04-10-2021, 04:09 PM
(This post was last modified: 10-10-2021, 12:25 AM by Meerachatwani111. Edited 5 times in total. Edited 5 times in total.)
अब आगे..अंदर कमरे से ऊषा भाभी कि सित्कार और बाहर बरामदे से ऊसकी मामी कि हल्की सि चिखने कि आवाजें हम दोनो मुंह दाबे सुन रही थीं,कभी कभी ऊषा भाभी कि मामी कि गालियाँ यथा बहानचोद फार दिहलस रे,कभी ना रे गांड में मत घुसा और फिर जबाब में ,ना कईसे लेबू ,हई ला खा हमार केला बुरचोदी,नखरा मत चोदा और ईन सब बातो से मैं और सीमा दोनो समान रुप सेप्रभावित हो रही थी।भय और कामुक कल्पनाओं से पुरी तरह आंदोलित हो कभी मैं सीमा की और कभी सीमा मेरी कलाई पकर लेती कभी मैं उसकी जांघो पर अपनी हथेली रगर देती।अफिसर भितर जाने से पहले हम दोनो को वहीं पर रखे दो बक्से जिसमें शायद दुकान का सामान था ऊसी पर बैठा गया था,और तब से हम दोनो वैसे ही बैठी हुई थी।कभी मन ही मन यह सोच रही थी कि आखिर कोई हम दोनो से कुछ नं कह रहा है और न कर रहा है।ईसी उहापोह में समय व्यतीत हो रहा था,रमेश भैया भी अपनी नजर दूसरी तरफ देख रहे थे।कुछ देर में ही भीतर से जोर जोर की कुछ चरमराने कि आवाज सुनाई देने लगी,मैं समझ गई कि अब भाभी कि घचाघचचचचच्अपने चरम पर पहूँच गई है।प्रतीक्षा नही करनी परी,दो चार मीनट के बाद ही भाभी कि एक लम्बी छसिसकारी सुनाई दी लगा जैसे वो अपने चरम पर पहुंच गई हो,फिर आवाज आई हो गईल रे तोहार त हट अब हमे चढे दे।उषा भाभी लगभग रोती हुई बोल रही थी, अब हमें छोर दी सर बरी दरद हो रहल बा। फिर एक गरजदार आवाज आई कहाँ दरद हो रहल बा रे चुतमरानी उषा,बुर त भोंषरा बा,लगता लौरा बुर में ना मैदान में कबड्डी खेलत रहे.साली दिन रात लौड़ा ठंसबईलस रहतबारीस का रे।का होखी रे सीमा मै डर और लज्जा से सीमा से सटती हुई फुसफुसाहट के साथ बोली।वह मेरी ओर घुमती हुई बोली और का होखी,अब जब सिर ओखल मे पर ही गेल ह त मूसल के चोट परबे करी।हम दोनो अभी एक दूसरे के तरफ बातकर ही रही थी कि मुझे जैसे करेंट जैसी सिहरन हुई कोई मेरी गांड पर थपकी देते हुए बोल रहा था चली सनभीतरे बुलावल जाता।मैं घुम कर देखी वही आदमी जो मोटरसाइकिल से बाद में आया था,हम दोनो को भीतर चलने का ईशारा कर रहा था।मरती केया न करती सीमा और मैं धीमे गती से रुम केअंदर पहूंची।अंदर का नजारा देखते ही हम दोनो की सांसे उपर नीचे होने लगी,हमदोनो की भरी भरी चूंचिया अपने आप ही हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,भीतर ऊषा भाभी एक के शरीर पर पेट के बल लेटी हुई थी जिसका लंड ऊनकी बुर में था और दूसरा उनके गोले गोले चुतर को अपने दोनो पंजो से फैलाए हुए अपना लौरा आगे पिछे कर रहा था,और दामू अपना लौरा भाभी के मूंह में पेले हुए चुपचाप खरा था।भाभी भी हर झटके पर गुं गुं कर रही थी।यह सब देख कर मैं तो दहशत से मरी जा रही थी और ऊस घरी को कोश रही थी जब मैं ईस यात्रा के लिए राजी हुई थी।