24-04-2019, 09:23 AM
(This post was last modified: 04-01-2022, 11:19 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं समझ रहा था कि दीदी को मज़ा आ रहा है . मैं और जोर जोर से दीदी का बुर को चुसना शुरू किया . करीब पन्द्रह मिनट तक में दीदी का बुर का स्वाद लेता रहा । अचानक दीदी ज़ोर से आँख बंद कर के कराही और उन के बुर से माल निकल कर उनके बुर के दरार होते हुए गांड की दरार की और चल दिए . मैंने जहाँ तक हो सका उनके बुर का रस का पान किया . मैंने देखा अब दीदी पहले की अपेक्षा शांत हैं .
लेकिन मेरा लंड महाराज एकदम से तनतना गया . मैंने दीदी के दोनों पैरों को अलग अलग दिशा में किया और उनके बुर की छिद्र पर अपना लंड रखा और धीरे धीरे दीदी के बदन पर लेट गया . इस से मेरा लंड दीदी के बुर में प्रवेश कर गया . ज्यों ही मेरा लंड दीदी के बुर में प्रवेश किया दीदी लगभग छटपटा उठी .
मैंने कहा - क्या हुआ दीदी, जीजा जी का लंड तो मुझसे भी मोटा है ना तो फ़िर तुम छटपटा क्यों रही हो ?
दीदी - तीन महीने से कोई लंड बुर में नही ली हूँ न इसलिए ये बुर थोड़ा सिकुड़ गया है .उफ़, लगता नही है की तुम्हे चुदाई के बारे में पता नही है। कितनो की ली है तुने?
मैं बोला- कभी नही दीदी, वो तो में फिल्मों में देख के और किताबों में पढ़ कर सब जानता हूँ।
दीदी बोली- शाबाश रवि, आज प्रेक्टिकल भी कर लो। कोई बात नही है। तुम अच्छा कर रहे हो। चालू रहो। मज़ा आ रहा है।
मैंने दीदी को अपने दोनों हाथों से लपेट लिया। दीदी ने भी अपनी टांगों को मेरे ऊपर से लपेट कर अपने हाथों से मेरी पीठ को लपेट लिया। अब हम दोनों एक दुसरे से बिलकूल गुथे हुए था। मैंने अपनी कमर धीरे से ऊपर उठाया इस से मेरा लंड दीदी के बुर से थोड़ा बाहर आया। मैंने फिर अपना कमर को नीचे किया। इस से मेरा लंड दीदी के बुर में पूरी तरह से समां गया। इस बार दीदी लगभग चीख उठी।
अब मैंने दीदी की चीखूं और दर्द पर ध्यान देना बंद कर दिया। और उनको पुरी प्रेम से चोदना शुरू किया। पहले नौ - दस धक्के में तो दीदी हर धक्के पर कराही । लेकिन दस धक्के के आड़ उनकी बुर चौडी हो गई॥ तीस पैंतीस धक्के के बाद तो उनका बुर पूरी तरह से फैल गया। अब उनको आनंद आने लगा था। अब वो मेरे चुतद पर हाथ रख के मेरे धक्के को और भी जोर दे रही थी। चूँकि थोडी देर पहले ही ढेर सारा माल निकल गया था इस लिए जल्दी माल निकालने वाला तो था नहीं. मै उनकी चुदाई करते करते थक गया। करीब बीस मिनट तक उनकी बुर चुदाई के बाद भी मेरा माल नही निकल रहा था।
दीदी बोली - थोड़ा रुक जाओ।
मैंने दीदी के बुर में अपना सात इंच का लंड डाले हुए ही थोडी देर के लिए रुक गया। मेरी साँसे तेज़ चल रही थी। दीदी भी थक गई थी। मैंने उनकी चूची को मुंह में भर कर चुसना शुरू किया। इस बार मुझे शरारत सूझी। मैंने उनकी चूची में दांत गडा दिए। वो चीखी.
बोली- क्या करते हो?
लेकिन मेरा लंड महाराज एकदम से तनतना गया . मैंने दीदी के दोनों पैरों को अलग अलग दिशा में किया और उनके बुर की छिद्र पर अपना लंड रखा और धीरे धीरे दीदी के बदन पर लेट गया . इस से मेरा लंड दीदी के बुर में प्रवेश कर गया . ज्यों ही मेरा लंड दीदी के बुर में प्रवेश किया दीदी लगभग छटपटा उठी .
मैंने कहा - क्या हुआ दीदी, जीजा जी का लंड तो मुझसे भी मोटा है ना तो फ़िर तुम छटपटा क्यों रही हो ?
दीदी - तीन महीने से कोई लंड बुर में नही ली हूँ न इसलिए ये बुर थोड़ा सिकुड़ गया है .उफ़, लगता नही है की तुम्हे चुदाई के बारे में पता नही है। कितनो की ली है तुने?
मैं बोला- कभी नही दीदी, वो तो में फिल्मों में देख के और किताबों में पढ़ कर सब जानता हूँ।
दीदी बोली- शाबाश रवि, आज प्रेक्टिकल भी कर लो। कोई बात नही है। तुम अच्छा कर रहे हो। चालू रहो। मज़ा आ रहा है।
मैंने दीदी को अपने दोनों हाथों से लपेट लिया। दीदी ने भी अपनी टांगों को मेरे ऊपर से लपेट कर अपने हाथों से मेरी पीठ को लपेट लिया। अब हम दोनों एक दुसरे से बिलकूल गुथे हुए था। मैंने अपनी कमर धीरे से ऊपर उठाया इस से मेरा लंड दीदी के बुर से थोड़ा बाहर आया। मैंने फिर अपना कमर को नीचे किया। इस से मेरा लंड दीदी के बुर में पूरी तरह से समां गया। इस बार दीदी लगभग चीख उठी।
अब मैंने दीदी की चीखूं और दर्द पर ध्यान देना बंद कर दिया। और उनको पुरी प्रेम से चोदना शुरू किया। पहले नौ - दस धक्के में तो दीदी हर धक्के पर कराही । लेकिन दस धक्के के आड़ उनकी बुर चौडी हो गई॥ तीस पैंतीस धक्के के बाद तो उनका बुर पूरी तरह से फैल गया। अब उनको आनंद आने लगा था। अब वो मेरे चुतद पर हाथ रख के मेरे धक्के को और भी जोर दे रही थी। चूँकि थोडी देर पहले ही ढेर सारा माल निकल गया था इस लिए जल्दी माल निकालने वाला तो था नहीं. मै उनकी चुदाई करते करते थक गया। करीब बीस मिनट तक उनकी बुर चुदाई के बाद भी मेरा माल नही निकल रहा था।
दीदी बोली - थोड़ा रुक जाओ।
मैंने दीदी के बुर में अपना सात इंच का लंड डाले हुए ही थोडी देर के लिए रुक गया। मेरी साँसे तेज़ चल रही थी। दीदी भी थक गई थी। मैंने उनकी चूची को मुंह में भर कर चुसना शुरू किया। इस बार मुझे शरारत सूझी। मैंने उनकी चूची में दांत गडा दिए। वो चीखी.
बोली- क्या करते हो?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.