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Adultery मायके का जायका
#57
माथुर ने जैसे ही अपनि बात खतम कि ऊधर बलवंत और दूसरा सिपाही जिसका लंड भाभी के बुर में था ,दोनो ने अपनी घुसेरने और निकालने कि रफतार तेज कर दी,बेचारी ऊषा भाभी कभी दामू के लंड को छुते हुए निकालने का प्रयास करती कभी हाथ बढा कर बलवंत का लंड हटाने कि कोशिश कर रही थि पर ऊन हरामजादों को तो बस अपनी परी थी।निचे वाले ने अपनी दोनों बांहो से उषा भाभी कि पिठ को कसकर जकर रखा था।भाभी अपनी गांड ईधर ऊधर नचा रही थी,बलवंत हरामी तो कभी कभी अपना पुरा लंड निकाल कर भाभी जबतक सांस भी ले पाती कि वह हरामी एक झटके से पुरा लंड उनकी गांड में ठोक देता।झटकों के तेजी से मुझे अंदाजा हो चुकी थी कि अब यह लोग स्खलित होने वाले हैं।और वही हुआ बलवंत एक जोर का झटका देकर भाभी कि पिठ पर ही लूढक गया निचे वाला भी अब लगभग नरम झटका हि दे रहा था।हमहूँ डाल देनी बलवंत भाई,कहकर ऊसने बलवंत को ऊठने का ईशारा किया,लेकिन दामू अभी भी अपना लंड भाभी के  मुंह में घुसेरे ऊनका शिर दाबे हुए था,बलवंत भाभी कि पिठ पर से उठता हुआ अपना लंड  जो अभी तक भाभी कि गांड में ही घुसा हुआ था खप से निकाला ,भाभी कि गांड विर्य और पसिने से भरी हुई थी।बलवंत उठकर अपनी लुंगी ठिक करते हुए दामू को गाली देते हुए बोला रे बहानचोद अपन भौजाई के मुंहे में माल डालवे का रे।छोर शाली के साफ सुथरा भी करवावे का।यह सुनकर दामू भी अपने हाथ को भाभी के सर पर से हटाते हुए अपना लौड़ा भाभी के मुंह से निकाल लिया,ऊनके होंठो से टपकती हुई विर्य कि बूंदे अपनी कहानी कह रही थी।भाभी मुंह के खुलते ही जोर जोर से सांसे ले रही थि और धीरे धीरे खरी हो रही थी।फिर अपने कपरों जो वही फर्श पर फेंकी हुई थी कि ओर बढी।दामू भी अपने पैन्ट के जिप को लगा कर एक तरफ खरा था।अब माथुर ने बलवंत से कहा जा ऊ ससूरी के भी ले आव आ पिछवाड़े चापाकल के पास ले जाके साफ करवा के ले आब त एहनी के कपरा लत्ता दिहल जाई।जा जल्दी कर। फिर मंगर नामके सिपाही को हमलोगों की बैग लाने के लिए बोला,मंगर दौर कर बैग ले आया,माथुर के इशारे पर ऊसने मेरी चूंची दबाते हुए कहा.रांड केया नाम बताई थी,जीईई मीरा मैंअपनी चूंचि को सहलाती हुई रुआंसी होते हुई बोली।ठीक त मीरा रानी बेग में से अपनी पाऊडर लिपस्टिक निकाल और यह ले अपन चोली घांघरा,ब्रा पैन्टी बाद में मिली।सीमा और मैने। जल्दी से लहंगा चोली पहन लि,
फिर ऊसने कहा अब बढिया से मुंहाथ पोंछ के पाऊडर लिपस्टिक लगा के तैयार हो जा,जैसे अपनी सुहागरात मनाने के लिए होती है,चाहे धंधा के लिए जाते वख्त शिंगार पटार करके जाती है,चल जल्दी कर।यह सुनकर मैं कभी सीमा को देखने लगी सीमा भि मेरी ओर सवालिया नजरों से देखने लगी,अभी हम दोनो कुछ समझते कि माथुर ने एक जोर का थप्पर सीमा के गांड पर मारता हुआ बोला, रंडि साली बुरचोदियों कह रहे हैं जल्दी जल्दी त एक दूसर के मुंह देख रही है।सीमा ऊफफ्आइइइ करते हुए झुकी और बैग से पाऊडर स्नो,और कई शैडो वाली लिपस्टिक का डब्बा बाहर निकाल करटेबुल पर रखी
