16-10-2021, 03:09 PM
ये है किस्सा
[b]प्रगति एक ३५ साल की शादी शुदा महिला है जिसका पति, मुरली, सिक्युरिटी में कांस्टेबल है। प्रगति एक सुन्दर औरत है जो दिखने में एक २०-२२ साल की लड़की की तरह दिखती है। ५' २" ऊंचा कद, छोटे स्तन, गठीला सुडौल शरीर, रसीले होंट, काले लम्बे बाल ओर मोहक मुस्कान। उनके एक बेटा था जो १३ साल की उम्र में भगवन को प्यारा हो गया था। इस हादसे से प्रगति को बहुत आघात लगा था। इसके बाद बहुत कोशिशों के बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था।[/b]
[b] मुरली एक शराबी कबाबी किस्म का आदमी था जो की पत्नी को सिर्फ एक सेक्स का खिलौना समझता था। उसकी आवाज़ में कर्कशता और व्यवहार में रूखापन था। वोह रोज़ ऑफिस से आने के बाद अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता था। सिक्युरिटी में होने के कारण उसका मोहल्ले में बहुत दबदबा था। उसको शराब और ब्लू फिल्म का शौक था जो उसे अपने पड़ोस में ही मुफ्त मिल जाते थे।[/b]
[b] रोज़ वोह शराब पी के घर आता और ब्लू फिल्म लगा कर देखता। फिर खाना खा कर अपनी पत्नी से सम्भोग करता। यह उसकी रोज़ की दिन चर्या थी।[/b]
[b] बेचारी प्रगति का काम सिर्फ सीधे या उल्टे लेट जाना होता था। मुरली बिना किसी भूमिका के उसके साथ सम्भोग करता जो कई बार प्रगति को बलात्कार जैसा लगता था। उसकी कोई इच्छा पूर्ति नहीं होती थी ना ही उस से कुछ पूछा जाता था। वह अपने पति से बहुत तंग आ चुकी थी पर एक भारतीय नारी की तरह अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। पहले कम से कम उसके पास अपना बेटा था पर उसके जाने के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई थी। उसका पति उसका बिलकुल ध्यान नहीं रखता था। सम्भोग भी क्रूरता के साथ करता था। न कोई प्यारी बातें ना ही कोई प्यार का इज़हार। बस सीधा अपना लिंग प्रगति की योनि में घुसा देना। प्रगति की योनि ज्यादातर सूखी ही होती थी और उसे इस तरह के सम्भोग से बहुत दर्द होता था। पर कुछ कह नहीं पाती थी क्योंकि पति घर में और भी बड़ा थानेदार होता था। इस पताड़ना से प्रगति को महीने में पांच दिन की छुट्टी मिलती थी जब मासिक धर्म के कारण मुरली कुछ नहीं कर पाता था। मुरली की एक बात अच्छी थी की वो सिक्युरिटीवाला होने के बावजूद भी पराई औरत या वेश्या के पास नहीं जाता था।[/b]
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!