25-10-2021, 12:18 PM
मेरा नाम सोनिया है मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं और हमारा गांव बिहार में है हमारा गांव पटना से 5 घंटे के रास्ते पर है।अब मैं भोपाल की रहती हूं, मेरी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं, इन 10 वर्षों के बीच में मैंने कई बार अपनी जिंदगी में कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने हमेशा ही अपने पति का साथ दिया। कई बार उनकी गलती होने के बावजूद भी मैं हमेशा उनके साथ खड़ी रहती हूं। पिछले एक वर्ष से वह विदेश में नौकरी कर रहे हैं, वह मेरे भैया के साथ विदेश नौकरी करने के लिए चले गए, वह जिस कंपनी में नौकरी करते थे उस कंपनी में एक दिन उनका मैनेजर के साथ झगड़ा हो गया था इसलिए वह काफी समय तक घर पर ही बैठे रहे। मैंने जब यह बात अपने भैया को बताई तो भैया कहने लगे तुम अपने पति को मेरे साथ भेज दो।
उन्होंने ही मेरे पति सुरेश के सारे कागजात बनवाएं और उन्हें अपने साथ विदेश लेकर चले गए, वह हर महीने विदेश से मुझे पैसे भेज देते हैं जिससे कि अब हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है और मैं भी अपने बच्चों का अच्छे से ध्यान रख पाती हूं। मेरे पास काफी समय बच जाता है इसलिए मैं छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती हूं जिससे कि थोड़े बहुत पैसे मैं भी कमा लेती हूं, मैं हमेशा ही अपने पति से फोन पर बात करती हूं यदि मैं कभी उन्हें फोन नहीं कर पाती तो वह मुझे फोन कर देते हैं। एक बार हमारे पड़ोस में एक परिवार रहने के लिए आया, उन्हें यहां रहते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, वह लोग शुरू में तो अच्छे से रहते थे परंतु बाद में वह लोग कॉलोनी के लोगों को काफी परेशान करने लगे, जिस वजह से कॉलनी के लोगों ने निर्णय लिया की इनसे घर खाली करवा दिया जाए। एक दिन सब लोगों ने मीटिंग की और उस दिन घर के जो मालिक थे हमने उनसे भी बात की और उन्हें घर खाली करवाने के लिए कह दिया लेकिन जब वह लोग घर छोड़ रहे थे तो उससे कुछ दिनों पहले मेरे घर पर चोरी हो गई, मुझे उन लोगों पर पूरा शक था क्योंकि वह लोग देखने से ही गलत प्रवृत्ति के प्रतीत होते थे। मैंने यह बात अपने पति से छुपाई मुझे लगा कि मैं उन्हें यह बात बताऊंगी तो शायद वह चिंता करेंगे इसीलिए मैंने उनसे इस बारे में बात नहीं की लेकिन उसी वक्त मेरे देवर को कुछ पैसों की आवश्यकता पड़ गई और वह मेरे पास आ गए, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी।
उन्होंने मेरे पति से फोन पर बात कर ली थी और उन्होंने भी मुझसे कहा कि तुम उसे कुछ पैसे दे देना, उन्हें अपना घर बनवाना है इसलिए उन्हें पैसों की आवश्यकता है। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, जब मेरे देवर घर पर आए तो मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं इन्हें क्या बोलूं, मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी, मैं सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए। हमारे कॉलोनी में एक महिला हैं वह ब्याज में पैसे देती हैं, मुझे लगा की मुझे उनसे बात करनी चाहिए। मैं अपने घर के छत पर चली गई और मैंने उन्हें फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें पैसों की क्या आवश्यकता पड़ गई, मैंने उन्हें बताया कि मुझे पैसों की जरूरत है क्योंकि घर में कुछ काम है, वह मुझे अच्छी तरीके से जानती हैं और उन्हें मेरा नेचर भी पता है इसलिए उन्होंने मुझे मना नहीं किया और कहा कि कल तुम मुझसे पैसे ले लेना। मैं भी अब थोड़ा राहत महसूस कर रही थी और खुश भी थी, मैं जब नीचे आई तो मेरे देवर सोफे पर बैठे हुए थे और वह चाय पी रहे थे, मैं भी उनके साथ बैठ गई। मैने उनसे पूछा घर में आपकी पत्नी कैसी हैं, वह कहने लगे घर में तो सब अच्छे है, बस सोच रहा हूं कि अब घर बनवा लिया जाए इसलिए मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता थी तो मैंने भैया से मदद मांगी, उन्होंने कहा कि घर पर चले जाओ, तुम्हें तुम्हारी भाभी पैसे दे देंगे। मैंने अपने देवर से कहा कि आप कल शाम को घर पर आ जाना मैं आपको कल पैसे दे देती हूं, वह कहने लगे भाभी जी बस अपनों का ही सहारा होता है, मैंने तो अपने दोस्तों से भी कहा लेकिन उन्होंने तो हाथ खड़े कर दिए परंतु इस वक्त मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी
