18-10-2021, 01:41 AM
(This post was last modified: 19-10-2021, 01:49 AM by babasandy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
सिक्युरिटी जीप में मेरी मां को बैठकर जाते हुए देख कर मेरे तो हाथ पैर सुन हो गए थे... मेरी रूपाली दीदी का भी कुछ ऐसा ही हाल था... हम दोनों जब बिल्लू के ऑटो से बाहर निकले तो हमारे घर के सामने पड़ोसियों की भीड़ जमी हुई थी... सब लोग हमारी तरफ देखते हुए ही कानाफूसी कर रहे थे.... मैंने जब अपनी रुपाली दीदी की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी... हम दोनों को ही बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है...
मैं और मेरी दीदी जल्दी से अपने घर के अंदर घुस गए और दीदी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया... मेरे सामने ही चंदा भाभी खड़ी हुई रो रही थी.. उनकी गोद में मेरी रूपाली दीदी की बेटी मुन्नी थी.. उनके दोनों बच्चे भी वहीं पर खड़े रो रहे थे...
मैं: क्या हुआ भाभी... क्या बात है आप मुझे सच सच बताओ... मेरी मम्मी को सिक्युरिटी वाले लेकर क्यों गए हैं....
मेरी चंदा भाभी ने रोते रोते हुए हमें पूरा हाल सुना दिया... उनकी बातें सुनकर हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी... मेरी रूपाली दीदी को तो चक्कर आने लगे थे... दरअसल बात यह थी कि जैसा कि चंदा भाभी ने हमें बताया....
चंदा भाभी: किसी जुनैद नाम के गुंडे का मर्डर हो गया है...( रोते बिलखते हुए)... और वह इंस्पेक्टर साहब बोल रहे हैं कि मर्डर प्रियंका ने किया है... उनके पास इस बात का सबूत है... जब हम उनसे सबूत मांगे इस बात का तो उन्होंने मना कर दिया.... वह बोले हैं प्रियंका को सिक्युरिटी थाने में हाजिर होने के लिए... वह तो घर पर नहीं है ..पता नहीं कहां गई है... इसीलिए सिक्युरिटी मम्मी जी को उठाकर ले गई है... प्लीज देवर जी कुछ कीजिए... आप थाने में जाकर उन लोगों को बता दीजिए उनको कुछ गलतफहमी हुई है... हमारी मम्मी जी ना जाने किस हाल में होगी...
मेरी चंदा भाभी का रोना धोना चल ही रहा था... कि प्रियंका दीदी आ चुकी थी... उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी...
मेरी रूपाली दीदी ने अपने आपको ठीक किया... और मेरी प्रियंका दीदी कहां से पकड़ कर उनको अपने बेडरूम के अंदर ले गई...
मेरी रूपाली दीदी ने उनको पूरी बात बताई और पूछी...
मेरी रूपाली दीदी: क्या सच में तुम्हारा जुनैद के मर्डर से कोई लेना-देना है... तुम मुझे सच सच बता सकती हो..
मेरी प्रियंका दीदी: नहीं दीदी.... मैं भला मर्डर कैसे कर सकती हूं.. मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानती हूं...( आंखों में आंसू लिए हुए)...
मेरी रूपाली दीदी: हां मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है... तुम कभी इतना गलत काम नहीं कर सकती..
मेरी प्रियंका दीदी के आंसुओं को देखकर रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... और उनको समझाने लगी.... आगे के प्लान के बारे में..
प्लान कुछ खास नहीं था... दरअसल मुझे सिक्युरिटी थाने जाना था.. और वहां पर जाकर सिक्युरिटी इंस्पेक्टर के आगे रोना गिड़गिड़ाना था... ताकि वह मेरी मम्मी को आजाद कर दे... अगर कुछ ले देकर मामला निपट सकता है सौदेबाजी करके मुझे इस मुसीबत से अपने परिवार को निकालना है... मेरी रूपाली दीदी ने मुझे अच्छी तरह समझा दिया था जाने से पहले..
सिक्युरिटी थाने के अंदर घुसने से पहले मेरे हाथ पैर ढीले पड़ चुके थे...
जब मैं अंदर गया तो मैंने देखा वहां पर चार-पांच सिक्युरिटी कॉन्स्टेबल अपनी अपनी मेज पर बैठे हुए काम कर रहे थे... मेरी मम्मी लॉक अप के अंदर अपने सर पर हाथ रख कर बैठी हुई थी... उनकी यह दशा देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए..
इंस्पेक्टर साहब कहां पर है: मैंने एक हवलदार से पूछा..
उसने मुझे इंस्पेक्टर साहब के केबिन का रास्ता दिखा दिया...
मैं: क्या मैं अंदर आ सकता हूं इंस्पेक्टर साहब...
इंस्पेक्टर साहब: कौन है तू( बड़ी रोबदार आवाज में)..
मैं: जी सर.. मेरा नाम सैंडी है... आपने मेरी मम्मी को हवालात में बंद कर दिया है... किस जुर्म में...
मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे बड़ी गौर से देखा और अंदर आने का इशारा किया... उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया मैं उनके सामने बैठ गया..