और जब तक हम वहाँ पर रखे एक तौलिए से अपना मुंह पोंछ कर स्नो पाऊडर लगा रही थी,वह लिपस्टिक के डब्बे को घुमा फिरा कर देखता रहा।फिर हम दोनो के हाथ में दो अलग अलग शेड का लिपस्टिक थमा कर बोला चल ईसे लगा।मैं हाथ में ले कर देखी,मेरी वाली सूर्ख लाल और सीमा वाली मैरून रंग कि थी।खैर हम लोगों ने वही कि और अगल बगल खरी रह कर अगले आदेश के लिए ऊसके तरफ ताकने लगी।ऊषा भाभी और मामी अभी तक पिछवारे के चापाकल पर ही थी,और उनकी आह ओह और नहाने के समवेत स्वर से आ रही थी।यह तो हम दोनो समझ चुकी थी कि अब हमलोगों कि चुदाई तो होगी ही,पर वो लोग कौन है,कहीं जानने वाला न हो,ईस डर को यह सोच कर कभी कभी सांत्वना भी देती थि,कि घर से ईतनी दूर हमें कौन पहचानेगा।कामुक भावनाओं का भंवर भी काफी हलचल मचा रहे थे।आने वाले पल कि अनुभूति वैसी ही थी जैसी सुहागरात में पति के प्रतिक्षा में सुहागसेज पर हो रही थी।हालांकि न पति के साथ सुहागसेज पर मै कुंवारी थी और आज तक तो मैं चार पांच लंडो को अपनी चूत कि सैर करवा चुकी थी।माथुर ऊधर मंगर को हमारी स्नो पाउडर और दो अन्य शेड का लिपस्टिक ऊसके हांथो में देता हुआ ऊसके कानो में कुछ कहके पिछवारे कि ओर भेज दिया।ऊसके जाते ही माथुर ने पहले सिमा को अपनी ओर खींच कर ऊसके होंठो को चुमने,चुभलाने लगा,सीमा ऊससे बचने के लिए अपंने सिर को ईधर ऊधर करने लगि उइइआहहह का करितानी जी,ऊंहूहह,लेकिन माथुर हरामी ऊसके बालों को कसकर पकरे हुए अपनी मनमानी करता रहा ,मै यह सब देखकर कामुक भी होती जा रही थी और साथ ही एक अंजाने भय से दुबकी जा रही थी,तभी टेबल पर से ट्रिन ट्रिन कि आवाज आई,यह मोबाइल से आवाज आ रही थी।माथुर उसे कान से सटा बाते करने लगा,ऊधर कि आवाज तो नही पर माथुर कि आवाज सुन रही थी। बोल रहा था..हांहां समझ गया फिर ऊधर से कुछ कहा गया जिसके जबाब में माथुर बोला हां जी सब एही मे हो जाएगा,पुआले पर चादर बिछवा देते हैं...हां हां ए में त जादे मजा मिली... हां नयापन भी होगा। फिर ऊधर से कुछ कहा गया जि वहाँ तब सब कुछ खुले में होता है बाकी ठीक है आंई अब देर मत किजिये, कहकर ऊसने फोन निचे रख कर जोर से पुकारा ओए मंगरु।मंगरू पिछवारे से लगभग दौरता हुआ आया,ऊसे आया देख माथुर बोला का हो दूनो रांड तैयार हो गईल कि ना,तैयारे बा,ई बलवंत कू जानत नईखी, नहात रहे दुनो त कभी कोनो के गांर मे उंगरी कर देत रहे त दुसर के बुर में।अच्छा चल जल्दी से रूम में से ई चौकी हटा दे चाहे एक तरफ खरा कर दे और बाहरे से पुआल ला कर रूम में बिछा दे और ई चादय आ गद्दी ओहि पर बिछा दिहे।चल बाहर कौन कौन बा सबके कह जल्दी कर।ईतना कहकर वो मेरी और सीमा के तरफ देखता हुआ बोला,देखो वो लोग आ रहे हैं,जैसा कहें वैसी करना वरना समझ ले का होगा तुम लोगों कि,जेल गई कि समझ ले।हम दोनो सहमति हुई सिर हिलाकर रह गई।पांच सात मिनट में पुरे कमरे में पुआल बिछा कर ऊसपर गद्दी और चादर बिछा दि गई थी।फिर बलवंत को आवाज देकर ऊषा भाभी और ऊसकी मामी अंदर आई।