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Incest प्यारी बहन की चूत में मोटा लंड
#6
सुहैल अब मेरे ऊपर मुड़ गया और मेरे मुँह में अपनी ज़ुबान को घुसेड़ के फ्रेंच किस कर रहा था और मैं उसके लंड को अपनी चूत में घिस्स रही थी। मेरी टाँगें सुहैल की कमर पे लपटी हुई थी और सुहैल का लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में सैंडविच बना हुआ था। उसने अपने लंड को चूत के लिप्स के बीच में से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। चूत बहुत ही स्लिपरी हो गयी थी और ऐसे ही ऊपर नीचे करते-करते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी छोटी सी चूत के सुराख में अटक गया और मेरा मुँह एक्साइटमेंट में खुला रह गया। उसने अपना लंड थोड़ा सा और पुश किया तो उसके लंड का सुपाड़ा पूरा चूत के अंदर घुस गया और मुझे लगा जैसे मेरी अंदर की साँस अंदर और बाहर की साँस बाहर रह गयी हो। मेरे मुँह से हल्की सी चींख, “ऊऊऊईईई” निकल गयी और मैंने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिये।

उसने सुपाड़े को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया तो मेरी चूत में एक अजीब सा मज़ा महसूस होने लगा और मैंने अपने दोनों हाथ बढ़ा कर सुहैल को अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया। सुहैल ने लंड को थोड़ा और अंदर घुसेड़ा तो मेरी चूत का सुराख जैसे बड़ा होने लगा और मुझे तकलीफ होने लगी। मैंने कहा कि सुहैल, “दर्द हो रहा है अब और अंदर मत डालो प्लीज़”, तो उसने कहा “अरे पगली... अभी तो थोड़ा सा भी अंदर नहीं गया” और कहा कि “अभी तुमको मज़ा आयेगा, थोड़ा वेट करो”, और फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगा तो मेरे जिस्म में फिर से सनसनी सी फैलनी शुरू हो गयी और मैं उसकी कमर पे अपने हाथ फिराने लगी।

सुहैल अपने लंड के सुपाड़े को मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर बाहर करने लगा। मेरी चूत में से जूस निकलने की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर-बाहर स्लिप हो रहा था। ऐसे ही करते-करते उसने अपने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा तो उसका लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत के अंदर आधा घुस गया और मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “उउउउउउहहहह ईईईईईईई।“

लंड अब आधा अंदर घुस चुका था और मेरी चूत के अंदर जलन शुरू हो गयी। मैं उस से ज़ोर से लिपट गयी। सारा जिस्म अकड़ गया तो सुहैल ने धक्के मारना बंद कर दिया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। थोड़ी देर में ही फिर से मुझे अच्छा लगने लगा और मेरी ग्रिप सुहैल पे थोड़ी ढीली हो गयी। उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे हो छोड़ दिया और चूचियों को चूसने लगा। मुझे फिर से मज़ा आने लगा और उसका आधा घुसा हुआ लंड अच्छा लगने लगा।

जब उसने देखा के मेरी चूत ने उसके मोटे लंड को अपनी छोटे से सुराख में एडजस्ट कर लिया है तो उसने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिससे मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मेरी चूत में से जूस लगातार निकलने लगा जिससे मेरी चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी। अब सुहैल ने अपने हाथ मेरी बगल से निकाल के मेरे कंधों को पकड़ लिया और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। पोज़िशन ऐसी थी कि दोनों के जिस्म के बीच में मेरे बूब्स चिपक गये थे। सुहैल मुझ पे झुका हुआ था और उसका लंड मेरी चूत में आधा घुसा हुआ था। सुहैल ने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर कर के मेरी चुदाई शुरू की और मैं मज़े से पागल होने लगी। मेरी चूत में उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे फिर से लगने लगा के मेरी चूत के काफी अंदर कोई लावा जैसा उबल रहा है और बाहर निकलने को बेचैन है। उतने में ही सुहैल ने अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाल लिया तो मुझे अपनी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और मेरे मुँह से चींख निकल पड़ी, “ऊऊऊऊईईईईईई अल्लाह...आआआआआ ऊऊऊफफफ निकाल लो बाहर!! मार डाला..... ऊऊऊईईईई”, और मुझे लगा जैसे मेरे जिस्म को चीरता हुआ कोई मोटा सा लोहे का सख्त डंडा मेरी चूत के रासते मेरी टाँगों के बीच में घुस गया हो और मैं सुहैल से लिपट गयी उसको ज़ोर से पकड़ लिया और फिर एक दम से टोटल ब्लैक ऑऊट! शायद मैं एक लम्हे के लिये बे-होश हो गयी। कमरे में तो पहले से ही अंधेरा था। मुझे कुछ नज़र ही नहीं आ रहा था और फिर अचानक ऐसे चूत फाड़ झटके से तो मैं एक दम से बेहोश हो गयी। मुझे लगा जैसे सारा कमरा मेरे आगे घूम रहा हो। मुँह खुला का खुला रह गया था और आँखें बाहर निकल आयी थी और आँखों में से पानी निकल रहा था। मेरा मुँह तकलीफ के मारे खुल गया था। लगाता था जिस्म में खून ही नहीं हो और दिमाग काम नहीं कर रहा था।