इंस्पेक्टर साहब: सैंडी देख.... मुझे अच्छी तरह पता है तेरी मम्मी निर्दोष है.... लेकिन मेरे पास पुख्ता सबूत है कि तेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मर्डर में शामिल है... अगर तू अपनी बहन को थाने में हाजिर कर देगा तो मैं तेरी मम्मी को जाने दूंगा...
मैं( थरथर कांपते हुए): कैसा सबूत इंस्पेक्टर साहब?
इंस्पेक्टर साहब: सुन बे बहन के लोड़े म*****....( गंदी गाली)... मेरे सामने ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है... मेरा नाम इंस्पेक्टर हरिलाल है.... बड़े-बड़े मुजरिमों को मैंने अपने डं तुझे सबूत देखना है ना बहन चोद... यह देख सबूत...
ऐसा बोलकर इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरे सामने मृतक जुनैद का मोबाइल फोन निकाल लिया और उसमें तस्वीरें वीडियो और व्हाट्सएप चैट दिखाने लगा जो उसने मेरी प्रियंका दीदी के साथ की थी... फिर उसने वह वीडियो भी खोल कर रख दी थी मेरी आंखों के सामने जिसमें असलम और जुनैद दोनों मिलकर मेरी दोनों बहनों को...अपने फार्म हाउस पर रात भर ठोका था...
कल के मर्डर वाले दिन में भी मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के साथ उसके फार्म हाउस पर थी.. इस बात का पुख्ता सबूत मेरी दीदी के मोबाइल लोकेशन और जुनैद के मोबाइल लोकेशन से निकालकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे दिखा दिया था.... जाहिर था कि पिछले 24 घंटे में इस केस को सॉल्व करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी... सारे सबूत मेरी आंखों के सामने थे और मेरी पेंट गीली हो रही थी...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मेरे पास तो तेरी रूपाली दीदी के खिलाफ भी पूरे सबूत लेकिन उसने पक्के नहीं जितनी तेरी प्रियंका दीदी के लिए... वीडियो ऑडियो और व्हाट्सएप चैट से साफ पता चल रहा है कि तुम्हारी दोनों बहनों के संबंध मृतक गुंडे जुनेद के साथ थे...
मेरे पास अब कोई ज्यादा चारा नहीं बचा था... मैं रोने लगा रोते-रोते इंस्पेक्टर साहब के पैरों में गिर पड़ा और उनके पैरों को पकड़ लिया...
मैं (रोते हुए): इंस्पेक्टर साहब हमारे ऊपर दया कीजिए.... अगर यह सब बात लोगों को पता चली तो हम लोग मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे कहीं पर भी.... आप जो कुछ भी कहोगे जो कुछ भी मांगोगे वह मैं देने के लिए तैयार हूं... लेकिन कृपा करके इस केस से हम लोगों को आजाद कर दीजिए.... मैं अपनी मां की कसम खा कर बता सकता हूं कि मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी किसी का भी मर्डर नहीं कर सकती है... अगर कुछ ले देकर आप हमारे केस का मामला उठा सकते हैं तो मैं वह भी करने के लिए तैयार हूं...
मुझे बुरी तरह से रोते हुए और बिलखते हुए देखकर इंस्पेक्टर हरिलाल को मेरे ऊपर दया आ गई थी.. उन्होंने मुझे अपने कदमों से उठाया..
इंस्पेक्टर साहब: देखो सैंडी... तुम बहुत अच्छे लड़के हो... जहां तक मैंने पता किया है तुम्हारा परिवार भी बहुत संस्कारी और बेदाग है... मैंने तुम्हारे पड़ोसियों से पता किया था ...तुम्हारी दोनों बहनों का चरित्र भी इतना बुरा नहीं है... कि जुनेद जैसे इंसान के चक्कर में फंसे... आखिर क्या बात है... मैं एक ईमानदार सिक्युरिटी ऑफिसर हूं... मेरे पास जितने भी केस आए हैं मैंने सब को उसके सही अंजाम तक पहुंचाया है... अगर तुम मुझे सब कुछ सच-सच बता दोगे तो मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी मदद जरूर करूंगा...
इंस्पेक्टर साहब की बातें सुनकर मुझे कुछ ढाढस का एहसास हुआ... मुझे सच में लगने लगा था कि इंस्पेक्टर साहब कोई ईमानदार व्यक्ति है जो मेरी मजबूरी को समझ रहे हैं..
इंस्पेक्टर हरिलाल की बातों में आकर मैंने पूरी कहानी उनको बता दी संक्षेप में... किस तरह से जुनेद और असलम ने मुझे और मेरी रुपाली दीदी को बंधक बनाकर जंगल में मेरी दीदी के साथ बलात्कार किया था.. और फिर उसी का फायदा उठाकर मेरी प्रियंका दीदी को भी अपने जाल में फंसाया... फिर मेरी दोनों बहनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर मेरे सामने ही..... मैंने सब कुछ सच-सच बता दिया था लेकिन संक्षेप में...
इंस्पेक्टर हरिलाल मेरी तरफ अजीब नजरों से देख रहे थे...
