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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#41
दोनो आनंद विभोर हो उठे थे. दोनो की मस्ती और वासना अब शांत हो रही थी. दो प्यासों की एक साथ प्यास बुझ रही थी. दोनो एक दूसरे के सहजीवी हो रहे थे. दोनो एक दूसरे के पूरक साबित हो रहे थे. एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा सीधा हो रहा था.

रवि बराबर जम के कविता की चूत मे धक्के मार रहा था. वो धक्कों की गति तेज़ करता जा रहा था और कविता को भरपूर आनंद प्राप्त हो रहा था. एकाएक कविता बहुत अधिक मस्त हो उठी. वो हौले से बोल उठी- “भैया”

“क्या?”

”और कस के धक्के लगाओ….और कस के चोदो, बहुत अधिक मज़ा आ रहा है. चोदो भैया….हाए भैया…हाए मैं अब तक इस आनंद से अन्भिग्य थी.

आज तुमने मुझे एक अद्भुत आनंद से परिचित कराया है. चोदो और कस के चोदो कविता पूरी तरह से कराह उठी.

उधर अब रवि भी कहता जा रहा था वो पूरी शक्ति से धक्का मार रहा था. और अपने लंड को चूत मे अंदर बाहर कर रहा था. कविता बार बार हाँफ रही थी और उल्टी सीधी बात बकती जा रही थी. अब शायद दोनो ही झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँच गये थे. दोनो झड़ना ही चाहते थे कि रवि ने एक बहुत शक्ति लगा कर धक्का मारा और कविता पर ओन्धा पड़ कर रह गया.

उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था.उसी के साथ कविता के चूत ने भी पानी छोड़ा. सारी चूत पानी से लबालब भर उठी. दोनो एक साथ झाड़ गये थे. दोनो की सांस तेज़ चल रही थी. फिर कुच्छ देर बाद दोनो नॉर्मल हो गये.

रवि ने उठ ते हुए कविता की चूत से लंड बाहर खींच लिया. फ़च की आवाज़ के साथ रवि का मोटा लंड बाहर आ गया. उसी के साथ ढेर सारा वीर्या भी चूत से बह कर कविता की जांघों पे फैल गया. रवि के लंड का सुपाडा फूल कर लाल लाल टमाटर जैसे हो गया था. जैसे किसी घोड़े का लंड घोड़ी की चूत का रस पीकर सुपाडा मोटा हो जाता है .

रवि ने तौलिया उठा कर अपने लंड पर लगे वीर्य को पोंच्छा और फिर वो कविता की चूत को पोंच्छने लगा. फिर वो पुच्छ बैठा- “कविता मज़ा आया?”

हां भैया

“अब रोज़ हम लोग यह मज़ा लूटा करेंगे, तो तैयार हो.”

“हाँ” मेरे रजा, मेरे जानू रवि भैय्या

रवि ने उठ कर अपने कपड़े पहने और फिर दूसरे दिन यही खेल दुबारा खेलने का वादा कर वो कमरे से बाहर हो गया.लेकिन कविता उसी प्रकार नंगी पड़ी रही. उसने अपनी नग्नता को च्छुपाने के लिए एक चादर ओढ़ ली और सो गयी.

फिर ये खेल रोज़ खेला जाने लगा. रवि अपनी बहन की चूत का दीवाना है उसी प्रकार कविता भी अपने भाई के लंड की दीवानी है. वो दीवानेपन मे सबकुच्छ भूल गये हैं. रिश्ते-नाते, पाप-पुण्य सब कुच्छ. बस उन्हे मौज मस्ती से काम है.

~~~ समाप्त ~~~
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 26-04-2019, 12:09 AM
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM



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