21-10-2021, 11:53 PM
चारपाई के ऊपर थानेदार साहब और मेरी प्रियंका दीदी के बीच एक जबरदस्त प्यार का युद्ध चल रहा था... जिसमें थानेदार साहब मेरी बहन के ऊपर हावी होने लगे थे... मेरी प्रियंका दीदी की कामुक सिसकियां और मादक आहे आग में घी का काम कर रही थी थानेदार साहब के लिए.. वह पूरी तरह से फॉर्म में आ गए थे और तबाड़-तोड़ धक्के मारने लगे.
मेरी प्रियंका दीदी ने अब नीचे से अपनी गांड उठाना बंद कर दिया था... मेरी दीदी तो बस अब थानेदार साहब के मजबूत औजार को झेल रही थी... मेरी दीदी पागलों की तरह बड़बड़ा रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी: है राजा मर गयी! उइइइइ माँ! थोड़ा धीमे करो ना!" थानेदार साहब... हाय मेरी जान लोगे क्या...
इंस्पेक्टर हरिलाल तो राजधानी ट्रेन बने हुए थे..वह धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे....रूम मे हचपच हचपच की ऐसी आवाज़ आ रही थी मानो 110 की.मी. की रफ़तार से गाड़ी चल रही हो.
कुछ देर में ही मेरी प्रियंका दीदी कामुकता के सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी और मजे में कुछ भी बड़बड़ा रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी( अपनी कामुकता में बड़बड़आती हुई): हाय थानेदार साहब... हाय मेरे राजा...मारो मेरी चुत! हाय बड़ा मज़ा आ रहा है! आह्ह्ह बस ऐसे ही करते रहो आह्ह्ह!! आउच!! और जोर से पेलो मेरे राजा!! फाड़ दो मेरी बुर को आह्ह्ह्ह!! पर यह क्या मेरी चूचियों से क्या दुशमनी है? इन्हे उखाड़ देने का इरादा है क्या? हाय! ज़रा प्यार से दबाओ मेरी चूचियों को थानेदार जी....
मैंने चौकी के ऊपर सर उठा कर देखा तो पाया इंस्पेक्टर हरिलाल मेरी बहन की दोनों अनार जैसी चूचियों को बड़ी ही बेदर्दी से किसी होर्न की तरह दबाते हुए घचाघच पेले जा रहे थे...
मेरी बहन की दोनों चूचियां लाल हो चुकी थी... भूरे रंग के खड़े-खड़े निपल्स थानेदार को और भी चुनौती दे रहे थे.... थानेदार साहब ने अपने दोनों हाथों से मेरी बहन की चूचियों का घमंड मसल के रख दिया.. फिर एक निप्पल को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसने लगे जैसे एकदम दुरुस्त मर्द किसी पके हुए आम को चूसता है...
मेरी प्रियंका दीदी चुदाई की खुमारी में बेहाल हो चुकी थी... उनको तो अब कोई होश नहीं था... ना ही कोई लाज शर्म....चुदाई की प्यास मेरी बहन के चेहरे से साफ साफ झलक रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी की की वासना की आग में जलती हुई गर्म भट्ठी जैसी गुलाबी चूत में थानेदार साहब ने तकरीबन 15 मिनट तक बिना रुके हुए पेला.... इस दौरान मेरी दीदी दो बार झड़ गई थी... थानेदार साहब भी झड़ गय... अपने मुसल का सफेद गाढ़ा रस मेरी बहन की तितली के अंदर भरने के बाद वह मेरी बहन के बगल में लेट गय और लंबी लंबी सांसे लेने लगे... मेरी प्रियंका दीदी की दोनों टांगे कांप रही थी... थानेदार ने मेरी बहन की जलती हुई भट्टी के अंदर गरम-गरम लावा भर दिया था...
आंखें बंद किए हुए मेरी प्रियंका दीदी किसी दूसरी दुनिया में खोई हुई थी..
चुदाई के दौरान कंडोम फट गया था... और मेरी बहन की चिकनी चमेली के अंदर घुस गया था... थानेदार की नजर जब मेरी बहन की चूत के ऊपर गई तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई...
