Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.6 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
बारात आने का वक़्त हो गया था। ज्योति सज कर दुल्हन बन कर एक जगह बैठी हुई थी और लोग आ आकर उससे मिल रहे थे और गिफ्ट देने और फोटो खीचने का दौर चल रहा था। पूनम भी तैयार हो गयी थी। वो लहंगा चोली पहनी थी जो कुछ दिन पहले ही ली थी वो। पुरे मेकअप के बाद बहुत ही क्यूट लग रही थी पूनम। बहुत लोगों के दिलों पे छुरियां चलने वाली थी आज। चोली डिजाइनर थी। बैकलेस और स्लीवलेस। चोली पीठ और गर्दन पे डोरी से बंधी हुई थी, और इसके साथ एक ट्रांसपेरेंट दुपट्टा। पूनम का सपाट गोरा पेट चमकता हुआ सबकी निगाहों को अपनी नाभि पे रोक ले रहा था। चुच्ची की पूरी गोलाई चोली में कैद थी और कुछ भी कहीं से दिख नहीं रहा था। ब्रा का कप चोली में ही लगा हुआ था तो चुच्ची पूरी तरह से टाइट होकर पैक थी चोली में। लेकिन देखने वाले तो कहीं से भी कुछ देख लेते हैं और लण्ड का पानी कुर्बान कर देते हैं। कितने लड़के तो सिर्फ उसकी पीठ को देखकर अपने लंड का पानी बहा बैठे होंगे और कितनो का पानी पूनम की सपाट पेट और नाभी देखकर गिरा होगा। आज रात बहुत लोग पूनम को याद करने वाले थे अपने बाथरूम में।

ऐसा नहीं था कि सिर्फ पूनम ही इस तरह तैयार हुई थी, बाँकी और औरतें और लडकियाँ भी तैयार हो गयी थी और सबके कपड़े इसी तरह के थे जिसमे उनका बदन झलक ही रहा था, लेकिन पूनम की तो बात ही अलग थी। पूनम ज्योति के पास ही बैठी थी। तभी 'बारात आ गयी' का शोर हुआ और ज्योति के आस पास के सारे लोग बाहर जा कर बारात देखने लगे। पूनम भी दौड़ कर बाहर जाने लगी तो ज्योति उसे बोली “देख कर तू तुरंत आ जाना, बताना कितनी देर है बारात आने में।” पूनम तुरंत ही वापस आ भी गयी क्यूँ की उसकी दुल्हन बहन अकेली थी और वो उसके साथ ही रहना चाहती थी।

पूनम बताई की "बारात होटल से थोड़ी ही दूर है, पूरा डांस कर रहे हैं बाराती, सब बाहर जा रहे हैं बारात के स्वागत में।" ज्योति पूनम का हाथ पकड़ ली और बोली “एक काम और कर देगी?” पूनम बोली “बोलो” ज्योति बोली “अभी बंटी आ रहा है। तू यही रुक जा थोड़ी देर।" पूनम शॉक्ड हो गयी. उसे यकीन नहीं हुआ की ज्योति अभी भी बंटी से मिलने की सोच रही है, वो भी तब जब उसकी बारात बाहर रोड पे आ चुकी है।

बोली “दी, तुम पागल हो गयी हो क्या? बारात कभी भी आ जाएगी। कभी भी कोई भी आ जायेगा यहाँ तुझसे मिलने, तुझे देखने। थोड़ी ही देर में तुम्हारा जय माला होना है, तुम पागल हो क्या?” ज्योति बोली “कुछ नहीं होगा. तू मदद कर दे बस. बस आखिरी बार और तू हमारे लिए पहरेदारी कर दे।” पूनम कुछ बोलती उससे पहले ही बंटी वहाँ आ पहुँचा। बंटी को देखते ही दुल्हन बनी ज्योति उठी और अपनी चूड़ी, पायल खनकाती हुई उसके सीने से लग गयी। बंटी भी उसे खुद से चिपकाकर उसकी पीठ सहलाता हुआ उसके माथे पे हाथ फेरने लगा और प्यार से उसके माथे को चूम लिया।

