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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
मेरी रूपाली दीदी ‘आहहह आहहहह.. सिईईईई.. आहहह..’
अ मम्मी हाय रे... करने लगी थी... साथ ही साथ वह बीमा का सर पकड़ के अपनी छाती में दबा रही थी.. भीमा तो पूरी तरह से मदहोश होकर मेरी बहन का दूध पी रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियां फुल कर गुब्बारा बन गई थी... लाल-लाल निपल्स  अकड़ कर अपनी औकात में आ गए थे.. पूरी तरह तन के मेरी बहन के निपल्स भीमा को चुनौती दे रहे थे... और उस चुनौती को स्वीकार करते हुए भीमा बड़ी बेरहमी से मेरी बहन की दोनों चुचियों के साथ खेल रहा था...
“ऊईई…ई…ई…ई…” कुछ दर्द और कुछ मजे से मेरी रूपाली दीदी कामुक सिसकियां ले रही थी.... उनकी 3 साल की बेटी बगल में ही बिस्तर पर सो रही थी शायद इसीलिए मेरी दीदी  चिल्ला  नहीं रही थी...
 भीमा ने मेरी रूपाली दीदी की चुचियों को जोर जोर से  पंप  करना शुरू किया.... दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से भीमा का चेहरा  गीला होने  लगा....
 कमसिन  जवान मेरी बहन अब तो बहुत बुरी तरह से सीसकने लगी थी..
 भीमा बारी-बारी से मेरी बहन की छातियों से दूध पीते हुए अपना चेहरा ऊपर की तरफ उठा कर मेरी दीदी की बड़ी-बड़ी काली कजरारी आंखों में झांक रहा था जहां पर उसे हवस के अलावा और कुछ नहीं दिखाई दे रहा था...
 तकरीबन 10 मिनट तक वह मेरी बहन की दोनों चुचियों को  अपनी मनमर्जी से प्यार करता रहा... चूसता रहा  बीच बीच में काट भी रहा था अपने नुकीले दांत से... इसी दौरान उसने मेरी रूपाली दीदी की पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया... मेरी बहन को तो पता भी नहीं चला था कि उनका नाड़ा खुल चुका है... मेरी दीदी का पेटीकोट नीचे जमीन पर पड़ा हुआ धूल चाट रहा था..
 भीमा के दांतो के प्रहार से मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी और जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह धक्का देकर भीमा से अलग हो गई...
 मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, हाथों में मेहंदी, कलाई में चूड़ियां और अपनी दोनों टांगों के बीच में एक लाल रंग की छोटी सी  पेंटी पहन कर जो उनके ही काम रस से भीग चुकी थी, मेरी दीदी अपनी दोनों छतिया ऊपर नीचे करती हुई अपने होठों को अपने दांतो से काटती हुई भीमा की तरफ कामुक निगाहों से देख रही थी...
 मेरी बहन के पांव थरथरा रहे थे जिसके साथ उनके पांव में पड़ी हुई पायल छन छन कर रही थी...
 भीमा को तो ऐसे लग रहा था जैसे उसके सामने स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लगभग नंगी होकर उसको आमंत्रित कर रही है...
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या देख रहे हो भैया जी आप.... हमको शर्म आती है..
  भीमा:  हम तो अपन बुरचोदी भौजी को देख रहे हैं... क्या मस्त चूची बा तोहार..... कसम झंडे वाले बाबा की.... हम अपना जिंदगी में ऐसा चूची नहीं देखा...

 इतना बड़ा बड़ा और दुधारू ... इतना ठोस फिर भी इतना मुलायम... कसम खाता हूं भौजी... हम तो वीडियो सीडी में भी नहीं  देखा हूं ऐसा..

 मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी की भीमा उनकी तुलना अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइनों से कर रहा है..
 अब तो मेरी दीदी उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हंसने लगी थी...
 भीम अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था... मेरी रूपाली दीदी उसके पास धीरे धीरे चलते हुए आई.. और फिर अपनी बाहों का हार उसके गले में डाल कर बड़े प्यार से बोली..
  मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी.... लगता है आप अंग्रेजी वाला गंदा फिल्म बहुत देखते हो... फिर तो आप सब कुछ करना जानते होंगे... है ना भैया जी....
 भीमा ने मेरी रुपाली दीदी की दोनों छातियों को एक बार फिर अपनी हथेली में पकड़ कर बुरी तरह से मसल डाला और बोला..
 भीमा:  सही पकड़े हो आप भौजी... हम तो बहुत अंग्रेजी फिल्म देखता हूं और खूब सारा पैंतरा भी सीखा हूं... मगर हमको कौन हो जोड़ीदार नहीं मिला था अब तक जिसका सामने  सारा पैंतरा दिखाओ... लेकिन अब कौनो परेशानी नहीं होगी... तुम मिल गई हो.... रगड़ रगड़ के पेलूंगा तुमको बुरचोदी.... तेरी बुर फाड़ दूंगा...
 ऐसा बोलते हुए उसने मेरी बहन की पैंटी को फाड़  डाला था... छोटे-छोटे  काले बालों के बीच छुपे हुए मेरी बहन के गुलाबी  अंग को देखकर भीमा पगला  गया था.... मेरी रूपाली दीदी ने भी उसका बनियान निकाल कर उसके बदन से अलग कर दिया था... मेरी रूपाली दीदी की फटी हुई पेंटी निकाल कर भी माने नीचे जमीन पर  गिरा दिया...
 मेरी रूपाली दीदी अब नंगी हो चुकी थी उसकी खोली के अंदर... भीमा भी बस लूंगी पहना हुआ था नाम मात्र का...
 एक झटके में मेरे रूपाली दीदी ने भीमा की लूंगी खोल दी... अब वह भी नंगा खड़ा होकर बेशर्मी से मेरी बहन को निहार रहा था और उसके नीचे का औजार भी... मेरी रूपाली दीदी हैरान थी उसके औजार को देखकर...
 मेरी बहन को पहले से ही अंदाजा तो हो चुका था की भीमा की टांगों के बीच में एक बहुत बड़ा काला अजगर है... लेकिन जब मेरी रुपाली दीदी ने सचमुच में उस काले अजगर को अपनी आंखों से देखा तो हैरान रह गई..
 तकरीबन 10 इंच लंबा..... और खूब मोटा तगड़ा..... ऊपर छत की तरफ अपना मुंह उठाकर देख रहा था भीमा का  वह मुसल...
 मेरी रूपाली दीदी को  भीमा का मूसल देखकर ठाकुर साहब की याद आने लगी थी.... उनका 8 इंच का  करारा मुसल भी मेरी दीदी को इस अजगर के आगे फीका लग रहा था.... लेकिन मेरी दीदी के मन में एक दूसरी मुसीबत...
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोचने लगी थी: हाय हाय मै तो मर ही जाऊ .... मै तो बिस्तर से न उठ पाऊँगी ... इतना  बड़ा लंड.... यह आदमी इंसान है कि घोड़ा.....
 मेरी रूपाली दीदी यह सब सोच रही थी की भीमा ने मेरी बहन को अपनी गोद में उठा लिया और नीचे फर्श पर पटक दिया....
 और मेरी बहन के होठों को बुरी तरह चूमने लगा.... मेरी रूपाली दीदी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर भीमा के उस कड़क लंड को अपनी कलाई में पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगी.... उसके लंड का तापमान बढ़ा हुआ था... मेरी रूपाली दीदी को तो ऐसा लग रहा था जैसे उनका हाथ जल जाएगा.. उसकी मोटी मोटी नसे अपने हाथ की उंगलियों पर महसूस करके मेरी दीदी परेशान हैरान होने लगी थी.. फिर भी उसके लंड  को हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी.... मेरी रूपाली दीदी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी..... मेरी बहन हैरान होने लगी थी क्योंकि  मुसल और भी ज्यादा बड़ा होने लगा था....
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 05-10-2021, 12:24 AM



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