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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
मेरी रुपाली दीदी की नशीली लाल आंखों में देखते हुए भीमा ने उनको जवाब दिया..
 भीमा:  अब हम आपको क्या बताएं भौजी... हमारी दुकान तो बहुत शानदार है... अभी तो आप ठीक से हमारा दुकान का सब सामान भी नहीं देखे हो... लेकिन क्या करें भौजी हमार किस्मत फूटी हुई है..  जोड़ीदार नहीं मिलता है हमको साथ में "काम" करने के लिए...  भौजी "काम" करने में तभी मजा आवे है जब साथ में टक्कर का जोड़ीदार मिल जाए..
 मेरी रुपाली  दीदी: अच्छा.... भैया जी हम समझ गए आप  की बात.. आपको अपनी दुकान में हाथ बंटाने के लिए सहारे की जरूरत है... इसीलिए आप कोई टक्कर का जोड़ीदार ढूंढ रहे हैं...
 मेरी रूपाली दीदी उसकी डबल मीनिंग बातों को समझ कर भी अनजान बनने का नाटक कर रही थी..
 मेरी बहन की नजर उसकी लूंगी में  तने हुए उसके खूंखार मुसल पर टिकी हुई थी.. उसकी लंबाई चौड़ाई का अंदाजा लगाकर ही मेरी दीदी का गला सूखने लगा था..
 भीमा:  सही कह रही हो आप  भौजी... कोनो जोड़ीदार  हो साथ में तो काम करने में मन  भी लागत है... सहायता भी हो जात है.. और खूब मजा भी आता था.... भौजी जोड़ीदार चाहिए  हमका.. तभी तो जोरदार तरीके से "काम "होई ... एक बात बोली हम भौजी.... हमका कभी अपना टक्कर का जोड़ीदार नहीं मिला... अभी 7 महीना पहले तक तो हम किसी तरह गुजारा कर लिया जब हमारी मेहरारू हमारे साथ थी...
 मेरी रूपाली दीदी हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए उसकी बातें सुन रही थी.. और मन ही मन उसकी बीवी के बारे में सोच रही थी..
 भीमा:  हमार लुगाई जब हमारे साथ रहती थी.. तो कभी-कभी "काम" में हमारा हाथ बढ़ा दिया करती थी... अब त  ओ भी सहारा नहीं बा हमार पास... बड़ा मुश्किल से हमार रात कटता भौजी..
 यह सब बोलते हुए उसने मेरी रूपाली दीदी के एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में लेकर बहुत जबरदस्त तरीके से पीस दिया... दर्द के मारे मेरी बहन बिलबिलआने लगी थी...
 मेरी बहन की चूची से दूध निकलने लगा था... उसकी इस हरकत पर मेरी रूपाली दीदी तड़प कर उसकी तरफ देखने लगी और  बोल पड़ी.
 मेरी रूपाली दीदी: आहह... इस्स्स... आहह.. भीमा भैया.. क्या करते हो आप... प्लीज ऐसा मत कीजिए ना..
  भीमा:  माफ कर दा हमके भौजी... हमारा हाथ फिसल  गया.... हम जानबूझकर  नहीं किया हूं... बस कुछ देर के बा भौजी... बिटिया रानी के बाल के कटिंग तो हो  गईल...  बस साफ सफाई करे के बा..
 मेरी रूपाली दीदी की दोनों चुचियों से आग निकलने लगी थी... साथ ही साथ दूध भी.. मेरी बहन ने ब्रा पहन रखी थी वरना  भीमा को सब कुछ दिख जाता... 
 दूसरी तरफ मेरी भांजी सोनिया तो रो-रो के थक हार कर कटिंग चेयर के ऊपर ही सो चुकी थी... मेरी रूपाली दीदी को तो इस बात का एहसास ही नहीं था... वह तो बस  भीमा की कामुक बातें सुन रही थी... और उसकी आंखों में देख रही थी बड़े प्यार से...
 भीमा ने अपने पास में पड़े हुए एक बक्से को खोल कर उसमें से एक पान निकालकर अपने मुंह में दबा दिया.. उस बक्से के अंदर बहुत सारे पान पड़े हुए थे.. मेरी दीदी उसके लाल लाल होठों और लाल लाल जुबान को देख कर ही समझ गई थी कि यह बहुत पान खाता है..