सर झूकाए हूए हम दोनो भीतर जा कर खरी ही हुई थी कि बरा वाला साहेब बोला,चलो तुम दोनों बताओ केया चाहती हो,ऐसा ही तुम लोगों के साथ हो कि रंडी बना के चालान कर दें।यह सुनकर तो मेरी हालत ही खराब हो गई, मूंह से आवाज निकालने कि शक्ति भी काफूर हो गई थी।सीमा भी सहमी हुई थी और कभी मेरी ओर देखती कभी साहेब कि ओर,कुछ क्षण चुप रह कर साहेब के घुटनो पर हाथ रख कर गिड़गिड़ाते हुए बोली,सर हम लोग अच्छे परिवार से हैं विश्वास करें हम लोग धाम पर ही जा रहे थे।सुनते ही वह अपने कुर्सी पर से ऊठता हुआ जोर से डपटते हुए बोला,शाली रंडी ,बुरचोदी दिन रात तुम जैसी रंडियों से पाला परता है,हमको का समझती है ललबबुआ,भोंषरीवाली।फिर कुछ मद्धिम स्वर में बोला चल पन्द्रह हजार रूपया निकाल, आखिर हमको भी ऊपर जबाब देना परता है,तुम लोगों को ईस रास्ते से आने का खबर मिला था,पुरे विभाग कोखबरदार कर दिया गया है।अब त चाहे गिरफ्तारी होगी फिर थाने में लौकअप में बंद कर दी जाओगी और लौकअप में केया होगा सो सोच लोफिर मां बाप का केया होगा जगहंसाई तो होगी ही और तुम लोग न अपने मायके कि रहोगी न पिहर की।अब मैंभी कुछ साहस बटोर कर साहेब कि पैरो पर गिरती हुई बोली सर हमलोग के पास ईतना रूपया तो नही है फिर अपने चोली में हाथ डाल कर छोटी सी पर् निकाली फिर ऊसके चेन को खोल कर सामने टेबल पर ऊलट दी जिसमें करीब सोलह सौ रुपए एक हजार,और पांच सौ के एक एक नोट और एक सौ का नोट साथ में कुछ रेजगारी थी, सीमा के पास कुल छौ सौ रुपए निकले।ऊसे मैं साहेब के सामने खिसकाते हुए बोली बस सर यही है हमलोगों के पास।मजाक करती है केया शाली,ओए ला चालान के बही एक सिपाही को ऊंगली से ईशारा करते हुए साहेब बोला।अब हम लोग ईतनी डर गई थी कि उषा भाभी कि गुगआहट भी नही सुनाई पर रही थी,ऊधर देखने कि हिम्मत भी नही हो रही थी,लेकिन चौकि कि चरमराहट से पता चल जा रही थी कि ठुकाई अपने चरम पर है,फच् फच् कि आवाजे खुद बयान कर रहे थे।साहेब के पैरों पर गिरती हुई मैं और सीमा दोनो लगभग रोते हुए बोली सर हमलोगों के जिन्दगी का सवाल है रहम किजिए।तब तक वह सिपाही ऐक रजिस्टर ले कर आ चुका था,जिसे हाथ में पकरते हुए हम दोनो के तरफ देख कर बोला,एक रास्ता है,बोल जैसे हम कहेंगे वैसे तुम दोनो करोगी तो बच सकती हो,बोलो करोगी तो ठिक है वरना चालान और गिरफ्तारी होगी ही।ऊसकी बात सुन दिल कोढाढस मिली और मैं और सीमा दोनो एक स्वर में बोली, जी सर जी सर आप जो भी कहेंगे वैसे हम दोनो करेंगी, विश्वास किजिए।तो सुन ले ,साहेब धमकी भरे स्वर में बोला,अगर एक बार भी ना नुकुर करोगी तो सिधे चालान और गिरफ्तारी और उ भी वेश्यावृत्ति के अपराध में।और जब निकलोगी जेल से त सिधे कोठा पर पहुंचोगी सो सोच लो।ना सर ,हम दोनो आपकी सभी बाते मानेंगी।ठीक है चल दोनो अपनी लहंगा कुर्ती ऊतार,अरे ओ मंगरुआ ई टेबुल त खिसका,उसने दरवाजे के पास खरे सिपाही से कहा।