दोनो सिर्फ़ सारी में थी,फिर भी उनके शरीर का हर अंग ट्रांसपैरेंट सारी से दिख रही थी, बरी बरी चूंचिया और पिछे ऊभरी हुई गांड,सच पुछिये तो ईस परिस्थिति में भी मुझे जलन होने लगी,फिर यह सोच कर कि ईध सब का यह धन्धा भी है,और उसके लिए यह जरुरी भी है।ईधर माथुर ऊषा भाभी के मामी को कह रहा था ,देख जैसे कह रहे हैं वैसी कर वरना और भी तरीका है मेरे पास।और कुछ नही त समाज में मुंह दिखाने लाएक नही रहेगी।ऊसकी बात सुन मामी उसी टेबुल पर पेट के बल झूक गई जीससे ऊनकी सिर दिवारके तरफ और गांड हम लोगो के तरफ हो गई।अब मामी ऊस कमरे में आने जाने वालों को देख नही सकती थी।ईतना कहके माथुर बाहर वाले रूम में जा कर रमेश भैया से कुछ बातें कर रहा था,उसके कहने के भाव से पता चल रहा था कि वह धमका भी रहा है और बात भी मनवा रहा है।फिर कुछ बाते हुइ और रमेश भैया ने स्वीकृति में सर हिलाने लगे।माथुर ऊनका बांह थपथपाते हुए बाहर बरामदे पर चला गया।कुछ ही पल में माथुर तीन मध्य आयू के व्यक्तियों के साथ आकर रमेश भैया के पास पहुंचा, और ऊनसे कुछ बातें की।मैं भितरी रूम में ऐसी जगह खरी थी कि जिससे बाहरी रूम के ऊस कोने को अच्छी तरह देख रही थी जहां रमेश भैया बैठे हुए थे।अब रमेश भैया ऊनके साथ भितर आ गए।तीनो किसी बरे घर के या व्यापारी वर्ग के लग रहे थे।दो ने साफ झकझक धोती और कुर्ता में थे और एक फुलपैंट और शर्ट में था तीनो समवय्सक सेपैंतालिस पचास के उमर का लग रहा था,हृष्टपुष्ट शरीर का था।डगमगाती चाल बता रहा था कि तीनो नशे में है।उनमें से एक धोती वाला जिसकी आंखे लाल थी ऊसने पहले कमरे में चारो तरफ नजर दौराई ,जैसे ही ऊसकी नजर टेबल पर पेट के बल लेटी हुई ऊषा भाभी कि मामी पर परी ,ऊसने माथुर से आंखो से कुछ ईशारा किया,अभी तक वे तीनो के मुंह से कोई आवाज नही निकली थी, मैं खामोशी से सब देख रही थी पर कुछ समझ नही पा रही थी।ईधर माथुर ने बलवंत को गर्दन हिलाकर संकेत दिया ,बलवंत जैसे ईसी ईंतजार में था,वह आगे बढा और ठिक मामी के सामने दिवार से लगकर खरा  हो गया और अपनी पैंट कि जिप खोल अपना लौरा जो अंदाजन छ से सात ईंच लम्बा और तकरीबन दो ईंच मोटा होगा अपने हाथ से पकर कर मामी कि होठों से सटा दिया,मामी अपने सिर को हिला कर नही लेने का कह रहीं थी पर बलवंत ने उनके बालों को पकर के एक झटका दिया,दर्द से जैसे ही मामी चिखने के लिए मुंह खोली कि बलवंत सटाक से अपना लंड मामी के मुंह में पेल दिया।मामी के मुंह से सिर्फ गुं गुंउउ कि आवाज निकल रही थी। अब ईधर ऊन तीनो की नजर हम दोनो सहेलियों और ऊषा भाभी पर आ टिकी।तीनो में से एक ने रमेश भैया को कहा ओए केया नाम बताया था तुने अपनी,जी रमेश, भैया ने जबाब दिया। तो रमेश तु ईन तीनो रंडियों का दल्ला है,रमेश भैया जीईई कर के रह गए।हालांकि वो ईंकार करना चाहते थे,मगर माथुर गुर्राती हुई आंखे देख चुप रह गए।तब जीसने रमेश भैया से नाम पुछा था उसी ने रमेश भैया से पुनः कहा त चल देखा कैसन कैसन माल बा,और कहाँ के बा।रमेश भैया पहले सीमा के पास पहूचे और  ऊसे बताने लगे यह सीमा है,रीश्ते में यह मेरी बहन लगती है और यह मीरा है ईसकी सहेली और फिर उषा भाभी की तरफ ईशारा कर कहा यह मेरी पत्नी है ऊषा नाम है।