पूनम को बंटी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो भला किसे क्या बोलती। दोनों बेवकूफों वाली हरकत कर रहे थे। बंटी तो लड़का है, उसे तो चुत मिल रही है तो उसे क्या परेशानी है। अभी न उसे समझ है और न ही ज्योति को। अभी तक जो की वो अलग बात है, लेकिन इस कुछ पल की वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। पूनम गुस्से और परेशानी में ही दरवाज़े के पास आ गयी ताकि कोई उन दोनो को देख न ले. वो पीछे पलटी तो ज्योति उसे कुछ बोलती उससे पहले ही पूनम गुस्से और चिढ़ में बोली “जल्दी ख़तम करो यार तुमलोग अपनी प्रेम कहानी।"

ज्योति उसी तरह बंटी के सीने से लगी हुई ही बोली "थैंक्स मेरी प्यारी बहना।" बंटी भी तुरंत बोला "थैंक्स मेरी प्यारी साली।" बंटी से तो पूनम को और ज्यादा नफरत हो रही थी। कल तक उसने ज्योति के साथ जो किया, वो उनका अपना व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आज जिस तरह से उसने पूनम के साथ किया और फिर अभी जिस तरह वो ज्योति के साथ है, पूनम को उस पे बहुत गुस्सा आ रहा था। अगर वो लोग पकड़े गए तो उसका कुछ नहीं होना था लेकिन ज्योति की जिंदगी बर्बाद हो जानी थी।


पूनम दरवाजे पे हड़बड़ी में खड़ी थी की कहीं अगर कोई इधर आ गया तो वो क्या जवाब देगी। 2 मिनट के बाद वो अन्दर पलट कर देखी तो अन्दर का नज़ारा तो और बदला हुआ था। उसे लग रहा था की दोनों गले मिले हुए होंगे और अब अलग होने का सोच रहे होंगे, लेकिन यहाँ तो सीन ही दूसरा चल रहा था। ज्योति की चोली का बटन सामने से खुला था और ब्रा ऊपर उठा हुआ था और बंटी झुक कर उसकी खुली हुई चुचियों को चूस रहा था। ज्योति भी जैसे पूरी बेशर्म थी और उसने इस बात का भी लिहाज नहीं रखा था की उसकी बहन सामने ही खड़ी है।

पूनम ही शर्मा कर वापस से बाहर की तरफ घूम गयी और पुरे गुस्से में बोली “पुरे ही पागल हो क्या तुमलोग। बंद करो ये सब। कोई आ जायेगा तब समझ में आएगा। दीदी तुम्हे भी दिमाग और समझ नहीं है क्या? पागल हो गयी हो क्या इसके चक्कर में।” ज्योति बंटी का सर पकड़ कर अपने चुच्ची से हटाते हुए बोली “छोड़ो बंटी, पूनम सही कह रही है। कोई आ जायेगा अब।” बंटी जैसा लड़का हाथ आई दुल्हन को छोड़ने वाला नहीं चोदने वाला था। उसने चुच्ची से तो मुँह हटा लिया लेकिन उसे अपने हाथों से मसलता हुआ बोला “कोई नहीं आएगा जान, और पूनम तो खड़ी है ही बाहर। फिर तुम कभी भी मुझे ऐसे नहीं मिलोगी। इस तरह दुल्हन बनी हुई, शादी से ठीक पहले। इसके बाद अगर कभी मिलोगी भी तो किसी और की पत्नी बनकर, लेकिन अभी तुम सिर्फ मेरी हो। अभी मत रोको मुझे।” बोलकर वो फिर से निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा। ज्योति उसे क्या बोलती। निप्पल बंटी के मुँह में जाते ही उसके विरोध करने की क्षमता ख़त्म हो गयी थी।