जब तक वह टेबूल खिसकाता हम दोनो अपने कपरे उतार ब्रा और पैंटी में शर्म से सर झुकाए खरी थी।जब तक टेबुल खिसका रहा था वह साहेब भी अपने पैन्ट को उतार कर सिर्फ अन्डरवियर में आ चुका था,फिर एक गरज के साथ बोला बुरचोदियों ई चूंचकसनी आ बुरझंप्पा हटाने के लिए तुमलोगों की मां आएगी मादरचोदी,चल जल्दी खोल।झिझक तो हो रही थी पर करती केया।जल्दी से हम दोनो ने अपनी ब्रा और पैन्टी हखोल कर ऐकदम नंगी हो गई।फिर वह हम दोनो को एक साथ अपने बांए हाथ को मेरी कमर को और दांए हाथ से सीमा के कमर को पकर कर अपने तरफ खिंचकर अपने दोनो जांघो पर बैठा लिया।अब ऊषा भाभी के साथ जो हो रहा था,हमलोगों के सामने था।देखी ऊषा भाभी दामु का लंड मूंह से निकालने के लिये सर को ईधर ऊधर झटके दे रही थी,लेकिन दामु जानबूझकर या किसी डर से पता नही हर बार भाभी कि सर को जकर ले रहा था।भाभी भी पस्त हो चुकी लग रही थी और चुपचाप बुर और गांड में लौरा ठुकवाए जा रही थी।ईथर उस हरामजादे साहेब ने अब मेरी और सीमा दोनो के चूंचियो पर अपने पंजे जमा दिए थे और कभी हौले और कभी जोर से दबा दबा कर पता नही केया जांच रहा था,फिर ऊसने हमारी चूंचियो को छोर उसने उषा भाभी के गांड में लंड घुसेरे आदमी को आवाज़ दी,अरे बलवंत मेरी मोबाइल कहां है रे।वहीं टेबुल के दराज में है सर,लेकिन अभी मोबाइल से कौन काम है,बलवंत भाभी कि गांड में पुर्ववत धक्के लगाता हुआ बोला।ईतना तु समझदार रहते त यहां के ईचार्ज तुम्ही ना होते,और य कहते हुए साहेब ने हाथ बढाकर दराज खोली और ऐक चार पांच ईंची का मोबाईल निकाली।उस समय तक मोबाईल का नाम तो सुनि थी पर देखी नही थी।फिर ऊसकी अंगुलियां कुछ दबाती रही, और फिर एक सामान्य टेलिफोन के घन्टी टनटनाने जैसी आवाज आ रही थी, थोरी देर के बाद ऊधर से आवाज आई,कैसे याद किए हैं माथुर जी,कोई खास बात।ईधर से साहेब जिसका नाम माथुर ,या ऊपनाम माथुर हो ने जबाब दिया,काहे हम आपको कभो भूल सकते हैं केया और जोर से हंसता हुआ बोला,आप बराबर कहते थे कोई जुगाड़ लगा दिजिए त ऊसी कारण फोन किए हैं।
अरे सच में केया ,ऊधर से हर्षमिश्रीत उत्तेजित आवाज आई।हां भाई सच में बोल रहे हैं ईधर से माथुर ने कहा ,फिर ऊधर से कुछ धीमी सी आवाज में कुछ कहा गया जिसके जबाब में साहेब जिसका नाम माथुर था बोला ना ना कोई बात नही पांच भी होता तो कोई बात नही,यहाँ त मेला लगी हुइ है,लेकिन माल पुरा लगेगा, ना जी वैसा आज नंही होगी एकदम धांसू माल है फिर ऊधर से कुछ बोला गया जिसके जबाब में माथुर ने कहा ठीक है आज आपके खातिर बुरभोज कर देते हैं,बाकी त आप जानते ही हैं सरकारी तनख्वाह से अपना परिवार ही चलाना संभव नही है,हेलो हेलो एक बात और सुन लिजीये आपकी परोस वाली चाची भी हैं...