26-04-2019, 12:08 AM
फिर बंद कमरे मे बहन-भाई निश्चिंत भाव से प्रेम क्रीड़ा खेलने लगे. रवि ने चादर उठाकर सोफे पर फेंक दी. अब कविता की गोरी संगमरमरी देह उसके सामने प्यासी मछली सी तड़प रही थी. रवि ने झुक कर कविता के गालों को चूम लिया और फिर उसने दोनो हाथों से ब्रा के अंदर से बाहर खींच कविता की कसी-कसी दूधिया चुचियों को भीचने लगा.
वो इस समय दीवानगी से चुचियों को मीस रहा था. कविता पर भी भरपूर दीवानगी सवार थी. उसे दर्द हो रहा था लेकिन इस मीठी पीड़ा को वो सहन करती जा रही थी. वो मस्ती से और अधिक सरावोर होती जा रही थी. फिर देखते ही देखते रवि ने कविता के ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया.
कविता की दोनो बड़ी-बड़ी स्वस्थ चुचियाँ फडक कर सामने आ गयी. कविता इतनी मदहोश हो उठी थी की उसे कुछ भी अहसास नही हो पा रहा था की क्या हो रहा है और क्या नही. वो नंगी है या कपड़ों मे उसे ज़रा भी अहसास नही हो पा रहा था. बस उसे मज़ा आ रहा था और वो मस्ती मे बहक कर सारे मज़े को लूट लेना चाह रही थी. और वो भी लूट रहा था.
उसका भाई उसको भरपूर आनंद दे रहा था. और वो आनंद विभोर होती जा रही थी. रवि कस-कस कर दोनो चुचियों को दबा रहा था और उनसे खेल रहा था. फिर उसने कविता की रानो पर हाथ फेरा. मांसल रानो पर हथेली रखते ही वो मचल उठी वो बहुत अधिक बेकरार होती जा रही थी.
एकाएक रवि ने कविता की पेंटी भी खींच उसके शरीर से अलग कर दिया. अब कविता सिर से पैर तक पूरी तरह से नंगी हो उठी थी. उसकी डबल रोटी सरीखी चूत देख कर रवि के मूह मे पानी आ गया. उसने झुक कर कविता की चूत को चूम लिया और फिर उसकी चूत की फांको को फैला कर जीभ से चाटने लगा. उसके ऐसा करने से कविता और अधिक बेताब हो उठी. उसका रोम-रोम गंगना के खड़ा हो गया. उसका सारा शरीर गुदगुदी भर उठा था.
वो बहुत अधिक मस्त हो उठी थी. चाट कर चूत को गीली कर लेने के बाद रवि ने उस पर हथेली रख कर सहलाया.वो और अधिक सिहर उठी. कविता बेकरार होती जा रही थी और रवि उसको पहली हरकतों से और अधिक बेकरार करता जा रहा था.
अंत मे कविता सिहर उठी. “भैया…. हाए भैया.”
वो इस समय दीवानगी से चुचियों को मीस रहा था. कविता पर भी भरपूर दीवानगी सवार थी. उसे दर्द हो रहा था लेकिन इस मीठी पीड़ा को वो सहन करती जा रही थी. वो मस्ती से और अधिक सरावोर होती जा रही थी. फिर देखते ही देखते रवि ने कविता के ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया.
कविता की दोनो बड़ी-बड़ी स्वस्थ चुचियाँ फडक कर सामने आ गयी. कविता इतनी मदहोश हो उठी थी की उसे कुछ भी अहसास नही हो पा रहा था की क्या हो रहा है और क्या नही. वो नंगी है या कपड़ों मे उसे ज़रा भी अहसास नही हो पा रहा था. बस उसे मज़ा आ रहा था और वो मस्ती मे बहक कर सारे मज़े को लूट लेना चाह रही थी. और वो भी लूट रहा था.
उसका भाई उसको भरपूर आनंद दे रहा था. और वो आनंद विभोर होती जा रही थी. रवि कस-कस कर दोनो चुचियों को दबा रहा था और उनसे खेल रहा था. फिर उसने कविता की रानो पर हाथ फेरा. मांसल रानो पर हथेली रखते ही वो मचल उठी वो बहुत अधिक बेकरार होती जा रही थी.
एकाएक रवि ने कविता की पेंटी भी खींच उसके शरीर से अलग कर दिया. अब कविता सिर से पैर तक पूरी तरह से नंगी हो उठी थी. उसकी डबल रोटी सरीखी चूत देख कर रवि के मूह मे पानी आ गया. उसने झुक कर कविता की चूत को चूम लिया और फिर उसकी चूत की फांको को फैला कर जीभ से चाटने लगा. उसके ऐसा करने से कविता और अधिक बेताब हो उठी. उसका रोम-रोम गंगना के खड़ा हो गया. उसका सारा शरीर गुदगुदी भर उठा था.
वो बहुत अधिक मस्त हो उठी थी. चाट कर चूत को गीली कर लेने के बाद रवि ने उस पर हथेली रख कर सहलाया.वो और अधिक सिहर उठी. कविता बेकरार होती जा रही थी और रवि उसको पहली हरकतों से और अधिक बेकरार करता जा रहा था.
अंत मे कविता सिहर उठी. “भैया…. हाए भैया.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
