25-04-2019, 02:39 PM
अभी सिर्फ़ तीन बजे थे और मैंने दीदी से बोला- तो बहुत टाइम है और माँ भी घर पर सो रही होंगी। क्या तुम अभी घर जाना चाहती हो? वैसे मुझे कुछ प्राइवेट में चलने का इच्छा हैं। क्या तुम मेरे साथ चलोगी?
दीदी मेरी आँखों में झाँकती हुई बोली- प्राइवेट में चलने की क्या बात हैं? वैसे मैं भी अभी घर नहीं जाना चाहती।
मैं बोला- प्राइवेट का मतलब है कि किसी होटल में जाना हैं?
दीदी बोली- सिर्फ़ होटल? या और कुछ?
मैं दीदी से बोला- सिर्फ़ होटल या और कुछ! मतलब?
दीदी बोली- तेरा मतलब होटल के कमरा से है?
“हाँ मेरा मतलब होटल के कमरे से ही है।” मैंने कहा।
दीदी ने तब मुझसे फिर पूछा- होटल के कमरे में ही क्यों?
मैंने दीदी की बातों को सुन कर यह समझा कि दीदी ने अभी भी होटल चलने के लिए ना नहीं किया हैं।
मैंने दीदी की आँखों में झाँकते हुए बोला- अभी तक मैंने कई बार तुम्हारी चूची को छुआ, दबाया, मसला और चूसा है, फिर मैंने तुम्हारी चूत को भी छुआ और उसके अंदर अपनी उंगली भी डाली। और तुमने कभी भी मना नहीं किया। मैं आगे बढ़ने से रुका तो इस बात से कि हमारे पास पूरी प्राइवेसी नहीं थी। इस बात के डर से कि कोई आ ना जाए, या हमें देख न ले। इसलिए मैं चाहता हूँ कि अब होटल के कमरे में जाकर हम लोगों को पूरी प्राइवेसी मिले।
मैं इतना कह कर रुक गया और दीदी की तरफ़ देखने लगा की अब दीदी भी कुछ बोले। जब दीदी कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर उनसे कहा- तुम क्या चाहती हो?
दीदी मुझसे बोली- मतलब यह हुआ कि तुम इसलिए मेरे साथ होटल जाना चाहते हो ताकि वहाँ जा कर तू मुझे अच्छी तरफ़ से छू सके। मेरे दूध को चूस सके और मेरे पैरों के बीच अपना हाथ डाल कर मज़ा ले सके?
“ठीक कह रही हो, दीदी। मैं जब भी तुम्हें छूता हूँ तो हम लोगों के पास प्राइवेसी ना होने की वजह से रुकना पड़ता है, जैसे आज सिनेमा हॉल में ही देख लो” मैंने दीदी से कहा।
“तो तू मुझे ठीक से और बिना डर के छूना चाहता है। मेरी चूची पीना चाहता है, और मेरी टांगो के बीच हाथ डाल कर अपनी उंगली डाल कर देखना चाहता है?” दीदी ने मुझसे पूछा।
मैंने तब थोड़ा झल्ला कर दीदी से कहा- तुम बिल्कुल सही कह रही हो। और मुझे लगता हैं कि तुम भी यही चाहती हो।
दीदी कुछ नहीं बोली और मैं उनकी चुप्पी को उनकी हाँ समझ रहा था। फिर दीदी थोड़ी देर तक सोचने के बाद बोली- कमरे में जाने का मतलब होता है कि हम वो सब भी???
मैंने तब दीदी को समझाते हुए कहा- लेकिन तुम चाहोगी तभी। नहीं तो कुछ नहीं।
दीदी फिर भी बोली- पता नहीं सोनू, यह बहुत बड़ा क़दम है।
मैंने तब फिर से दीदी को समझाते हुए बोला- बाबा, अगर तुम नहीं चाहोगी तो वो सब काम नहीं होगा और वही होगा जो जो तुम चाहोगी। लेकिन मुझे तुम्हारी दोनों मुसम्मियाँ बिना किसी के डर के साथ पीना है बस !
मैं समझ रहा था कि दीदी मन ही मन चाह तो रही थी कि मैं उनकी चूची को बिना किसी डर के चूसूं और उनकी चूत से खेलूँ।
दीदी बोली- बात कुछ समझ में नहीं आ रही है। लेकिन यह बात तो तय है कि मैं अभी घर नहीं जाना चाहती हूँ।
इसका मतलब साफ़ था कि दीदी मेरे साथ होटल में और होटल के कमरे में जाना चाहती हैं।
इसलिए मैंने पूछा- तो होटल चलें? दीदी मेरे साथ चल पडीं। मैं बहुत खुश हो गया। दीदी मेरे होटल में चलने के लिए राज़ी हो गई है।
मैं खुशी-खुशी होटल की तरफ़ चल पड़ा। मैं इतना समझ गया था कि शायद दीदी मुझे खुल कर अपनी चूची और चूत मुझसे छुआना चाहती हैं और हो सकता हैं कि वो बाद में मुझसे अपनी चूत भी चुदवाना भी चाहती हों।
यह सब सोच-सोच कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं सोच रहा था कि आज मैं अपनी दीदी को ज़रूर चोदूंगा। मैं बहुत खुश था और गर्म हो रहा था।
मुझे यह मालूम था कि उस सिनेमा हॉल के पास दो-तीन ऐसे होटल हैं जहाँ पर कमरे घंटे के हिसाब से मिलते हैं। मैं एक दो बार उन होटलों में अपने गर्ल-फ्रेंड के साथ आ चुका हूँ।
मैं वैसे ही एक होटल में अपनी दीदी को लेकर गया और वहाँ बात करके एक कमरा तय और कमरे का किराया भी दे दिया। होटल का वेटर हम लोगों को एक कमरे में ले गया।
दीदी मेरी आँखों में झाँकती हुई बोली- प्राइवेट में चलने की क्या बात हैं? वैसे मैं भी अभी घर नहीं जाना चाहती।
मैं बोला- प्राइवेट का मतलब है कि किसी होटल में जाना हैं?