यहां पर नही बाहरे ओसारा में घपाघप करवा रही है फिर कुछ उथर से कहा गया जिसे सुनकर माथुर बोला लिजिए खुद अंदाज लगा लिजिए और यह कह कर हरामी माथुर ने अपने दाहिने पंजे में सीमा की चुंची ईतनी जोर से दबाई कि बरबस उसके मुंह से जोरदार चिख निकल गई, माथुर एक हाथ से मोबाइल सीमा के मुंह से सटा रखा था और दूसरे से सीमा कि चूंचियो को बेदर्दी से दबा रहा था,फिर सीमा कि चूंचि को छोड़ मेरी चूंची के निपल पकर कर फोन पर बोला अब दूसरा नमूना सुनिए और कहते कहते उसने मेरी नेपुल को ईतनी जोर से दबाया कि मैं नही चाहती हुई भी ऊईईई मां मर गई बोल बैठी।माथुर साहेब अब भी फोन पर बाते कर रहे थे।हं हं ठीक है बस तीन बजे तक...ठिक है आईए।कहकर माथुर हम दोनो के तरफ मुखातिब हुआ और धमकी भरे शब्दो मे बोला तुम लोगो के लिये मैने रुपये का जुगाड़ कर दिया है,अगर कुछ गरबर,या आनाकानी चोदी त बुर त यहाँ फटेगी ही और हवालात मेंभी और कहकर उसने बात अधुरी छोरकर उषा भाभी कि चुदाई कर रहे बलवंत से कहा जल्दी कर ना जी,जल्दी से मोबिल पल्टी कर और दोनो ममानी भांजी के साफ सफाई करवा के ले आ।महंथ जी आवत बारे।एक गोली से दूनो शिकार हो जाएगा।
अरे सच में केया ,ऊधर से हर्षमिश्रीत उत्तेजित आवाज आई।हां भाई सच में बोल रहे हैं ईधर से माथुर ने कहा ,फिर ऊधर से कुछ धीमी सी आवाज में कुछ कहा गया जिसके जबाब में साहेब जिसका नाम माथुर था बोला ना ना कोई बात नही पांच भी होता तो कोई बात नही,यहाँ त मेला लगी हुइ है,लेकिन माल पुरा लगेगा, ना जी वैसा आज नंही होगी एकदम धांसू माल है फिर ऊधर से कुछ बोला गया जिसके जबाब में माथुर ने कहा ठीक है आज आपके खातिर बुरभोज कर देते हैं,बाकी त आप जानते ही हैं सरकारी तनख्वाह से अपना परिवार ही चलाना संभव नही है,हेलो हेलो एक बात और सुन लिजीये आपकी परोस वाली चाची भी हैं...यहां पर नही बाहरे ओसारा में घपाघप करवा रही है फिर कुछ उथर से कहा गया जिसे सुनकर माथुर बोला लिजिए खुद अंदाज लगा लिजिए और यह कह कर हरामी माथुर ने अपने दाहिने पंजे में सीमा की चुंची ईतनी जोर से दबाई कि बरबस उसके मुंह से जोरदार चिख निकल गई, माथुर एक हाथ से मोबाइल सीमा के मुंह से सटा रखा था और दूसरे से सीमा कि चूंचियो को बेदर्दी से दबा रहा था,फिर सीमा कि चूंचि को छोड़ मेरी चूंची के निपल पकर कर फोन पर बोला अब दूसरा नमूना सुनिए और कहते कहते उसने मेरी नेपुल को ईतनी जोर से दबाया कि मैं नही चाहती हुई भी ऊईईई मां मर गई बोल बैठी।माथुर साहेब अब भी फोन पर बाते कर रहे थे।हं हं ठीक है बस तीन बजे तक...ठिक है आईए।कहकर माथुर हम दोनो के तरफ मुखातिब हुआ और धमकी भरे शब्दो मे बोला तुम लोगो के लिये मैने रुपये का जुगाड़ कर दिया है,अगर कुछ गरबर,या आनाकानी चोदी त बुर त यहाँ फटेगी ही और हवालात मेंभी और कहकर उसने बात अधुरी छोरकर उषा भाभी कि चुदाई कर रहे बलवंत से कहा जल्दी कर ना जी,जल्दी से मोबिल पल्टी कर और दोनो ममानी भांजी के साफ सफाई करवा के ले आ।महंथ जी आवत बारे।एक गोली से दूनो शिकार हो जाएगा।