वह बोले: कैसा भाई है तू... तुझे तो अपनी बहन की रक्षा करनी चाहिए थी... तू तो खुद ही उनके सामने अपनी बहनों को परोसने ले गया..
उनकी बातें सुनकर मेरी आंखें शर्म से झुक गई...
इंस्पेक्टर हरिलाल: सुनो मेरी बात.... केस तो दर्ज हो चुका है... तेरी प्रियंका दीदी को थाने में आकर अपना बयान तो देना ही होगा... वरना 302 का मुकदमा लगेगा... मैंने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया... मुझे लगा की औरत है उसका बयान लेना भी ठीक रहेगा...
मैं: लेकिन इंस्पेक्टर साहब क्या मेरी प्रियंका दीदी को इस थाने में लाना ठीक रहेगा... इतने सारे लोग हैं यहां पर क्या इज्जत रह जाएगी हम की.
हरिलाल: तू ही कह रहा है ... तू अपनी बहन को यहां पर मत लाना... थाने के पीछे मेरी खोली है... तुम रात को 9:00 बजे अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आ जाना... मैं वहीं पर तुम्हारी दीदी का बयान ले लूंगा..
मैं: ठीक है इंस्पेक्टर साहब... मैं अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आप की खोली में आऊंगा... फिर वही पर आप मेरी बहन का बयान दर्ज कर लेना.. मेरी मम्मी को तो जाने दो..
हरिलाल: नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... तुम्हारा क्या भरोसा... यहां से जाने के बाद तुम अपनी बहन को लेकर गायब हो गए तो मैं क्या करूंगा... तुम्हारी मम्मी अभी हवालात में ही रहेगी... जब तुम्हारी प्रियंका दीदी मेरी खोली में आएगी... और अच्छे से बयान देगी... तब तुम अपनी मम्मी को घर ले जा पाओगे...
इंस्पेक्टर हरिलाल की बात मुझे ठीक ही लगी थी... मुझे उनके ऊपर भरोसा होने लगा था... कुछ-कुछ उनकी रोबदार पर्सनालिटी और उनकी मूछों का असर था.. मैंने इंस्पेक्टर साहब से वादा कर दिया कि मैं अपनी प्रियंका दीदी को रात 10:00 बजे उनकी खोली में लेकर आऊंगा... उनकी खोली सिक्युरिटी थाने के पीछे थी..
सिक्युरिटी थाने से लौटते हुए मेरे मन में थोड़ी बहुत राहत थी.... दरअसल जुनैद के मरने की बात सुनकर मैं भीतर ही भीतर थोड़ा बहुत खुश भी था.. वह इंसान जिसने असलम के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था और फिर मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी दोनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर उनके साथ संभोग किया था रात भर.. मुझे और मेरे जीजू को जलील किया था... उस इंसान के मरने से मुझे खुशी थी... ऊपर से इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे भरोसा दिया था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा... अगर मैं अपनी बहन को उनकी खोली में बयान देने ले जाऊंगा...
जब मैं अपने घर पर आया तब तक शाम के तकरीबन 7:00 बज चुके थे... मेरी रूपाली दीदी, प्रियंका दीदी और चंदा भाभी सभी चिंता की मुद्रा में हॉल में ही बैठे हुए थे...
तीनों मुझे देखते ही भागते हुए आए और पूछने लगे क्या हुआ थाने में... मेरी मम्मी को क्यों नहीं लेकर आया हूं मैं... चंदा भाभी तो दहाड़े मार-मार कर रो रही थी... मेरी प्रियंक दीदी उनको ढाढस बना रही थी..
इसी बीच मेरी रूपाली दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम के अंदर ले गई.. और मुझसे पूछने लगी...
जो कुछ भी मेरे और इंस्पेक्टर हरिलाल के बीच में बातचीत हुई थी मैंने वह सब कुछ सच-सच बता दिया मेरी रूपाली दीदी को...
मेरी बात सुनकर रुपाली दीदी गहरी सोच के मुद्रा में चली गई थी... उनके माथे पर शिकन थी... कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन्होंने मुझे कहा: तुम जाओ और थोड़ी देर आराम कर लो... मैं प्रियंका से बात कर लेती हूं...
मैं अपने कमरे में जाकर अपने बिस्तर के ऊपर लेट गया... और सोचने लगा... अब आगे क्या होने वाला है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था... पर मुझे मेरी रूपाली दीदी की चतुराई पर पूरा भरोसा था.. मुझे भरोसा था कि मेरी दीदी कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेगी इस मुसीबत से निकलने के लिए... सोचते सोचते ही मेरी आंख लग गई...
सपने में ढोलू मेरी रूपाली दीदी को प्यार कर रहा था... उनके साथ सेक्स कर रहा था... जो आज दिन में उसने किया था... सब कुछ मेरी आंखों के सामने... वही सब नजारा मुझे सपने में भी दिखाई देने लगा था..
यह सच है यह सपना मैं फर्क नहीं कर पा रहा था...
तकरीबन 9:00 बजे मेरी रूपाली दीदी ने मुझे नींद से जगाया.. और बोली... जल्दी से कुछ खा लो..
मैं: ठीक है दीदी..
