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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#66
फिर संगीता दीदी बेड'पर बैठ गयी. मेने खिसक के उसे जगहा दे दी और वो मेरे दाईं तरफ बेड'पर लेट गई. हमारे बीच मुश्कील से एक दो इंच का फासला था. हम'ने तकिये बेड 'पर तिरछे रखे थे और उस'पर हम पड़े थे और टीवी देख'ने लगे. हम दोनो दिन भर हुई घटनाएँ के बारे में बातें कर'ने लगे. बीच बीच में में टीवी का चॅनेल चेंज कर रहा था और अलग अलग प्रोग्राम देख रहा था. एक चॅनेल पर एक इंग़लीश मूवी चल रही थी. मेने झट से पहेचान लिया के वो कौन सी मूवी थी. उस मूवी में एक दो एरॉटिक बेड सीन भी थे. में वो चॅनेल रख'कर मूवी देख'ने लगा.

संगीता दीदी भी मेरे साथ बातें कर'ते कर'ते मूवी देख'ने लगी. बीच बीच में वो मुझे मूवी के बारे में पुच्छ रही थी और में उत्साह से उसे क्या हो रहा है ये बता रहा था. जल्दी ही एक बेड सीन चालू हुआ, जिस'की में राह देख रहा था. स्क्रीन'पर हीरो ने हीरोइन का चुंबन लेना चालू किया और वो देख'कर संगीता दीदी बेचैन होने लगी.

उसकी बेचैनी मुझे तूरंत महेसूस हुई लेकिन मेने उसकी तरफ ध्यान नही दिया और गौर से सीन देख'ने का नाटक कर'ने लगा. जैसे हीरो ने हीरोइन के कपड़े निकालना चालू किया वैसे संगीता दीदी कुच्छ ज़्यादा ही बेचैन हो गयी.

"सागर! चॅनेल बदल!" उस'ने बेचैनी से कहा.

"क्यों, दीदी? आच्छी मूवी है ये.."

"हाँ!. मुझे दिख रही है कित'नी अच्छी मूवी है ये. जल्दी बदल दे चॅनेल!" उस'ने मुझे डान्ट'ते हुए कहा.

"तुम्हें इस सीन की वजह से खराब लग रहा है क्या, दीदी? ये सीन तो अभी ख़त्म हो जाएगा" मेने स्क्रीन से नज़र ना हिलाते कहा. जाहिर है के वैसा कामुक सीन अप'ने भाई के साथ देख'ते हुए उसे अजीबसा लग रहा था. और वो भी उसके साथ होटेल के कमरे में अकेले होते सम'य? जैसे ही हीरो ने हेरोइन का टॉप निकाल दिया और पिछे से ब्रेसीयर खोल'ने लगा तो वैसे ही संगीता दीदी की सह'ने की शक्ती ख़त्म हो गयी. उस'ने मेरे हाथ से रिमोट कंट्रोल छीन लिया और झट से चॅनेल चेंज किया. उस'से में मायूस हो गया. उस सम'य में किसी को नंगी या अध नंगी देख'ने के लिए तरस रहा था भले ही वो टीवी स्क्रीन पर क्यों ना हो लेकिन संगीता दीदी ने चॅनेल बदल दिया और सब मज़ा किर'कीरा हो गया.

"चॅनेल क्यों बदल दिया, दीदी? वो अच्छी मूवी थी" मेने थोड़ी नाराज़गी दिखाकर कहा.

"होगी अच्छी.. लेकिन तुम्हें ऐसे गंदे सीन अप'नी बहन के साथ होते हुवे देख'ने नही चाहिए."

"उसमें क्या गंदा था??"

"अच्च्छा भी क्या था उस सीन में? वो दोनो किसींग कर रहे थे और क्या क्या हरकते कर रहे थे. और तुम कह रहे हो उस में गंदा क्या था?" संगीता दीदी ने हैरानगी से पुछा.

"कमाल है, दीदी! आज कल मूवी में ऐसे सीन होना तो आम बात हो गयी है तो फिर उस में इतना स्ट्रेंज क्या है?"

"कमाल तो तुम्हारी है, सागर. तुम्हें शरम नही आती बहन के साम'ने ऐसे गंदे सीन देख'ते हुए?"

