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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#12
इतना कहकर मैंने उसको कंधे से पकड़कर खींचा। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसे चित लिटा दिया। मैंने तरजनी उँगली तेल में डुबोई और उसकी गीली गुफा में घुसा दी। एक दो बार अंदर बाहर करने से तेल गुफा की दीवारों पर अच्छी तरह फैल गया। फिर मैंने दो उँगलियाँ तेल में डुबोईं और अंदर डालकर तीन चार बार अंदर-बाहर किया।

गुफा का मुहाना अब ढीला हो चुका था। लेकिन इस बार मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। मैंने तीन उँगलियाँ तेल में डुबोईं और उसकी गुफा में घुसाने लगा। थोड़ी दिक्कत के बाद तीन उँगलियाँ अंदर चली गईं। मेरी टूटती हुई हिम्मत वापस लौटी। लंड महाराज जो जम्हाई लेने लगे थे उन्होंने एक शानदार अंगड़ाई ली और सचेतन अवस्था में वापस लौटे।

मैंने अपने लंड पर तेल लगाना शुरू किया। कविता ज्यादातर समय आँखें बंद करके मजा ले रही थी। उसके लिए भी यह सब नया अनुभव था इसलिए उसका हिचकिचाना और शर्माना स्वाभाविक था।

जब लंड पर तेल अच्छी तरह लग गया तब मैंने लंडमुंड पर थोड़ा सा तेल और लगाया। इस बार मैं कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता था। फिर मैंने उसकी जाँघें अपनी जाँघों पर रखीं। एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और उसकी चूत के मुँह पर रख दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था। मैंने थोड़ा जोर लगाया और मुझे उसकी गुफा का मुहाना अपने लंडमुंड पर कसता हुआ महसूस हुआ। मैंने थोड़ा जोर और लगाया।


[Image: butterfly-pea-flower-this-can-260nw-518385340.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 24-04-2019, 10:17 AM
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM



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