 वह अपनी आंखें बंद किए हुए पान का आनंद ले रहा था.. 
भीमा:  मजा आई गया भौजी... बहुत मस्त पानवा बा.....
 भीमा को इस तरह से आनंद लेते हुए देखकर मेरी रूपाली दीदी खिलखिला कर हंसने लगी थी...
 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी आप तो बहुत ज्यादा  पांच बातें हो हमको लगता है... तभी तो आपके दांत और   आपकी जुबान भी  इतने लाल लाल हो गए..
 भीमा ने मेरी बहन की बात का बुरा नहीं माना.. बल्कि वह तो और भी मेरी दीदी के पास आकर खड़ा हो गया और अपना मुंह खोल कर पान चबाते हुए मेरी दीदी को दिखाने लगा... पान चबाने के साथ ही साथ उसका काला बाबूराव उसकी लूंगी में तूफान मचाने लगा था... मेरी रूपाली दीदी कभी उसकी तरफ देखती तो कभी उसकी लूंगी की तरफ...
 अचानक ही मेरी रूपाली दीदी ने उससे एक सवाल पूछ लिया..
 मेरी रुपाली  दीदी:  भैया जी... आप तो कह रहे थे कि आपकी पत्नी 7 महीने पहले तक आपकी जोड़ीदार थी... अब कहां है आपकी पत्नी.. वैसे कौन-कौन है आपके घर में?
 भीमा:  अब हम आपको क्या बताएं भौजी.... हमार लुगाई और हमार तीन बच्चा अभी हमार लुगाई के मायके में है.. हम उसको गलती से एक बार फिर पेट से कर दिए थे... इसीलिए वह अपने मायके गई है..
 मेरी रूपाली दीदी( हैरानी से):  क्या बोल रहे हो आप भैया जी... आपके तीन बच्चे हैं और चौथा बच्चा रास्ते में है... हे भगवान कैसे मर्द हो आप..
  भीमा हा हा हा करके हंस रहा था.... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी कि यह कैसा इंसान है.... इतनी गरीबी और महंगाई के जमाने में भी 4 बच्चे पैदा कर रहा है...
 भीमा ने अपनी पान की डिबिया में से एक पान निकाल कर मेरी रुपाली दीदी के चेहरे के आगे  प्रस्तुत करते हुए कहा...
 भीमा:  भौजी आप पहली बार हमार घर पर आई  हो... तोहार स्वागत की खातिर हमारे पास कौनो पकवान तो नहीं बा... लेकिन बस ई  पान बा तोहरे खातिर... इ  पान के लेला अपना मुंह के अंदर हमारी खातिर... तू हमार ठाकुर साहब के खास  बाड़ू... तोहार स्वागत करेंगे खातिर हमरा पास पान के अलावा और कछु नहीं बा..
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं नहीं भैया जी ऐसी कोई बात नहीं है... मैं पान नहीं खाती हूं... आपने हमारा इतना ख्याल रखा है यही बड़ी बात है.
 भीमा  पान  खाता हुआ मजे से बोल रहा था..
 भीमा:  अरे  भौजी.... ई हमार पान बहुत शानदार बा... बड़का बड़का लोग आवेला  पान की खातिर हमार दुकान पर... तू एक बार खा कर देख  देख  त ला... मजा ना आए तो हमार नाम  भीमा हजाम नहीं..
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी:  ऐसा क्या मजा है इस  पान में जो  उनको खिलाना चाहता है.... कहीं कोई ऊंच-नीच हो गई तो..
 ऐसा तो नहीं था कि मेरी रूपाली दीदी ने अपनी जिंदगी में पहले कभी  पान नहीं खाया था... और भीमा जिस प्रकार से उनको पान खाने के लिए गुहार लगा रहा था मेरी दीदी के मन में भी उत्सुकता बढ़ने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी उसके हाथ से पान लेकर  अपने मुंह के अंदर ले ली और  चबाने लगी थी.... पान का स्वाद कुछ खास नहीं था... साधारण पान की तरह ही था वह.... लेकिन कुछ देर में ही मेरी रूपाली दीदी का सर घूमने लगा.... उनकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा... और मेरी रूपाली दीदी के बदन पर हजारों कीड़े एक साथ रेंगने  लगे थे.. वासना के कीड़े..
