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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#40
कविता बहुत अधिक मदमस्त हो उठी. उसने चाहा की वो अपनी दोनो टाँगो को आपस मे कस ले जिससे उसकी चूत थोड़ा सा घर्सन महसूस करे और खुजली मिट जाए. लेकिन अब रवि दोनो टाँगों के बीच बैठ चुका था. उसने तकिया उठा कर कविता के चूतड़ के नीचे रखा जिससे उसकी चूत उठ कर उपर आ गयी.और उसका मूंह थोरा सा और खुला गया



अब उसने अपने लंड के सुपाडे को कविता के चूत के छेद पर हल्के से रखा. कविता और अधिक सिहर उठी. उसके मूह से सिसकारी निकल गयी. रवि ने अपने दोनो हाथों से चूत की दरारों को हल्का सा फैलाया. और लंड पर हल्का सा दवाब दिया. जिससे उसका मोटा सुपाडा चूत की दरारों को चौड़ा करता अंदर जा कर फँस गया. सुपाडा बहुत हल्के से अंदर घुसा था लेकिन वो सब कविता के साथ पहली बार हो रहा था.

कविता आज पहली-पहली बार चूत का उद्घाटन करवा रही थी. इसलिए उसे रवि का मोटा लंड लेते हुए दर्द भी हुआ, लेकिन वो इतनी अधिक मस्त थी की उस चुदाई की पीड़ा को सहन कर गयी. अपना मोटा सुपाडा सुपाडा फँसा कर रवि ने अपने दोनो हाथ बढ़ा कर कविता की कसी कसी बड़ी बड़ी चुचियों पर रख कर चुचियों को मुठ्ठी मे कसते हुए लगभग कविता पर लेट सा गया.

इस प्रकार उसके होंठ ठीक कविता के होंठों पर जाकर बैठ गये. उसने कविता के अधरों को दाँतों से दबा कर अपने लंड पर एक हल्का सा दवाब दिया. इस तरह उसका पूरा सुपाडा कविता की चूत मे समा गया तो कविता सिसकारी भर उठी. उसने अपनी टांगे फेकनी चाही तो रवि ने अपने टाँगों से उसकी टाँगें फँसा ली और तब जाकर कर उसने हल्का सा धक्का लगाया और उसका आधा से अधिक लंड कविता की लसलसा रही चूत मे समाता चला गया.

कविता दर्द से तड़प उठी. “आआईए कककक सी….भैया….ज़रा धीरे से….. हाए …बड़ा दर्द हो रहा है.”

“बस घबराओ नही कविता, अभी मज़ा ही मज़ा आने वाला है.”

रवि ने कहा और कुच्छ रुककर उसने एक ऐसा धक्का मारा कि उसका पूरा पूरा लंड जड़ तक कविता की कुँवारी चूत मे समा गया.

कविता दर्द से दोहरी हो उठी. “हाए…भैया….हाए…उई….मरी एयाया ऊऊओ आहाहहा भैया….भैयाअ…भैया बहुत दर्द हो रहा है….अपने मूसल को बाहर करो करो…हाए… मैं मरी जा रही हूँ.”

घबराओ नही कविता बस अब सब ठीक हो जाएगा.”

“हाए भैया, नही सहा जाता बहुत तेज़ दर्द हो रहा है.”

“बस कविता बस हो गया. घबराओ नही सब ठीक हो जाएगा अब बहुत धीरे धीरे करूँगा कोई तकलीफ़ अब नही होगी.”

“नही भैया निकाल लो, मैं सहन नही कर पा रही हूँ, बड़ा मोटा लंड है तुम्हार, मेरी चूत फटी जा रही है, हाए भैया देखो तो चूत भी फट गयी.”

“नही कविता कुच्छ नही हुआ है.” कहते हुए रवि ने हल्के से अपना लंड थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा और फिर एक झटके से पूरा अंदर डाल दिया.

कविता को ऐसा महसूस हुआ जैसे दर्द समाप्त हो रहा है. और धीरे धीरे मज़ा आ रहा है उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था इस बीच रवि ने दो तीन बार अपने लंड के तीन चार धक्के मर मर कर अंदर बाहर किया था. और सच मच ही अब कविता का सारा दर्द दूर कहीं विलीन होकर रह गया था. वो निहाल हो उठी.

“कविता.”

“क्या भैया?”

“दर्द दूर हो गया?”

“हाँ.”

“अब कैसा लग रहा है?”

“अच्च्छा लग रहा है.”

कविता ने वास्तविक बात बता दी.उसे अब अच्च्छा ही लग रहा था चुदाई का आनंद उसे आने लगा था. उसकी चूत अपना रस छोड़ रही थी

रवि ने आगे बोला- “मज़ा मिल रहा है ना?” “

हाँ रवि भैय्या.”

और फिर इसी के साथ ही रवि तेज़ी से धक्के लगाने लगा.उसके हर धक्के के साथ कविता की चूत की दीवारों को अधिक आनंद आने लगा था. चूत की दीवारों मे जितनी खुजली थी सब धीरे धीरे समाप्त होती जा रही थी. अब खुजली की जगह गुदगुदी बढ़ती जा रही थी. इस समय दोनो के शरीर मे बहुत अधिक गुदगुदाहट फैल गयी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 26-04-2019, 12:09 AM
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM



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