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Romance मोहब्बत का सफ़र
#4
सुन्दर ऐसा शब्द है जो किसी भी पुरुष की मर्दानगी को चुनौती दे सकता है। और वैसे भी लिंग जैसे अंग के लिए ‘सुन्दर’ एक अनुचित शब्द लगता है। लेकिन जब यह शब्द कोई सुन्दर सी लड़की बोलती है, तो अच्छा लगता है। अपने लिंग की बधाई सुन कर जाहिर सी बात है, कि मुझे अच्छा लगा। 

“यह अभी तक यह एक लण्ड (परिपक्व लिंग) नहीं बना है, लेकिन है बहुत सुंदर!”

“तुमको कैसे मालूम कि ये लण्ड नहीं बना?” मैं रचना की बात से आहत हो गया था, इसलिए मैंने विरोध करना शुरू कर दिया।

लेकिन उसने बीच में मुझे टोकते हुए कहा, “अमर, मैंने अपने डैडी को... कई बार देखा है। जब वो रात में मेरी मम्मी को चोदते हैं - मेरा मतलब, मम्मी से प्यार करते है, तो कभी-कभी पानी पीने के लिए रसोई में नंगे ही आ जाते हैं। उनको नहीं मालूम, लेकिन मैंने उनको नंगा देखा है। मैंने उन्हें मम्मी की चुदाई करते देखा है। इसलिए मैं मुझे लगता है कि मैं दोनों को कम्पेयर कर सकती हूँ। तुम्हारा साइज़ डैडी के साइज़ का लगभग आधा है। लम्बाई में भी, और मोटाई में भी। डैडी का लण्ड बड़ा और ... बदसूरत भी! तुम्हारा छुन्नू छोटा और सुंदर है!”

रचना ने पूरी ईमानदारी से अपनी बात रखी। बात तो ठीक थी - मेरा शरीर अभी भी लड़कों जैसा ही था। पुरुषों का शरीर बढ़ जाता है और भर जाता है। तो ठीक है - मेरा भी वैसे ही हो जायेगा। 

“थैंक यू!” मैंने कहा। 

“मैं ... मैं इसको छू लूँ?”

“क्या?” मुझे समझा नहीं कि रचना क्या छूना चाहती है।

“तुम्हारी छुन्नी”

“ओके! लेकिन, यह साफ नहीं है।”

माँ ने मुझे अपनी छुन्नी की अच्छी देखभाल करना सिखाया था। उन्होंने मुझे पेशाब करने का ‘सही तरीका’ सिखाया था और मुझे यह भी समझाया था कि उसके बाद इसे साफ करना चाहिए। लेकिन जब मैं कॉलेज में होता हूँ, तब इस सलाह पर अमल करना संभव नहीं है। और चूँकि लड़के तो लड़के होते हैं - वे हमेशा वह नहीं करते जो उनकी माँ उन्हें करने के लिए कहती हैं।

“कोई बात नहीं!”

रचना ने कहा और फिर उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया। उसने इस बार पूरी तरह से उसकी जाँच की - उसने मेरे अंडकोष को भी पकड़ रखा था, और लिंग के साथ साथ उसकी भी नाप तौल कर रही थी। मैंने उसे सावधान रहने के लिए कहा, क्योंकि अधिक दबाने से वो मुझे चोट पहुँचा सकती थी। उसने बहुत सावधानी से, बड़ी कोमलता से मेरे नाज़ुक अंगों की पड़ताल करी। मुझे खुद भी उसकी उँगलियों की छुवन बहुत अच्छी लग रही थी! उसने मेरे लिंग की पुष्टता और दृढ़ता का परीक्षण करने के लिए हल्के से दबाया, और फिर जैसे संतुष्ट हो कर, उसने मेरे लिंग के सिरे को पकड़ कर हल्का सा हिलाया और कहा, 

“बहुत सुन्दर है! और मुझे पसंद भी है।”

“हम्म?”

“ये, लल्लूराम!” इस बार उसने मेरे लिंग के सिरे को को अपनी तर्जनी और अंगूठे के बीच लिया, और उसे थोड़ा सा हिलाया, और कहा, “मुझे तुम्हारी छुन्नी पसंद है।”

“मुझे तंग मत करो।” मैंने विरोध किया।

“अरे! कहाँ तंग कर रही हूँ! सच में अमर, तुम नंगे हो कर इतने सुंदर लगते हो, मुझे तो पता ही नहीं था।”

मैं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान आश्चर्यजनक तरीके से उत्साहित हो रहा था। मुझे मालूम नहीं है कि वह यौन उत्तेजना थी या केवल रचना के सामने नग्न होने का रोमांच। लेकिन उस वक्त मेरे लिंग में काफी खून प्रवाहित हो रहा था। परिणामस्वरुप, मेरा लिंग झटके खाने लगा। रचना ने यह देखा,

“अरे देखो तो!” वह मुस्कुराई, “ये भी खुश है अपनी बढ़ाई सुन कर!”

