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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
भीमा: उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… हमार बुरचोदी ... रंडी साली.... बहुत मस्त माल हो तुम भौजी...… उह्ह्ह… बड़ा मजा आवत है भौजी... हिलावा ऐसे ही... और जोर जोर से हिला...
 भीमा का अंदाज और उसकी बातें अब काफी उग्र हो गई थी... वह तो अपने देहाती भाषा में मेरी बहन को गालियां भी देने लगा था... जिसका बुरा मानने के बजाय मेरी दीदी इंजॉय कर रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी की हाथों की चूड़ियां टूटने लगी थी... उसका वह हिलाते हुए... मेरी बहन  भी पूरी तरह से मूड में आ चुकी थी.. मेरी दीदी ने उसके कठोर  अंग को अपनी हथेलियों की कैसे आजाद कर दिया... और भीमाने मेरी बहन को फर्श के ऊपर ही पूरा चित कर दिया..
 पहले उसने मेरी रुपाली दीदी के होठों  को चूसा.. फिर मेरी दीदी के गाल को, फिर गर्दन को... उसके बाद मेरी बहन की दोनों चूचियों को बड़े प्यार  से चूमने के बाद वह नीचे की तरफ आने लगा था...
 मेरी रुपाली दीदी की गहरी नाभि और  पतली कमर पर भीमा ने अपने होठों से और अपनी जुबान से बहुत सारा प्यार दिया... मेरी दीदी उसके सर पर उसके बालों में अपने हाथ फिरा रही थी.... और  अपना निचला होंठ अपने दांतो से काटकर कामुक सिसकारियां ले रही थी.. भीमा अब और नीचे की तरफ गया... मेरी बहन की दोनों टांगों के बीच... उसने मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर अलग अलग कर दिया और नीचे झुककर सामने का नजारा देखने लगा....  छोटे छोटे काले   बालों के बीच में छुपी हुई मेरी रूपाली दीदी की कसी हुई मक्खन मुलायम गुलाबी गुलाबी चूत  देख कर उसकी सांसे भारी होने लगी... उसकी गरम-गरम सांसो का एहसास अपनी गुलाबी चूत के ऊपर पाकर मेरी दीदी शर्माने भी लगी थी और काम उत्तेजित भी..
 मेरी रूपाली दीदी( कामुक अदा से):  क्या देख रहे हो भैया जी..
 भीमा:  हम तोहार बुर देख रहा हूं भौजी... बड़ा मस्त टाइट सामान बा तोहार.... हमार लुगाई का बड़ा बड़ा झांठ है... उसका तो बड़ा सा भोसड़ा बना हुआ है इस जगह पर..

 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी... आपका यह जो इतना बड़ा मुसल है ना.. किसी भी औरत के छेद में जाएगा तो वहां  भोंसड़ा  बन ही जाएगा..
 ऐसा बोलकर मेरी बहन भीमा की तरफ देखकर रंडियों की तरह मुस्कुराने लगी थी...
अपने लंड की तारीफ मेरी बहन के मुंह से सुनकर भीमा का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था...
 भीमा:  सच कहता हूं हमार बुरचोदी भौजी... तोहार जैसन  बुर हम अपना जिंदगी में नहीं देखा हूं... बच्चा पैदा करने के बाद भी तोहार सामान तो एकदम सील पैक   लगता है...
 उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी रूपाली दीदी की दोनों बड़ी बड़ी गांड को दबोच लिया और कस के मसल भी दीया... मेरी रूपाली दीदी हाय हाय करते हुए अपनी गांड  ऊंची कर दी....
 मेरी रूपाली दीदी की नाजुक गुलाबी चूत के साथ उनकी गांड का भूरे रंग का  छोटा सा छेद भी भीमा की आंखों के सामने आ गया था... और अब उसने देर करना ठीक नहीं समझा... उसने अपनी लंबी जुबान बाहर निकाली... और मेरी बहन की गांड के छेद से लेकर उनकी गुलाबी चूत तक अपनी जुबान लहराता हुआ ले गया... उसकी इस हरकत पर मेरी रूपाली दीदी का रोम रोम कांप उठा.... मेरी दीदी सीहरने लगी..

