही कुच्छ देख'ना." ऐसे कह'ते मेने मेरे हाथ पिछे लिए. उस पर संगीता दीदी ने आँखें खोल'कर मेरी तरफ देख'कर कहा,

"तुम चालू रखो, सागर!. अब मुझे थोड़ा बहुत अट'पटा तो लगेगा ही ना?. इस'लिए मेने आँखें बंद रखी है. तुम अपना काम चालू रखो." ऐसा कह'कर संगीता दीदी ने अप'नी आँखें वापस बंद कर ली. मेने मेरे हाथ वापस उसके गाउन के उप्पर रख दिए और में उसे और उप्पर सरकाने लगा.

मेने जान बूझ'कर मेरे पूरे पंजे उसकी टाँगों पर फैलाए थे जिस'से गाउन सरकाते सम'य में उसकी मुलायम टाँगों का स्पर्शसूख ले सकू. फिर मेने उप्पर सर'काया पूरा गाउन उसकी कमर के उप्पर धकेल दिया.

अब संगीता दीदी कमर के नीचे खुली पड़ी थी. उस'ने आँखें बंद की थी इस'लिए में उसे अच्छी तराहा से आँखें भर के (कह'ने की बजाए आँखें फाड़'कर) देख सकता था. मुझे उसकी गोरी गोरी टाँगे और टाँगों के बीच का त्रिकोण भाग दिख रहा था. उस'ने डार्क नीले रंग की पॅंटीस पहनी थी जो कुच्छ देर पह'ले मुझे उसके गाउन के उपर से काली नज़र आई थी. उसकी चूत का उभार उसके पॅंटीस के उपर से साफ दिखाई दे रहा था. चूत के बीच के छेद में पॅंटीस थोड़ी घुसी थी जिस'से उसकी चूत का छेद भी समझ में आ रहा था. पॅंटीस के साइड से चूत के भूरे रंग के बाल बाहर आए थे. में उसे और थोड़ी देर निहारना चाहता था लेकिन मेरा अन्तीम 'लक्ष्य' और ही था.

मेने गाउन और उप्पर सर'काने की कोशीष की लेकिन वो संगीता दीदी के चुत्तऱ के नीचे अटका हुआ था. इस'लिए मेने सिर्फ़

"दीदी" इतना कहा और उसकी समझ में आया.! उस'ने अप'नी कमर थोड़ी उप्पर उठाई और मेने झट से गाउन उसके चुत्तऱ के नीचे से सर'काया. फिर वैसे ही में गाउन उसके नाभी और पेट से उप्पर करता गया. अब तक में उस'का गाउन सरका रहा था और वो लेटी हुई थी लेकिन अब बाकी गाउन उठा'ने के लिए उसे उठ के बैठना ज़रूरी था. ये बात उसके भी ध्यान में आई क्योंकी उस'ने अप'ने दोनो हाथ उप्पर मेरी तरफ किए. उसकी आँखें बंद थी और चह'रे पर लज्जा मिश्रीत, शरारती हँसी थी. मेने भी हंस'ते हुए उसके हाथ पकड़ लिए और उसे उप्पर खींच लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 26-10-2021, 05:30 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)