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Adultery Exbii_पुराणी कहानियों का संग्रह
#3
अब आप सब मुझे बताएँ कि मैं शुरुआत कहाँ से करूँ। सुनिता दीदी के साथ जो सेक्स हुआ वहाँ से, या सुनिता दीदी को चोरी छूपे सेक्स करते जब देखा तब से, या जब से मुझे सेक्स, लडकी उसकी चूत आदि में दिलचस्पी हुई तब से। यही तो वो दिलचस्पी थी जिसने मुझे अपनी बहनों की तरफ़ आकर्षित किया और फ़िर धीरे-धीरे हम सब आपस में सेक्स करने लगे।



ठीक है फ़िर शुरुआत से हीं बात करते हैं। मैं तब १५ पूरा कर चुका था। हम सब लोग, अपने गाँव गए हुए थे एक छुट्टी में। वहाँ हमारे घर पर एक नौकर था, राजेन्द्र। वो २२-२३ साल का बांका जवान था। एक तरह से वह हमारे गाँववाले घर का केयर टेकर था और हमारी दो गायों की देखभाल उसके जिम्मे था मूल रूप से। हम जब जाते तो दोपहर में वह आता और सब के कपड़े धो कर चला जाता। वह तब हमारे घर हीं नहाता-खाता था। दोपहर में मुझे गणित के प्रश्न हल करने का जिम्मा मिला था कॉलेज से। सब दोपहर में खा कर आराम करते और मैं दोपहर में खाना खा कर डायनिंग टेबूल पर हीं पढ़ाई करता था और सामने के बाथरूम में राजेन्द्र कपड़े धोता था। ऐसे हीं एक दिन मैंने देखा कि राजेन्द्र ने मम्मी और सुनिता दीदी की पैन्टी एक तरफ़ रख दी और बाकी कपड़े बाल्टी में डाल दिए। मुझे लगा कि वो शायद इन दोनों की पैन्टी नहीं धोएगा, सो मैंने उसे टोका।



उसने मुझे इशारा किया फ़िर पास कर धीरे से बोला, "उसको भी धो देंगे पर जरा उसमें के खुश्बू का मजा पहले ले लेंगे तब।"



मै-"खुश्बू....कैसी?



राजेन्द्र-"आप अभी बच्चे हैं...थोड़ा और रुकिए सब समझ में आने लगेगा।"
फ़िर उस दिन बात खत्म हो गई।




ये कहानी अगले दो-तीन दिन मैं देखा। उसके द्वारा मुझे बच्चा कहा जाना तब नागवार गुजरा था सो एक दिन फ़िर जब वो दोनों पैन्टी को अलग रखा तो मैं वहाँ पहुँचा और मम्मी के पैन्टी को सुँघा। मुझे कुछ नहीं समझ आया, तो मैं बोला, "इसमें कहाँ कोई खुश्बू है?"



राजेन्द्र-"पहले जा कर देख आईए कोई इधर तो नहीं जाएगा? फ़िर आपको बताते हैं कि कैसी खुश्बू है इसमें।"



मैं एक चक्कर देख आया, सब बिस्तर पर लेटे अलसाई नींद जैसी हालत में थे, गर्मी की दोपहर थी। कोई जल्दी आने वाला नहीं था। मैं भी जरा उत्सुक था सो जल्द ही वापस आया और बोला कि अब बताओ कि तुम किस खुश्बू की बात करते हो।



राजेन्द्र-"ये मालकिन की पैन्ट में देखिए यहाँ" (वो चूत वाली जगह को बता रहा था) इसकी खुश्बू नाक से कम लन्ड से ज्यादा लिया जाता है।"



मैं पहली बार लन्ड सुना इस तरीके से, वैसे ऐसे शब्दों से परिचित था। मुझे ठीक से समझ नहीं आया सो मैं अकचकाया सा खड़ा था। राजेन्द्र मेरी परेशानी समझ गया। वो खड़ा हो गया और फ़िर पैन्टी को अपने पौजामे के उपर से हीं लन्ड पर घुमाने लगा। जल्द हीं उसका लन्ड खड़ा हो गया।





