26-04-2019, 01:14 AM
रात के करीब साढ़े दस हो गये थे और मुझे अभी भी नीचे से मम्मी डैडी और सुहैल की बातों की आवाज़ें आ रही थी। मैं आते ही अपने बेड पे लेट गयी और मेरा हाथ खुद-ब-खुद मेरी सलवार के अंदर चूत पे चला गया और मैं अपनी चूत को सहलाने लगी और चूत से खेलने लगी। मैंने देखा कि मेरी चूत पे थोड़ी-थोड़ी झांटें उग आयी हैं। वैसे तो मैं हर हफते अपनी झांटें साफ़ करती हूँ और अभी तीन ही दिन हुए थे मुझे झांटें साफ़ किये हुए और अब हल्की-हल्की सी महसूस हो रही थी। मैं बाथरूम में गयी और क्रीम लगा के बची खुची झांटों को साफ़ कर दिया। अब मेरी चूत मक्खन जैसी चिकनी हो गयी थी। मैं वापस बेड पे आके लेट गयी और कमरे की बिजली बंद कर दी और अंधेरे में ही एक बार फिर से अपनी चूत को सहलाने लगी। अब चूत एक दम से मक्खन की तरह चिकनी हो चुकी थी। ठंड बढ़ चुकी थी और मैं ब्लैंकेट तान कर लेट गयी और अब अंधेरे में मुझे मसाज करने में बहुत मज़ा आ रहा था। लड़कियाँ, खासकर कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ जानती हैं कि सर्दी की रात हो और चूत मक्खन जैसी चिकनी हो तो चूत से खेलने में और मसाज करने में कितना मज़ा आता है और मैं भी अपनी चूत का मसाज करने लगी और मसाज करते-करते मेरी उंगली तेज़ी से चलने लगी। कभी उंगली चूत के सुराख में अंदर डाल के और कभी मैं क्लीटोरिस का मसाज कर रही थी और फिर अचानक मेरा हाथ तेज़ी से चलने लगा और जिस्म काँपने लगा और फिर मेरा लावा फिर से उबलने लगा और चूत में से जूस निकलने लगा। मेरी आँखें बंद हो गयी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और दिमाग में सांय-सांय सी होने लगी और मस्ती में ना जाने मैं कब सो गयी।
मुझे अपनी चूत पे किसी का हाथ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गयी। पता नहीं कितनी रात हो गयी थी। मेरी आँख खुली और मुझे होश आया तो समझ में आया कि वो सुहैल है। मैं उस से लिपट गयी और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे। हम एक दूसरे की ज़ुबान को चूस रहे थे। उसका एक हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी चूत का मसाज मेरी सलवार के ऊपर से ही करने लगा। मुझे चूत में गर्मी महसूस होने लगी और गीली भी होने लगी। मैंने हाथ बढ़ा के उसके लंड को पकड़ा तो पता चला कि वो तो पूरा का पूरा नंगा लेटा है। मैं उसका नंगापन महसूस करके मुस्कुरा दी और उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ के दबाने लगी। हम दोनों चित्त लेटे थे। उसका हाथ अब मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था उसने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया था और चूत को मसाज कर रहा था। मेरी चिकनी चूत पे उसका हाथ बहुत अच्छा लग रहा था।
वो अपनी जगह से उठा और मेरी कमीज़ को मेरा हाथ ऊपर कर के निकाल दिया और मेरी टाँगों को खोल के टाँगों के बीच में आ के बैठ गया और मेरी सलवार को नीचे खींच के उतारने लगा तो मैंने अपनी चूतड़ उठा दिये और सलवार निकालाने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे और कमरे में अंधेरा था। घर के सारे लोग सो चुके थे। मैंने पूछा कि “क्या टाईम हुआ है” तो उसने बताया कि “रात का एक बज रहा है और सर्दी के मारे मेरे मम्मी डैडी ब्लैंकेट तान के अपने कमरे में कब के सो चुके हैं।“
सुहैल मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गया। उसका अकड़ा हुआ लंड जिस में से प्री-कम निकल रहा था, मेरी चूत के ऊपर था। हम दोनों के जिस्म के बीच में उसका लंड और मेरी चूचियाँ दोनों सैंडविच बन गयी थी। हम दोनों किसिंग में बिज़ी हो गये। मेरी चूत के ऊपर उसका लंड लगने से चूत में खुजली शुरू हो चुकी थी और गीली भी हो चुकी थी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और किसिंग कर रहा था। उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में "हॉट डॉग" के सैंडविच की तरह से फँसा हुआ था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा मेरी चूत को खोल के लिप्स के बीच में था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा क्लीटोरिस से टच कर रहा था तो और मज़ा आ रहा था। अब उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरे जिस्म में बिजली दौड़नी शुरू हो गयी और मुझे लग रहा था कि सारे जिस्म से बिजली दौड़ती हुई चूत में आ रही है ऐसे जैसे कि मेरी चूत बिजली का न्यूकलियस हो या सैंट्रल पोइंट हो।
सुहैल अपने लंड के डंडे को चूत के लिप्स के बीच में ही ऊपर नीचे करने लगा। उसके लंड में से प्री-कम भी निकल रहा था जिससे उसके लंड का निचला हिस्सा जो मेरी चूत के लबों के बीच में था, स्लिपरी हो गया था और फिसल रहा था। मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे क्रॉस रखी थी और मैं उसको अपनी तरफ़ खींच रही थी। मेरी चूत बे-इंतहा गीली हो चुकी थी। वो भी मस्ती में था। ऐसे ही लंड को चूत के अंदर ऊपर नीचे करते-करते उसका लंड मेरी चूत के सुराख में फंस गया और एक ही झटके में मेरी गीली चूत के अंदर आधा घुस गया तो मेरे मुँह से “आआआहहहहह” और “ईईईईईई” की सिसकरी निकल गयी और मेरी आँखें फटी रह गयी। उसने अब अपना लंड आधा ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उसका लंड अपनी चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी। सुहैल ने अब अपना पूरा लंड सुपाड़े तक चूत से बाहर निकाल के एक ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से “आआआआईईईईईईईई” की आवाज़ निकली और मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का बाहर रह गया। चूत पूरी स्ट्रैच हो चुकी थी मेरी चूत में एक दफ़ा फिर से जलन होने लगी।
सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से।
उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ।
सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी।
मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया।
अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था।
उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था।
मुझे फिर से मज़ा आने लगा था वो जोश में लंड को फिर से सुपाड़े तक निकाल-निकाल के पीछे से ही मुझे चोद रहा था। मेरा पूरा जिस्म रिलैक्स हो गया था। चूत में से जूस भी निकलने लगा था और चूत अंदर से स्लिपरी हो गयी थी। उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और मैं फिर से मज़े लेने लगी थी। अचानक जब उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच के अंदर घुसाने की कोशिश की तो वो चूत में से बाहर
मुझे अपनी चूत पे किसी का हाथ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गयी। पता नहीं कितनी रात हो गयी थी। मेरी आँख खुली और मुझे होश आया तो समझ में आया कि वो सुहैल है। मैं उस से लिपट गयी और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे। हम एक दूसरे की ज़ुबान को चूस रहे थे। उसका एक हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी चूत का मसाज मेरी सलवार के ऊपर से ही करने लगा। मुझे चूत में गर्मी महसूस होने लगी और गीली भी होने लगी। मैंने हाथ बढ़ा के उसके लंड को पकड़ा तो पता चला कि वो तो पूरा का पूरा नंगा लेटा है। मैं उसका नंगापन महसूस करके मुस्कुरा दी और उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ के दबाने लगी। हम दोनों चित्त लेटे थे। उसका हाथ अब मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था उसने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया था और चूत को मसाज कर रहा था। मेरी चिकनी चूत पे उसका हाथ बहुत अच्छा लग रहा था।
वो अपनी जगह से उठा और मेरी कमीज़ को मेरा हाथ ऊपर कर के निकाल दिया और मेरी टाँगों को खोल के टाँगों के बीच में आ के बैठ गया और मेरी सलवार को नीचे खींच के उतारने लगा तो मैंने अपनी चूतड़ उठा दिये और सलवार निकालाने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे और कमरे में अंधेरा था। घर के सारे लोग सो चुके थे। मैंने पूछा कि “क्या टाईम हुआ है” तो उसने बताया कि “रात का एक बज रहा है और सर्दी के मारे मेरे मम्मी डैडी ब्लैंकेट तान के अपने कमरे में कब के सो चुके हैं।“
सुहैल मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गया। उसका अकड़ा हुआ लंड जिस में से प्री-कम निकल रहा था, मेरी चूत के ऊपर था। हम दोनों के जिस्म के बीच में उसका लंड और मेरी चूचियाँ दोनों सैंडविच बन गयी थी। हम दोनों किसिंग में बिज़ी हो गये। मेरी चूत के ऊपर उसका लंड लगने से चूत में खुजली शुरू हो चुकी थी और गीली भी हो चुकी थी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और किसिंग कर रहा था। उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में "हॉट डॉग" के सैंडविच की तरह से फँसा हुआ था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा मेरी चूत को खोल के लिप्स के बीच में था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा क्लीटोरिस से टच कर रहा था तो और मज़ा आ रहा था। अब उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरे जिस्म में बिजली दौड़नी शुरू हो गयी और मुझे लग रहा था कि सारे जिस्म से बिजली दौड़ती हुई चूत में आ रही है ऐसे जैसे कि मेरी चूत बिजली का न्यूकलियस हो या सैंट्रल पोइंट हो।
सुहैल अपने लंड के डंडे को चूत के लिप्स के बीच में ही ऊपर नीचे करने लगा। उसके लंड में से प्री-कम भी निकल रहा था जिससे उसके लंड का निचला हिस्सा जो मेरी चूत के लबों के बीच में था, स्लिपरी हो गया था और फिसल रहा था। मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे क्रॉस रखी थी और मैं उसको अपनी तरफ़ खींच रही थी। मेरी चूत बे-इंतहा गीली हो चुकी थी। वो भी मस्ती में था। ऐसे ही लंड को चूत के अंदर ऊपर नीचे करते-करते उसका लंड मेरी चूत के सुराख में फंस गया और एक ही झटके में मेरी गीली चूत के अंदर आधा घुस गया तो मेरे मुँह से “आआआहहहहह” और “ईईईईईई” की सिसकरी निकल गयी और मेरी आँखें फटी रह गयी। उसने अब अपना लंड आधा ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उसका लंड अपनी चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी। सुहैल ने अब अपना पूरा लंड सुपाड़े तक चूत से बाहर निकाल के एक ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से “आआआआईईईईईईईई” की आवाज़ निकली और मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का बाहर रह गया। चूत पूरी स्ट्रैच हो चुकी थी मेरी चूत में एक दफ़ा फिर से जलन होने लगी।
सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से।
उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ।
सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी।
मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया।
अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था।
उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था।
मुझे फिर से मज़ा आने लगा था वो जोश में लंड को फिर से सुपाड़े तक निकाल-निकाल के पीछे से ही मुझे चोद रहा था। मेरा पूरा जिस्म रिलैक्स हो गया था। चूत में से जूस भी निकलने लगा था और चूत अंदर से स्लिपरी हो गयी थी। उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और मैं फिर से मज़े लेने लगी थी। अचानक जब उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच के अंदर घुसाने की कोशिश की तो वो चूत में से बाहर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.