16-10-2021, 03:15 PM
घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए शेखर ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर प्रगति ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। शेखर को निर्वस्त्र कर उसने उसके लिंग को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।
अब शेखर ने उसे नंगा किया और एक बार फिर दोनों आलिंगन बद्ध हो गए। इस बार शेखर का लिंग प्रगति की नाभि को टटोल रहा था। प्रगति ने अपने पंजों पर खड़े हो कर किसी तरह लिंग को अपनी योनि की तरफ किया और अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं। शेखर का लिंग अब प्रगति की चूत के दरवाज़े पर था और प्रगति उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देख रही थी। शेखर ने एक ऊपर की तरफ धक्का लगाया और उसका लंड चूत में थोड़ा सा चला गया।
अब उसने प्रगति को चूतड़ से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और प्रगति ने अपने हाथ शेखर की गर्दन के इर्द-गिर्द कर लिए तथा उसकी टांगें उसकी कमर से लिपट गईं। अब वह अधर थी और शेखर खड़ा हो कर उसे अपने लंड पर उतारने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी देर में लंड पूरा प्रगति की चूत में घुस गया या यों कहिये कि चूत उसके लंड पर पूरी उतर गई।
प्रगति ने ऊपर नीचे हो कर अपने आप को चुदवाना शुरू किया। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसा आसन उसने पहली बार ग्रहण किया था। कुछ देर के बाद शेखर ने बिना लंड बाहर निकाले प्रगति को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसको जोर जोर से चोदने लगा। हालाँकि शेखर आज प्रगति की गांड मारने के इरादे से आया था पर काम और क्रोध पर किसका जोर चलता है !!
शेखर २-३ मिनटों में ही बेहाल हो गया और उसकी पिचकारी प्रगति की योनि में छूट गई। शेखर की यही एक कमजोरी थी कि पहली बार उसका काम बहुत जल्दी तमाम हो जाता था। पर दूसरी और तीसरी बार जब वह सम्भोग करता था तो काफी देर तक डटा रह सकता था।
उसने लंड बाहर निकाला और प्रगति को माथे पर पुच्ची करके बाथरूम चला गया। अपना लंड धो कर वह वापस आ गया। प्रगति जब कुछ देर के लिए बाथरूम गई तो शेखर ने एक गोली खा ली। शाम के ६ बज रहे थे। अभी भी उसके पास करीब २ घंटे थे। जब प्रगति वापस आई तो शेखर ने उससे पूछा कि वह कितनी देर और रुक सकती है।
प्रगति ने भी अपने पति से देर से आने की बात कह दी थी सो उसे भी कोई जल्दी नहीं थी। तो शेखर ने सोचा की शायद आज ही उसकी बरसों की मनोकामना पूरी हो जायेगी। उसने प्रगति से पूछा वह उस से कितना प्यार करती है।
प्रगति ने कहा- इम्तिहान ले कर देख लो !!
शेखर ने कहा- कितना दर्द सह सकती हो?
प्रगति ने कहा- जब औरत बच्चे को जन्म दे सकती है तो बाकी दर्द की क्या बात !!
यह सुन कर शेखर खुश हो गया और प्रगति को बिस्तर पर उल्टा लेटने के लिए बोला। प्रगति एक अच्छी लड़की की तरह झट से उलटा लेट गई। शेखर ने उसके पेट के नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया जिस से उसकी गांड ऊपर की ओर और उठ गई।
शेखर ने अपने बैग से तेल की शीशी, जेली का ट्यूब, छोटा तौलिया और "बलराम" को निकाला और पास की मेज़ पर रख दिया। प्रगति का मुँह तकिये में छुपा था और शायद उसकी आँखें बंद थीं। वह जानती थी कि क्या होने वाला है और वह शेखर की खातिर कोई भी दर्द सहने के लिए तैयार थी।
शेखर ने नारियल के तेल से प्रगति के चूतड़ों की मालिश शुरू की। प्रगति की मांस पेशियाँ जो कसी हुईं थीं उन्हें धीरे धीरे ढीला किया और उसके बदन से टेंशन दूर करने लगा। उसके हाथ कई बार उसकी चूत के इर्द गिर्द और उसके अन्दर भी आने जाने लगे थे। प्रगति को आराम भी मिल रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
अभी बाकि है...