थानेदार साहब को एक शरारत सूझी... उन्होंने मेरी प्रियंका दीदी की गरम गीली गुलाबी चूत को अपनी दो उंगलियों से फैला कर अंदर फंसा हुआ फटा हुआ कंडोम खींच कर निकाल लिया और मेरे ऊपर फेंक दिया..
इंस्पेक्टर हरिलाल की इस हरकत पर मेरी बहन अपना होश संभाल उनकी तरफ प्यासी निगाहों से देखते हुए मीठी-मीठी शिकायत करने लगी..
थानेदार साहब की चौड़ी छाती पर बड़े प्यार से मक्का मारते हुए मेरी दीदी इतराते हुए बोल रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी: थानेदार साहब.. आप तो बड़े जालिम हो...
थानेदार साहब( प्यार से मुस्कुरा कर): क्यों मेरी छम्मक छल्लो... मैं तुमको जालिम क्यों लग रहा हूं... मैं तो तुम्हारी मदद कर रहा हूं ताकि तुम इस केस से अपने आप से बचा सको... वरना अभी तुम्हारी मम्मी को नहीं बल्कि तुम को सलाखों के पीछे होना चाहिए था...
मेरी प्रियंका दीदी: मैं अपनी मां की कसम खाकर कहती हूं सर... मैंने किसी का मर्डर नहीं किया है.. मैं भला किसी का खून कैसे कर सकती हूं.. प्लीज आप मुझ पर शक ना कीजिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: शक करने की वजह है मेरे पास बहन की लोड़ी... जुनैद के मोबाइल फोन से जो वीडियो ऑडियो और व्हाट्सएप चैट मिले उन सब में सिर्फ तू और कुछ देर के लिए तेरी रुपाली दीदी भी है... पर हमारे पास रूपाली को गिरफ्तार करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं है... लेकिन तेरे खिलाफ तो पूरे सबूत है...
मेरी प्रियंका दीदी: थानेदार साहब... मैं और मेरी दीदी मजबूर थे... उन दोनों ने पहले मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था और वीडियो भी बना लिया था... इसी कारण से मुझे भी उनके साथ जाना पड़ा... जुनेद मुझसे प्यार करने लगा था... मैं भी उसको पसंद करने लगी थी.. मैं उसका मर्डर क्यों करूंगी..
स्पेक्टर हरिलाल: क्योंकि तुम दोनों बहने और तुम्हारा परिवार उस गुंडे के जाल में फंसा हुआ था... इसीलिए तुमने प्लान करके उसका मर्डर किया है..
मेरी प्रियंका दीदी( अपनी आंखों में आंसू लिए): नहीं सर यह बात पूरी तरह से सच नहीं है...
इंस्पेक्टर हरिलाल: क्यों सच क्यों नहीं है... क्राइम सीन पर तेरे मौजूद होने के बहुत सारे सबूत है हमारे पास.. तेरी फटी हुई पेंटी वहीं पर पड़ी हुई थी... जिस पर तेरा वीर्य और जुनेद का भी वीर्य लगा हुआ था ... फॉरेंसिक टेस्ट में तो सब कुछ सामने आ जाएगा... उस दिन के वीडियो में भी जो जुनैद के मोबाइल से बरामद हुआ है.... मर्डर के 1 घंटे पहले ...तू उसमें उसके लंड के ऊपर बैठकर कूद रही है... देख कर तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता कि उसने तुम्हारे साथ कोई जोर जबरदस्ती की है..
मेरी प्रियंका दीदी: आपकी बात ठीक है इंस्पेक्टर साहब... उस दिन उसने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की थी... हम दोनों नहीं पूरे दिन इंजॉय किया था... मुझे भी उस दिन बहुत मजा आया था जैसा आज आपके साथ आ रहा है... लेकिन फिर मैं अपने घर चली आई थी.. मुझे वाकई में नहीं पता है कि उसके बाद क्या हुआ...
इंस्पेक्टर हरिलाल: ठीक है मेरी रानी... मैं तेरी पूरी मदद करूंगा... इस केस में से तुम को निकालने के लिए... पर तुम भी तो मेरी मदद करो ना मेरी जान... मेरी माल आओ मुझे प्यार करो...
