25-10-2021, 06:41 PM
(24-10-2021, 03:30 PM)babasandy Wrote: जैसा थानेदार साहब चाह रहे थे मेरी दीदी बिल्कुल वैसा ही कर रही थी... बिना कोई नखरा दिखाए... उनका हाथ मेरी बहन के सर पर था.. चूस चूस कर मेरी प्रियंका दीदी ने थानेदार साहब के लंड को एक बार फिर से कुतुबमीनार की तरह खड़ा कर दिया... फिर अपने दोनों रसीले जोबन के बीच में लेकर उनके कड़े हथियार को हिलाने लगी..Bahut mazedar story hai bhai
उत्तेजना के मारे मेरी प्रियंका दीदी के किसमिस के आकार के निपल्स फुल कर अंगूर की तरह बड़े हो गए थे... और मेरी बहन अपने दोनों अंगूरों से थानेदार हरीलाल के मोटे लंबे लंड को छेड़ रही थी....
थानेदार हरिलाल: मेरी रानी.... तू सच में बहुत ही मस्त माल है.. तेरे जैसी चिकनी लौंडिया को चोदने का मुझे आज तक मौका नहीं मिला था... आज तो तुझे भरपूर मजा दूंगा अपने लोड़े से...
मेरी प्रियंका दीदी: आपका लंड भी मुसल के जैसा है साहब... हमने भी आज तक इतना बड़ा नहीं देखा था...
मेरी प्रियंका दीदी की कामुक अदाएं देखकर... उनकी रसभरी उत्तेजित करने वाली बातें सुनकर इंस्पेक्टर हरिलाल तो पूरी तरह से पागल हो चुका था.. उनके अंदर का जानवर जाग चुका था...
मेरी बहन के होठों और चुचियों ने ऐसा जादू दिखाया था की थानेदार साहब का लोड़ा आसमान की बुलंदियों को छू रहा था..
उन्होंने अब मेरी प्रियंका दीदी का बाल पकड़कर को जबरदस्ती घोड़ी बना दिया उसी बिस्तर पर और खुद पीछे आ गए..
मेरी प्रियंका दीदी: हाय थानेदार जी... बड़े बेरहम मर्द हो आप...
इंस्पेक्टर हरिलाल: चुप साली रंडी.....
थानेदार साहब एक बॉडीबिल्डर मर्द थे... बहुत ताकत थी उनके अंदर... मेरी प्रियंका दीदी तो उनकी ताकत के आगे बिल्कुल बेबस लग रही थी..
पीछे आने के बाद उन्होंने मेरी प्रियंका दीदी छोटे-छोटे उभरे हुए गांड के दोनों भाग को अपने मजबूत हाथों में दबोच कर अलग अलग किया... और फिर अपना मोटा लण्ड मेरी बहन की गांड की छत के ऊपर टिका कर एक करारा झटका दिया... उनका आधा मुसल मेरी दीदी की गांड के छेद में घुसकर अटक गया... मेरी बहन के मुंह से एक जोरदार चीख निकली... लेकिन थानेदार साहब ने कोई परवाह नहीं की...
मेरी प्रियंका दीदी: “ऊईई…ई…ई…ई… मां.... मार डाला रे.... थानेदार साहब... यह क्या कर रहे हैं आप..
इंस्पेक्टर हरिलाल: चुप कर साली रंडी की औलाद.... बहन की लोहड़ी तेरी गांड मार रहा हूं.... ज्यादा चीखेगी चिल्लाएगी तो तेरा गांडू भाई जाग जाएगा...
थानेदार साहब को लग रहा था कि मैं सो चुका हूं... लेकिन जिसकी बहन बगल में अपनी गांड में लौड़ा लिय चिल्ला रही होगी वाह भाई भला कैसे सो सकता है... मैं बस आंखें बंद करने का नाटक कर रहा था...
थानेदार साहब ने अपना लौड़ा बाहर की तरफ खींचा और फिर से एक जबरदस्त झटका दिया और मेरी बहन की गांड को चीरते हुए उनका लौड़ा मेरी प्रियंका दीदी की गांड के छेद में समा चुका था..