पूनम का गुस्सा अब और बढ़ गया की वो दोनों फिर से अभी वो करने वाले हैं जो पिछली दो रातों से कर रहे हैं। वो गुस्से में बोली “तो करो जो करना है तुमलोगों को। मैं चली।” पूनम आगे बढ़ने लगी तो ज्योति हड़बड़ी में उसकी तरफ आगे बढ़ी और दौड़ कर उसका हाथ पकड़ ली। ज्योति की चूचियां बाहर ही थी और वो इसी तरह कमरे से बाहर हो गयी थी। वो दुल्हन जिसकी अभी कुछ देर बाद शादी होने वाली थी, वो अपने यार के लिए अधनंगी ही कमरे से बाहर आ गयी थी। अपनी हालत याद आते ही वो एक हाथ से अपनी ब्रा को नीचे करने की कोशिश की लेकिन फिर भी उसकी चूचियां बाहर ही रही। ज्योति एक ही हाथ से ब्लाउज को पकड़ने की कोशिश की और चूची को ढकने की कोशिश करती हुई बोली “प्लीज़ पूनम, मत जा। बस थोड़ी देर रुक जा। मेरी खातिर। प्लीज़।”

पूनम गुस्से में पीछे पलटी और ज्योति की हालत देखकर उसका गुस्सा और बढ़ गया। बोली “उसे तो कोई मतलब नहीं है दी, लेकिन तुम तो सोचो की अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी तुम्हारी होगी। उसका क्या है, आज तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा है, कल किसी और के साथ करेगा। मुझे तो परेशान कर ही रखा है। तुम्हारा क्या होगा वो तो सोचो।” ज्योति अब तक अपनी चुचियों को ढक चुकी थी और बोली “कुछ नहीं होगा। मैं करवाना चाहती हूँ इससे। सच कह रहा है बंटी, मैं इसे इस तरह कभी नहीं मिलूँगी। तू बस रुक जा थोड़ी देर। प्लीज़ मेरी बहन।”

पूनम को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बहन इस कदर पागल है बंटी के पीछे। बोली "दीदी.... तुम किसी की दुल्हन हो अभी! बाहर बारात खड़ी है तुम्हारी! कुछ ही देर में तुम्हारी शादी होने वाली है! तुम समझ रही हो की तुम क्या बोल रही हो।" ज्योति पूनम का हाथ छोड़ दी और दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम करती हुई बोली "प्लीज़ पुन्नु, प्लीज़ मेरी बहना, मान ले मेरी बात। बस थोड़ी देर के लिए हमारी मदद कर दे।"

पूनम भला क्या बोलती। ज्योति ने उसे कुछ बोलने लायक छोड़ा ही नहीं था. वो गुस्से में बोली “ठीक है, जो करना है जल्दी करो। बस इतना याद रखना की तुम्हारी बारात बाहर डांस कर रही है।” ज्योति हड़बड़ी में “थैंक्यू मेरी बहना” बोलती हुई और पूनम की तरफ “उम्माह” करती हुई चुम्मी उछालते हुए अन्दर चली गयी। अन्दर बंटी अपने पैंट को नीचे करके अपने चड्डी से लंड बाहर निकाल कर सहलाता हुआ खड़ा था। उसे पता था की उसकी जान ज्योति अपनी बहन को रखवाली के लिए मना कर उसके पास आएगी ही। ज्योति जाकर उससे लिपट गयी। वो एक हाथ से लंड पकड़ी हुई थी और बंटी उसकी चुचियों को फिर से बाहर निकाल कर मसल रहा था, जब पूनम दरवाजा बंद करने के लिए अन्दर की तरफ देखी।

