25-10-2021, 12:11 PM
मैं और मेरी सहेलियां भी वहां से चली गई कुछ देर तक हमने देखा लेकिन लोगों को तो जैसे उन लोगों के झगड़े में भी मनोरंजन लग रहा था इसलिए सब लोग देखे जा रहे थे मैं और मेरी सहेलियां वहां से दूर जा चुकी थी। मैंने अपनी सहेलियों से कहा कि आज तो हम लोग घर चलते हैं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि आज का दिन कुछ ठीक रहने वाला है। हम लोग अपने घर चले गए मैं जब घर गई तो मेरी मां ने मुझसे पूछा सोनिया तुम घर जल्दी आ गई मैंने कहा वहां पर कुछ लोग आपस में झगड़ा कर रहे थे और सब लोग वहां पर तमाशबीन बने देख रहे थे इसलिए मुझे कुछ ठीक नहीं लगा और मैं घर चली आई। मेरी मां कहने लगी बेटा तुमने बिलकुल ठीक किया अब धीरे धीरे गांव में भी सब लोग लोगों का स्वभाव बदलता जा रहा है आपस में झगड़े बहुत ज्यादा होने लगे हैं पहले सब लोग आपस में बड़े प्रेम से रहा करते थे। मैंने अपनी मां से कहा अब मैं कल ही मेले में जाऊंगी अगले दिन मैं अपनी सहेली रूपा के साथ मेले में गई थी उस दिन नाटक देखने के लिए काफी भीड़ जमा हो चुकी थी। रुपा मुझे कहने लगी लगता है आज बड़ा अच्छा नाटक होने वाला है हम लोग भी जमीन पर बैठे हुए थे और तभी मंच से हमारे गांव के रामु चाचा ने सब लोगों को संबोधित करते हुए कहा बस कुछ देर बाद ही नाटक शुरू होने जा रहा है आप लोगों को बड़ा ही आनंद आएगा। उन्होंने नाटकों के पात्रों का भी परिचय दिया और उसके कुछ देर बाद नाटक शुरू हो गया सब लोग नाटक देखने के लिए बैठे हुए थे। नाटक के पहले पात्र ने मंच पर अपनी जबरदस्त एंट्री से सबको हड़बड़ कर दिया सब लोग बहुत खुश थे और लड़के तो सीटिया बजा कर उस पात्र को जैसे उसके कलाकार सम्मान दे रहे थे और हम लोग नाटक में इतना खो गए कि पता ही नहीं चला कि कब वह तीन घंटे का नाटक खत्म हो गया। सब लोगों ने बड़ी जोरदार ताली बजाई और जितने भी पात्र वहां पर थे सब लोगों ने उनका बड़ा सम्मान किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.