मैं खाना खा रहा था और मेरे सामने ही मेरी रूपाली दीदी , प्रियंका दीदी और चंदा भाभी के बीच में कुछ मंत्रना चल रही थी... रूपाली दीदी मेरी प्रियंका दीदी को कुछ समझा रही थी और चंदा भाभी सब कुछ सुन रही थी... घर के सारे बच्चे सो गए थे...
खाना खाने के बाद मेरी रुपाली दीदी ने मुझसे कहा..
मेरी रुपाली दीदी: एक काम करो सैंडी... तुम अपने दोस्त बिल्ललू ऑटो वाले को बुला लो...
मैं: क्या बिल्लू को बुलाना ठीक रहेगा दीदी...
मेरी रूपाली दीदी: हां सैंडी.... बिल्लू अच्छा लड़का है... वैसे भी बाइक पर जाना ठीक नहीं रहेगा... ऑटो में ही ठीक है... तुम उसे फोन करके जल्दी बुला लो..
मैं: ठीक है दीदी...
मैंने बिल्लू को फोन किया... 10 मिनट के अंदर ही वह अपना ऑटो लेकर हमारे घर के सामने खड़ा था... मैं और मेरी प्रियंका दीदी उसके ऑटो की पिछली सीट पर जाकर बैठ गए...
ऑटो अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ी... मैंने बिल्लू को सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली का रास्ता बता दिया था पहले ही....
बिल्लू को इस बात पर तो हैरानी नहीं थी कि हम सिक्युरिटी थाने के पीछे क्यों जा रहे हैं... क्योंकि उसे थोड़ा बहुत तो समझ में आ गया था कि कुछ सिक्युरिटी का चक्कर है... जिसमें हमारा परिवार फंसा हुआ है..
लेकिन उसे हैरानी इस बात पर थी कि मैं अपनी बहन को लेकर क्यों जा रहा हूं... वह भी इस रूप में... मेरी प्रियंका दीदी जबरदस्त माल लग रही थी... एकदम चिकनी चमेली की तरह.... बन ठन के... लाल रंग की लहंगा चोली... ऊपर से चुनरी डालकर.... चेहरे पर भरपूर मेकअप... कुल मिलाकर पटाखा लग रही थी मेरी बहन.... और बिल्लू की निगाहें अपने साइड मिरर में मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर ही टिकी हुई थी..
दिन में मेरी रूपाली दीदी के हुस्न का दीदार करने के बाद रात में वह अपनी ऑटो में मेरी प्रियंका दीदी का हुस्न का दीदार कर रहा था..
अपनी प्यासी निगाहों से वह मेरी प्रियंका दीदी को ऐसे देख रहा था जैसे कि कच्चा ही खा जाएगा... उसकी लूंगी मैं उसका शेषनाग नाचने लगा था... मुझे और मेरे प्रियंका दीदी दोनों को ही एहसास था बिल्लू की हालत का.... लेकिन मुझे अपने दोस्त पर भरपूर भरोसा था कि सुनसान सड़क होने के बावजूद भी वह हमारे साथ कोई गंदी हरकत नहीं करेगा..
कुछ ही देर में हम सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली के सामने पहुंच गए थे... मैं और मेरी प्रियंका दीदी ऑटो में से उतर कर खोली के सामने पहुंच गए... बिल्लू अपनी ऑटो में ही बैठा हुआ हमें देख रहा था.. मेरी रूपाली दीदी को देख रहा था... और अपने औजार मसल रहा था..
खोली का दरवाजा खुला तो सामने इंस्पेक्टर हरिलाल खड़े थे...
इंस्पेक्टर साहब की आंखें लाल-लाल दिख रही थी... उनकी सांसो की बदबू से ही समझ आ रहा था कि वह दारू के नशे में धुत है...
पहले तो उन्होंने मुझे पहचाना ही नहीं... फिर जब मैंने उनको बताया कि मैं कौन हूं तब मैंने पूछा..
इंस्पेक्टर हरिलाल: तेरी बहन कहां है?
मैं: सर... यह रही मेरी प्रियंका दीदी...
मैं सामने से हट गया... मेरी प्रियंका दीदी को देखकर हरिलाल भौचक्का रह गया...
इंस्पेक्टर साहब: अच्छा तो तुम हो प्रियंका.. तुम कत्ल करती हो लोगों का... आज तो तुम्हारा अच्छे से बयान लूंगा.
मेरी प्रियंका दीदी: नहीं सर... मैंने कोई कत्ल नहीं किया...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अच्छा.... अंदर आओ.... फिर पता चलेगा कि तुमने कत्ल किया है कि नहीं...
ऐसा बोलकर हरिलाल ने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच कर अपने सीने से सटा लिया... एक हाथ से उसने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक चूची को कसके मसल दिया..
मेरी दीदी सीसीआते हुए तड़पने लगी... मुझे हैरानी इस बात की हुई थी कि मेरी दीदी ने उनकी हरकत का कुछ खास विरोध नहीं किया था..
बल्कि मेरी दीदी इंस्पेक्टर साहब से चिपक गई थी...
इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरी बहन को अपनी खोली के अंदर ले लिया और मुझसे बोला..
