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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#4
अच्छी चीजें कितनी जल्दी नज़रों के सामने से ओझल हो जाती हैं। साबुन लगाकर वो खड़ी हो गई और फिर मुझे उसके कपड़े पहनने तक सिर्फ़ उसकी टाँगें ही दिखाई पड़ीं।

प्रवेश परीक्षा का पहला पेपर दिला कर मैं उसे होटल वापस लाया। दूसरा और आखिरी पेपर अगले दिन था। वो प्रवेश परीक्षा दे रही थी और मैं परीक्षा हाल के बाहर बैठा अपनी वासना की पूर्ति के लिए योजना बना रहा था। शाम को हम खाना खाने गए। वापस आकर मैंने उससे कहा- कविता , कल रात मैं ठीक से सो नहीं पाया, यह कंबल बहुत चुभता है, इस पर मुझे नींद नहीं आती।

वो बोली- भैया, आप बेड पर सो जाओ मैं नीचे सो जाती हूँ।

इस पर मैं बोला- नहीं, तुम्हारा ठीक से सोना जरूरी है तुम्हारी परीक्षा चल रही है। चलो कोई बात नहीं मैं एक दिन और अपनी नींद खराब कर लूँगा।

इस पर वो बोली- नहीं भैय्या, ऐसा करते हैं, हम दोनों बेड पर सो जाते हैं।

मेरी योजना सफल हो गई थी। मैंने उसे दिखाने के लिए बेमन से हामी भर दी।

वो दूसरी तरफ मुँह करके सो रही थी और मैं धड़कते दिल से उसके सो जाने का इंतजार कर रहा था। मेरा पजामा और उसका स्कर्ट एक दूसरे को चूम रहे थे।

जब मुझे लगा कि वो सो गई है तो मैंने अपना लंड उसके चूतड़ो के बीच बनी खाई से सटा दिया।

थोड़ी देर तक मैं उसी पोजीशन में रहा। जब उसकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने लंड का दबाव बढ़ाया। फिर भी कोई हरकत नहीं हुई। तब मैंने धीरे से अपना हाथ उसके चूतड़ पर रख दिया। मेरे हाथ में हल्का हल्का कंपन हो रहा था। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मैंने उसके चूतड़ पर अपने हाथों का दबाव और बढ़ा दिया।

अचानक उसके चूतड़ थोड़ा पीछे हुए और उनमें संकुचन हुआ, उसके चूतड़ो ने मेरे लंड को जकड़ लिया। पहले तो मैं यह सोचकर डर गया कि वो जगने वाली है पर उसकी तरफ से और कोई हरकत नहीं हुई तो मैं समझ गया कि इसे भी मजा आ रहा है।

कल यह मेरा लंड देख रही थी और आज बिना ज्यादा ना नुकुर किए मेरे साथ इस सिंगल बेड पर सोने को तैयार हो गई। यह सोचकर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना हाथ उसके चूतड़ से सरकाकर उसकी जाँघ पर ले गया फिर थोड़ा इंतजार करने के बाद मैंने अपनी हथेली उसकी डबल रोटी पर रख दी। उसका पूरा बदन जोर से काँपा वो थोड़ा और पीछे होकर एकदम मुझसे सट गई और मेरा लंड उसके चूतड़ो की दरार में और गहरे सरक गया।

अब मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है।

फिर मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी डबल रोटियों को सहलाने लगा। उसका बदन धीरे धीरे काँप रहा था और गरम होता जा रहा था। मैंने अपना हाथ ऊपर की तरफ ले जाना शुरू किया। कविता ने अभी ब्रा पहनना शुरू नहीं किया था। कारण शायद यह था कि उसका शरीर अभी इतना विकसित नहीं हुआ था कि ब्रा पहनने की जरूरत पड़े। उसने टीशर्ट के अंदर बनियान पहन रखी थी।

मेरा हाथ किसी साँप की तरह सरकता हुआ उसके पेट पर से होता हुआ जब उसके नग्न उभारों पर आया तो उसके मुँह से सिसकारी निकल गई।

मैंने धीरे धीरे उसके उभारों को सहलाना और दबाना शुरू किया तो उसके चूतड़ो ने मेरे लंड पर क्रमाकुंचन प्रारंभ किया। मेरी जो हालत थी उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। कामदेव जरूर अपनी सफलता पर मुस्कुरा रहा होगा। दुनिया की सारी बुराइयों की जड़ यह कामदेव ही है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 24-04-2019, 10:10 AM
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM



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