मेरी प्रियंका दीदी: हाय रे थानेदार साहब...अरे राम!! थोड़ा तो रहम खाओ, मेरी गांड फटी जा रही है रे ज़ालिम! थोड़ा धीरे से, अरे बदमाश अपना लंड निकाल ले मेरी गांड से नही तो मैं मर जाऊंगी आज ही!"
इंस्पेक्टर हरिलाल: चुप्प! साली छिनाल, नखरा मत कर नही तो यहीन पर चाकु से तेरी चुत फाड़ दूंगा, फिर ज़िन्दगी भर गांड ही मरवाते रहना! थोड़ी देर बाद खुद ही कहेगी कि हाय मज़ा आ रहा है, और मारो मेरी गांड."
मेरी प्रियंका दीदी तड़प रही थी, छटपटा रही थी... दर्द के मारे उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे थे... मेरी दीदी अपनी गांड इधर-उधर हिला रही थी ताकि थानेदार साहब का मोटा लंड उनकी गांड के छेद में से निकल जाए... लेकिन इंस्पेक्टर हरिलाल की पकड़ मजबूत थी... उन्होंने 1 इंच भी टस से मस नहीं होने दिया... पूरी मजबूती के साथ मेरी दीदी को पकड़कर उनकी गांड में अपना लौड़ा ठेलके आनंद लेते रहे...
वह कुछ देर तक इसी पोजीशन में मेरी बहन के ऊपर सवार होकर अपने हाथों से मेरी बहन की चूचियों के साथ खेलते रहे..
और फिर उन्होंने धीरे-धीरे मेरी बहन की गांड को चोदना शुरू कर दिया..
थानेदार साहब ने अपना लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया मेरी बहन की गांड में.... मेरी दीदी ने भी चीखना चिल्लाना बंद कर दिया था और उनके मुसल को अपनी गांड में एडजस्ट करने की कोशिश लग करने लगी थी...
मेरी प्रियंका दीदी को अच्छी तरह से पता था कि यह कमीना बिना उनकी गांड मारे मानने वाला नहीं है.... इसीलिए मेरी बहन भी उनका साथ देने लगी.. और इंजॉय करने की कोशिश करने लगी..
थानेदार साहब ने तो शुरुआत धीमी रफ्तार से की थी लेकिन धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, और अब वह ठापाठप किसी पिस्टन की तरह मेरी प्रियंका दीदी की गांड मार रहे थे...
मेरी दीदी भी अपनी गांड आगे पीछे करके उनको सहयोग दे रही थी..
थानेदार साहब ने मेरी प्रियंका दीदी के बाल पकड़ रखे थे जैसे किसी घोड़ी को दौड़आते हुए जॉकी उसकी लगाम को पकड़ के रखता है ..
दूसरे हाथ की उंगलियों से वह मेरी बहन की गुलाबी चुनमुनिया को छेड़ रहे थे.... मेरी बहन तो झरने की तरफ झड़ रही थी... मेरी प्रियंका दीदी अपनी गांड में होने वाले दर्द को भूल गई थी.....
देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे मेरी दीदी गांड मरवाते हुए बहुत मजे में है... और थानेदार साहब के आनंद की तो सीमा ही नहीं थी..
मेरी बहन को गंदी गंदी गालियां देते हुए वह अब अपनी पूरी रफ्तार से मेरी बहन की गांड मार रहे थे...
मेरी प्रियंका दीदी: हाय मज़ा आ रहा है! और जोर से मारो, और मारो और बना दो मेरी गांड का भुर्ता! और दबाओ मेरे मम्में, और जोर दिखाओ अपने लंड का और फाड़ दो मेरी गांड. अब दिखाओ अपने लंड की ताकत!" थानेदार साहब... हाय मां..
तकरीबन 10 मिनट के बाद....
