14-10-2021, 05:13 PM
(06-03-2019, 04:02 AM)neerathemall Wrote: "तुम तो ना .. बहुत ही स्मार्ट हो , सागर !" ऐसा कहकर संगीता दीदी हंसने लगी .
"हंसती क्यों हो , दीदी ! अगर सचमुच हमें खंडाला जैसी रोमांटिक जगह का आनंद लेना हैं तो हमें भूलना पड़ेगा कि हम दोनों भाई -बहन हैं . वैसे भी हममें दोस्ती का नाता ज्यादा हैं तो फिर यहाँ हम दोस्तों जैसे ही रहेंगे . तुम्हें क्या लगता हैं , दीदी ?"
"हा ! हा ! हा !." संगीता दीदी अभी भी हंस रही थी और हँसते हँसते उसने जवाब दिया , "हाँ . माय डियर फ्रेंड ! अगर तुम कह रहे हो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं अपना असली नाता भूल जाने में . वैसे भी मैं तुम्हें नाम से ही पुकारती हूँ . सिर्फ तुम्हें मुझे 'दीदी' कि बजाय 'संगीता' कहना पड़ेगा . लेकिन मुझे उससे कोई ऐतराज नहीं हैं ." संगीता दीदी ने मेरे इस सुझाव का विरोध नहीं किया यह देखकर मेरी जान में जान आयी और मैं खुश हो गया .
"wow!. कितना अच्छा , नहीं ?. हम दोनों .. दोस्त !." संगीता दीदी ने उत्तेजित होकर कहा , "वैसे भी कोई लड़का मेरा दोस्त नहीं था . ये भी इच्छा मैं पूरी कर लेती हूँ अभी . हैं , सागर .. सचमुच हमारी जोड़ी अच्छी लगेगी ? या तुम मेरे साथ मजाक कर रहे हो ?"
"मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ , दीदी !" मैंने उसे समझाते हुए कहा , "उलटा तुम अगर इस साड़ी कि बजाय सूट पहनोगी तो कोई बोलेगा भी नहीं कि तुम्हारी शादी हो गयी हैं . हम दोनों प्रेमी जोड़ी लगेंगे अगर हम हाथ में हाथ लेकर घूमेंगे तो ."
"तुम्हारी कल्पना तो अच्छी हैं , सागर . लेकिन इसका क्या ??" संगीता दीदी ने अपना मंगलसूत्र मुझे दिखाते हुए कहा , "इसे देखने के बाद तो कोई भी समझ लेगा कि मेरी शादी हो गयी हैं ."
"हाँ ! तुम सही कह रही हो , दीदी ! लेकिन उससे क्या फर्क पड़ता हैं ? हम दोनों शादीशुदा हैं ऐसा ही सबको लगेगा ना . अब हम दोनों शादीशुदा जोड़ी लगे या प्रेमी जोड़ी लगे ये तुम तय कर लो , दीदी !"
"अच्छा ! अच्छा ! सागर . चल ! अब हम तैयार होते हैं बाहर जाने के लिए ." ऐसा कहकर संगीता दीदी उठ गयी और बाथरूम में गयी .
फ्रेश होकर वो बाहर आई और फिर मैं बाथरूम में गया . बाथरूम में आने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकलकर सटासट मूठ मार ली और कमोड के अंदर मेरा माल गिराया . सुबह जब मैंने संगीता दीदी को साड़ी में देखा था तब मैं काफी उत्तेजित हो गया था . तब से मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी लेकिन सफर की वजह से मैं मूठ नहीं मार सका . बाद में संगीता दीदी के साथ जैसे जैसे मेरा समय कट रहा था वैसे वैसे मैं ज्यादा ही उत्तेजित होता गया . और थोड़ी देर पहले मेरी उसके साथ जो प्यारी बातचीत हुई थी उसने तो मेरी कामभावना और भी भड़का दी थी . इसलिए बाथरूम में आने के बाद मूठ मारने का मौका मैंने छोड़ा नहीं . फिर फ्रेश होकर मैं बाहर आया .
अब आगे ..............................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.