16-10-2021, 03:06 PM
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]राजेन्द्र-"[/b]गाय को पाल खिलाने का मतलब होता है गाय को सांढ़ से चोदवाना[/b]...[/b]अब समझे कुछ। असल में गाय को हम मैया कहते है[/b], [/b]सो कोई कैसे कहेगा कि गाय को चोदाने जाना है[/b], [/b]सो सब यही कहता है कि गाय को खिलाने जाना है।[/b]"
[/b]मैं[/b]-"[/b]क्यों साफ़[/b]-[/b]साफ़ कहने से क्या हो जाएगा[/b], [/b]गाय दूध नहीं देगी। ऐसा कोडवर्ड बोल रहे थे कि जैसे बहुत बड़ी बात हो। हमारे किताब में तो सेक्स पर चैपटर है।[/b]"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]अरे आप अजीब बोल रहे हैं। आप कह सकते हैं कि मालकिन रोज चुदाती है मालिक से। अपने माँ के लिए आप ऐसे नहीं बोलेंगे न[/b], [/b]जबकि सच यही है।[/b]"
[/b]मैं[/b]-"[/b]यह सच कैसे है[/b]? [/b]मम्मी ऐसा क्यों करेगी[/b]? [/b]बेटा[/b]-[/b]बेटी सब तो उनको है हीं।[/b]"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]मजा के लिए आपकी मम्मी चुदाएगी बऊआ जी। लड़का[/b]-[/b]लड़की दोनों को चुदाई के खेल में मजा आता है। इसीलिए जब तक संभव होता है दोनों यह खेल खेलते रहते हैं। मालकिन तो ऐसे भी माल है[/b], [/b]रोज अगर आप भी उनकी पैन्ट सुंघिएगा जैसे हम सुंघते हैं और आपको भी थोड़ा अनुभव हो तो आपको पता चल जाएगा कि किस रात को वो चोदवायी है।[/b]"[/b]
[b][b][b][b] मुझे अपनी मम्मी के बारे में यह सब सुन कर अजीब से सुर्सुरी महसूस हुई, [/b]कुछ नया सा लगा[/b], [/b]मजेदार। मैं चाह रहा था कि ऐसे हीं बात राजेन्द्र करता रहे। मैं राजेन्द्र से बात को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से फ़िर कहा।[/b]
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]मैं-"[/b]अच्छा राजेन्द्र मुझे भी सिखाओगे कि कैसे पैन्टी सूँघ कर पता चलेगा कि कब मम्मी यह सब की है[/b]?"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]जरुर सिखाएँगे बऊआ जी[/b], [/b]पर आप किसी को यह सब बात नहीं बताईएगा। अब एक बार फ़िर से पूछिए ठीक से[/b], [/b]जो आपको सीखना है।[/b]"[/b]
[b][b][b][b] मैं-"[/b]यही कि मम्मी की पैन्टी सुंघ कर कैसे पता चलेगा कि वो किस दिन यह की है[/b]"[/b]।[/b]
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]राजेन्द्र-""[/b]की है[/b]" [/b]का क्या मतलब हुआ[/b], [/b]साफ़ कहिए कि "[/b]चोदाई है[/b]"[/b]। बोलिए साफ़[/b]-[/b]साफ़[/b], [/b]यहाँ कौन सुन रहा है। सही से बोलिएगा नहीं तो सीखिएगा कैसे[/b]?"[/b]
मैं-"यही कि मम्मी की पैन्टी सुंघ कर कैसे पता चलेगा कि वो किस दिन यह की है"।
राजेन्द्र-""की है" का क्या मतलब हुआ, साफ़ कहिए कि "चोदाई है"। बोलिए साफ़-साफ़, यहाँ कौन सुन रहा है। सही से बोलिएगा नहीं तो सीखिएगा कैसे?"