"अब उस में शरमाना क्या, दीदी? तुम्हें मालूम है वो क्या कर'नेवाले थे. मुझे मालूम है वो क्या कर'नेवाले थे. हम दोनो भी उम्र से बड़े है तो फिर ऐसे सीन देख'ने में बुराई क्या है?"

"कोई बुराई नही है, सागर! लेकिन तुम्हें क्या मालूम वो दोनो क्या कर'नेवाले थे?"

"मुझे सब मालूम है, दीदी! में अभी छोटा नही रहा. मुझे अच्छी तरह से मालूम है वो दोनो क्या कर रहे थे और क्या कर'नेवाले थे. ठीक है!. मेने खुद कभी वैसा कुच्छ नही किया है ना तो मुझे कुच्छ प्रॅक्टिकल अनुभव है लेकिन मुझे इस बारे में अच्छी तराहा से मलूमात है."

"ठीक है! ठीक है! लेकिन इत'नी जल्दी तुम्हें इन बातों में इंटरेस्ट नही लेना चाहिए."

"क्यों नही, दीदी? में अब बड़ा हो गया हूँ. अब मुझे हक है ये सब जान लेने का. मेरे मन में बहुत उत्सुकता है के लड़किया कप'डो में इत'नी सेक्सी दिख'ती है तो फिर बीना कपड़े वो कैसे दिख'ती होंगी? मेरे मन में हमेशा ये ख़याल आता है के क्या में किसी लड़'की को बीना कपड़े देख सकता हूँ क्या? बीना कपड़े यानी. पूरी तरह से नग्न!"

"देख सकते हो, सागर! किसी लड़'की के साथ तुम्हारी शादी होने के बाद" संगीता दीदी ने चुपके से जवाब दिया.

"शादी के बाद??"

"हाँ! शादी के बाद. तुम तुम्हारी पत्नी को पुछ सकते हो!" संगीता दीदी ने हँसके जवाब दिया.

"पत्नी??. शादी?. उसके लिए तो काफ़ी साल लगेंगे, दीदी! में तब तक रुक नही सकता!"

"नही रुक सकते हो. तो फिर. पुच्छ लो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड को."

"गर्ल फ्रेंड? मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है, दीदी."

"क्या कह रहे हो, सागर? तुम इत'ने हॅंड'सम और तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नही?? में विश्वास ही नही करूँगी!"

"में झूठ थोड़ी बोल रहा हूँ, दीदी! मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है" में उसकी तरफ घूम गया और चुपचाप बोला.

"क्या कह'ते हो, सागर? ऐसी कोई लड़'की तुम्हारी दोस्त नही जो तुम्हारे दिल के बिल'कुल करीब हो. जिसे तुम चाहते हो, प्यार कर'ते हो. ऐसी कोई लड़'की नही?" संगीता दीदी ने हैरान होकर पुछा.

"सच्ची, दीदी! ऐसी कोई लड़'की नही जो मेरे दिल के करीब है या जिसे में प्यार करता हू.. सिर्फ़.."

"सिर्फ़ क्या, सागर?." संगीता दीदी ने उत्सुकता से पुचछा.

"सिर्फ़ तुम, दीदी!!. तुम ही हो. जो मेरे दिल के करीब है. जिसे में चाहता हूँ.. जिसे में प्यार करता हूँ."

"कौन में??" संगीता दीदी आश्चर्य से चीख पड़ी और बोली, "लेकिन में तुम्हारी बहन हूँ, सागर! तुम्हारी गर्ल फ्रेंड नही.."

"ठीक है, दीदी! माना के तुम मेरी गर्ल फ्रेंड नही हो लेकिन तुम मेरी दोस्त तो हो? तुम ही एक ऐसी हो जिसे में बीना जीझक पुच्छ सकता हूँ!"

"पुच्छ सकता हूँ?. क्या??" संगीता दीदी की आवाज़ चढ़ गयी.

"यानी मुझे ये कह'ना है के.. जैसे तुम'ने कहा के जो लड़'की मेरे दिल के करीब है उसे में पुच्छ सकता हूँ और तुम ही हो जो मेरे दिल के करीब हो. इस'लिए में तुम्हें ही पुछता हूँ. क्या तुम मुझे दिखा सक'ती हो के बीना कप'डो के तुम कैसी दिख'ती हो?? यानी पूरी नग्न!!"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 18-10-2021, 05:16 PM



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