मेरी प्रियंका दीदी ( बड़े कामुक अंदाज में प्यार से उनकी तरफ देखते हुए बोली): प्यार करना आप के बस की बात नहीं है थानेदार जी.. आप तो दरिंदे हो.. बिल्कुल दरिंदे की तरफ पेलते हो... आपने तो वह कंडोम भी फाड़ दिया...
इंस्पेक्टर हरिलाल( हंसते हुए): इसमें मेरी गलती नहीं है... गलती तो तेरे इस बहन चोद भाई की है... यह छोटे साइज का कंडोम लेकर आया था.. लगता है इसका लोड़ा भी छोटा है... शायद इसीलिए अपने साइज का खरीद लाया था..
मेरी प्रियंका दीदी: मेरे भाई को कुछ मत बोलिए ना सर.... मैं आई हूं तो आप की सेवा करने के लिए ही ना... मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए ना सर...
मेरी प्रियंका दीदी को कामुक तरीके से मचलते हुए और खुद से लिपटते हुए देखकर थानेदार साहब के ऊपर एक अजीब किस्म की दरिंदगी सवार हो गई... मेरी बहन का बाल पकड़ लिया और जबरदस्ती करते हुए उनको नीचे की तरफ ले गए और अपना मुरझाया हुआ काला लंड मेरी दीदी के मुंह में जबरदस्ती डाल दिया...
मेरी प्रियंका दीदी तो हैरान हो गई थी हरिलाल को इस तरह से रंग बदलते हुए देखकर... फिर भी मेरी दीदी ने संयम से काम लिया और बड़े प्यार से उसके मुरझाए हुए लंड को अपने मुंह में लेकर अपनी जीभ से प्यार करने लगी... चाटने लगी.... चूसने भी लगी...
इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरी दीदी के सर पर दबाव बना रखा....
थानेदार साहब: चूस मेरी रानी... मेरा लौड़ा चूस.... फिर से खड़ा कर दे मेरे लोड़े को चूतमरानी...... रंडी .... मां चोद दूंगा तेरी....
मेरी प्रियंका दीदी अपने काम में लगी हुई थी...
मेरे चेहरे के पास वह फटा हुआ कंडोम पड़ा हुआ था... जिसमें मेरी दीदी और थानेदार साहब का मिलाजुला काम रस लगा हुआ था... उसकी महक ही मुझे अजीब लग रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी ने अब नीचे से अपनी गांड उठाना बंद कर दिया था... मेरी दीदी तो बस अब थानेदार साहब के मजबूत औजार को झेल रही थी... मेरी दीदी पागलों की तरह बड़बड़ा रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी: है राजा मर गयी! उइइइइ माँ! थोड़ा धीमे करो ना!" थानेदार साहब... हाय मेरी जान लोगे क्या...
इंस्पेक्टर हरिलाल तो राजधानी ट्रेन बने हुए थे..वह धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे....रूम मे हचपच हचपच की ऐसी आवाज़ आ रही थी मानो 110 की.मी. की रफ़तार से गाड़ी चल रही हो.
कुछ देर में ही मेरी प्रियंका दीदी कामुकता के सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी और मजे में कुछ भी बड़बड़ा रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी( अपनी कामुकता में बड़बड़आती हुई): हाय थानेदार साहब... हाय मेरे राजा...मारो मेरी चुत! हाय बड़ा मज़ा आ रहा है! आह्ह्ह बस ऐसे ही करते रहो आह्ह्ह!! आउच!! और जोर से पेलो मेरे राजा!! फाड़ दो मेरी बुर को आह्ह्ह्ह!! पर यह क्या मेरी चूचियों से क्या दुशमनी है? इन्हे उखाड़ देने का इरादा है क्या? हाय! ज़रा प्यार से दबाओ मेरी चूचियों को थानेदार जी....
मैंने चौकी के ऊपर सर उठा कर देखा तो पाया इंस्पेक्टर हरिलाल मेरी बहन की दोनों अनार जैसी चूचियों को बड़ी ही बेदर्दी से किसी होर्न की तरह दबाते हुए घचाघच पेले जा रहे थे...