थानेदार साहब: साली रंडी तेरी मां का भोसड़ा चोद.....अब गया, अब और नही रुक सकता! ले साली रण्डी, गांडमरानी, ले मेरे लंड का पानी अपनी गांड मे ले!" कहते हुए थानेदार साहब के लंड ने मेरी प्रियंका दीदी गांड मे अपने वीर्य की उलटी कर दी. वह चूचियां दाबे मेरी प्रियंका दीदी कमर से इस तरह चिपक गया था मानो मीलों दौड़ कर आया हो...
फिर अपना मुसल मेरी बहन की गांड में से निकालकर उनके बगल में लेट गया और आराम करने लगा....
मुझे लगा कि आज रात का प्रोग्राम तो खत्म हो गया.... मेरी दीदी की गांड ने खूब अच्छे से निचोड़ लिया होगा इस हरामजादे थानेदार का...
मेरी बहन भी शांत पड़ी हुई थी... थानेदार साहब भी अपनी आंखें बंद किए हुए लेटे हुए थे... कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था... बस लंबी-लंबी थकी हुई सांसे ले रहे थे... मुझे लग गया था कि आज का प्रोग्राम तो खत्म हो गया... राहत का अहसास होते ही मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया..
मैं तकरीबन 2 या 3 घंटे सोया था कि मेरी नींद खुल गई... दरअसल मेरी नींद मेरी बहन की चीख सुनकर खुल गई थी..
मेरी प्रियंका दीदी: हाय थानेदार साहब... मर गई रे मां...
जब मैंने अपना सर ऊपर की तरफ उठाकर देखा तो पाया कि थानेदार साहब एक बार फिर मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर चढ़े हुए थे और मेरी बहन को पेल रहे थे... उनकी गुलाबी चिकनी चुनमुनिया में... उनका मोटा मूसल अपनी पूरी ताकत और रफ्तार से मेरी बहन की चिकनी चमेली की धज्जियां उड़ा रहा था...
मेरी प्रियंका दीदी उनके नीचे लेटी हुई अपनी दोनों टांगे उठा कर हाय हाय मर गई कर रही थी..
मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर और दूसरी चूची को अपने हाथ से मसलते हुए थानेदार साहब मेरी बहन की जबरदस्त ठुकाई कर रहे थे..
दरअसल गांड मारने के बाद इंस्पेक्टर हरिलाल भी सो गए थे और मेरी बहन भी उनसे लिपट के सो गई थी...
सुबह 5:00 बजे जब थानेदार साहब की आंख खुली और उन्होंने मेरी बहन को खुद से लिपटा हुआ पाया तो उनके अरमान एक बार फिर जाग गए थे.. और वह मेरी बहन के ऊपर चढ़कर उनको फिर से चोदने लगे थे..
मेरी प्रियंका दीदी की पायल और चूड़ियों की खन खन और उनकी कामुक सिसकियां पूरे कमरे में तूफान मचा रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी: "हाय मै दर्द से मरी.............दर्द हो रहा है!! प्लीज थोड़ा धीरे डालो! मेरी बुर फटी जा रही है!!" थानेदार साहब...
इंस्पेक्टर हरिलाल: "अरे चुप साली, तबियत से चुदवा नही रही है और हल्ला कर रही है, मेरी फटी जा रही है, जैसे कि पहली बार चुदवा रही है. अभी-अभी चुदवा चुकी है चूतमरानी और हल्ला कर रही है जैसे कोई सील बन्द कुंवारी लड़की हो." नाटक करेगी तो तेरे भाई के ऊपर लेटा कर तुझे चोदूंगा....
मेरी प्रियंका दीदी: नहीं थानेदार साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं आपका साथ दे रही हूं ... मेरे भाई को सोने दीजिए..
थानेदार साहब: ठीक है बहन की लोड़ी...
थानेदार साहब मेरी बहन को गोद में उठाकर बिस्तर के ऊपर खड़े हो गए.. और मेरी बहन को अपने लोड़े के ऊपर उछाल उछाल के चोदने लगे..
