24-04-2019, 09:23 AM
(This post was last modified: 04-01-2022, 11:09 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैंने कहा - हाँ।
दीदी- कितनी बार?
मैंने - एक दो दिन में एक बार।
दीदी- कभी दूसरे ने तेरी मुठ मारी है?
मैंने -हाँ ।
दीदी- किसने मारी तेरी मुठ?
मैंने- एक बार में और मेरा एक दोस्त ने एक दुसरे की मुठ मारी थी।
दीदी - कभी अपने लंड को किसी से चुसवा कर माल निकाला है तुने?
मैंने- नही।
दीदी - रुक , आज में तुम्हे बताती हूँ की जब कोई लंड को चूसता है तो चुस्वाने वाले को कितना मज़ा आता है।
इतना कह के वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले ली। और पूरे लंड को अपने मुंह में भर ली। मुझे ऐसा लग रहा था की वो मेरे लंड को कच्चा ही खा जायेगी। अपने दाँतों से मेरे लंड को चबाने लगी। करीब तीन चार मिनट तक मेरे लंड को चबाने के बाद वो मेरे लंड को अपने मुंह से अन्दर बाहर करने लगी। एक ही मिनट हुआ होगा की मेरा माल बाहर निकलने को बेताब होने लगा।
मैंने- दीदी , छोड़ दो, अब माल निकलने वाला है।
दीदी - निकलने दो ना .
उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर नही निकाला। लेकिन मेरे माल बाहर आने लगा। दीदी ने सारा माल पी जाने के पूरी कोशिश की लेकिन मेरे लंड का माल उनके मुंह से बाहर निकल कर उनके गालों पर भी बहने लगा। गाल पे बह रहे मेरे माल को अपने हाथों से पोछ कर हाथ को चाटते हुए बोली - अरे, तेरा माल तो एकदम से मीठा है। कैसा लगा आज का मुठ मरवाना?
मैंने - अच्छा लगा।
दीदी - कभी किसी बुर को चोदा है तुने?
मैंने - नही, कभी मौका ही नही लगा।
फिर बोली- मुझे चोदेगा?
मैंने - हाँ।
दीदी - ठीक है .
कह कर दीदी खड़ी हो गई और अपनी छोटे से पैंट को एक झटके में खोल दिया। उसके नीचे भी कोई पेंटी नही थी। उसके नीचे जो था वो मैंने आज तक हकीकत में नही देखा था। एक दम बड़ा, चिकना , बिना किसी बाल का, खुबसूरत सा बुर मेरी आँखों के सामने था।
अपनी बुर को मेरी मुंह के सामने ला कर बोली - ये रहा मेरा बुर, कभी देखा है ऐसा बुर ? अब देखना ये है की तुम कैसे मुझे चोदते हो। सारा बुर तुम्हारा है। अब तुम इसका चाहे जो करो।
मैंने कहा- दीदी, तुम्हारा बुर एकदम चिकना है। तुम रोज़ शेव करती हो क्या?
दीदी- तुम्हे कैसे पता की बुर चिकना होता है की बाल वाला??
मैंने कहा- वो मैंने अपनी नौकरानी का बुर तीन चार बार देखा है। उसके बुर में एकदम से घने बाल हैं। उसकी बुर तो काली भी है। तुम्हारी तरह सफ़ेद बुर नही है उसकी।
दीदी- अच्छा, तो तुमने अपनी नौकरानी की बुर कैसे देख ली है?
