06-10-2021, 04:28 PM
मैं उसकी चूत से धीरे धीरे लंड बाहर निकालता और अंदर चूत में डाल कर चोद रहा था, बीच बीच में ज़ोऱ से शॉट भी लगाता था और वो हर शॉट के साथ वो सिहर उठती और मुझे बोलती -भैया, मुझे कुछ हो रहा है!
मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी?
तो बोली- मैं नहीं बता सकती!
मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले! और ले! अभी तेरी चूत को भी मजा आ रहा है! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी!
मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओ… आआईईई! जल्दी! प्लीज़ जल्दी करो! ओओ आआआ! में था.
मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी. मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा!
वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?
वो बोली- भैया चूत में मत डालना! आप बाहर ही निकाल लो!
मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो!
वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला. निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो!
तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला. वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो!
मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी?
तो बोली- मैं नहीं बता सकती!
मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले! और ले! अभी तेरी चूत को भी मजा आ रहा है! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी!
मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओ… आआईईई! जल्दी! प्लीज़ जल्दी करो! ओओ आआआ! में था.
मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी. मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा!
वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?
वो बोली- भैया चूत में मत डालना! आप बाहर ही निकाल लो!
मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो!
वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया. जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला. निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो!
तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला. वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
