25-10-2021, 02:33 PM
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए। सुरेखा की आँखों में उदासी छा रही थी।
मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई।
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मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई।
मैंने भाभी को बता दिया कि मैं सुरेखा से शादी कर रहा हूँ।
24 साल की सुरेखा की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन सुरेखा शादी करने को राजी नहीं थी, सुरेखा बोली - मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।
मैंने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो।
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सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, 3 बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि सुरेखा विधवा है। 24 साल की सुरेखा लड़की ही लगती थी।
मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, सुरेखा को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। सुरेखा का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, सुरेखा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी।
माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।
अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया।
माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।
मुझे लगा कि यह कहानी सुरेखा के घर जाने पर ही सुलझेगी।
मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा।
सुरेखा बुरी तरह से रो रही थी, सुरेखा बोली - मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी।
मैंने उससे कहा - ऐसा कुछ नहीं होगा।
सुरेखा से मैंने कुछ बातें पूछीं
उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध अरुण से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था। तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था अरुण को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं अरुण के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है। और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।
सुरेखा का पूरा आंचल आंसुओं से भीग रहा था।
मैंने कहा - सील और शक्ल याद करके बने संबंध कुछ दिन के ही होते हैं, असली संबंध तो हम एक दूसरे से मानसिक रूप से कितना जुड़ते हैं, उससे होते हैं और न तुम अरुण को बदल पाईं न अरुण खुद को इसलिए यह संबंध तो स्थायी था ही नहीं।
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