रचना ने फिर से मेरे लिंग को फिर से अपने हाथ में पूरी तरह से पकड़ लिया और अपने हाथ को पीछे की तरफ थोड़ा सा खिसकाया। ऐसा करने से मेरा शिश्नमुण्ड थोड़ा दिखने लगा। मेरे लिंग का स्तम्भन बहुत मजबूत नहीं था; बच्चों में होने वाले स्तम्भनों से थोड़ा अधिक ही होगा - बस। उसको एक ‘क्यूट इरेक्शन’ कहा जा सकता है। उधर रचना पूरे उत्साह के साथ आज हाथ आए हुए लिंग का पूरा मुआयना कर लेना चाहती थी। उसने एक बार फिर से अपने हाथ को पीछे की तरफ धक्का दिया। इस बार लिंग मुण्ड पूरी तरह से उजागर हो गया। उसने हो सकता है कि पहली बार किसी लिंग को इतने करीब से देखा हो, लेकिन यहां तक कि मैंने ख़ुद भी पहली बार अपने इस अंग की बनावट पर इतने करीब से ध्यान दिया - उसका रंग वैसा था जैसे किसी गोरी चमड़ी पर बैंगनी-गुलाबी रंग मिला दिया गया हो! एक दिलचस्प रंग! और भी एक नई बात महसूस हुई - इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुझे पहली बार नितांत नग्नता महसूस हुई। यह पूरा अनुभव ही अलग था - बिलकुल अनूठा। लिंग मुण्ड के पीछे कुछ मैल जैसा जमा हुआ था। रचना ने मुझे वो दिखाया और कहा कि नहाते समय मैं स्किन को ऐसे ही पीछे कर के उसको साफ़ कर लिया करूँ। उसकी बात का कोई जवाब देते बन नहीं रहा था। रचना एक दोस्त थी, एक सहपाठी थी, और संभव है कि वो मुझे कॉलेज में सभी की हँसी का पात्र भी बना सकती थी। लेकिन फिर भी, न जाने क्यों, मुझे उसके साथ सुरक्षित महसूस हो रहा था करती थी। 

“मम्म…” रचना प्यार से मुस्कुराई, “यह बहुत प्यारा है! समझे बुद्धूराम?”

मेरी तन्द्रा टूटी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ! रचना ने जितना मन चाहा, मेरे लिंग की अच्छी तरह से छानबीन करी और फिर अंत में उसको छोड़ दिया। वह यह देख कर थोड़ी निराश तो ज़रूर थी कि उसका आकार अभी उतना नहीं बढ़ पा रहा था, जितना कि उसके पिता का होता था, वो इस बात को ले कर बहुत खुश भी थी कि आज उसने वो काम किया है, जिसको समाज द्वारा निषिद्ध माना जाता था। मैं अभी तक कुछ भी करने, कुछ भी कहने की अवस्था में नहीं आ पाया था - माँ या डैड के सामने नंगा होना, और रचना के सामने नंगा होना मेरे लिए बिलकुल अलग बात थी। 

रचना ने मुझे मुस्कुराते हुए, अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा। मेरे दिल की धमक और साँसों की धौंकनी अभी तक चल रही थी। उसको समझ आ गया कि मुझ बुद्धू से कुछ नहीं होने वाला है, और जो भी करना है उसको ही करना है। रचना ने आगे जो, किया वह मेरे लिए बिलकुल अविश्वसनीय था। अपने वादे के मुताबिक उसने अपनी फ्रॉक का हेम पकड़ा, और उसको उठाते हुए, अपने सर से हो कर अपने शरीर से उतार लिया। अगर माँ इस समय मेरे कमरे में आ जातीं, तो हमारे साथ न जाने क्या करतीं। खैर, मैंने देखा कि उसने अपने फ्रॉक के नीचे एक सफेद रंग की शमीज़ और एक होज़री वाली चड्ढी पहन रखी थी। उसने अपना फ्रॉक कुर्सी पर टांग दिया, और हंसती हुई उसने अपनी फ़्रॉक की ही तरह अपनी शमीज़ को भी उतार दिया। अब रचना मेरे सामने लगभग नंगी खड़ी थी। मेरे सामने जो नज़ारा था, उसका ठीक से बयान करना मुश्किल है। आज पहली बार मैंने माँ के अलावा किसी और के स्तन देखे थे! साहित्य में सुन्दर स्त्रियों के स्तनों को अक्सर ही ‘चक्रवाक पक्षियों’ के जोड़े की उपमा दी जाती है। माँ के स्तनों को  ‘चक्रवाक पक्षियों’ का जोड़ा कहा जा सकता है, लेकिन रचना के स्तन उनके जैसे नहीं थे। सबसे पहली बात, मेरे आंकलन के विपरीत, रचना के स्तन, माँ के स्तनों से छोटे थे। माँ के स्तन गोलाकार थे, लेकिन रचना के स्तन शंक्वाकार थे। उसकी त्वचा बिलकुल साफ़ थी, बिना किसी दाग़ के। उसके चूचक मटर के दाने जितने बड़े थे और उनके गिर्द एरिओला का आकार एक रुपये के नए सिक्के से अधिक नहीं था। रचना गोरी तो थी ही, लिहाज़ा, उसके चूचक और एरिओला की रंगत गहरे नारंगी रंग लिए हुए थी - लगभग ‘एम्बर’ रंग जैसी। रचना मेरे सामने नंगी खड़ी हुई थी और मुझे अपने स्तनों को बहुत करीब से देखने दे रही थी। मुझे यह सोच कर बहुत आश्चर्य हुआ कि इतने सुंदर अंग उसके लिए इतने असुविधाजनक कैसे हो सकते हैं! यह लगभग अविश्वसनीय बात थी! सच कहूँ तो अपनी नग्नता में रचना बिलकुल परी जैसी लग रही थी... बेहद खूबसूरत!