इंस्पेक्टर साहब: तू यही बाहर दरवाजे पर ही इंतजार कर... मैं तेरी बहन को अपनी खोली में ले जा रहा हूं.. अंदर में अच्छे से इसका बयान लूंगा.. इसके बाद तू अपनी बहन को ले जाना और अपनी मम्मी को भी.. समझ गया ना... उस ऑटो वाले को भगा दे... वह देख रहा है...
मैं और मेरी दीदी जल्दी से अपने घर के अंदर घुस गए और दीदी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया... मेरे सामने ही चंदा भाभी खड़ी हुई रो रही थी.. उनकी गोद में मेरी रूपाली दीदी की बेटी मुन्नी थी.. उनके दोनों बच्चे भी वहीं पर खड़े रो रहे थे...
मैं: क्या हुआ भाभी... क्या बात है आप मुझे सच सच बताओ... मेरी मम्मी को सिक्युरिटी वाले लेकर क्यों गए हैं....
मेरी चंदा भाभी ने रोते रोते हुए हमें पूरा हाल सुना दिया... उनकी बातें सुनकर हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी... मेरी रूपाली दीदी को तो चक्कर आने लगे थे... दरअसल बात यह थी कि जैसा कि चंदा भाभी ने हमें बताया....
चंदा भाभी: किसी जुनैद नाम के गुंडे का मर्डर हो गया है...( रोते बिलखते हुए)... और वह इंस्पेक्टर साहब बोल रहे हैं कि मर्डर प्रियंका ने किया है... उनके पास इस बात का सबूत है... जब हम उनसे सबूत मांगे इस बात का तो उन्होंने मना कर दिया.... वह बोले हैं प्रियंका को सिक्युरिटी थाने में हाजिर होने के लिए... वह तो घर पर नहीं है ..पता नहीं कहां गई है... इसीलिए सिक्युरिटी मम्मी जी को उठाकर ले गई है... प्लीज देवर जी कुछ कीजिए... आप थाने में जाकर उन लोगों को बता दीजिए उनको कुछ गलतफहमी हुई है... हमारी मम्मी जी ना जाने किस हाल में होगी...
मेरी चंदा भाभी का रोना धोना चल ही रहा था... कि प्रियंका दीदी आ चुकी थी... उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी...
मेरी रूपाली दीदी ने अपने आपको ठीक किया... और मेरी प्रियंका दीदी कहां से पकड़ कर उनको अपने बेडरूम के अंदर ले गई...
मेरी रूपाली दीदी ने उनको पूरी बात बताई और पूछी...
मेरी रूपाली दीदी: क्या सच में तुम्हारा जुनैद के मर्डर से कोई लेना-देना है... तुम मुझे सच सच बता सकती हो..
मेरी प्रियंका दीदी: नहीं दीदी.... मैं भला मर्डर कैसे कर सकती हूं.. मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानती हूं...( आंखों में आंसू लिए हुए)...
मेरी रूपाली दीदी: हां मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है... तुम कभी इतना गलत काम नहीं कर सकती..
मेरी प्रियंका दीदी के आंसुओं को देखकर रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... और उनको समझाने लगी.... आगे के प्लान के बारे में..
प्लान कुछ खास नहीं था... दरअसल मुझे सिक्युरिटी थाने जाना था.. और वहां पर जाकर सिक्युरिटी इंस्पेक्टर के आगे रोना गिड़गिड़ाना था... ताकि वह मेरी मम्मी को आजाद कर दे... अगर कुछ ले देकर मामला निपट सकता है सौदेबाजी करके मुझे इस मुसीबत से अपने परिवार को निकालना है... मेरी रूपाली दीदी ने मुझे अच्छी तरह समझा दिया था जाने से पहले..
सिक्युरिटी थाने के अंदर घुसने से पहले मेरे हाथ पैर ढीले पड़ चुके थे...
जब मैं अंदर गया तो मैंने देखा वहां पर चार-पांच सिक्युरिटी कॉन्स्टेबल अपनी अपनी मेज पर बैठे हुए काम कर रहे थे... मेरी मम्मी लॉक अप के अंदर अपने सर पर हाथ रख कर बैठी हुई थी... उनकी यह दशा देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए..
इंस्पेक्टर साहब कहां पर है: मैंने एक हवलदार से पूछा..
उसने मुझे इंस्पेक्टर साहब के केबिन का रास्ता दिखा दिया...
मैं: क्या मैं अंदर आ सकता हूं इंस्पेक्टर साहब...
इंस्पेक्टर साहब: कौन है तू( बड़ी रोबदार आवाज में)..
मैं: जी सर.. मेरा नाम सैंडी है... आपने मेरी मम्मी को हवालात में बंद कर दिया है... किस जुर्म में...
मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे बड़ी गौर से देखा और अंदर आने का इशारा किया... उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया मैं उनके सामने बैठ गया..
इंस्पेक्टर साहब: सैंडी देख.... मुझे अच्छी तरह पता है तेरी मम्मी निर्दोष है.... लेकिन मेरे पास पुख्ता सबूत है कि तेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मर्डर में शामिल है... अगर तू अपनी बहन को थाने में हाजिर कर देगा तो मैं तेरी मम्मी को जाने दूंगा...
