18-10-2021, 11:45 AM
अगले दिन शाम को भाभी और मैं गप्पें मार रहे थे, रजनी संतरे लेकर अंदर आई और मेरे पास बैठ गई।
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भाभी बोलीं - रजनी, राकेश जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।
रजनी बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोला - आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।
भाभी मुस्कराते हुए बोली - खिला दे! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।
रजनी एकदम से गरम हो गई और बोली - भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।
मुझे लगा रजनी पर लाइन मारना ठीक नहीं है। रजनी वहाँ से चली गई।
भाभी झेंपते हुए बोलीं - सुरेखा तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो सुरेखा ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।
मैं सोच में पड़ गया कि अगर सुरेखा इतनी तेज है तो मेरे से उसने इतने आराम से कैसे संबंध बना लिए।
थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से उठकर चला आया। हमारे और रजनी के बीच नमस्ते होती रही लेकिन कभी ज्यादा बात नहीं हुई।
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रोज़ रात को 10-11 बजे सुरेखा मेरे कमरे में आ जाती और पूरी नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाती। मुझसे अपनी चूत में क्रीम लगवाती और जाने से पहले मेरा लोड़ा कम से कम एक बार जरूर चूसती। मेरी रातें सुरेखा के साथ मजेदार कट रही थीं।
10 दिन में उसकी खुजली गायब हो गई थी। इस बीच मैंने उसकी चूत में लोड़ा एक भी दिन नहीं डाला था। सुरेखा ने मुझसे बहुत कहा था कि मैं उसकी चूत चोदूँ, उसके पति तो हर दूसरे दिन उसे चोद ही रहे थे लेकिन मैंने एसा नहीं किया।
शनिवार को मैंने वादा किया कि सोमवार को उसकी चूत चोदूंगा।
सोमवार से उसके पति की रात की 10-6 शिफ्ट आ गई थी। रात की शिफ्ट में 8 बजे वो जाते थे और सुबह 8 बजे आते थे।
मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए
बोली - आज तो चोदोगे न?
मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा - क्यों नहीं।
सुरेखा से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि अरुण जब ज्यादा नशे में होते हैं तब वो तुम्हारी गांड भी चोद देते हैं।
सुरेखा बोली - आप का मन है तो मेरी गांड में भी डाल दो! अरुण तो गांड ज्यादा चोदते हैं चूत कम।
सुरेखा की चूत गीली हो रही थी, मैंने उसे तकिये के ऊपर लेटाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और दोनों चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और चोदने लगा।
उह आह की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था, सुरेखा की चूत में लंड सरपट दौड़ रहा था। सुरेखा को चोदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और सुरेखा के चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- रानी, ऐसे ही लेटी रहो।
उसके बाद मैंने कंडोम लंड पर चढ़ा लिया, सुरेखा की गांड में उंगली घुमाते हुए बोला - रानी, जरा अच्छी तरह टांगें फ़ैला कर चूतड़ ऊपर उठाओ।
सुरेखा समझ गई कि मैं उसकी गांड चोदना चाहता हूँ, उसने अच्छी तरह से अपनी टांगें फ़ैला लीं। मैंने सुरेखा की गांड पर लंड छुला दिया। उह उइ की एक सिसकारी सी उसने भरी, थोड़ी देर में लंड उसकी गांड में घुसने लगा।
"ऊ ओइ ऊ ओऊ मर गई!" की आवाज़ों से सुरेखा मचलने लगी। थोड़ी देर में ही 7 इंची लोड़ा उसकी गांड में था। सुरेखा की गांड चुदनी शुरू हो गई, कभी धीरे, कभी तेज झटकों से उसकी गांड चुद रही थी। 10 मिनट बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया।
सुरेखा उठ गई, उसकी गांड फट चुकी थी और वो मुझसे चिपक कर सो गई। सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली तो सुरेखा मेरे बिस्तर पर नहीं थी, बाहर से नहाने की आवाज़ सी आ रही थी। मैंने छुपकर देखना शुरू कर दिया।
सुरेखा अपनी जांघें धो रही थी, उसके स्तन मस्त हिल रहे थे, मैं उसके नग्न स्नान दर्शन का आनंद लेने लगा।
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