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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मेरा नाम राजेंद्र है मैं सरकारी स्कूल में अध्यापक हूं, मैं बिहार के एक छोटे से कस्बे में कार्यरत हूं और यहां पर मुझे दो वर्ष हो चुके हैं। मैं जब स्कूल में पढ़ाने आया तो यहां पर पूरी व्यवस्थाएं नहीं थी इसलिए मैं बहुत परेशान हो गया, मैं सोचने लगा मैं कहां पर आ गया हूं लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैंने सोचा कि मुझे कुछ नया करना पड़ेगा। मैं जिस क्षेत्र में था वहां पर ज्यादा पढ़े-लिखे लोग नहीं थे इसीलिए मैंने अपने घर पर फ्री में ट्यूशन पढ़ाने की सोची, मेरे पास स्कूल के बच्चे आते थे और वह लोग मुझसे फ्री में ट्यूशन पढ़ते थे। मैं किसी भी बच्चे से कोई भी पैसा नहीं लेता था जिससे कि उनकी पढ़ाई में भी सुधार होने लगा। मेरे इस कार्य की सब लोग सराहना करने लगे और सब लोग मुझसे बड़े खुश रहने लगे। मैं अब सब लोगों के बीच में चर्चित होने लगा था और सारे लोग मुझे मास्टर जी कह कर बुलाते थे।
मैंने भी बचपन में बहुत ही परेशानियों के बीच में पढ़ाई की थी इसलिए मुझे भी यह ज्ञान था कि यदि मेरी वजह से किसी बच्चे का भला हो जाए तो उसका जीवन सुधार सकता है इसीलिए मैंने यह फैसला लिया। सब बच्चो को मैं अच्छे से पढ़ाने लगा, जो भी बच्चा मेरे पास आता था वह बहुत ही अच्छे से पढ़ता था। उनके माता पिता मेरे लिए कुछ ना कुछ भिजवा देते लेकिन मुझे वह पसंद नहीं था, उसके बावजूद भी मुझे उनसे लेना पड़ता था क्योंकि वह लोग मुझे कहते कि यदि आप हमारे बच्चों के लिए इतना कुछ कर रहे हैं तो क्या हम आप के लिए इतना भी नहीं कर सकते। एक दिन मैं शाम के वक्त बच्चों को पढ़ा कर बाहर टहलने के लिए निकल रहा था, उस वक्त मैंने देखा कि वहां पर एक महिला और एक पुरुष का झगड़ा हो रहा है, मैं जब उनके पास गया तो वह दोनों एक दूसरे पर बहुत ही बुरी तरीके से चिल्ला रहे थे। मैंने उन दोनों को समझाते हुए शांत करवाया। वह लोग मुझे पहचान चुके थे इसलिए उन लोगों ने मुझे अपने घर में बैठा लिया। जब मुझे पता चला कि वह दोनों पति पत्नी है तो मैंने उन दोनों से पूछा कि तुम दोनों इतना क्यों झगड़ रहे हो तो वह कहने लगे कि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता हूं लेकिन उसके बावजूद भी यह हमेशा ही मुझसे झगड़ती रहती है और कहती है कि आप मेरी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
मैंने उन दोनों को अपने पास ही बैठा लिया, मैंने उन दोनों को समझाते हुए कहा कि इसमें तुम दोनों की गलती नहीं है लेकिन यदि तुम इसी प्रकार से करोगे तो तुम्हारे बच्चों पर इसका बहुत ही बुरा असर पड़ेगा और मैंने उन महिला को भी समझाया कि जितना आपके पति कमाते हैं आपको उतने में ही संतुष्टि करनी चाहिए यदि आप ज्यादा के लालच में रहेंगे तो शायद आपके पति पर उस चीज का गलत असर पड़ेगा। वह भी मेरी बातों को समझ गए, उस दिन दोनों ने ही मुझे अपने घर पर रुकने के लिए कहा, मैंने उस दिन उन लोगों के घर पर ही भोजन किया। जब मैं अगले दिन अपने घर पर बैठा हुआ था तो मेरे पास कुछ महिलाएं आ गई और वह कहने लगे कि आप हमें भी थोड़ा बहुत पढ़ा दीजिए क्योंकि हम लोग भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। मुझे उन्हें पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए मैंने उन्हें भी पढ़ाना शुरू कर दिया और जब मैंने उन्हें पढ़ाना शुरू किया तो मुझे बहुत ही मेहनत करनी पड़ रही थी क्योंकि उन लोगों ने काफी समय पहले ही स्कूल छोड़ दिया था इसी वजह से मुझे उन्हें पढ़ाने में बड़ी दिक्कत हो रही थी। उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैंने उन्हें पढ़ाने की पूरी कोशिश की। मैं अब उन्हें हमेशा ही शाम के वक्त पढ़ता था। गांव में मेरी सब लोग इज्जत करते थे। एक दिन मैं स्कूल से लौट रहा था, उस वक्त मुझे एक लड़की ने रोक लिया, वह लड़की दिखने में बहुत ही अच्छी लग रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी शहर की रहने वाली है। जब वह मेरे पास आई तो उसने मुझे अपना परिचय दिया, उसका नाम सोनिया है। मैंने सोनिया से पूछा क्या आपको मुझसे कुछ काम था, वह मुझे कहने लगे मुझे यहां लोगों से पता चला कि आप लोगों के लिए यहां पर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्हें पढ़ा भी रहे हैं। मैंने सोनिया से कहा हां मैं उन्हें पढ़ाता हूं। सोनिया ने मुझे बताया कि मैं भी इसी गांव की रहने वाली हूं और मैं मुंबई में रहती हूं लेकिन मैं भी इसी गांव में रहकर कुछ करना चाहती हूं, मैंने उसे कहा कि क्यों ना फिर तुम यहां पर कोई ट्यूशन सेंटर खोल दो, मैं बच्चों को निशुल्क पढ़ाता हूं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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