मेरी बहन की दोनों चूचियां लाल हो चुकी थी... भूरे रंग के खड़े-खड़े निपल्स थानेदार को और भी चुनौती दे रहे थे.... थानेदार साहब ने अपने दोनों हाथों से मेरी बहन की चूचियों का घमंड मसल के रख दिया.. फिर एक निप्पल को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसने लगे जैसे एकदम दुरुस्त मर्द किसी पके हुए आम को चूसता है...
मेरी प्रियंका दीदी चुदाई की खुमारी में बेहाल हो चुकी थी... उनको तो अब कोई होश नहीं था... ना ही कोई लाज शर्म....चुदाई की प्यास मेरी बहन के चेहरे से साफ साफ झलक रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी की की वासना की आग में जलती हुई गर्म भट्ठी जैसी गुलाबी चूत में थानेदार साहब ने तकरीबन 15 मिनट तक बिना रुके हुए पेला.... इस दौरान मेरी दीदी दो बार झड़ गई थी... थानेदार साहब भी झड़ गय... अपने मुसल का सफेद गाढ़ा रस मेरी बहन की तितली के अंदर भरने के बाद वह मेरी बहन के बगल में लेट गय और लंबी लंबी सांसे लेने लगे... मेरी प्रियंका दीदी की दोनों टांगे कांप रही थी... थानेदार ने मेरी बहन की जलती हुई भट्टी के अंदर गरम-गरम लावा भर दिया था...
आंखें बंद किए हुए मेरी प्रियंका दीदी किसी दूसरी दुनिया में खोई हुई थी..
चुदाई के दौरान कंडोम फट गया था... और मेरी बहन की चिकनी चमेली के अंदर घुस गया था... थानेदार की नजर जब मेरी बहन की चूत के ऊपर गई तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई...
थानेदार साहब को एक शरारत सूझी... उन्होंने मेरी प्रियंका दीदी की गरम गीली गुलाबी चूत को अपनी दो उंगलियों से फैला कर अंदर फंसा हुआ फटा हुआ कंडोम खींच कर निकाल लिया और मेरे ऊपर फेंक दिया..
इंस्पेक्टर हरिलाल की इस हरकत पर मेरी बहन अपना होश संभाल उनकी तरफ प्यासी निगाहों से देखते हुए मीठी-मीठी शिकायत करने लगी..
थानेदार साहब की चौड़ी छाती पर बड़े प्यार से मक्का मारते हुए मेरी दीदी इतराते हुए बोल रही थी..
मेरी प्रियंका दीदी: थानेदार साहब.. आप तो बड़े जालिम हो...
थानेदार साहब( प्यार से मुस्कुरा कर): क्यों मेरी छम्मक छल्लो... मैं तुमको जालिम क्यों लग रहा हूं... मैं तो तुम्हारी मदद कर रहा हूं ताकि तुम इस केस से अपने आप से बचा सको... वरना अभी तुम्हारी मम्मी को नहीं बल्कि तुम को सलाखों के पीछे होना चाहिए था...
मेरी प्रियंका दीदी: मैं अपनी मां की कसम खाकर कहती हूं सर... मैंने किसी का मर्डर नहीं किया है.. मैं भला किसी का खून कैसे कर सकती हूं.. प्लीज आप मुझ पर शक ना कीजिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: शक करने की वजह है मेरे पास बहन की लोड़ी... जुनैद के मोबाइल फोन से जो वीडियो ऑडियो और व्हाट्सएप चैट मिले उन सब में सिर्फ तू और कुछ देर के लिए तेरी रुपाली दीदी भी है... पर हमारे पास रूपाली को गिरफ्तार करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं है... लेकिन तेरे खिलाफ तो पूरे सबूत है...
मेरी प्रियंका दीदी: थानेदार साहब... मैं और मेरी दीदी मजबूर थे... उन दोनों ने पहले मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था और वीडियो भी बना लिया था... इसी कारण से मुझे भी उनके साथ जाना पड़ा... जुनेद मुझसे प्यार करने लगा था... मैं भी उसको पसंद करने लगी थी.. मैं उसका मर्डर क्यों करूंगी..
