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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#16
ता नहीं और कौन कौन से शब्द उस वक्त हम दोनों के मुँह निकले। हम दोनों ही होशोहवास में नहीं थे। मेरा लंड उसकी गहराइयों में उतरता जा रहा था। जाँघों पर जाँघें पड़ने से धप धप की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। लंड और चूत एक साथ फच फच का मधुर संगीत रच रहे थे।
थोड़ी देर बाद कविता ने मुझे पूरी ताकत से जकड़ लिया और उसका बदन सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा। मैं धक्के पर धक्का मारे जा रहा था और कुछ ही पलों बाद मेरे भीतर का सारा लावा पिघल पिघलकर उसकी प्यासी धरती के गर्भ में गिरने लगा।

दस मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैं उसके ऊपर से नीचे उतरा। तेल की कटोरी बिस्तर पर लुढ़की पड़ी थी। चादर खराब हो चुकी थी।

वो उठी और बाथरूम गई।

मैं उसके हिलते हुए नितंबों को देख रहा था। वो वापस आई और अपने कपड़े पहनने लगी, पहनते पहनते वो बोली,"लगता है मुझे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला मिल जाएगा।" मैंने पूछा,"क्यूँ?"

वो बोली,"चचेरी सही तो क्या हुआ बहन तो आपकी ही हूँ। जब आज आपको दाखिला मिल गया तो मुझे भी मिल ही जाएगा।"

एक बार फिर मेरे मुँह से बेसाख्ता हँसी निकल गई। इस लड़की का सेंस आफ़ ह्यूमर भी न, कमाल है।

वो फिर बोली,"और आप कितनी गंदी गंदी बातें कर रहे थे। शर्म नहीं आती आपको ऐसे गंदे गंदे शब्द मुँह से निकालते हुए।"

मैंने सोचा ये देहाती लड़कियाँ भी न, इनको करने में शर्म नहीं आती लेकिन बोलने में बड़ी शर्म आती है लेकिन मैंने कहा,"सारी बेबी आगे से नहीं कहूँगा।"

उस रात भी मैं करना चाह रहा था लेकिन वो बोली कि उसकी चूत में दर्द हो रहा है तो मुझे हस्तमैथुन करके काम चलाना पड़ा।

प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित हुए तो उसका दाखिला सचमुच हो गया था।

आखिर बहन तो मेरी ही है चचेरी सही तो क्या हुआ, सोचकर मैं हँस पड़ा।

चलो अब तो वो यहीं रहेगी, छुट्टी के दिन बुला लिया करूँगा।

समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 24-04-2019, 10:19 AM
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM



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