25-10-2021, 12:19 PM
इसलिए मैंने भैया को फोन किया तो भैया ने झट से हां कह दी।
मैंने उन्हें कहा हां आप यह बात तो सही कह रहे हैं, अपने ही मजबूरी के वक्त काम आते हैं। वह काफी देर तक मेरे साथ बैठे हुए थे, जब उन्होंने कहा कि मैं अब चलता हूं तो मैंने भी उनसे कहा ठीक है आप कल शाम को आ जाइएगा। मै अगले दिन ब्याज पर पैसे ले आई थी और शाम के वक्त मेरे देवर जी भी घर पर आ गए, मैंने उन्हें पैसे दे दिए और अपने पति से भी फोन पर बात करवा दी थी, अब वह भी खुश थे और मैं भी थोड़ा निश्चिंत थी लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह पैसे मैं वापस कैसे करूंगी, मेरे देवर जी तो अपने घर चले गए लेकिन मैं बहुत दुविधा में थी। उस दिन शाम के वक्त बच्चे ट्यूशन में पढ़ने आए तो मेरा उन्हें पढ़ाने का मन नहीं हो रहा था, मैंने उस दिन उन्हें जल्दी घर भेज दिया। सब बच्चे घर जा चुके थे लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था मुझे क्या करना चाहिए। उस रात में अकेली बैठी हुई थी, मैंने अपनी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और उसमें से दो चार पैक मार लिए, जब मुझे थोड़ा नशा हो गया तो मुझे चूत मरवाने की तलब होने लगी मैंने सोच लिया था मै अपनी चूत किसी से तो मरवाऊंगी।
मैंने उन्हें कहा हां आप यह बात तो सही कह रहे हैं, अपने ही मजबूरी के वक्त काम आते हैं। वह काफी देर तक मेरे साथ बैठे हुए थे, जब उन्होंने कहा कि मैं अब चलता हूं तो मैंने भी उनसे कहा ठीक है आप कल शाम को आ जाइएगा। मै अगले दिन ब्याज पर पैसे ले आई थी और शाम के वक्त मेरे देवर जी भी घर पर आ गए, मैंने उन्हें पैसे दे दिए और अपने पति से भी फोन पर बात करवा दी थी, अब वह भी खुश थे और मैं भी थोड़ा निश्चिंत थी लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह पैसे मैं वापस कैसे करूंगी, मेरे देवर जी तो अपने घर चले गए लेकिन मैं बहुत दुविधा में थी। उस दिन शाम के वक्त बच्चे ट्यूशन में पढ़ने आए तो मेरा उन्हें पढ़ाने का मन नहीं हो रहा था, मैंने उस दिन उन्हें जल्दी घर भेज दिया। सब बच्चे घर जा चुके थे लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था मुझे क्या करना चाहिए। उस रात में अकेली बैठी हुई थी, मैंने अपनी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और उसमें से दो चार पैक मार लिए, जब मुझे थोड़ा नशा हो गया तो मुझे चूत मरवाने की तलब होने लगी मैंने सोच लिया था मै अपनी चूत किसी से तो मरवाऊंगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