उन्होंने ही मेरे पति सुरेश के सारे कागजात बनवाएं और उन्हें अपने साथ विदेश लेकर चले गए, वह हर महीने विदेश से मुझे पैसे भेज देते हैं जिससे कि अब हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है और मैं भी अपने बच्चों का अच्छे से ध्यान रख पाती हूं। मेरे पास काफी समय बच जाता है इसलिए मैं छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती हूं जिससे कि थोड़े बहुत पैसे मैं भी कमा लेती हूं, मैं हमेशा ही अपने पति से फोन पर बात करती हूं यदि मैं कभी उन्हें फोन नहीं कर पाती तो वह मुझे फोन कर देते हैं। एक बार हमारे पड़ोस में एक परिवार रहने के लिए आया, उन्हें यहां रहते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, वह लोग शुरू में तो अच्छे से रहते थे परंतु बाद में वह लोग कॉलोनी के लोगों को काफी परेशान करने लगे, जिस वजह से कॉलनी के लोगों ने निर्णय लिया की इनसे घर खाली करवा दिया जाए। एक दिन सब लोगों ने मीटिंग की और उस दिन घर के जो मालिक थे हमने उनसे भी बात की और उन्हें घर खाली करवाने के लिए कह दिया लेकिन जब वह लोग घर छोड़ रहे थे तो उससे कुछ दिनों पहले मेरे घर पर चोरी हो गई, मुझे उन लोगों पर पूरा शक था क्योंकि वह लोग देखने से ही गलत प्रवृत्ति के प्रतीत होते थे। मैंने यह बात अपने पति से छुपाई मुझे लगा कि मैं उन्हें यह बात बताऊंगी तो शायद वह चिंता करेंगे इसीलिए मैंने उनसे इस बारे में बात नहीं की लेकिन उसी वक्त मेरे देवर को कुछ पैसों की आवश्यकता पड़ गई और वह मेरे पास आ गए, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी।
उन्होंने मेरे पति से फोन पर बात कर ली थी और उन्होंने भी मुझसे कहा कि तुम उसे कुछ पैसे दे देना, उन्हें अपना घर बनवाना है इसलिए उन्हें पैसों की आवश्यकता है। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, जब मेरे देवर घर पर आए तो मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं इन्हें क्या बोलूं, मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी, मैं सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए। हमारे कॉलोनी में एक महिला हैं वह ब्याज में पैसे देती हैं, मुझे लगा की मुझे उनसे बात करनी चाहिए। मैं अपने घर के छत पर चली गई और मैंने उन्हें फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें पैसों की क्या आवश्यकता पड़ गई, मैंने उन्हें बताया कि मुझे पैसों की जरूरत है क्योंकि घर में कुछ काम है, वह मुझे अच्छी तरीके से जानती हैं और उन्हें मेरा नेचर भी पता है इसलिए उन्होंने मुझे मना नहीं किया और कहा कि कल तुम मुझसे पैसे ले लेना। मैं भी अब थोड़ा राहत महसूस कर रही थी और खुश भी थी, मैं जब नीचे आई तो मेरे देवर सोफे पर बैठे हुए थे और वह चाय पी रहे थे, मैं भी उनके साथ बैठ गई। मैने उनसे पूछा घर में आपकी पत्नी कैसी हैं, वह कहने लगे घर में तो सब अच्छे है, बस सोच रहा हूं कि अब घर बनवा लिया जाए इसलिए मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता थी तो मैंने भैया से मदद मांगी, उन्होंने कहा कि घर पर चले जाओ, तुम्हें तुम्हारी भाभी पैसे दे देंगे। मैंने अपने देवर से कहा कि आप कल शाम को घर पर आ जाना मैं आपको कल पैसे दे देती हूं, वह कहने लगे भाभी जी बस अपनों का ही सहारा होता है, मैंने तो अपने दोस्तों से भी कहा लेकिन उन्होंने तो हाथ खड़े कर दिए परंतु इस वक्त मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