 मेरी रूपाली दीदी: .ओह्ह… माँ ऽऽ, अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … हाय मैं मर जाऊंगी... भैया जी कहां से  सीखा आपने ऐसा करना...
 भीमाने मेरी दीदी की बात का कोई जवाब नहीं दिया..
 बल्कि उसने तो फिर से वही क्रिया दो तीन बार और  दोहराई...
 मेरी दीदी मस्ती से गिनगिनआने लगी थी... तड़पते हुए अपने चूतड़ों को फर्श पर  रगड़ने लगी थी...
मेरी रूपाली दीदी - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ..."म्‍म्म्मम,  "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. मम्मी..  भैया जी.. नहीं..
 भीम अपनी लंबी खुरदरी जुबान से मेरी रूपाली दीदी की फुलझड़ी को चाटने लगा था... अपने मासूम अंग पर उसकी गरम-गरम  जुबान का एहसास पाकर मेरी बहन रंडियों की तरह व्यवहार करने लगी थी..  मेरी दीदी ने अपनी दोनों टांगे उठा कर भीमा के कंधे पर रख दी थी.. और भीमा का चेहरा  मेरी बहन की गुलाबी फुलझड़ी के अंदर  धंसा हुआ था..
 भीमा मेरी बहन की चूत से  धीरे-धीरे टपकता हुआ खट्टा नमकीन पानी चाट रहा था... उसे बड़ा मजा आ रहा था... मेरी दीदी तो सातवें आसमान में पहुंच चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी के पैरों में पड़ी हुई पायल से छन छन की  आवाज निकलने लगी थी...

 भीमा ने अपने एक हाथ की दो उंगलियों से मेरी बहन की गुलाबी फुलझड़ी की दोनों पत्तियों को अलग किया और अपनी जुबान को भीतर का रास्ता दिखा दिया... और फिर अपनी जुबान अंदर बाहर करते हुए अपनी जीभ से मेरी बहन की चुदाई करने लगा..
उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी ..
 मेरी रूपाली दीदी :  आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा  आआआआआआआआआआआअ..  प्लीज ..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् नहीं...आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी...
  नहीं भैया जी प्लीज..

 भीमा ने अपनी जुबान की करामात से आग लगा दी थी मेरी बहन की फुलझड़ी के अंदर...

आज तक किसी ने भी  मेरी रूपाली दीदी के साथ इस तरह से प्यार नहीं किया था...
 मेरी रूपाली दीदी जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो भैया जी मै मर जाउंगी ....
मेरी  दीदी - आआआआह्ह्ह्हआआआ  आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय मां.. 
 मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी झरना बनी हुई थी..
. मेरी बहन फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती भीमा को यह क्रिया रोकने की गुहार लगाने लगी थी... क्योंकि मेरी बहन झड़ने वाली थी.. लेकिन भीमा नहीं रुका... उसका रुकने का कोई इरादा भी नहीं था... बल्कि उसे  मनचाहा प्रसाद मिलने वाला था... वह भला क्यों  रुक जाता...
 और फिर मेरी दीदी झड़ गई... अपनी गुलाबी फुलझड़ी का नमकीन पानी भीमा की जीभ के ऊपर रखकर मेरी रूपाली दीदी  थरथर आते हुए फर्श के ऊपर निढाल हो कर लेट गई.. और अपनी आंखें बंद करके गहरी गहरी सांसें लेने लगी... उनकी चुचियों के ऊपर पड़ा हुआ उनका मंगलसूत्र उनकी  सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहा था...
 भीमा मेरी रुपाली दीदी का पूरा पानी  चाट गया था.... और मेरी बहन को ऐसे झड़ते हुए देख रहा था.. उसकी निगाहें मेरी रूपाली दीदी के मंगलसूत्र और  मांग में पड़े हुए सिंदूर पर टिकी हुई थी...
 वह अपनी किस्मत पर गुमान कर रहा था और अपनी मर्दानगी पर भी...
 अब समय आ गया था आखरी खेल खेलने का... जो मेरी बहन के लिए इतना आसान नहीं होने वाला था... भीमा ने मन ही मन फैसला कर लिया था.. अगर अब नखरा करेगी साली  तो जबरदस्ती पेलूंगा  इस माल को.

 बिना देर किए भीमा मेरी रूपाली दीदी के ऊपर सवार हो चुका था.... मेरी बहन की दोनों टांगों को चौड़ा करके अपने काले लंबे खूंखार मुसल को उसने मेरी बहन की गुलाबी चूत के ऊपर टिका दिया और झुक कर मेरी दीदी की आंखों में देखने लगा.. 
.
 मेरी रूपाली दीदी-   प्लीज ऐसा मत करो.. मम्मी हाय दैया...
 भीमा ने मेरी बहन  की आँखों में गहराई तक झाँका और  उसके बाद में उसने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उसका मोटा सुपाड़ा मेरी दीदी की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता  हुआ अंदर फंस गया..
मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह.. भैया जी.. हाय दैया मर गई... प्लीज... धीरे धीरे करो ना.. मेरी जान लोगे क्या.. 
 भीमा बड़ी कुटिलता के साथ मुस्कुराकर मेरी बहन की तरफ देख रहा था... वह मेरी दीदी के होठों को चूमने लगा..