मैं( थरथर कांपते हुए): कैसा सबूत इंस्पेक्टर साहब?
इंस्पेक्टर साहब: सुन बे बहन के लोड़े म*****....( गंदी गाली)... मेरे सामने ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है... मेरा नाम इंस्पेक्टर हरिलाल है.... बड़े-बड़े मुजरिमों को मैंने अपने डं तुझे सबूत देखना है ना बहन चोद... यह देख सबूत...
ऐसा बोलकर इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरे सामने मृतक जुनैद का मोबाइल फोन निकाल लिया और उसमें तस्वीरें वीडियो और व्हाट्सएप चैट दिखाने लगा जो उसने मेरी प्रियंका दीदी के साथ की थी... फिर उसने वह वीडियो भी खोल कर रख दी थी मेरी आंखों के सामने जिसमें असलम और जुनैद दोनों मिलकर मेरी दोनों बहनों को...अपने फार्म हाउस पर रात भर ठोका था...
कल के मर्डर वाले दिन में भी मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के साथ उसके फार्म हाउस पर थी.. इस बात का पुख्ता सबूत मेरी दीदी के मोबाइल लोकेशन और जुनैद के मोबाइल लोकेशन से निकालकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे दिखा दिया था.... जाहिर था कि पिछले 24 घंटे में इस केस को सॉल्व करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी... सारे सबूत मेरी आंखों के सामने थे और मेरी पेंट गीली हो रही थी...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मेरे पास तो तेरी रूपाली दीदी के खिलाफ भी पूरे सबूत लेकिन उसने पक्के नहीं जितनी तेरी प्रियंका दीदी के लिए... वीडियो ऑडियो और व्हाट्सएप चैट से साफ पता चल रहा है कि तुम्हारी दोनों बहनों के संबंध मृतक गुंडे जुनेद के साथ थे...
मेरे पास अब कोई ज्यादा चारा नहीं बचा था... मैं रोने लगा रोते-रोते इंस्पेक्टर साहब के पैरों में गिर पड़ा और उनके पैरों को पकड़ लिया...
मैं (रोते हुए): इंस्पेक्टर साहब हमारे ऊपर दया कीजिए.... अगर यह सब बात लोगों को पता चली तो हम लोग मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे कहीं पर भी.... आप जो कुछ भी कहोगे जो कुछ भी मांगोगे वह मैं देने के लिए तैयार हूं... लेकिन कृपा करके इस केस से हम लोगों को आजाद कर दीजिए.... मैं अपनी मां की कसम खा कर बता सकता हूं कि मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी किसी का भी मर्डर नहीं कर सकती है... अगर कुछ ले देकर आप हमारे केस का मामला उठा सकते हैं तो मैं वह भी करने के लिए तैयार हूं...
मुझे बुरी तरह से रोते हुए और बिलखते हुए देखकर इंस्पेक्टर हरिलाल को मेरे ऊपर दया आ गई थी.. उन्होंने मुझे अपने कदमों से उठाया..
इंस्पेक्टर साहब: देखो सैंडी... तुम बहुत अच्छे लड़के हो... जहां तक मैंने पता किया है तुम्हारा परिवार भी बहुत संस्कारी और बेदाग है... मैंने तुम्हारे पड़ोसियों से पता किया था ...तुम्हारी दोनों बहनों का चरित्र भी इतना बुरा नहीं है... कि जुनेद जैसे इंसान के चक्कर में फंसे... आखिर क्या बात है... मैं एक ईमानदार सिक्युरिटी ऑफिसर हूं... मेरे पास जितने भी केस आए हैं मैंने सब को उसके सही अंजाम तक पहुंचाया है... अगर तुम मुझे सब कुछ सच-सच बता दोगे तो मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी मदद जरूर करूंगा...
इंस्पेक्टर साहब की बातें सुनकर मुझे कुछ ढाढस का एहसास हुआ... मुझे सच में लगने लगा था कि इंस्पेक्टर साहब कोई ईमानदार व्यक्ति है जो मेरी मजबूरी को समझ रहे हैं..
इंस्पेक्टर हरिलाल की बातों में आकर मैंने पूरी कहानी उनको बता दी संक्षेप में... किस तरह से जुनेद और असलम ने मुझे और मेरी रुपाली दीदी को बंधक बनाकर जंगल में मेरी दीदी के साथ बलात्कार किया था.. और फिर उसी का फायदा उठाकर मेरी प्रियंका दीदी को भी अपने जाल में फंसाया... फिर मेरी दोनों बहनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर मेरे सामने ही..... मैंने सब कुछ सच-सच बता दिया था लेकिन संक्षेप में...
इंस्पेक्टर हरिलाल मेरी तरफ अजीब नजरों से देख रहे थे...
वह बोले: कैसा भाई है तू... तुझे तो अपनी बहन की रक्षा करनी चाहिए थी... तू तो खुद ही उनके सामने अपनी बहनों को परोसने ले गया..
उनकी बातें सुनकर मेरी आंखें शर्म से झुक गई...
