26-04-2019, 12:34 AM
कंचन ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो। कंचन सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरी मुठ मारने लगी। पहली बार कोई महिला मेरी मुठ मार रही थी, मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया, धीरे से बोला- हाय कंचन, मेरा निकलने वाला है।
कंचन ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने कंचन की साड़ी में ही गिरा दिया।
फिर मैं कंचन की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, कंचन भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।
दो मिनट बाद अचानक बोली- भैया, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !
मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?
कंचन- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !
मैंने- क्या काम है मुझसे?
कंचन- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
कमरे में आते ही कंचन ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। कंचन ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।
वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।
कंचन- र वि भैया, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !
मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति कंचन की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी छोटी बहन के हाथों में थमा दिया।
कंचन मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप रवि भैय्या ! कितना बड़ा लंड है रे !
मैंने कंचन की चूचियों का दबाते हुए कहा- कंचन, तू बड़ी मस्त है ! जीजा जी को तो खूब मज़े देती होगी तू !
कंचन- तू भी ले न मज़े ! तू तो मेरा सगा भाई है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! अब से तू मेरा दूसरा खसम है !
मैंने- हाँ कंचन ! क्यों नहीं !
कंचन- हाय, रवि भैय्या , कितना अच्छा लगता है अपने बड़े भाई से ये सब करवाना, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?
मैंने- अब तक एक भी नहीं कंचन डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।
मैंने कंचन की ब्रा को खोला और मुम्मों को नंगा करके आज़ाद कर दिया। उसके मुम्में तो ऐसे थे कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों के मुम्में भी वैसे नहीं देखे थे, एकदम चिकने और गोरे, एक तिल का भी दाग नहीं था !
मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। कंचन सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा। कंचन पागल सी हो रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार महीने से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।
कंचन जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया। कंचन बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- सच बता कंचन, जीजा जी से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?
कंचन- तेरे जीजा जी से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !
मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?
कंचन- जब मैं कॉलेज में थी तब कॉलेज की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे जीजा जी से हो गई।
मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?
कंचन- हाँ रवि! लेकिन सब से प्यारा मर्द !
मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। कंचन ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।
वो दर्द में मारे बिलबिला गई।
बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !
लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।
70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !
मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?
कंचन हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, माल निकलने वाला है।
कंचन- निकाल दे ना वहीं अन्दर !
अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर कंचन की चूत में अपना लंड घुसा दिया। कंचन कराह उठी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।
मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- कंचन नहाएगी?
कंचन- हाँ रे, चल !
कंचन ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने कंचन की साड़ी में ही गिरा दिया।
फिर मैं कंचन की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, कंचन भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।
दो मिनट बाद अचानक बोली- भैया, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !
मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?
कंचन- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !
मैंने- क्या काम है मुझसे?
कंचन- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
कमरे में आते ही कंचन ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। कंचन ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।
वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।
कंचन- र वि भैया, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !
मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति कंचन की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी छोटी बहन के हाथों में थमा दिया।
कंचन मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप रवि भैय्या ! कितना बड़ा लंड है रे !
मैंने कंचन की चूचियों का दबाते हुए कहा- कंचन, तू बड़ी मस्त है ! जीजा जी को तो खूब मज़े देती होगी तू !
कंचन- तू भी ले न मज़े ! तू तो मेरा सगा भाई है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! अब से तू मेरा दूसरा खसम है !
मैंने- हाँ कंचन ! क्यों नहीं !
कंचन- हाय, रवि भैय्या , कितना अच्छा लगता है अपने बड़े भाई से ये सब करवाना, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?
मैंने- अब तक एक भी नहीं कंचन डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।
मैंने कंचन की ब्रा को खोला और मुम्मों को नंगा करके आज़ाद कर दिया। उसके मुम्में तो ऐसे थे कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों के मुम्में भी वैसे नहीं देखे थे, एकदम चिकने और गोरे, एक तिल का भी दाग नहीं था !
मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। कंचन सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा। कंचन पागल सी हो रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार महीने से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।
कंचन जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया। कंचन बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- सच बता कंचन, जीजा जी से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?
कंचन- तेरे जीजा जी से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !
मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?
कंचन- जब मैं कॉलेज में थी तब कॉलेज की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे जीजा जी से हो गई।
मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?
कंचन- हाँ रवि! लेकिन सब से प्यारा मर्द !
मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। कंचन ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।
वो दर्द में मारे बिलबिला गई।
बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !
लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।
70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !
मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?
कंचन हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, माल निकलने वाला है।
कंचन- निकाल दे ना वहीं अन्दर !
अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर कंचन की चूत में अपना लंड घुसा दिया। कंचन कराह उठी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।
मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- कंचन नहाएगी?
कंचन- हाँ रे, चल !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.