थानेदार हरिलाल के इस अंदाज पर मेरी बहन उनकी दीवानी होने लगी थी... उनकी ताकत उनके मर्दानगी उनके मजबूत लोड़े के खूंखार झटके सहने के बाद मेरी दीदी मन ही मन उनके ऊपर फिदा होने लगी थी..
मेरी प्रियंका दीदी की बुर भी पानी छोड़ने लगी..... बुर भीगी होने के कारण लंड बुर मे आराम से अन्दर बाहर जाने लगा..
तकरीबन 5 मिनट तक थानेदार साहब ने इसी अंदाज में मेरी बहन को अपनी गोद में उठाकर मजा दिया और खुद भी मजा लिया..
मेरी प्रियंका दीदी भी अपने दोनों बाहें उनके गले में डालकर उनकी होंठों को चूमते हुए मस्त हो गई थी.... मेरी प्रियंका दीदी की दोनों टांगे थानेदार साहब की कमर के इर्द-गिर्द लटकी हुई झूल रही थी..
थानेदार साहब मेरी बहन की दोनों छोटी-छोटी गांड के भाग को थामे हुए मेरी बहन को अपने लोड़े पर उछाल रहे थे... खड़े-खड़े... मेरी बहन को ठोक रहे थे...
तकरीबन 5 मिनट के बाद थानेदार साहब ने मेरी प्रियंका दीदी को अपनी गोद में से उतार दिया और खुद नीचे लेट गय...
अपने हाथ में अपना मुंह का लंबा लंड थामे हुए वह मेरी बहन को अपने लंड के ऊपर बैठने के लिए आमंत्रित करने लगे अपनी आंखों से...
मेरी दीदी ने उनके खुले निमंत्रण को स्वीकार किया... और अपनी गुलाबी चुनमुनिया को अपनी दो उंगलियों से फैला कर उनके मोटे लंड के ऊपर बैठ गई और कूदने लगे.... मेरी दीदी उठक बैठक लगाने लगी थी..
थानेदार साहब ने मेरी बहन को अपने ऊपर लेटा लिया और खुद भी नीचे से झटके देने लगे....
जब इंस्पैक्टर हरिलाल नीचे से उपर उचक कर अपने लंड को मेरी प्रियंका दीदी की बुर मे ठांसता था, मेरी बहन की दोनो चूचियां पकड़ कर नीचे की ओर खींचता था जिससे लंड पूरा चुत के अन्दर तक जा रहा था.
इस तरह से वह चोदने लगा और साथ-साथ मेरी दीदी के मम्मे भी पम्पिंग कर रहा था, और कभी मेरी दीदी के गालों पर बटका भर लेता था तो कभी दीदी के निप्पल अपने दांतों से काट खाता था.... पर जब वह मेरी प्रियंका दीदी के होठों को चूसता तो मेरी दीदी बेहाल हो जाती थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा के थानेदार साहब को मजा देने लगी थी...
थानेदार मेरी बहन की नर्म मुलायम गुलाबी चिकनी चमेली का भोसड़ा बना रहा था... और शायद मेरी दीदी भी यही चाहती थी...
मेरी प्रियंका दीदी वासना के उन्माद में बड़बड़ा रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी: हाय थानेदार साहब.."हाय मेरे राजा!! मज़ा आ रहा है, और जोर से चोदो और बना दो मेरी चुत का भोसड़ा!!"
थानेदार साहब तो अपनी ही दुनिया में खोए हुए थे... वह बड़ी प्यार से मेरी दीदी की ले रहे थे... उनका लोड़ा बहुत धीमी रफ्तार के साथ मेरी बहन की चुनमुनिया में अंदर बाहर हो रहा था...
दूसरी तरफ मेरी प्रियंका दीदी चाहती थी कि थानेदार साहब उनको रगड़ के रख दे... खूब कस कस के उनकी ठुकाई करें...
मेरी दीदी अपनी गांड उठा उठा उनको इशारा कर रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी: "हाय राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आयेगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चुत?"