दीदी बोली- सिर्फ़ होटल? या और कुछ?
मैं दीदी से बोला- सिर्फ़ होटल या और कुछ! मतलब?
दीदी बोली- तेरा मतलब होटल के कमरा से है?
“हाँ मेरा मतलब होटल के कमरे से ही है।” मैंने कहा।
दीदी ने तब मुझसे फिर पूछा- होटल के कमरे में ही क्यों?
मैंने दीदी की बातों को सुन कर यह समझा कि दीदी ने अभी भी होटल चलने के लिए ना नहीं किया हैं।
मैंने दीदी की आँखों में झाँकते हुए बोला- अभी तक मैंने कई बार तुम्हारी चूची को छुआ, दबाया, मसला और चूसा है, फिर मैंने तुम्हारी चूत को भी छुआ और उसके अंदर अपनी उंगली भी डाली। और तुमने कभी भी मना नहीं किया। मैं आगे बढ़ने से रुका तो इस बात से कि हमारे पास पूरी प्राइवेसी नहीं थी। इस बात के डर से कि कोई आ ना जाए, या हमें देख न ले। इसलिए मैं चाहता हूँ कि अब होटल के कमरे में जाकर हम लोगों को पूरी प्राइवेसी मिले।
मैं इतना कह कर रुक गया और दीदी की तरफ़ देखने लगा की अब दीदी भी कुछ बोले। जब दीदी कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर उनसे कहा- तुम क्या चाहती हो?
दीदी मुझसे बोली- मतलब यह हुआ कि तुम इसलिए मेरे साथ होटल जाना चाहते हो ताकि वहाँ जा कर तू मुझे अच्छी तरफ़ से छू सके। मेरे दूध को चूस सके और मेरे पैरों के बीच अपना हाथ डाल कर मज़ा ले सके?
“ठीक कह रही हो, दीदी। मैं जब भी तुम्हें छूता हूँ तो हम लोगों के पास प्राइवेसी ना होने की वजह से रुकना पड़ता है, जैसे आज सिनेमा हॉल में ही देख लो” मैंने दीदी से कहा।
“तो तू मुझे ठीक से और बिना डर के छूना चाहता है। मेरी चूची पीना चाहता है, और मेरी टांगो के बीच हाथ डाल कर अपनी उंगली डाल कर देखना चाहता है?” दीदी ने मुझसे पूछा।
मैंने तब थोड़ा झल्ला कर दीदी से कहा- तुम बिल्कुल सही कह रही हो। और मुझे लगता हैं कि तुम भी यही चाहती हो।
दीदी कुछ नहीं बोली और मैं उनकी चुप्पी को उनकी हाँ समझ रहा था। फिर दीदी थोड़ी देर तक सोचने के बाद बोली- कमरे में जाने का मतलब होता है कि हम वो सब भी???
मैंने तब दीदी को समझाते हुए कहा- लेकिन तुम चाहोगी तभी। नहीं तो कुछ नहीं।
दीदी फिर भी बोली- पता नहीं सोनू, यह बहुत बड़ा क़दम है।
मैंने तब फिर से दीदी को समझाते हुए बोला- बाबा, अगर तुम नहीं चाहोगी तो वो सब काम नहीं होगा और वही होगा जो जो तुम चाहोगी। लेकिन मुझे तुम्हारी दोनों मुसम्मियाँ बिना किसी के डर के साथ पीना है बस !
मैं समझ रहा था कि दीदी मन ही मन चाह तो रही थी कि मैं उनकी चूची को बिना किसी डर के चूसूं और उनकी चूत से खेलूँ।
दीदी बोली- बात कुछ समझ में नहीं आ रही है। लेकिन यह बात तो तय है कि मैं अभी घर नहीं जाना चाहती हूँ।
इसका मतलब साफ़ था कि दीदी मेरे साथ होटल में और होटल के कमरे में जाना चाहती हैं।
इसलिए मैंने पूछा- तो होटल चलें? दीदी मेरे साथ चल पडीं। मैं बहुत खुश हो गया। दीदी मेरे होटल में चलने के लिए राज़ी हो गई है।
मैं खुशी-खुशी होटल की तरफ़ चल पड़ा। मैं इतना समझ गया था कि शायद दीदी मुझे खुल कर अपनी चूची और चूत मुझसे छुआना चाहती हैं और हो सकता हैं कि वो बाद में मुझसे अपनी चूत भी चुदवाना भी चाहती हों।
यह सब सोच-सोच कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं सोच रहा था कि आज मैं अपनी दीदी को ज़रूर चोदूंगा। मैं बहुत खुश था और गर्म हो रहा था।
मुझे यह मालूम था कि उस सिनेमा हॉल के पास दो-तीन ऐसे होटल हैं जहाँ पर कमरे घंटे के हिसाब से मिलते हैं। मैं एक दो बार उन होटलों में अपने गर्ल-फ्रेंड के साथ आ चुका हूँ।
मैं वैसे ही एक होटल में अपनी दीदी को लेकर गया और वहाँ बात करके एक कमरा तय और कमरे का किराया भी दे दिया। होटल का वेटर हम लोगों को एक कमरे में ले गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
