25-10-2021, 12:10 PM
मैं इस बात से बहुत खुश थी कि हमारे गांव में इस वर्ष भी मेला लगने वाला है। मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं और हमारा गांव बिहार में है हमारा गांव पटना से 5 घंटे के रास्ते पर है। मैं इस बात से खुश थी कि इस वर्ष भी हम लोग मेले में खूब धूम धड़ाका करेंगे हर साल की तरह हमारे गांव में मेला लगता है इस बार भी मेला लगने वाला था। मेले की पूरी तैयारियां हो चुकी थी मैं अपनी मां के साथ बैठी हुई थी तो मेरी मां मुझे कहने लगी सोनिया तुम इस बार के मेले में जाओगी। मैंने अपनी मां से कहा मां मैं बचपन से आज तक हर बार मेले में गई हूँ तो इस बार मैं कैसे मेला छोड़ सकती हूं। मेरी मां कहने लगी सोनिया कई बार तुम्हें देख कर लगता है कि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो तब मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी।
मेरी मां का मेरे प्रति बहुत लगाव है वह मुझे कहने लगी जब तुम छोटी सी थी तो मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें मिले में घुमाने के लिए ले जाया करती थी लेकिन तुम मेले में काफी जिद करती थी जिस वजह से मुझे तुम्हारे लिए मेले से हर वर्ष खिलौने लाने पड़ते थे और तुम कुछ समय बाद उन खिलौनों को तोड़ दिया करती थी। मेरे पिताजी भी आ चुके थे वह कहने लगे अरे मां बेटी की क्या बातचीत चल रही है। मेरे पिताजी हमारे घर के बाहर लगी पलंग पर बैठ गए और हम लोगों से बात करने लगे उनकी आवाज बड़ी कड़क है पिता जी कहने लगे इस बरस तो मेले में नाटक भी होने वाला है इसकी बड़ी चर्चाएं हैं कि पटना से कुछ कलाकारों की टीम आ रही है। मैं इस बात से बहुत खुश थी क्योंकि मुझे नाटक देखने का बड़ा शौक था और जब भी मेले में नाटक लगता तो मैं उसे देखने जरूर जाया करती। मेला शुरू होने में अब सिर्फ 5 दिन बचे हुए थे लेकिन 5 दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला। हम लोग जब पहले दिन मेले में गए तो वहां पर काफी धूल और मिट्टी उड़ रही थी तभी कुछ दुकानदार आपस में भिड़ गये वह लोग झगड़ा करने लगे सब लोग तमाशबीन बने हुए देख रहे थे कोई भी उन्हें समझाने के लिए या बीच में छुड़ाने के लिए नहीं गया।
मेरी मां का मेरे प्रति बहुत लगाव है वह मुझे कहने लगी जब तुम छोटी सी थी तो मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें मिले में घुमाने के लिए ले जाया करती थी लेकिन तुम मेले में काफी जिद करती थी जिस वजह से मुझे तुम्हारे लिए मेले से हर वर्ष खिलौने लाने पड़ते थे और तुम कुछ समय बाद उन खिलौनों को तोड़ दिया करती थी। मेरे पिताजी भी आ चुके थे वह कहने लगे अरे मां बेटी की क्या बातचीत चल रही है। मेरे पिताजी हमारे घर के बाहर लगी पलंग पर बैठ गए और हम लोगों से बात करने लगे उनकी आवाज बड़ी कड़क है पिता जी कहने लगे इस बरस तो मेले में नाटक भी होने वाला है इसकी बड़ी चर्चाएं हैं कि पटना से कुछ कलाकारों की टीम आ रही है। मैं इस बात से बहुत खुश थी क्योंकि मुझे नाटक देखने का बड़ा शौक था और जब भी मेले में नाटक लगता तो मैं उसे देखने जरूर जाया करती। मेला शुरू होने में अब सिर्फ 5 दिन बचे हुए थे लेकिन 5 दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला। हम लोग जब पहले दिन मेले में गए तो वहां पर काफी धूल और मिट्टी उड़ रही थी तभी कुछ दुकानदार आपस में भिड़ गये वह लोग झगड़ा करने लगे सब लोग तमाशबीन बने हुए देख रहे थे कोई भी उन्हें समझाने के लिए या बीच में छुड़ाने के लिए नहीं गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.