पता नहीं मैं कितनी देर उसको ज़ोर से चिपकी रही और कितनी देर तक बेहोश रही। जब होश आया तो देखा कि वो अपने लंड से मेरी फटी चूत को चोद रहा है उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा है और मेरी चूत में जलन से जैसे आग लगी हुई हो। मेरी मुँह से “ऊऊऊऊईईईईई आआआआहहहह औंऔंऔंऔं आआआईईईई” जैसी आवाज़ें निकल रही थी लेकिन सुहैल था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। लगाता था जैसे पागल हो गया हो। ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था और मेरी फटी चूत में दर्द हो रहा था। मेरा जो लावा निकलने को बेताब था पता नहीं वो कहाँ चला गया था और मुझे बे-इंतहा दर्द हो रहा था। लगाता था जैसे कोई छूरी से मेरी चूत को काट रहा हो। चूत के अंदर बे-इंतहा जलन और दर्द हो रहा था।

सुहैल मुझे चोदे ही जा रहा था। अंधेरे में उसे पता भी तो नहीं चल रहा था कि मैं कितनी तकलीफ में हूँ। मैं उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और उसके झटकों से मेरे बूब्स आगे पीछे हो रहे थे। थोड़ी ही देर में जब मेरी चूत उसके मोटे लंड को अपने छोटे से सुराख में एडजस्ट कर चुकी तो मुझे भी मज़ा आने लगा और मेरी ग्रिप उस पे से ढीली पड़ गयी और वो अब दनादन चोद रहा था। उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था और मुझे बेहद मज़ा आ रहा था, ऐसा मज़ा जो कभी सारी ज़िंदगी नहीं आया था। उसके हाथ अभी भी मेरे कंधों को पकड़े हुए थे और वो अपनी गाँड उठा-उठा के लंड को पूरा सिरे तक बाहर निकलता और जोर के झटके से चूत के अंदर घुसेड़ देता। उसके चोदने की स्पीड बढ़ गयी थी और अब मेरा लावा जो पता नहीं कब से निकलने को बेताब था, मुझे लगा कि अब वो फिर से बाहर आने वाला है और मुझे अपनी चूत के अंदर ही अंदर उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ। उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया और फायनली लंड को पूरा चूत से बाहर निकाला और एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरा सारा जिस्म हिल गया और मेरे जिस्म में जैसे बिजली कि झटके लगने लगे और सारा जिस्म काँपने लगा।

मैंने फिर से सुहैल को ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया। उसके साथ ही उसके लोहे जैसे सख्त लंड में से गरम- गरम मलाई के फुव्वारे निकलने लगे और मेरी चूत को भरने लगा। बस उसी टाईम पे मेरा लावा जो चूत के बहुत अंदर उबल रहा था, ऐसे बाहर निकलने लगा जैसे बाँध तोड़ के दरिया का पानी बाहर निकल जाता है। मुझे लगा जैसे सारे जहाँ में अंधेरा छा गया हो। जिस्म में झटके लग रहे थे और दिमाग में सनसनाहट हो रही थी और बहुत ही मज़ा आ रहा था। सुहैल अभी भी धीरे-धीरे चुदाई कर रहा था। जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही, उसके धक्के चलते रहे और फिर वो अचानक मेरे जिस्म पे गिर गया जिससे मेरे बूब्स हम दोनों के जिस्म के बीच में सैंडविच बन गये। हम दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे। मैं उसके बालों में हाथ फिरा रही थी और मेरी ग्रिप बिल्कुल ढीली पड़ गयी थी। टाँगें खुली पड़ी थी और मैं चित्त लेटी रही। सुहैल का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था पर अब वो धीरे-धीरे नरम होने लगा था और फिर एक प्लॉप की आवाज़ के साथ उसका लंड मेरी चूत के सुराख से बाहर निकल गया और मुझे लगा कि उसकी और मेरी मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी, वो बाहर निकल रही है और मेरी गाँड के क्रैक पे से होती हुई नीचे बेडशीट पे गिरने लगी।