मैंने कहा - वो जब भी मेरे कमरे में आती है ना तो अगर मुझे नही देखती है तो मेरे शीशे के सामने एकदम से नंगी हो कर अपने आप को निहारा करती है। उसकी यह आदत मैंने एक दिन जान लिया । तब से में तीन चार बार जान बुझ कर छिप जाता हूँ और वो सोचती थी की में यहाँ कमरे नही हूँ, वो वो नंगी हो मेरे शीशे के सामने अपने आप को देखती थी।
दीदी- बड़े शरारती हो तुम।
मैंने कहा- वो तो मैंने दूर से काली सी गन्दी सी बुर को देखा था जो की घने बाल के कारण ठीक से दिखाई भी नही देते थे। लेकिन आपकी बुर तो एक दम से संगमरमर की तरह चमक रही है।
दीदी- वो तो में हर संडे को इसे साफ़ करती हूँ। कल ही न संडे था। कल ही मैंने इसे साफ़ किया है।
अब मुझसे रहा नही जा रहा था। समझ में नही आ रहा था की कहाँ से स्टार्ट किया जाए ? मुझे कुछ नही सूझा तो मैंने दीदी को पहले अपनी बाहों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया ।अब वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थीं । पहले मैंने उनके खुबसूरत जिस्म का अवलोकन किया ।दूध सा सफ़ेद बदन। चुचियों की काया देखते ही बनती थी । लगता था संगमरमर के पत्थर पे किसी ने गुलाब की छोटी कली रख दिया हो। उनकी निपल एकदम लाल थी। सपाट पेट। पेट के नीचे मलाईदार सैंडविच की तरह फूली हुई बुर . बुर का रंग एकदम सोने के तरह था। उनके बुर को हाथ से फाड़ कर देखा तो अन्दर लाल लाल तरबूज की तरह नज़ारा दिखा। कही से भी शुरू करूं तो बिना सब जगह हाथ मारे उपाय नही दिखा। सोचा ऊपर से ही शुरू किया। जाए । मैंने सबसे पहले उनके रसीले लाल ओठों को अपने ओठों में भर लिया । जी भर के चूमा । इस दौरान मेरे हाथ दीदी के चुचियों से खेलने लगे । दीदी ने भी मेरा किस का पूरा जवाब दिया . फिर में उनके ओठों को छोड़ उनके गले होते हुए उनकी चूची पर आ रुका . काफ़ी बड़ी और सख्त चूचियां थी .
एक बार में एक चूची को मुंह में दबाया और दुसरे को हाथ से मसलता रहा . थोडी देर में दूसरी चूची का स्वाद लिया . चुचियों का जी भर के रसोस्वदन के बाद अब बारी थी उन के महान बुर के दर्शन का . ज्यों ही में उन के बुर पास अपना सर ले गया मुझसे रहा नही गया और मैंने अपनी जीभ को उनके बुर के मुंह पर रख दिया . स्वाद लेने की कोशिश की तो हल्का सा नमकीन सा लगा । मजेदार स्वाद था . अब में पूरी बुर को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा . दीदी मस्त हो कर सिसकारी निकालने लगी .
दीदी- कितनी बार?
मैंने - एक दो दिन में एक बार।
दीदी- कभी दूसरे ने तेरी मुठ मारी है?
मैंने -हाँ ।
दीदी- किसने मारी तेरी मुठ?
मैंने- एक बार में और मेरा एक दोस्त ने एक दुसरे की मुठ मारी थी।
दीदी - कभी अपने लंड को किसी से चुसवा कर माल निकाला है तुने?
मैंने- नही।
दीदी - रुक , आज में तुम्हे बताती हूँ की जब कोई लंड को चूसता है तो चुस्वाने वाले को कितना मज़ा आता है।
इतना कह के वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले ली। और पूरे लंड को अपने मुंह में भर ली। मुझे ऐसा लग रहा था की वो मेरे लंड को कच्चा ही खा जायेगी। अपने दाँतों से मेरे लंड को चबाने लगी। करीब तीन चार मिनट तक मेरे लंड को चबाने के बाद वो मेरे लंड को अपने मुंह से अन्दर बाहर करने लगी। एक ही मिनट हुआ होगा की मेरा माल बाहर निकलने को बेताब होने लगा।
मैंने- दीदी , छोड़ दो, अब माल निकलने वाला है।
दीदी - निकलने दो ना .
उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर नही निकाला। लेकिन मेरे माल बाहर आने लगा। दीदी ने सारा माल पी जाने के पूरी कोशिश की लेकिन मेरे लंड का माल उनके मुंह से बाहर निकल कर उनके गालों पर भी बहने लगा। गाल पे बह रहे मेरे माल को अपने हाथों से पोछ कर हाथ को चाटते हुए बोली - अरे, तेरा माल तो एकदम से मीठा है। कैसा लगा आज का मुठ मरवाना?
मैंने - अच्छा लगा।
दीदी - कभी किसी बुर को चोदा है तुने?
मैंने - नही, कभी मौका ही नही लगा।
फिर बोली- मुझे चोदेगा?
मैंने - हाँ।
दीदी - ठीक है .