थानेदार साहब को मेरी बहन की जलती हुई भट्टे के अंदर अपना लोड़ा अंदर बाहर करते हुए बहुत मजा आ रहा था.... उनको तो कोई भी जल्दी नहीं थी... बड़े प्यार से वह मेरी बहन की ठुकाई कर रहे थे...
गुलाबी फुदफुदाती बुर को फाड़ के रख दे... चटनी बना दे उनकी.. दरअसल मेरी प्रियंका दीदी ही इंस्पेक्टर साहब को चोद रही थी... नीचे से ही... थानेदार साहब तो बस मेरी बहन की चूचियों को पी रहे थे....
मेरी प्रियंका दीदी: "हाय राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आयेगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चुत?"
मेरी बहन की कामुक बातें सुनकर थानेदार साहब ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. उनकी रफ्तार राजधानी ट्रेन की तरह हो गई... ऐसा लग रहा था कि वह अपने बिस्तर को तोड़ देंगे... मेरी दीदी भी मजे और आनंद के मारे मचलने लगी थी...
और फिर थानेदार साहब ने अपना मक्खन भर दिया मेरी दीदी की कोख में... ढेर सारा सफेद माल मेरी बहन की चिकनी चमेली में डालने के बाद वह नीचे लेट कर सुस्ताने लगे...
मेरी दीदी भी झड़ गई थी उनके साथ...
तकरीबन 20 मिनट के बाद थानेदार साहब ने मुझे जगाया... मैं तो जगा हुआ ही था... मैं झटपट उठ कर खड़ा हो गया... मैंने देखा कि मेरी बहन घर जाने के लिए तैयार हो रही है... अपनी लहंगा चोली पहनने के बाद दीदी अपने चेहरे पर मेकअप कर रही थी..
मेरी बहन की फटी पेंटी मेरी आंखों के सामने थी...
जब मेरी बहन तैयार हो गई तू इस्पेक्टर हरिलाल ने अपनी जीप में बिठाकर मुझे और मेरी बहन को अपने घर पहुंचा दिया सुबह 5:30 बजे के आसपास...
उस वक्त भी अंधेरा था... भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि किसी पड़ोसी ने हमें नहीं देखा था उस वक्त...
जब इंस्पेक्टर हरिलाल ने हमारे घर की घंटी बजाई थी... मेरी रूपाली दीदी ने दरवाजा खोला था... आधी नींद में...
मेरी रूपाली दीदी को देखकर इंस्पेक्टर हरीलाल का लोड़ा, जो रात भर मेरी प्रियंका दीदी की कुटाई करते हुए थका नहीं था , तान के खड़ा हो गया और मेरी रूपाली दीदी को सलामी देने लगा..
मेरी रूपाली दीदी कि आंखें ही शर्म के मारे झुक गई थी... और उन झुकी हुई आंखों के साथ मेरी दीदी अपनी कनखियों से उस खूंखार मुसल को जो इंस्पेक्टर हरिलाल के पजामे में तना हुआ था, मुस्कुराने लगी थी.. बेहद कामुक अंदाज में...
मेरी रूपाली दीदी: आइए ना इंस्पेक्टर साहब अंदर आइए ना.. चाय पिएंगे क्या आप...
इंस्पेक्टर हरिलाल: नहीं..... मैं तो बस दूध पीता हूं...
मैं: ठीक है साहब आप हमारे घर के अंदर आइए मैं दूध लेकर आता हूं..
इंस्पेक्टर हरिलाल: हां दूध लेकर आ... तब तक मैं तुम्हारी दोनों बहनों के साथ बातचीत करता हूं..
मेरी रूपाली दीदी ने मुझे आंखों से इशारा किया..... और मैं दूध लेने के लिए मदर डेयरी की तरफ चला गया.... दुकान खोलने में कुछ देर थी...
Fan ho gya hu apki writing ka
Bhai ek request hai k ap bhi apni dono didi ko chodo
Aur jab apki dono didi kisi aur se chudwa rahi ho ap unke pass khde ho bilkul kreeb