स्पेक्टर हरिलाल: क्योंकि तुम दोनों बहने और तुम्हारा परिवार उस गुंडे के जाल में फंसा हुआ था... इसीलिए तुमने प्लान करके उसका मर्डर किया है..
मेरी प्रियंका दीदी( अपनी आंखों में आंसू लिए): नहीं सर यह बात पूरी तरह से सच नहीं है...
इंस्पेक्टर हरिलाल: क्यों सच क्यों नहीं है... क्राइम सीन पर तेरे मौजूद होने के बहुत सारे सबूत है हमारे पास.. तेरी फटी हुई पेंटी वहीं पर पड़ी हुई थी... जिस पर तेरा वीर्य और जुनेद का भी वीर्य लगा हुआ था ... फॉरेंसिक टेस्ट में तो सब कुछ सामने आ जाएगा... उस दिन के वीडियो में भी जो जुनैद के मोबाइल से बरामद हुआ है.... मर्डर के 1 घंटे पहले ...तू उसमें उसके लंड के ऊपर बैठकर कूद रही है... देख कर तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता कि उसने तुम्हारे साथ कोई जोर जबरदस्ती की है..
मेरी प्रियंका दीदी: आपकी बात ठीक है इंस्पेक्टर साहब... उस दिन उसने मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की थी... हम दोनों नहीं पूरे दिन इंजॉय किया था... मुझे भी उस दिन बहुत मजा आया था जैसा आज आपके साथ आ रहा है... लेकिन फिर मैं अपने घर चली आई थी.. मुझे वाकई में नहीं पता है कि उसके बाद क्या हुआ...
इंस्पेक्टर हरिलाल: ठीक है मेरी रानी... मैं तेरी पूरी मदद करूंगा... इस केस में से तुम को निकालने के लिए... पर तुम भी तो मेरी मदद करो ना मेरी जान... मेरी माल आओ मुझे प्यार करो...
मेरी प्रियंका दीदी ( बड़े कामुक अंदाज में प्यार से उनकी तरफ देखते हुए बोली): प्यार करना आप के बस की बात नहीं है थानेदार जी.. आप तो दरिंदे हो.. बिल्कुल दरिंदे की तरफ पेलते हो... आपने तो वह कंडोम भी फाड़ दिया...
इंस्पेक्टर हरिलाल( हंसते हुए): इसमें मेरी गलती नहीं है... गलती तो तेरे इस बहन चोद भाई की है... यह छोटे साइज का कंडोम लेकर आया था.. लगता है इसका लोड़ा भी छोटा है... शायद इसीलिए अपने साइज का खरीद लाया था..
मेरी प्रियंका दीदी: मेरे भाई को कुछ मत बोलिए ना सर.... मैं आई हूं तो आप की सेवा करने के लिए ही ना... मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए ना सर...
मेरी प्रियंका दीदी को कामुक तरीके से मचलते हुए और खुद से लिपटते हुए देखकर थानेदार साहब के ऊपर एक अजीब किस्म की दरिंदगी सवार हो गई... मेरी बहन का बाल पकड़ लिया और जबरदस्ती करते हुए उनको नीचे की तरफ ले गए और अपना मुरझाया हुआ काला लंड मेरी दीदी के मुंह में जबरदस्ती डाल दिया...
मेरी प्रियंका दीदी तो हैरान हो गई थी हरिलाल को इस तरह से रंग बदलते हुए देखकर... फिर भी मेरी दीदी ने संयम से काम लिया और बड़े प्यार से उसके मुरझाए हुए लंड को अपने मुंह में लेकर अपनी जीभ से प्यार करने लगी... चाटने लगी.... चूसने भी लगी...
इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरी दीदी के सर पर दबाव बना रखा....
थानेदार साहब: चूस मेरी रानी... मेरा लौड़ा चूस.... फिर से खड़ा कर दे मेरे लोड़े को चूतमरानी...... रंडी .... मां चोद दूंगा तेरी....
मेरी प्रियंका दीदी अपने काम में लगी हुई थी...
मेरे चेहरे के पास वह फटा हुआ कंडोम पड़ा हुआ था... जिसमें मेरी दीदी और थानेदार साहब का मिलाजुला काम रस लगा हुआ था... उसकी महक ही मुझे अजीब लग रही थी...