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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#65
उस सम'य मुझे लगा के में संगीता दीदी को बता दूं. मेरी 'इच्छा'. मेरा सपना. मेरी कल्पना.. यानी एक ही!! 'संगीता दीदी तुम्हें चोदना!!'.. लेकिन अगले ही पल मेने सोचा के 'नही' ये वक्त ठीक नही है इस'लिए मेने सिर्फ़ इतना कहा,

"फिलहाल तो मुझे याद नही आ रहा है मेरा कोई सपना. लेकिन जब याद आएगा तो तुम्हें ज़रूर बताउन्गा, दीदी!"

"ज़रूर बताना, सागर. में पूरी कोशीष करूँगी तुम्हारी 'इच्छा' पूरी कर'ने की."

"अच्च्छा! चलो अब. जा के फ्रेश होकर आ जाओ, दीदी!" मेने उसे ऐसा कहा लेकिन में उस से दूर नही हुआ.

"ओह ! सागर! मुझे ऐसा लग रहा है के ऐसे ही जिंदगी भर रहे. मेरा मतलब है ऐसे कपड़े पहन के.. लेकिन मुझे मालूम है ये संभव नही है" संगीता दीदी ने थोड़े उदास स्वर में कहा.

"तुम उदास क्यों होती हो, दीदी? ठीक है, तुम ऐसे कपड़े घर में नही पहन सक'ती हो लेकिन अकेले में तो पहन सक'ती हो? जब हम दोनो अकेले होंगे तब तुम बेशक मेरे कपड़े पहन लिया करो."

"वो तो ठीक है, सागर. लेकिन तुम्हारे कपड़े मुझे कित'ने टाइट हो रहे है, देखो ना. हम! अगर तुम'ने अपना साइज बदल दिया तो फिर ठीक है. यानी में कह'ना चाह'ती हूँ के तुम'ने अगर तुम्हारी बॉडी बढ़ाई तो."

"दीदी!. मेरी बॉडी बढ़ा'ने के बजाय. तुम थोड़ी स्लीम क्यों नही बन जाती हो? सच कहूँ तो तुम्हें 'यहाँ की' थोड़ी चरबी कम कर'नी चाहिए." ऐसा कह'कर मेने मेरे दोनो हाथ उसकी कमर की चरबी पर रख दिए और उसे हलके से दबाया.

"ज़्यादा शरारत मत करो हाँ, सागर!" ऐसा कह'कर उस'ने अपना एक हाथ पिछे लिया और मेरा पेट पकड़'कर घुमा दिया. मेने झट से मेरे एक हाथ से संगीता दीदी का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसके मांसल चुत्तऱ को दबाकर कहा,

"या तो तुम्हें 'यहाँ' की चरबी काम कर'नी चाहिए, दीदी!"

"तुम ना. बहुत नालायक होते जा रहे हो, सागर!. ठहर!. तुम्हें ज़रा दो चार फटके देती हूँ." ऐसा कह'कर वो घूम गई और उस'ने मुझे हलके से चाटा मार दिया.

संगीता दीदी ने मुझे चाटा मारा तो मेने भी उसे हलका सा चाटा मार दिया. उस'से वो झूठमूठ का गुस्सा दिखा'ती और मुझे फिर चाटा मार'ती थी. उस'ने फिर मारा तो मेने भी वापस मार दिया. ऐसा कई बार हुआ और हम काफ़ी बार एक दूसरे को चाटा मारते रहे, हंस'ते खेल'ते, यहाँ वहाँ भागते.. उसके चाटे से में अप'ने आप को बचाता था लेकिन वो मेरे चाटे से बच'ती नही थी. आखीर वो परेशान हो गई और मेरी छाती पर मुठ्ठी भर के मार'ने लगी. मेने हंस'ते हंस'ते उसके हाथ पकड़ लिए और वो भी हंस'ने लगी. हंस'ते हंस'ते उस'ने मुझे बाँहों में भर लिया. हमारा हँसना रुक'ने तक हम एक दूसरे की बाँहों में जकड़े हुए थे.

फिर संगीता दीदी मुझ'से दूर हो गयी. उस'ने बॅग में से अपना नाइट गाउन निकाला और वो बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गयी. मेने फिर टीवी का रिमोट कंट्रोल लिया और टीवी चालू कर के कुच्छ चॅनेल चैक किए. में एक म्यूज़िक चॅनेल पर रुक गया. बाद में में बेड'पर लेट गया और टीवी देख'ने लग. में टीवी तो देख रहा था लेकिन मेरे कान बाथरूम से आ रही आवाज़ पर थे. संगीता दीदी ने टाय्लेट इस्तेमाल किया फिर शावर के नीचे स्नान किया वग़ैरा वग़ैरा सबका में आवाज़ से अंदाज़ा ले रहा था. थोड़ी देर बाद संगीता दीदी बाहर आई. उस'ने गुलाबी रंग का नाइट गाउन पहना था. वो मेरी तरफ देख'कर हँसी और फिर जाकर उस'ने मेरी जींस और टी-शर्ट वॉर्डरोब में टाँग दिए.

"अरे, दीदी!! तुम'ने मेरी जींस और टी-शर्ट वापस नही पहनी??" मेने हंस'कर उसे पुछा.

"कैसे पहन लेती, सागर? और वो भी सोते सम'य? कित'ने टाइट हो रहे थे तुम्हारे वो कपड़े मुझे. जैसे किसी ने जाकड़ लिया हो. मुझे तो ऐसे कपड़े पहन'कर सोना अच्छा लग'ता है." ऐसा कह'कर उस'ने अपना गाउन दोनो बाजू से उठाया और आजू बाजू में हिला'कर दिखाते कहा, "ढीले ढाले.. बीना बंधन के. खुले खुले. हवा जानेवाले."

"अच्च्छा? इसका मतलब इस गाउन के नीचे तुम'ने कुच्छ नही पहना है, दीदी?. खुला खुला लग'ने के लिए??"

"नालायक! बेशरमा!!. तेरी ज़बान बहुत ही तेज चल रही है." ऐसा कह'कर उस'ने मुझे एक चाटा मारा. मेने हंस'ते हंस'ते उस'का चाटा झेल लिया. भले ही मेने वैसे मज़ाक में कहा था लेकिन मुझे अच्छी तरह से मालूम था के अंदर ब्रेसीयर और पैंटी पहनी थी. उस'का गुलाबी झीना गाउन कुच्छ छुपा नही रहा था. आम तौर पर वो अगर घर में होती और उस'ने ये गाउन पहना होता तो उसके अंदर वो पेटीकोट और स्लीप पहन लेती जिस'से अंदर का कुच्छ दिखाई नही देता. लेकिन इस सम'य यहाँ पर उस'ने अंदर वैसे कुच्छ पहना नही था इस'लिए मुझे उसकी ब्रेसीयर और पैंटी नज़र आ रही थी. जब वो बॅग में कपड़े रख'ने के लिए नीचे झुक गयी तब पिछे से मेने उसके चुत्तऱ को देखा तो मुझे उसके अंदर पह'नी हुई काले रंग की पैंटी नज़र आई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 18-10-2021, 05:14 PM



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