इंस्पेक्टर हरिलाल: सुनो मेरी बात.... केस तो दर्ज हो चुका है... तेरी प्रियंका दीदी को थाने में आकर अपना बयान तो देना ही होगा... वरना 302 का मुकदमा लगेगा... मैंने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया... मुझे लगा की औरत है उसका बयान लेना भी ठीक रहेगा...
मैं: लेकिन इंस्पेक्टर साहब क्या मेरी प्रियंका दीदी को इस थाने में लाना ठीक रहेगा... इतने सारे लोग हैं यहां पर क्या इज्जत रह जाएगी हम की.
हरिलाल: तू ही कह रहा है ... तू अपनी बहन को यहां पर मत लाना... थाने के पीछे मेरी खोली है... तुम रात को 9:00 बजे अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आ जाना... मैं वहीं पर तुम्हारी दीदी का बयान ले लूंगा..
मैं: ठीक है इंस्पेक्टर साहब... मैं अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आप की खोली में आऊंगा... फिर वही पर आप मेरी बहन का बयान दर्ज कर लेना.. मेरी मम्मी को तो जाने दो..
हरिलाल: नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... तुम्हारा क्या भरोसा... यहां से जाने के बाद तुम अपनी बहन को लेकर गायब हो गए तो मैं क्या करूंगा... तुम्हारी मम्मी अभी हवालात में ही रहेगी... जब तुम्हारी प्रियंका दीदी मेरी खोली में आएगी... और अच्छे से बयान देगी... तब तुम अपनी मम्मी को घर ले जा पाओगे...
इंस्पेक्टर हरिलाल की बात मुझे ठीक ही लगी थी... मुझे उनके ऊपर भरोसा होने लगा था... कुछ-कुछ उनकी रोबदार पर्सनालिटी और उनकी मूछों का असर था.. मैंने इंस्पेक्टर साहब से वादा कर दिया कि मैं अपनी प्रियंका दीदी को रात 10:00 बजे उनकी खोली में लेकर आऊंगा... उनकी खोली सिक्युरिटी थाने के पीछे थी..
सिक्युरिटी थाने से लौटते हुए मेरे मन में थोड़ी बहुत राहत थी.... दरअसल जुनैद के मरने की बात सुनकर मैं भीतर ही भीतर थोड़ा बहुत खुश भी था.. वह इंसान जिसने असलम के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था और फिर मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी दोनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर उनके साथ संभोग किया था रात भर.. मुझे और मेरे जीजू को जलील किया था... उस इंसान के मरने से मुझे खुशी थी... ऊपर से इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे भरोसा दिया था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा... अगर मैं अपनी बहन को उनकी खोली में बयान देने ले जाऊंगा...
जब मैं अपने घर पर आया तब तक शाम के तकरीबन 7:00 बज चुके थे... मेरी रूपाली दीदी, प्रियंका दीदी और चंदा भाभी सभी चिंता की मुद्रा में हॉल में ही बैठे हुए थे...
तीनों मुझे देखते ही भागते हुए आए और पूछने लगे क्या हुआ थाने में... मेरी मम्मी को क्यों नहीं लेकर आया हूं मैं... चंदा भाभी तो दहाड़े मार-मार कर रो रही थी... मेरी प्रियंक दीदी उनको ढाढस बना रही थी..
इसी बीच मेरी रूपाली दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम के अंदर ले गई.. और मुझसे पूछने लगी...
जो कुछ भी मेरे और इंस्पेक्टर हरिलाल के बीच में बातचीत हुई थी मैंने वह सब कुछ सच-सच बता दिया मेरी रूपाली दीदी को...
मेरी बात सुनकर रुपाली दीदी गहरी सोच के मुद्रा में चली गई थी... उनके माथे पर शिकन थी... कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन्होंने मुझे कहा: तुम जाओ और थोड़ी देर आराम कर लो... मैं प्रियंका से बात कर लेती हूं...
मैं अपने कमरे में जाकर अपने बिस्तर के ऊपर लेट गया... और सोचने लगा... अब आगे क्या होने वाला है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था... पर मुझे मेरी रूपाली दीदी की चतुराई पर पूरा भरोसा था.. मुझे भरोसा था कि मेरी दीदी कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेगी इस मुसीबत से निकलने के लिए... सोचते सोचते ही मेरी आंख लग गई...
सपने में ढोलू मेरी रूपाली दीदी को प्यार कर रहा था... उनके साथ सेक्स कर रहा था... जो आज दिन में उसने किया था... सब कुछ मेरी आंखों के सामने... वही सब नजारा मुझे सपने में भी दिखाई देने लगा था..
यह सच है यह सपना मैं फर्क नहीं कर पा रहा था...
तकरीबन 9:00 बजे मेरी रूपाली दीदी ने मुझे नींद से जगाया.. और बोली... जल्दी से कुछ खा लो..
मैं: ठीक है दीदी..
मैं खाना खा रहा था और मेरे सामने ही मेरी रूपाली दीदी , प्रियंका दीदी और चंदा भाभी के बीच में कुछ मंत्रना चल रही थी... रूपाली दीदी मेरी प्रियंका दीदी को कुछ समझा रही थी और चंदा भाभी सब कुछ सुन रही थी... घर के सारे बच्चे सो गए थे...