राजेन्द्र-"देखे कैसे इसकी खुश्बू से यह दिखने लगा। अब समझ में आया कुछ।"
वो अब मुझे सुनिता दीदी की पैन्टी दिया और कहा कि अब आप कीजिए वैसे फ़िर आपको पता चल जायेगा।




मैंने भी वैसे ही किया तो सच में मेरा भी मचल उठा और कपड़े के ऊपर से साफ़ साफ़ दिखने लगा।

मै-"ठीक है, पर इससे क्या? ऐसा दूसरा कपड़ा से नहीं होगा क्या?"
राजेन्द्र-"होगा, पर जवान औरत के इस कपड़े का कोई जोड़ नहीं है। यह हमेशा औरत की बूर के पास रहता है।"




मैं-"अच्छा राजेन्द्र, इससे फ़ायदा क्या?"



राजेन्द्र-"आप मूठ नहीं मारते? अब तो आपको मूठ मारना चाहिए जिससे आपको भी चुदाई जैसा मजा मिलेगा।"



मैं-"वो कैसा मजा है?" 



राजेन्द्र-"एक बार मिल जाए तो मर्द हमेशा उसी चक्कर में रहता है, नशा जैसा। इस मालकिन और दीदी के पैन्ट से हम मूठ मारते हैं, फ़िर साफ़ कर देते हैं।

मैं-"मम्मी की तो ठीक है, पर दीदी की क्यों, वो तो अभी औरत नहीं बनी है, लड़की है?"



मुझे पता था कि शादी-शुदा "औरत" होती है और बिन शादी के "लड़की"

राजेन्द्र-"अरे दीदी जी तो माल हैं"





मैंने पहले भी यह शब्द सुना था, कॉलेज में सिनियर लड़कों के मुँह से, पर थोड़ा कन्फ़्युज्ड था।



मैं-"राजेन्द्र, यह माल क्या होता है?"



राजेन्द्र-"आप बहुत भोंदू हैं। हम समझ रहे थे कि शहर में रह कर आप सब सीख गये होंगे। घर पर इतनी सारी चूत है आपके। माल कहते हैं जवान लड़की को। दीदी जवान हैं सो माल हैं और संगीता और सविता अभी माल नहीं बनी है। - साल में संगीता भी माल बन जाएगी।"


मैं-"अच्छा, कैसे पता चलेगा कि कोई लड़की माल है कि नहीं?"
राजेन्द्र-"अरे बहुत आसान है, लड़की चूची देखिए। अगर उठी दिखे तो वो माल है। अगर पतली हैं, या चूची ज्यादा नहीं दिखे तो उसकी काँख देखिए। जवान लड़की के काँख में बाल दिखेगा।"




मैं-"ठीक कह रहे हो राजेन्द्र, दीदी की चूची भी उठी हुई दिखते है और उनके काँख में बाल भी है, मैंने देखा है कई बार।





राजेन्द्र-"आप लोग तो बड़े शहर में रहते हैं, नहीं तो हर साल भादो में कुतिया के पीछे घुम-घुम कर कुत्ते लोग सब सीखा देता है हर एक को। आप कल मेरे साथ चलिएगा सुबह, नईकी बछिया को पाल खिलाने जाना है। कई दिन से बहुत गंभाती है। वहाँ सब देख कर समझ में जाएगा। अब जाईए, हम बाथरूम बंद करके पहले दीदी वाली से मूठ मारँगा पहले फ़िर नहाऊँगा।"



मैं-"मुझे भी दिखाओ प्लीज कैसे करते हो यह सब..."



राजेन्द्र-"अरे कल आपको सीधा चुदाई दिखाएँगे, आप किसी को कुछ कहिएगा नहीं इस पैन्ट वाली बात के बारे में नहीं तो फ़िर आपको कुछ नहीं बताएँगे।"



मैं मन मसोस कर रह गया। फ़िर खुश भी था, आज बहुत सी नई बात सीखी थी। सोचा आज नहीं तो कल राजेन्द्र से मूठ मारना सीख कर मैं भी जवानी का मजा लुँगा। तुब मुझे जवान बनने की बहुत जल्दी थी। हर एक किशोर को होती है।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: Exbii_पुराणी कहानियों का संग्रह - by suneeellpandit - 16-10-2021, 03:04 PM



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