उनलोगों को इस तरह देखकर पूनम को गुस्सा के साथ साथ चिढ भी हो रही थी। उनदोनो को इस बात का कई असर ही नहीं था की पूनम उन्हें देख रही है या देख सकती है। किसे होता, बंटी को तो नहीं ही होता और ज्योति तो उसके लिए दीवानी थी। पूनम दरवाजा सटा दी और चिढती हुई बोली “जल्दी करो यार तुमलोग, और दी तुम अपना मेकअप ख़राब मत कर लेना।” पूनम दरवाजा बाहर से बंद कर दी और गैलरी में टहलने लगी। वो बाहर तक जा कर देखी तो सभी बारात देखने में व्यस्त थे।

ज्योति का कमरा जिस ब्लॉक में था शादी वहीँ से होनी थी और सभी लोग दुसरे ब्लॉक के छत पर जाकर और बाहर जाकर बारात देख रहे थे। बारात अभी तक नाच ही रही थी और जैसी उनकी आगे बढ़ने की रफ़्तार थी, अभी दुल्हे के अन्दर आने में और देर थी। पूनम मन ही मन हँसने लगी की बाहर बारात दुल्हन को लेने आई है यहाँ दुल्हन अपने आशिक को देने में व्यस्त है।

पूनम वापस ज्योति के रूम के सामने आ गयी। अन्दर से अलग अलग तरह की आवाजें आ रही थी। पूनम गेट पे धीरे से नॉक की और धीरे से ही बोली “आवाज़ बाहर तक आ रही है, धीरे करो।” अन्दर कोई अंतर नहीं पड़ा। अंदर फुल स्पीड में कुँवारी दुल्हन की चुदाई चल रही थी। पूनम धीरे से झुक कर की होल से अन्दर झांकी तो अन्दर ज्योति पलंग पर डॉगी स्टाइल में पलंग का सर पकड़े हुए झुकी हुई थी और बंटी पीछे से उसके लहंगे को उठाकर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करता हुआ उसे चोदे जा रहा था। ज्योति की चूचियां हवा में झूल रही थी और बंटी के हर धक्के के साथ आगे पीछे झूल रही थी।

पूनम के सामने दो बार ज्योति छत पर जाकर बंटी से चुदवा चुकी थी, लेकिन दोनों बार अँधेरा था और पूनम को बस परछाई दिखी थी उनदोनो की। लेकिन अभी कमरा रौशनी से डूबा हुआ था और पूनम को सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। ज्योति की गोरी चमकती हुई हिलती हुई चुच्ची, जांघें, गांड और कमर और उसे चोदता हुआ बंटी का काला पैर और काला मोटा लंड। पूनम गौर से लंड को ज्योति की चूत के अन्दर बाहर होती देख रही थी। बंटी का लंड अभी और बड़ा और मोटा दिख रहा था उसे, गुड्डू के लंड की ही तरह।

बंटी के हर धक्के से साथ ज्योति के मुँह से सिसकारी निकल रही थी और उसके हिलते ही चूड़ियों और पायल की खनक भी कमरे में गूंज रही थी। बंटी ज्योति की कमर को पकड़ कर चोद रहा था और फिर उसने एक हाथ आगे बढ़ा कर एक चुच्ची को पकड़ लिया और मसलने लगा। लंड पूरा अन्दर जा रहा था और ज्योति के चूत के रस से भीग कर चमक रहा था और पूनम को वो चमक भी दिख रही थी और ज्योति के चूत के बाहर जो सफ़ेद क्रीम फ़ैल रहा था, वो भी देख रही थी। लण्ड के जड़ तक ज्योति की चुत का रस लगा हुआ था, मतलब बंटी अपने मोटे लंबे लण्ड को आखिर तक ज्योति की चुत में पेलता हुआ मज़े से चोद रहा था। इससे ज्यादा मज़ा उसे क्या मिलता की वो उस दुल्हन को चोद रहा था जिसकी कुछ ही देर में शादी होने वाली थी और बाहर दुल्हन की बहन पहरेदारी कर रही थी।