खाना खाने के बाद मेरी रुपाली दीदी ने मुझसे कहा..
मेरी रुपाली दीदी: एक काम करो सैंडी... तुम अपने दोस्त बिल्ललू ऑटो वाले को बुला लो...
मैं: क्या बिल्लू को बुलाना ठीक रहेगा दीदी...
मेरी रूपाली दीदी: हां सैंडी.... बिल्लू अच्छा लड़का है... वैसे भी बाइक पर जाना ठीक नहीं रहेगा... ऑटो में ही ठीक है... तुम उसे फोन करके जल्दी बुला लो..
मैं: ठीक है दीदी...
मैंने बिल्लू को फोन किया... 10 मिनट के अंदर ही वह अपना ऑटो लेकर हमारे घर के सामने खड़ा था... मैं और मेरी प्रियंका दीदी उसके ऑटो की पिछली सीट पर जाकर बैठ गए...
ऑटो अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ी... मैंने बिल्लू को सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली का रास्ता बता दिया था पहले ही....
बिल्लू को इस बात पर तो हैरानी नहीं थी कि हम सिक्युरिटी थाने के पीछे क्यों जा रहे हैं... क्योंकि उसे थोड़ा बहुत तो समझ में आ गया था कि कुछ सिक्युरिटी का चक्कर है... जिसमें हमारा परिवार फंसा हुआ है..
लेकिन उसे हैरानी इस बात पर थी कि मैं अपनी बहन को लेकर क्यों जा रहा हूं... वह भी इस रूप में... मेरी प्रियंका दीदी जबरदस्त माल लग रही थी... एकदम चिकनी चमेली की तरह.... बन ठन के... लाल रंग की लहंगा चोली... ऊपर से चुनरी डालकर.... चेहरे पर भरपूर मेकअप... कुल मिलाकर पटाखा लग रही थी मेरी बहन.... और बिल्लू की निगाहें अपने साइड मिरर में मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर ही टिकी हुई थी..
दिन में मेरी रूपाली दीदी के हुस्न का दीदार करने के बाद रात में वह अपनी ऑटो में मेरी प्रियंका दीदी का हुस्न का दीदार कर रहा था..
अपनी प्यासी निगाहों से वह मेरी प्रियंका दीदी को ऐसे देख रहा था जैसे कि कच्चा ही खा जाएगा... उसकी लूंगी मैं उसका शेषनाग नाचने लगा था... मुझे और मेरे प्रियंका दीदी दोनों को ही एहसास था बिल्लू की हालत का.... लेकिन मुझे अपने दोस्त पर भरपूर भरोसा था कि सुनसान सड़क होने के बावजूद भी वह हमारे साथ कोई गंदी हरकत नहीं करेगा..
कुछ ही देर में हम सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली के सामने पहुंच गए थे... मैं और मेरी प्रियंका दीदी ऑटो में से उतर कर खोली के सामने पहुंच गए... बिल्लू अपनी ऑटो में ही बैठा हुआ हमें देख रहा था.. मेरी रूपाली दीदी को देख रहा था... और अपने औजार मसल रहा था..
खोली का दरवाजा खुला तो सामने इंस्पेक्टर हरिलाल खड़े थे...
इंस्पेक्टर साहब की आंखें लाल-लाल दिख रही थी... उनकी सांसो की बदबू से ही समझ आ रहा था कि वह दारू के नशे में धुत है...
पहले तो उन्होंने मुझे पहचाना ही नहीं... फिर जब मैंने उनको बताया कि मैं कौन हूं तब मैंने पूछा..
इंस्पेक्टर हरिलाल: तेरी बहन कहां है?
मैं: सर... यह रही मेरी प्रियंका दीदी...
मैं सामने से हट गया... मेरी प्रियंका दीदी को देखकर हरिलाल भौचक्का रह गया...
इंस्पेक्टर साहब: अच्छा तो तुम हो प्रियंका.. तुम कत्ल करती हो लोगों का... आज तो तुम्हारा अच्छे से बयान लूंगा.
मेरी प्रियंका दीदी: नहीं सर... मैंने कोई कत्ल नहीं किया...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अच्छा.... अंदर आओ.... फिर पता चलेगा कि तुमने कत्ल किया है कि नहीं...
ऐसा बोलकर हरिलाल ने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच कर अपने सीने से सटा लिया... एक हाथ से उसने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक चूची को कसके मसल दिया..
मेरी दीदी सीसीआते हुए तड़पने लगी... मुझे हैरानी इस बात की हुई थी कि मेरी दीदी ने उनकी हरकत का कुछ खास विरोध नहीं किया था..
बल्कि मेरी दीदी इंस्पेक्टर साहब से चिपक गई थी...
इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरी बहन को अपनी खोली के अंदर ले लिया और मुझसे बोला..
इंस्पेक्टर साहब: तू यही बाहर दरवाजे पर ही इंतजार कर... मैं तेरी बहन को अपनी खोली में ले जा रहा हूं.. अंदर में अच्छे से इसका बयान लूंगा.. इसके बाद तू अपनी बहन को ले जाना और अपनी मम्मी को भी.. समझ गया ना... उस ऑटो वाले को भगा दे... वह देख रहा है...