अब शेखर ने उसे नंगा किया और एक बार फिर दोनों आलिंगन बद्ध हो गए। इस बार शेखर का लिंग प्रगति की नाभि को टटोल रहा था। प्रगति ने अपने पंजों पर खड़े हो कर किसी तरह लिंग को अपनी योनि की तरफ किया और अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं। शेखर का लिंग अब प्रगति की चूत के दरवाज़े पर था और प्रगति उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देख रही थी। शेखर ने एक ऊपर की तरफ धक्का लगाया और उसका लंड चूत में थोड़ा सा चला गया।
अब उसने प्रगति को चूतड़ से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और प्रगति ने अपने हाथ शेखर की गर्दन के इर्द-गिर्द कर लिए तथा उसकी टांगें उसकी कमर से लिपट गईं। अब वह अधर थी और शेखर खड़ा हो कर उसे अपने लंड पर उतारने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी देर में लंड पूरा प्रगति की चूत में घुस गया या यों कहिये कि चूत उसके लंड पर पूरी उतर गई।
प्रगति ने ऊपर नीचे हो कर अपने आप को चुदवाना शुरू किया। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसा आसन उसने पहली बार ग्रहण किया था। कुछ देर के बाद शेखर ने बिना लंड बाहर निकाले प्रगति को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसको जोर जोर से चोदने लगा। हालाँकि शेखर आज प्रगति की गांड मारने के इरादे से आया था पर काम और क्रोध पर किसका जोर चलता है !!
शेखर २-३ मिनटों में ही बेहाल हो गया और उसकी पिचकारी प्रगति की योनि में छूट गई। शेखर की यही एक कमजोरी थी कि पहली बार उसका काम बहुत जल्दी तमाम हो जाता था। पर दूसरी और तीसरी बार जब वह सम्भोग करता था तो काफी देर तक डटा रह सकता था।
उसने लंड बाहर निकाला और प्रगति को माथे पर पुच्ची करके बाथरूम चला गया। अपना लंड धो कर वह वापस आ गया। प्रगति जब कुछ देर के लिए बाथरूम गई तो शेखर ने एक गोली खा ली। शाम के ६ बज रहे थे। अभी भी उसके पास करीब २ घंटे थे। जब प्रगति वापस आई तो शेखर ने उससे पूछा कि वह कितनी देर और रुक सकती है।
प्रगति ने भी अपने पति से देर से आने की बात कह दी थी सो उसे भी कोई जल्दी नहीं थी। तो शेखर ने सोचा की शायद आज ही उसकी बरसों की मनोकामना पूरी हो जायेगी। उसने प्रगति से पूछा वह उस से कितना प्यार करती है।
प्रगति ने कहा- इम्तिहान ले कर देख लो !!
शेखर ने कहा- कितना दर्द सह सकती हो?
प्रगति ने कहा- जब औरत बच्चे को जन्म दे सकती है तो बाकी दर्द की क्या बात !!
यह सुन कर शेखर खुश हो गया और प्रगति को बिस्तर पर उल्टा लेटने के लिए बोला। प्रगति एक अच्छी लड़की की तरह झट से उलटा लेट गई। शेखर ने उसके पेट के नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया जिस से उसकी गांड ऊपर की ओर और उठ गई।
शेखर ने अपने बैग से तेल की शीशी, जेली का ट्यूब, छोटा तौलिया और "बलराम" को निकाला और पास की मेज़ पर रख दिया। प्रगति का मुँह तकिये में छुपा था और शायद उसकी आँखें बंद थीं। वह जानती थी कि क्या होने वाला है और वह शेखर की खातिर कोई भी दर्द सहने के लिए तैयार थी।
शेखर ने नारियल के तेल से प्रगति के चूतड़ों की मालिश शुरू की। प्रगति की मांस पेशियाँ जो कसी हुईं थीं उन्हें धीरे धीरे ढीला किया और उसके बदन से टेंशन दूर करने लगा। उसके हाथ कई बार उसकी चूत के इर्द गिर्द और उसके अन्दर भी आने जाने लगे थे। प्रगति को आराम भी मिल रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
अभी बाकि है...
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!