बाहर पूनम की चूत गीली हो रही थी। उसे डर भी लग रहा था की कहीं कोई आ न जाये। जो आता वो ज्योति के बारे में तो बाद में पूछता, पहले उसी से पूछता की वो छिप कर क्या देख रही है। पहली बार वो किसी को इस तरह चुदते देख रही थी। वो एक बार गैलरी की तरफ देखी और फिर से अन्दर देखने लगी। बंटी ने लंड बाहर निकाल लिया था और पूनम को लगा की अब उनका हो गया है, लेकिन बंटी का लंड अभी भी उसी तरह अकड़ कर टाइट था। ज्योति पीछे घूमी और उसी तरह अपने दोनों हाथों को पलंग पे कुतिया की तरह रखे हुए ही लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

पूनम अब और अच्छे से लंड को देख पा रही थी। पूरा तना हुआ लण्ड पूनम को चमकता हुआ दिख रहा था। ज्योति लण्ड को बिना पकड़े हुए मुँह में ले रही थी और चूस रही थी तो लण्ड इधर उधर छिटक रहा था। अभी बंटी के पास वक़्त उतना नहीं था इसलिए उसने ज्योति के सर को पकड़ लिया और मुँह पे दबाते हुए उसी तरह उसका मुँह चोदने लगा जैसे अभी थोड़ी देर पहले उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था। पूनम को अपना वक़्त याद आ गया की कैसे गुड्डू ने रेस्टुरेंट में उसके साथ भी ऐसा किया था और कैसे गुड्डू का लण्ड उसके गले तक में घुस रहा था। ज्योति की शक्ल देखकर पूनम को एहसास हो रहा था कि अभी बंटी का लण्ड भी पूनम के गले में कितना अंदर तक जा रहा था। उसे लगा की अब बंटी के लंड से वीर्य निकलेगा जिसे ज्योति पी जाएगी, लेकिन बंटी ने ज्योति को छोड़ दिया और पलंग पे उसके बगल में लेट गया।

बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका पूरा टाइट लंड छत की तरफ अकड़ कर खड़ा था।
ज्योति अपने लहंगे को पकड़ी और अच्छे से उठाते हुए बंटी के लंड को अपनी गीली चूत पे रखकर बैठ गयी। लंड सरसराता हुआ कुंवारी दुल्हन की चूत में जा घुसा और ज्योति ऊपर नीचे होती हुई आनंद के सागर में गोते लगाने लगी। अभी पूनम को बस ज्योति की उछलती हुई चूचियां दिख रही थी जिसे बंटी निचोड़ निचोड़ कर मसल रहा था।

पूनम अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसके लहंगे में भी हलचल हो रही थी। वो गैलरी में देखी की कोई नहीं है तो वो लहंगे के ऊपर से ही अपनी चूत सहला ली। उसका मन और देखने का था, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो फिर से टहलती हुई बाहर की तरफ आई, लेकिन अभी भी बारात नाचने में ही व्यस्त थी और इधर के सब लोग उन्हें देखने में। अभी दूल्हा भी डांस कर रहा था और उसकी दुल्हन अंदर बंटी के लण्ड पर बैठी थिरक रही थी।

पूनम का मन हो रहा था की वो भी दुल्हन की चुदाई देखती रहे, लेकिन वो ठीक से देख नहीं पा रही थी। एक बार उसका मन हुआ की दरवाज़ा खोल कर अन्दर चली जाये और बैठ कर अच्छे से चुदाई देखने लगे। उसे कोई मना भी नहीं करता या वो दोनों घबराते भी नहीं और उसके सामने भी चुदाई चलती ही रहती। लेकिन पूनम ऐसा कर नहीं सकती थी। वो फिर से की होल से अन्दर झांकी। बंटी अभी भी सीधा ही लेटा हुआ था लेकिन ज्योति अपने दोनों हाथ पीछे किये हुए लंड को मुँह में भरकर चूस रही थी।