 मेरी रुपाली जी दिन मस्ती में आ चुकी थी.... और अपनी चूची तान के भीमा हजाम के सामने खड़ी थी...
 भीमा भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था... अब तो बस वह मेरी बहन को पटक पटक के....  जन्नत की सैर करना चाह रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी... आपका  पान का तो गजब का नशा है.. ऐसा लग रहा है जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं...
  भीमा:  सही पकड़े हो आप भौजी... इसको पलंग तोड़ पान बोलते हैं... इस पलंग तोड़ पान को लेने के लिए इस शहर के बड़े बड़े लोग आते हैं हमारी दुकान पर... बहुत जोर जोर से हंस रहा था भीमा..
 उसने मेरी भांजी सोनिया के बाल की कटिंग खत्म कर दी थी... सोनिया तो वही कुर्सी पर ही सो गई थी.
 भीमा:  अब क्या करें हम भौजी.... तोहार बिटिया रानी तो सो गई है...
 मेरी रूपाली दीदी नशे की हालत में भीमा के बिल्कुल पास आकर खड़ी हो गई हंसती हुई मुस्कुराती हुई और अपने होठों पर उंगली रख कर बोली..
  भैया जी... धीरे बोलिए ना... हमारी बिटिया जाग गई तो हम ठीक से बात भी नहीं कर पाएंगे... हमको आपके साथ बहुत सारी बातें करनी है..
 भीमा समझ चुका था.. चिड़िया उसके जाल में फंस गई है... अब तो बस अपनी खोली के अंदर ले जाकर अपने बिस्तर पर इसको अच्छे से रगड़ना है..
 भीमा:  एक काम करते हैं भौजी... हम अपना दुकान का शटर गिरा देता हूं... फिर हम आपको अपना  खोली के अंदर ले जाऊंगा... फिर वहीं  बिस्तर पर हम लोग  बैठकर बातचीत करेंगे...
 मेरी रुपाली  दीदी:  लेकिन एक शर्त पर भैया जी.. हम आपकी खोली के अंदर आपके साथ जाएंगे...
 भीमा:   का शर्त बा भौजी... हमके बतावा ना... आज तो हम तोहार सब....  शर्त पूरा कर  देंगे...
 मेरी रूपाली दीदी:  दरअसल भैया जी... हमको एक और पान खाना है..
 भीमा:  इ ला हमार भौजी.. जितना मन करें उतना पान खा.. खूब खा तू.. हम अभी दुकान का शटर बंद कर कर आता हूं..
 मेरी रूपाली दीदी के मुंह के अंदर एक पान  डालकर भीमा अपनी दुकान की शटर बंद कर दिया... और फिर उसने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया और उसको लेकर अपनी खोली के अंदर गया... वहां अपने पलंग पर उसने सोनिया को  लिटा दिया... फिर वापस अपनी दुकान में आया.. मेरी रूपाली दीदी के पास...
 मेरी रूपाली दीदी भीमा के दुकान के अंदर खड़ी अपनी आंखों में वासना की लाल डोरे लिए हुए उसका इंतजार कर रही थी... भीमा जब अंदर आया और जब उसने मेरी बहन को देखा तो उसके मन में हलचल होने लगी थी... उसे लगने लगा था यह सब कुछ सपना है..
 भीमा:  चलो भौजी.... हमार खोली के भीतर... वहां बैठकर हमारे बिस्तर पर तोहार साथ में बात करेंगे ..
 मेरी रूपाली दीदी तो अब नखरे दिखाने लगी थी..
 मेरी रुपाली  दीदी:  ऐसे नहीं भैया जी... हमको भी अपना गोद में उठाकर ले चलिए... जैसे हमारी बिटिया को ले गए थे..
 भीमा की खुशी का ठिकाना नहीं था..
 उसने बिना देर किए हुए मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और अपने  काले मुसल के ऊपर बिठा लिया और अपनी खोली के अंदर ले गया... लूंगी और अपनी साड़ी के ऊपर ही सही मेरी रूपाली दीदी उसके  बड़े देहाती हथियार के ऊपर बैठकर उसकी खोली के अंदर गई थी...
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 03-10-2021, 01:33 AM



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