उसकी दिव्य सुंदरता को देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया! मैंने नर्वस हो कर अपने होंठ चाट लिए। मैंने महसूस किया कि मैं अपने खुद के नंगेपन की वजह से नहीं, बल्कि रचना के नंगेपन के कारण घबराया हुआ था। आत्मविश्वास से लबरेज़ सुंदरता का किसी मेरे जैसे निरीह मनुष्य पर ऐसा प्रभाव पड़ सकता है। वह बहुत खूबसूरत लग रही थी! मैं उठा और उसके करीब आ गया : इतना करीब कि वह मेरी सांसों को अपने चूचक पर महसूस कर सकती थी। मेरे हाथ काँप रहे थे, और मेरी साँसें हांफती हुई सी आ रही थी। रचना अपना ‘अंग प्रदर्शन’ बंद कर दे, उसके पहले मैं उसके चूचक को मुँह में ले लेने के लिए ललचा गया था। मैंने अपना सिर थोड़ा नीचे किया और अपने होंठों को उसके चूचक पर धीरे से फिराया।

“पी लो,” उसने फुसफुसाते हुए मुझसे कहा। 

‘हम्म्म’ तो रचना को कहीं जाने की कोई जल्दी नहीं थी। अब मैं थोड़ा आश्वस्त हो गया। रचना भी चाहती थी कि मैं उसके चूचकों को चूसूँ और पी लूँ। मैंने अपना मुंह खोला और उस एक चूचक को अपने होंठों में ले कर अपनी जीभ को उसके एरिओला के चारों ओर घुमाया। रचना को यह नहीं मालूम था कि मुझे स्तनों को चूसना और पीना अच्छी तरह से आता है। मैंने रचना के चूचक को अपने मुँह में भर कर चूसा, और जितना ही मैं उसको चूसता, वह उतना ही कड़ा होता जाता। वैसे मुझे मालूम था कि उसका चूचक ठीक इसी तरह से व्यवहार करेगा। माँ के चूचक भी ठीक इसी तरह व्यवहार करते थे। मैंने उसका स्तन पीते हुए उसके चेहरे की ओर देखा और पाया कि उसने अपनी आँखें बंद कर ली हैं। रचना ने कहा था कि लड़कियों में छुन्नी नहीं होता। मुझे उत्सुकता हुई और मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे उसकी जाँघों के बीच फिराया। जैसे ही मैंने अपनी उँगलियाँ उसके जाँघों के जोड़ पर फिराया, मुझे उसकी कही हुई बात पर यकीन हो गया। वाकई, रचना के पास पास लिंग नहीं था!

मेरे छूने का रचना पर एक नया प्रभाव पड़ा - वो मेरे कान में हलके से कराह उठी, तो मैंने अपना हाथ वहां से हटा लिया। वह मुस्कुराई और उसने जल्दी से अपनी चड्ढी भी नीचे सरका दी। मेरे सामने पूरी तरह से नंगी होने वाली पहली लड़की! उस क्षण से पहले मैं यही सोचता रहा था कि लड़के और लड़कियों में केवल स्तनों का ही फर्क होता है, लेकिन जो मैं देख रहा था, वो मेरे लिए बिलकुल नया था। हमारे शरीरों में इतनी समानता थी, लेकिन फिर भी बहुत सारी असमानता भी थी। हमारे बीच इतना अंतर देखकर मैं चकित रह गया था। उसकी कमर क्षेत्र की बनावट मेरे जैसी ही थी, लेकिन अलग भी थी।
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मोहब्बत का सफ़र - by avsji - 14-10-2021, 12:52 PM
RE: मोहब्बत का सफ़र - by avsji - 14-10-2021, 01:01 PM



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