 फिर भीमा ने दो बार फिर से आगे पीछे कमर हिलाई.. मेरी बहन सिसक कर रह गई उन्होंने अपनी बाहों का कसाव भीमा की पीठ पर और बढ़ा दिया ..
 मेरी रूपाली दीदी के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई - आआआह्हीईइ माम्मामामामामाम्म आआआआआआअ ..ऊऊऊईईई  माम्मामामामामाम्मरेरेरेरे मममररर गईईईईईईईई.. हाय रे दैया.. बड़े जालिम हो आप भैया जी...
 भीमा तो अब मेरी बहन को बुरी तरह से पेलने के मूड में था...
 भीमा ने मेरी रूपाली दीदी के अंदर झटके देने शुरू कर दिए थे.. उसका हर झटका मेरी दीदी के रोम-रोम में एक नया एहसास दे रहा था..
भले ही मेरी बहना की चूत भीमा  के लंड के लिए अभी जगह न बना पाई हो लेकिन ये तीखा दर्द भरा अहसास भी कम जादुई नहीं था ...  मेरी बहन की चूत के ओंठ अपने किनारों तक पूरी तरह फ़ैल गए थे ...भीमा  के फौलादी लोड़े ने मेरी रूपाली दीदी की  चिकनी चुनमुनिया को पूरा चौड़ा कर दिया था..
मेरी रूपाली दीदी की चूत घाटी की गुलाबी दरार में भीमा का लंड पूरी तरह धंस चूका था....अब तो बस आगे का सफ़र करने की देर थी ..मेरी दीदी के बदन की गरमी और वासना में उसका पूरा बदन नहाया हुआ था.
 मेरी दीदी  भी पूरी तरह से वासना की अग्नि में जलने लगी थी... जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी के तने हुए सुडौल उरोज और कठोर निप्पल, और उनसे बहता हुआ दूध इस बात की निशानी थे कि मेरी बहन अब चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है .. मेरी बहन की उभरी कठोर छातियाँ, चिकनी कसी हुई गुलाबी चूत,  भीमा के तो होश उड़े हुए थे.. भीमा ने कभी सपने में भी नहीं  सोचा होगा कि मेरी रुपाली दीदी जैसी अप्सरा उसके नीचे नंगी लेटी हुई कामुक सिसकियां ले रही होगी...

मेरी रूपाली दीदी कि चूत की गुलाबी गर्माहट के अहसास और उसके जवान मांसल बदन की कसावट  देखकर भीमा से रहा न गया उसने एक जोरदार ठोकर मेरी बहना के छेद में मारी और  मेरी बहना मुसल लंड की ठोकर से मिले  दर्द से नहा गयी...
 मम्मी रे...आआआईईईईई  मामाआआ... मेरी दीदी चीख पड़ी..
 इसके बाद  भीमा ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से  मेरी रूपाली दीदी की चूत में पेल दिया था ..
ऊऊऊऊऊईईईईई ...माम्मईईईई.. मर गई रे... मेरी दीदी चीखने  लगी..
  भीमा ने फिर से पीछे लंड को खींचा और फिर से मेरी रूपाली दीदी  की चूत में गहराई तक पेल दिया था...
इसके बाद मेरी दीदी के मुहँ से तेज कराह निकली -  आआह्हीईईइ मामआअ ईईईईईईईईईईई मरररर रर रररर गाअयीईईई..

 भीमा ने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालकर फिर धीमे-धीमे, रस लेते हुये, मेरी रूपाली दीदी की कसी बुर में कसकर रगड़ते हुए, अन्दर पेलना शुरू किया...मजे में मेरी दीदी की चूचियां पत्थर की तरह सख्त हो गई... निपल्स अकड़ के खड़े हो गए थे एक बार फिर से... और भीमा को दावत देने लगे थे...
  भीमा अपने एक हाथ से मेरी रूपाली दीदी के दूध भरे दोनों  जोबन को बारी-बारी से दबा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी बहन की मस्त हो चुकी  क्लिट को कसकर छेड़ना शुरू किया..
 मेरी रूपाली दीदी: उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… रस में सिसक रही मेरी बहन..
 अब मेरी रुपाली दीदी भी भीमा के उस खतरनाक मुसल को अपने चूत में कसकर सिकोड़ ले रही थी.. और भीमा के हर झटके का जवाब अपनी गांड उठा उठा कर दे रही थी.... मेरी दीदी उसके ताल से ताल मिलाने की कोशिश कर रही थी.... भीमा की रफ्तार बढ़ती जा रही थी...
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 06-10-2021, 01:05 AM



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