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Adultery Exbii_पुराणी कहानियों का संग्रह
#19
मेरा नाम आशा है मेरा छोटा भाई दसवी मैं पढ़ता है वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है मैं इस समय १९ की हूँ और वह १५ का मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं दिल करता है कि बस चबा लूं पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी माँ को एक हफ़्ते बाद आना था रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।

करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अमित के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी

अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था

मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, “अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोलीअभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।

जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।
अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।
और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती।

अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, “चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोलादेखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।

अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा।दीदी मुझे शर्म आती है।साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहाला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ

अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?

और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब इँच का लम्बा और १५ इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं देख अब तेरा खड़ा हो गया है तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ

मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, “बस दीदीऔर उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया



// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: Exbii_पुराणी कहानियों का संग्रह - by suneeellpandit - 16-10-2021, 03:18 PM



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