चल नाम त जान लेनी अब माल दिखा,भैया यह सुनके ऐसा बन गए जैसे ऊन्होने कुछ सुना ही नही होअरे  अपने से माल देखिए न माथुर बोला।जांई महंथ जी अपने के मुआयना कर लिहल जाव। जब एकनी के चोदहे के बा त का देंखी,पहले त ए खुलल गांड के देखी ,महंथ टेबुल के पास जाके ऊषा की मामी कि गांड पर से सारी को हटाता हुआ बोला।बलवंत का लंड तेजी से मामी कि मुंह में धक्का लगा रहा था जिस कारण मामी कि गांड आगे पिछे हो रही थी ,अब ऊसपर महंथ अपनी दोनो पंजो को रुखाई से चला रहा था,कभी मसल देता,कभी थपथपा देता।फिर ओ माथुर कि ओर देखता हुआ बोला,केया माथुर साहेब देखिए त बेचारी के मुंह में त केला खिला रहें ह और उतनी गोल गोल छेद,वह मामी के दोनोभागो को फैलाता हुआ बोला को तरसा रहे हैं।महंथ का ईशारा समझ माथुर ने रमेश भैया से कहा,जा जी ,समझ गईल ना महंथ जी का कहत हइं।रमेश भैया तो पहले झिझके,पर दूसरे ही पल अपने पैंट कि जिप खोलते हुए अपना लौरा निकाला,और मामी किगांड से सटा दिया,हालांकि मामी अपनी गांड कभी बांऊ कभी दांए कर रही थी पर एक तरफ महंथ के हाथों का दबाव और अब रमेश भैया का लंड जिसे मैंपहले पहल देख रही थी करीब सात आठ ईंची लम्बा और दो सवा दो ईंची मोटी होगी, मामी कि भूरि छेद से सट कर हमला करने को तैयार थी, मैं मामी के चेहरे पर नजर डालनी चाही तो उधर बलवंत का धक्का लगाता उसका कमर नजर आया, हां मामी की गुंगुआहट तेज हो गई थीं।अचानक बलवंत कोपिछे झूकते देखा साथ ही मामी के चिख भी,फार दिहलस रे माईईई।रमेश भैया अपना पुरा लौरा मामी कि गांड में ठोक डाला था,साथ ही एक हाथ से मामी कि कमर को टेबल पर दबाते हुए धक्के लगाना और तेज कर दिया था,वो पुरा लंड निकालते और फिर जोरों का धक्का।महंथ जो मामी कि चिख सुनि तो अपने चेहरे पर आश्चर्य का भाव प्रगट करते हुए बलवंत से कहा अरे ई आवाज त जानल पहचालन लागता,हो बलवंत जी जरी ई गांरचोदी के चेहरा त दिखा भाई।लगता कोई आपन पुरान जानपहचान के हई।और झूकते हुए वो मामी का चेहरा देखने झूका हि था कि मामी अपनी सारी ताकत लगा कर टेबुल से उठना चाही पर आगे से बलवंत औ्र गांर में लंड डाले रमेश भैया उसे कसकर दबोचे हुए घचाघच्चचचच अपना अपना लौरा पेले जा रहे थे।ऊधर महथ मामी का चेहरा देखते जोर से चिल्लाया ,अरे बहानचोद ई त गरमरौनी हमार चाचीए बानी। फिर वो रमेश भैया से बोला रे जल्दी सेआपन पानी गीरा भाई,हम जात रही तोहार बहिनिया बिबि के चोदे,तु त हमार चाचीए के गांर फार दिहल।कौनो बात नईखे।ईतना कहके वह पुआल पर बिछाए गद्दी पर आकर बैठ गया।ऊसके बैठते हीऊसके साथ आए पैंटशर्ट वाले व्यक्ति ने बाहर जाकर एक झोला ऊठा लाया,और उसमें से दो भरी हुई बोतल एक भूने मांश से भरी हुइ कागज का ठोंगा और प्लास्टिक के गँलास निकाल कर रखा।ओ माथुर जी जरा पानी मंगवाईए और आईए पहले थोरा मूड बना लिहल जाए,बाकी ई रउआ ठीक ना कईनी ,हमार चाचीए के गांड फरवा देहनी ,कहकर ठठा कर हंस परा।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 10-10-2021, 04:33 PM



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