24-04-2019, 10:15 AM
थोड़ी देर रगड़ने के बाद मैंने अपना गीला लंड मुंड उसकी गुफा के मुहाने पर रखा और अंदर डालने के लिए जोर लगाया। उसके मुँह से फिर चीख निकली उसने पलट कर अपना मुँह तकिए में छुपा लिया। मैं आश्चर्य चकित रह गया कि यह आखिर क्या हुआ। मस्तराम की कहानियों के हिसाब से तो मुझे इसकी गुफा में प्रवेश कर जाना चाहिए था। अच्छा हुआ यहाँ कोई आता जाता नहीं वरना इसकी चीख मुझे संकट में डाल देती।
अचानक मेरे दिमाग को एक झटका लगा। मुझे अपनी छात्रावास की रैगिंग याद आ गई। जब हम सबको नंगा करके हमारे लंड नापे गये थे और मुझे अपनी कक्षा के सबसे बड़े लंडधारक की उपाधि प्रदान की गई थी। अच्छा तो इसलिए मुझको सफलता नहीं मिल रही है। कविता ठहरी कच्ची कली और मैं ठहरा आठ इंच का लंडधारी। कहाँ से पहली बार में कामयाबी मिलती। अच्छा हुआ मैंने ज्यादा जोर नहीं लगाया।
मुझे याद आया कि मेरे सबसे छोटे चाचा कि पत्नी को सुहागरात के बाद अगले दिन अस्तपाल ले जाना पड़ा था। क्यों? यह बात घर की महिलाओं के अलावा किसी को नहीं पता थी। सुनने में आया था कि सिक्युरिटी केस होने वाला था मगर ले देकर रफ़ा दफ़ा किया गया। जरूर ये लंबा लंड अनुवांशिक होता है और चाचा ने सुहागरात के दिन ज्यादा जोर लगा दिया होगा।
हे कामदेव, अच्छा हुआ मैंने खुद पर नियंत्रण रखा वरना आपके चक्कर में अर्थ का अनर्थ हो जाता।
मैं उठा और कमरे से सटी रसोई में जाकर एक कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल ले आया। मैं कविता के पास गया और बोला,"कविता इस बार धीरे से करूँगा। प्लीज बेबी करने दो ना।"
अचानक मेरे दिमाग को एक झटका लगा। मुझे अपनी छात्रावास की रैगिंग याद आ गई। जब हम सबको नंगा करके हमारे लंड नापे गये थे और मुझे अपनी कक्षा के सबसे बड़े लंडधारक की उपाधि प्रदान की गई थी। अच्छा तो इसलिए मुझको सफलता नहीं मिल रही है। कविता ठहरी कच्ची कली और मैं ठहरा आठ इंच का लंडधारी। कहाँ से पहली बार में कामयाबी मिलती। अच्छा हुआ मैंने ज्यादा जोर नहीं लगाया।
मुझे याद आया कि मेरे सबसे छोटे चाचा कि पत्नी को सुहागरात के बाद अगले दिन अस्तपाल ले जाना पड़ा था। क्यों? यह बात घर की महिलाओं के अलावा किसी को नहीं पता थी। सुनने में आया था कि सिक्युरिटी केस होने वाला था मगर ले देकर रफ़ा दफ़ा किया गया। जरूर ये लंबा लंड अनुवांशिक होता है और चाचा ने सुहागरात के दिन ज्यादा जोर लगा दिया होगा।
हे कामदेव, अच्छा हुआ मैंने खुद पर नियंत्रण रखा वरना आपके चक्कर में अर्थ का अनर्थ हो जाता।
मैं उठा और कमरे से सटी रसोई में जाकर एक कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल ले आया। मैं कविता के पास गया और बोला,"कविता इस बार धीरे से करूँगा। प्लीज बेबी करने दो ना।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