सुहैल थोड़ी देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा। जब दोनों को होश आया तो उसने मुझे एक फ्रेंच किस किया और बोला कि “कल रात फिर तुम्हें रीप्रोडक्टिव सिस्टम का अगला हिस्सा पढ़ाने आऊँगा।“

मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि “शैतान चलो भागो यहाँ से, तुम ने ये क्या कर डाला। अगर कुछ हो गया तो क्या होगा।“

उसने कहा कि “नहीं ऐसे नहीं होगा, तुम फ़िक्र ना करो।“ और वो अपने कपड़े पहन के नीचे सोने चला गया।

मैं सुबह देर तक सोती रही। नीचे से मम्मी आवाज़ें देती रही लेकिन मैं तो गहरी नींद सो रही थी तो मम्मी ने सुहैल से कहा कि जा “बेटा ज़रा देख तो सही कि ये किरन की बच्ची अभी तक सोयी पड़ी है। कॉलेज भी जाना है उसने।“

सुहैल ऊपर आया और मुझे जगाया। मैं जब जागी और अपने बेड से उठी तो देखा कि वो तो ब्लड से भरी पड़ी है। मैं तो एक दम से डर ही गयी पर सुहैल ने कहा कि “डरने की कोई बात नहीं है, ये तुम्हारी हायमन थी जिसे झिल्ली भी कहते हैं, वो फट गयी और तुम्हारी चूत कि सील टूट गयी है। ये झिल्ली तो हर कुंवारी लड़की को होती है और पहली चुदाई में टूट जाती है और ये नॉर्मल है”, तो मैंने इतमिनान की साँस ली और बेडशीट को लपेट के वाशिंग मसीन में धोने के लिये डाल दिया और मैं जब नहा धो के नीचे उतर रही थी तो मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। मम्मी ने पूछा कि क्या हुआ, “ऐसे क्यों चल रही है, तेरी तबियत तो ठीक है ना?” तो मैंने कहा “पता नहीं मम्मी! क्या हुआ!”

सुहैल ने शरारत से मुस्कुराते हुए बीच में कहा कि “शायद कोई चीज़ चुभ गयी होगी” तो मैंने उसकी तरफ़ बनावटी गुस्से से देखा और मैंने मम्मी से कहा, “हाँ मम्मी, हो सकता है कोई चीज़ चुभ गयी हो, कल रात बिजली भी तो चली गयी थी न और अंधेरा हो गया था तो हो सकता है कोई चीज़ सच में चुभ गयी हो” तो मम्मी ने इतमिनान की साँस ली और कहा “ठीक है, अगर दवाई लगानी हो तो लगा लो।“

तो सुहैल ने मुस्कुराते हुए कहा कि “आप फिक्र ना करें खाला, मैं इसे आज दर्द कम होने का इंजेक्शन लगा दुँगा जिससे इसका दर्द हमेशा के लिये खतम हो जायेगा!” मम्मी ने कहा कि “हाँ ये ठीक है”, पर उन्हें क्या पता कि सुहैल कौन से इंजेक्शन की बात कर रहा है और ये इंजेक्शन वो मुझे कहाँ लगायेगा। ये तो बस मैं जानती थी या वो।

मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चली गयी। कॉलेज तो चली गयी पर कहीं दिल ही नहीं लग रहा था। चूत में मीठी-मीठी खुजली हो रही थी। बार-बार मेरा हाथ मेरी चूत पे ही चला जाता था और सारे जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। बार-बार अंगड़ाई लेने का मन कर रहा था। पता नहीं क्यों, आज कॉलेज कुछ अजीब सा लग रहा था । खैर कॉलेज का टाईम खतम हुआ और मैं घर आ गयी और लंच के बाद अपने रूम में जा के सो गयी। बहुत देर तक सोती रही और उठने का मन ही नहीं कर रहा था। सारे जिस्म में एक अजीब सी मिठास लग रही थी। शाम को देर से उठी और फ़्रेश हो के नीचे आ गयी और हम सब ने डिनर साथ किया। वहीं डिनर टेबल पे बैठ के हम सब बातें करने लगे मगर मेरा मन तो कहीं और ही था। मैं बातें सुन तो रही थी पर समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। थोड़ी देर के बद मैंने कहा कि अब मैं जाती हूँ, मुझे पढ़ाई करनी है और मैं ऊपर अपने कमरे में चली गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: प्यारी बहन की चूत में मोटा लंड - by neerathemall - 26-04-2019, 01:12 AM



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