मैं एक अजीब से नशे की हालत में जा रहा था उस दिन यह सब सुन कर, सो जैसा राजेन्द्र ने बोला मैंने कह दिया और उसके बाद अपने मुँह से ऐसा कहने के बाद मेरा लौंड़ा कड़ा होने लगा।
मैं-"बताओ न राजेन्द्र, कैसे पता चलेगा कि मम्मी कब चुदावाई है?"
राजेन्द्र-"यह हुआ न कुछ मर्दों वाली बात...। असल में औरत के बूर का पानी किसिम-किसिम का होता है। सो जब आपको सब तरह के पानी का गंध का पता चल जाएगा तब अपने समझ में आने लगेगा कि कब वो चोदाई है। आपको तो कल सुँघ कर भी कोई गंध नहीं मिला। अब से रोज सब से नजर बचा के मेरे पास आईएगा, रोज सुंघिएगा मालकिन और दीदी जी की पैन्ट...अपने धीरे-धीरे सब बुझाने लगेगा। दो-तीन दिन में हीं समझ में आ जाएगा कि कुमारी लड़की का बूर और चोदाने वाली का बूर कैसे अलग-अलग महकता है। अभी चल रहे हैं न देखिएगा कैसे पहले साँढ़ इस बछिया को सुँघेगा और कैसे सुँघते-सुंघते उसका लन्ड ठनकेगा। ऐसे हीं जब आप भी पैन्ट के जरिए जवान औरत का गंध का मजा लीजिएगा तो आपका भी ठनकेगा, उसके बाद मूठ मारिएगा तब बहुत मजा आएगा।"
मै-"अच्छा राजेन्द्र, यह "मूठ मारना" क्या है? बहुत लोग बोलता है, पर समझ में नहीं आता है।"
राजेन्द्र-"मुठ मारने का मतलब, अपना हाथ से अपना ठनकल लन्ड को घस्के या हिला के झाड़ना, जिससे की उसमें से वह रस निकले जिससे बच्चा पैदा किया जाता है। यह रस चाहे जैसे निकले बहुत मजा आता है निकलते समय। यही रस को मर्द एक औरत के पेट में गिराता है तो औरत को बच्चा होता है। अभी देखिएगा साँढ़ को कैसे अपनी इस बाछी को चोदेगा और तन उसका रस बछिया के पेट में गिरेगा।"
[/b]मैं[/b]-"[/b]क्यों साफ़[/b]-[/b]साफ़ कहने से क्या हो जाएगा[/b], [/b]गाय दूध नहीं देगी। ऐसा कोडवर्ड बोल रहे थे कि जैसे बहुत बड़ी बात हो। हमारे किताब में तो सेक्स पर चैपटर है।[/b]"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]अरे आप अजीब बोल रहे हैं। आप कह सकते हैं कि मालकिन रोज चुदाती है मालिक से। अपने माँ के लिए आप ऐसे नहीं बोलेंगे न[/b], [/b]जबकि सच यही है।[/b]"
[/b]मैं[/b]-"[/b]यह सच कैसे है[/b]? [/b]मम्मी ऐसा क्यों करेगी[/b]? [/b]बेटा[/b]-[/b]बेटी सब तो उनको है हीं।[/b]"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]मजा के लिए आपकी मम्मी चुदाएगी बऊआ जी। लड़का[/b]-[/b]लड़की दोनों को चुदाई के खेल में मजा आता है। इसीलिए जब तक संभव होता है दोनों यह खेल खेलते रहते हैं। मालकिन तो ऐसे भी माल है[/b], [/b]रोज अगर आप भी उनकी पैन्ट सुंघिएगा जैसे हम सुंघते हैं और आपको भी थोड़ा अनुभव हो तो आपको पता चल जाएगा कि किस रात को वो चोदवायी है।[/b]"[/b]
[b][b][b][b] मुझे अपनी मम्मी के बारे में यह सब सुन कर अजीब से सुर्सुरी महसूस हुई, [/b]कुछ नया सा लगा[/b], [/b]मजेदार। मैं चाह रहा था कि ऐसे हीं बात राजेन्द्र करता रहे। मैं राजेन्द्र से बात को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से फ़िर कहा।[/b]
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]मैं-"[/b]अच्छा राजेन्द्र मुझे भी सिखाओगे कि कैसे पैन्टी सूँघ कर पता चलेगा कि कब मम्मी यह सब की है[/b]?"