कह कर दीदी खड़ी हो गई और अपनी छोटे से पैंट को एक झटके में खोल दिया। उसके नीचे भी कोई पेंटी नही थी। उसके नीचे जो था वो मैंने आज तक हकीकत में नही देखा था। एक दम बड़ा, चिकना , बिना किसी बाल का, खुबसूरत सा बुर मेरी आँखों के सामने था।
अपनी बुर को मेरी मुंह के सामने ला कर बोली - ये रहा मेरा बुर, कभी देखा है ऐसा बुर ? अब देखना ये है की तुम कैसे मुझे चोदते हो। सारा बुर तुम्हारा है। अब तुम इसका चाहे जो करो।
मैंने कहा- दीदी, तुम्हारा बुर एकदम चिकना है। तुम रोज़ शेव करती हो क्या?
दीदी- तुम्हे कैसे पता की बुर चिकना होता है की बाल वाला??
मैंने कहा- वो मैंने अपनी नौकरानी का बुर तीन चार बार देखा है। उसके बुर में एकदम से घने बाल हैं। उसकी बुर तो काली भी है। तुम्हारी तरह सफ़ेद बुर नही है उसकी।
दीदी- अच्छा, तो तुमने अपनी नौकरानी की बुर कैसे देख ली है?
मैंने कहा - वो जब भी मेरे कमरे में आती है ना तो अगर मुझे नही देखती है तो मेरे शीशे के सामने एकदम से नंगी हो कर अपने आप को निहारा करती है। उसकी यह आदत मैंने एक दिन जान लिया । तब से में तीन चार बार जान बुझ कर छिप जाता हूँ और वो सोचती थी की में यहाँ कमरे नही हूँ, वो वो नंगी हो मेरे शीशे के सामने अपने आप को देखती थी।
दीदी- बड़े शरारती हो तुम।
मैंने कहा- वो तो मैंने दूर से काली सी गन्दी सी बुर को देखा था जो की घने बाल के कारण ठीक से दिखाई भी नही देते थे। लेकिन आपकी बुर तो एक दम से संगमरमर की तरह चमक रही है।
दीदी- वो तो में हर संडे को इसे साफ़ करती हूँ। कल ही न संडे था। कल ही मैंने इसे साफ़ किया है।
अब मुझसे रहा नही जा रहा था। समझ में नही आ रहा था की कहाँ से स्टार्ट किया जाए ? मुझे कुछ नही सूझा तो मैंने दीदी को पहले अपनी बाहों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया ।अब वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थीं । पहले मैंने उनके खुबसूरत जिस्म का अवलोकन किया ।दूध सा सफ़ेद बदन। चुचियों की काया देखते ही बनती थी । लगता था संगमरमर के पत्थर पे किसी ने गुलाब की छोटी कली रख दिया हो। उनकी निपल एकदम लाल थी। सपाट पेट। पेट के नीचे मलाईदार सैंडविच की तरह फूली हुई बुर . बुर का रंग एकदम सोने के तरह था। उनके बुर को हाथ से फाड़ कर देखा तो अन्दर लाल लाल तरबूज की तरह नज़ारा दिखा। कही से भी शुरू करूं तो बिना सब जगह हाथ मारे उपाय नही दिखा। सोचा ऊपर से ही शुरू किया। जाए । मैंने सबसे पहले उनके रसीले लाल ओठों को अपने ओठों में भर लिया । जी भर के चूमा । इस दौरान मेरे हाथ दीदी के चुचियों से खेलने लगे । दीदी ने भी मेरा किस का पूरा जवाब दिया . फिर में उनके ओठों को छोड़ उनके गले होते हुए उनकी चूची पर आ रुका . काफ़ी बड़ी और सख्त चूचियां थी .
एक बार में एक चूची को मुंह में दबाया और दुसरे को हाथ से मसलता रहा . थोडी देर में दूसरी चूची का स्वाद लिया . चुचियों का जी भर के रसोस्वदन के बाद अब बारी थी उन के महान बुर के दर्शन का . ज्यों ही में उन के बुर पास अपना सर ले गया मुझसे रहा नही गया और मैंने अपनी जीभ को उनके बुर के मुंह पर रख दिया . स्वाद लेने की कोशिश की तो हल्का सा नमकीन सा लगा । मजेदार स्वाद था . अब में पूरी बुर को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा . दीदी मस्त हो कर सिसकारी निकालने लगी .