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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
हमारे ही गांव के कुछ चुनिंदा लोगों ने उनके सम्मान में कुछ पैसे भी दिए और अब मैं और मेरी सहेली रूपा अपने घर की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते मैं उसी नाटक मंडली गायक कलाकार से टकरा गई। मैंने जब उसे देखा तो मैंने उसे कहा ओ भैया क्या तुम्हें दिखता नहीं है वह कहने लगा गलती से हो गया आप मुझे माफ कर दीजिए लेकिन तभी रूपा ने मुझे कहा अरे तुम तो वही हो ना जो पटना से आए हुए हो। वह कहने लगे हां मेरा नाम अजय है और मैं पटना में रहता हूं वहीं पर हम लोग रहते हैं। अजय से बात कर के अच्छा लग रहा था और वह काफी देर तक हम लोगों से बात करता रहा। अजय ने हमसे कहा कभी आप पटना आये तो मुझे जरूर मिलेगा। मैंने अजय से कहा ठीक है कभी हमारा पटना आना हुआ तो हम लोग जरूर मिलेंगे रूपा ने अजय से पूछा वैसे आप लोग यहां कितने दिनों तक रहने वाले है। अजय कहने लगा हम लोग तो अभी यहां पर कुछ दिन और रहेंगे। वह लोग हर रोज एक नया नाटक सब लोगों को दिखाना चाहते थे और उन कुछ दिनों में मेरी अजय के साथ बहुत अच्छी बातचीत हो गई।
अजय भी शायद मुझे प्यार करने लगा था उसका प्यार एक तरफा ही था लेकिन मुझे इस बात की चिंता सता रही थी कि कहीं मेरे पिताजी और मां को इस बारे में पता ना चल जाए। गांव के माहौल में कभी भी इस बात की स्वीकार्यता नहीं थी इसलिए मैं काफी डरी हुई थी मैं और अजय ऐसे ही चोरी छुपे मिलने लगे थे। हम दोनों चलते चलते अपने गांव से थोड़ी दूरी पर निकल गए और वहां पर बैठकर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की अजय के साथ बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे ऐसा लगा कि जैसे अजय अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है। मैंने अजय से कहा तुम काफी मेहनती हो तुम जरूर अपने जीवन में आगे बढ़ोगे। अजय कहने लगा मेरी मां भी हमेशा यही कहती है और जब मुझे तुमसे बात करने का मौका मिला तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे तुम्हारे अंदर भी मेरी मां का कोई रूप छुपा हो तुम बिलकुल मेरी मां की तरह बात करती हो वह भी मुझे ऐसे ही समझाती रहती हैं और जिस प्रकार से तुम से मेरी मुलाकात हुई है वह भी किसी इत्तेफाक से कम नहीं है। मुझे भी अजय का साथ पाकर अच्छा लगा लेकिन जब अजय ने यह कहा कि मैं कल पटना लौट जाऊंगा तो मुझे यह बात हुई बुरी लगी। उस दिन मुझे अजय को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मै उसे अपनी बाहों में ले लू लेकिन मैं गांव की एक सीधी-सादी सी लड़की थी इसलिए मेरे अंदर इतनी हिम्मत ना थी परंतु अजय ने हिम्मत दिखाते हुए आखिरकार मुझे गले लगा लिया। जब अजय ने मुझे गले लगाया तो मेरे अंदर से उत्तेजना जागने लगी थी मेरे अंदर से एक करंट सा निकलने लगा। मैं अजय से गले मिलकर बहुत खुश थी जब अजय ने मेरे गुलाब जैसे होठों को अपने होठों से चुंबन किया तो मैं बिल्कुल रह ना सकी। मैंने अजय से कहा तुम मेरे होठों को बड़े अच्छे से चूम रहे हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों पास के एक खेत में चले गए वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए हम दोनों ने खेत में जाकर एक दूसरे को काफी देर तक चुंबन किया जिससे कि हम दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 25-10-2021, 12:11 PM



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