[/b]राजेन्द्र[/b]-"[/b]जरुर सिखाएँगे बऊआ जी[/b], [/b]पर आप किसी को यह सब बात नहीं बताईएगा। अब एक बार फ़िर से पूछिए ठीक से[/b], [/b]जो आपको सीखना है।[/b]"[/b]
[b][b][b][b] मैं-"[/b]यही कि मम्मी की पैन्टी सुंघ कर कैसे पता चलेगा कि वो किस दिन यह की है[/b]"[/b]।[/b]
[b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b][b]राजेन्द्र-""[/b]की है[/b]" [/b]का क्या मतलब हुआ[/b], [/b]साफ़ कहिए कि "[/b]चोदाई है[/b]"[/b]। बोलिए साफ़[/b]-[/b]साफ़[/b], [/b]यहाँ कौन सुन रहा है। सही से बोलिएगा नहीं तो सीखिएगा कैसे[/b]?"[/b]
मैं-"यही कि मम्मी की पैन्टी सुंघ कर कैसे पता चलेगा कि वो किस दिन यह की है"।
राजेन्द्र-""की है" का क्या मतलब हुआ, साफ़ कहिए कि "चोदाई है"। बोलिए साफ़-साफ़, यहाँ कौन सुन रहा है। सही से बोलिएगा नहीं तो सीखिएगा कैसे?"
मैं एक अजीब से नशे की हालत में जा रहा था उस दिन यह सब सुन कर, सो जैसा राजेन्द्र ने बोला मैंने कह दिया और उसके बाद अपने मुँह से ऐसा कहने के बाद मेरा लौंड़ा कड़ा होने लगा।
मैं-"बताओ न राजेन्द्र, कैसे पता चलेगा कि मम्मी कब चुदावाई है?"
राजेन्द्र-"यह हुआ न कुछ मर्दों वाली बात...। असल में औरत के बूर का पानी किसिम-किसिम का होता है। सो जब आपको सब तरह के पानी का गंध का पता चल जाएगा तब अपने समझ में आने लगेगा कि कब वो चोदाई है। आपको तो कल सुँघ कर भी कोई गंध नहीं मिला। अब से रोज सब से नजर बचा के मेरे पास आईएगा, रोज सुंघिएगा मालकिन और दीदी जी की पैन्ट...अपने धीरे-धीरे सब बुझाने लगेगा। दो-तीन दिन में हीं समझ में आ जाएगा कि कुमारी लड़की का बूर और चोदाने वाली का बूर कैसे अलग-अलग महकता है। अभी चल रहे हैं न देखिएगा कैसे पहले साँढ़ इस बछिया को सुँघेगा और कैसे सुँघते-सुंघते उसका लन्ड ठनकेगा। ऐसे हीं जब आप भी पैन्ट के जरिए जवान औरत का गंध का मजा लीजिएगा तो आपका भी ठनकेगा, उसके बाद मूठ मारिएगा तब बहुत मजा आएगा।"
मै-"अच्छा राजेन्द्र, यह "मूठ मारना" क्या है? बहुत लोग बोलता है, पर समझ में नहीं आता है।"
राजेन्द्र-"मुठ मारने का मतलब, अपना हाथ से अपना ठनकल लन्ड को घस्के या हिला के झाड़ना, जिससे की उसमें से वह रस निकले जिससे बच्चा पैदा किया जाता है। यह रस चाहे जैसे निकले बहुत मजा आता है निकलते समय। यही रस को मर्द एक औरत के पेट में गिराता है तो औरत को बच्चा होता है। अभी देखिएगा साँढ़ को कैसे अपनी इस बाछी को चोदेगा और तन उसका रस बछिया के पेट में गिरेगा।"
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!