बंटी ने ज्योति को फिर से कुतिया बना दिया और पीछे से उसकी चुत में धक्का लगाने लगा। पूनम फिर से खड़ी हो गयी और बाहर टहलने लगी। वो अपने हाथ को अपने लहँगे और पैंटी के अंदर डाली और अपनी गीली चुत सहलाने लगी। उसका मन हो रहा था कि पूरी नंगी होकर अपनी चुत में ऊँगली करे, लेकिन वो ऐसा कर नहीं सकती थी।

पूनम वापस की होल में झाँकने लगी। अंदर बंटी 4-5 धक्का और लगाया और फिर उसने लण्ड को पूरा अंदर डाल कर जोर से ज्योति की कमर को पकड़ लिया। ज्योति पलंग पर गिरने लगी लेकिन बंटी उसे पकड़े रहा। थोड़ी देर बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो ज्योति की चुत से वीर्य टपक कर बाहर भी गिरने लगा। बंटी ने अपना वीर्य ज्योति की चुत में ही भर दिया था।

ज्योति पलंग पे ही पेट के बल लेट रही और बंटी अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम खड़ी हो गयी। उसकी चुत भी पूरी गीली थी। वो अपनी बहन की चुदाई देखी थी और उसकी चुत में वीर्य भरा हुआ देखी थी। पूनम एक मिनट खड़ी रही और फिर गेट पे नॉक करती हुई बोली "जल्दी करो। अब कोई आ जायेगा।"

ज्योति अपनी चोली को ठीक से पहनती हुई बोली "बस हो गया। आ जाओ।" पूनम दरवाजा खोल दी पर बाहर ही खड़ी रही। बंटी ज्योति की पैंटी को हाथ में फैलाकर देख रहा था। ज्योति उसे पैंटी देने बोली तो बंटी बोला "इसे मेरे पास रहने दो। ये तुम्हारी याद दिलाएगी मुझे की मैंने अपनी जान को दुल्हन बनने के बाद भी प्यार किया था।" ज्योति बोली "अरे नहीं... ये डिज़ाइनर सेट है, ब्रा पैंटी दोनों ब्राइडल कलेक्शन का है।" बंटी उसे अपनी जेब में रखता हुआ बोला "इसलिए तो तुम्हारी याद दिलाएगी।"

पूनम अंदर आती हुई बोली "तुम जाओ अब यहाँ से जल्दी। और दी तुम जल्दी से अपना मेकअप ठीक करो।" बंटी बाहर निकालता हुआ बोला "थैंक्यू साली।" और इससे पहले की पूनम कुछ ध्यान दे पाती, उसने जोर से पूनम की चुच्ची को मसल दिया। जबतक पूनम कुछ कर पाती, बंटी मुस्कुराता हुआ बाहर निकल चुका था। पूनम गुस्से से एक बार बाहर देखी और फिर ज्योति को घूरने लगी।

ज्योति उठी और अपने चेहरे को ठीक करने लगी। उसका चेहरा तो ठीक ही था, उसकी चुत से बंटी का वीर्य टपक रहा था। तभी बाहर से लोगों के आने की आवाज़ सुनाई देने लगी। ज्योति बाथरूम चली गयी और अपनी चुत को पोछने लगी, जिस पर अब उसके पति का हक़ हो जाना था।

बारात आ गयी थी और लोग अब दुल्हन को ले जाने वाले थे। ज्योति के मेकअप को टचअप किया गया और पूनम और बाँकी लोग उसे बाहर ले जाने लगे जहाँ जयमाला होना था। ज्योति की चुत से अभी भी बंटी का वीर्य रिस कर बाहर आ रहा था और उसकी जाँघों को चिपचिपा कर रहा था। अंदर पैंटी नहीं थी तो ज्योति को लहँगे के अंदर वो चिपचिपाहट महसूस हो रही थी। सिर्फ पूनम को पता था कि ये दुल्हन अभी अभी अपने यार से चुदवा कर आ रही है।
[+] 3 users Like Bunty4g's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 24-04-2019, 10:56 AM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)