23-04-2019, 08:21 AM
(This post was last modified: 26-04-2021, 05:01 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सुनहली बारिश
![[Image: Golden-shower-857bb1e266a06ef3fad055fa52072b3c.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/02/Golden-shower-857bb1e266a06ef3fad055fa52072b3c.jpg)
आसमान में बादल भी छिटक गए थे और चाँद निकल आया था। पेड़ों के झुरमुट में मुड़ने के पहले एक बार एक पल ठहर कर मैंने देखा, तो सुनील की बहन छटपटारही थी, लेकिन उसके दोनों हाथ, एक हाथ से बसंती ने पकड़ रखा था, और दूसरे हाथ से उसके फूले-फूले गाल जोर से दबा रखे थे।
उसने गौरेया की तरह मुँह चियार रखा था, और उसके मुँह के ठीक ऊपर, गुलबिया, दोनों घुटने मोड़े, साड़ी उसकी कमर तक,
और मान गयी मैं गुलबिया को , बंसती सही ही कह रही थी , एक बार उसकी पकड़ में आने के बाद बचना मुश्किल था , जिस तरह वो बैठी थी ,
घुटने मोड कर , गुलबिया की दोनों मजबूत पिंडलियाँ , उस कच्ची कली के दोनों हाथों पर लाख कोशिश कर ले , सूत भर भी हिल नहीं सकती थी , गुलबिया की देहःका पूरा जोर नीरू के हाथों पर ,
गुलबिया की मांसल चिकनी तगड़ी जाँघे ,... जैसे किसी लोहार ने अपनी सँड़सी से घन मारने के लिए लोहे को कस के पकड़ रखा हो ,
उस नयी आयी जवानी के सर को , कस के दबोच रखा था , उन जांघों ने ,... बाज की चोंच में गौरेया ,...
और गौरेया ने मुंह चियार रखा था ,
" पी ले , पी ले ,... अरे अइसन स्वाद लगेगा की खुदे आओगी मुंह फैलाये , लेकिन बोलना पडेगा रानी ,... बिन बोले मैं पिलाऊंगी नहीं , और बिन पिलाये छोडूंगी नहीं, अभी तो खाली हम दोनों हैं देर करोगी तो ,... "
गुलबिया उसे उकसा रही थी ,
मैं बँसवाड़ी की आड़ में खड़ी , छिपी दुबकी , खेल तमाशा देख रही थी , अबतक लग रहा था की बसंती आज मज़ाक मज़ाक में , लेकिन अब लग रहा था ,
वो नयी आयी जवानी वाली कुछ देर तक तो , लेकिन ,... जिस तरह गुलबिया ने जोर से उसकी घुंडी पकड़ के मरोड़ा , पहले तो वो चीखी ,
पर वो समझ गयी ,...
"मू ,... मू ,... "
" अरे ननद रानी पूरा बोल , खुल के तब उ भौजाइन का परसाद मिलेगा , देखना , ई टिकोरे अइसन जल्दी से बड़े होंगे न , ... ले चलूंगी तोहें अपने टोले भरौटी मेंएक दिन , पहले भरौटी क भौजाइन के संग फिर ,...
पता नहीं उस ने बोला की नहीं , लेकिन बसंती ने मुझे देख लिया , ( देख तो मुझे दोनों शुरू से रही थीं ) , बोली ,
" अरे घबड़ा जनि अरे जरा आज इसको , ... फिर कल से तोहें बिना नागा पिलाऊंगी , ... झान्टन से छान के सुनहला शरबत ,... सबेरे सबेरे ,... "
" अरे खाली सबेरे नहीं दोनों जून , ... और खाली पिलाऊंगी नहीं , खिलाऊंगी भी , पचा पचाया ,... घबड़ा जिन ननद रानी "
मैं छुपने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी ठिठक कर रुक गयी
और फिर बारिश शुरू हो गई, पहले तो बूँद-बूँद, फिर घल-घल, गुलबिया की जाँघों के बीच से, सुनहली पीली बारिश,
“अरे बिना भौजाइन क खारा शरबत पिए, हमारे ननदन क जवानी ठीक से नहीं आती…” बंसती बोल रही थी।
मेरी आँखे वहीँ चिपकी थी , उस कच्ची कली का मुंह एकदम खुला था , सुनहली बारिश , पहले बूँद बूँद ,... फिर
तेज धार , छरर छरर ,
एक बूँद बाहर छलकी तो गुलबिया गरजी ,
एक बूँद भी ननद रानी बाहर नहीं ,
मेरी आँखे वही चिपकी थी , कल की लड़की , मुझसे भी छोटी और कैसे
तब तक कामिनी भाभी की आवाज आयी , और मैं बँसवाड़ी से निकल कर उनके पास
कामिनी भाभी का घर पास में ही था, थोड़ी देर में मैं और चम्पा भाभी, उनके साथ, उनके घर पहुँच गए।
![[Image: Golden-shower-857bb1e266a06ef3fad055fa52072b3c.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/02/Golden-shower-857bb1e266a06ef3fad055fa52072b3c.jpg)
आसमान में बादल भी छिटक गए थे और चाँद निकल आया था। पेड़ों के झुरमुट में मुड़ने के पहले एक बार एक पल ठहर कर मैंने देखा, तो सुनील की बहन छटपटारही थी, लेकिन उसके दोनों हाथ, एक हाथ से बसंती ने पकड़ रखा था, और दूसरे हाथ से उसके फूले-फूले गाल जोर से दबा रखे थे।
उसने गौरेया की तरह मुँह चियार रखा था, और उसके मुँह के ठीक ऊपर, गुलबिया, दोनों घुटने मोड़े, साड़ी उसकी कमर तक,
और मान गयी मैं गुलबिया को , बंसती सही ही कह रही थी , एक बार उसकी पकड़ में आने के बाद बचना मुश्किल था , जिस तरह वो बैठी थी ,
घुटने मोड कर , गुलबिया की दोनों मजबूत पिंडलियाँ , उस कच्ची कली के दोनों हाथों पर लाख कोशिश कर ले , सूत भर भी हिल नहीं सकती थी , गुलबिया की देहःका पूरा जोर नीरू के हाथों पर ,
गुलबिया की मांसल चिकनी तगड़ी जाँघे ,... जैसे किसी लोहार ने अपनी सँड़सी से घन मारने के लिए लोहे को कस के पकड़ रखा हो ,
उस नयी आयी जवानी के सर को , कस के दबोच रखा था , उन जांघों ने ,... बाज की चोंच में गौरेया ,...
और गौरेया ने मुंह चियार रखा था ,
" पी ले , पी ले ,... अरे अइसन स्वाद लगेगा की खुदे आओगी मुंह फैलाये , लेकिन बोलना पडेगा रानी ,... बिन बोले मैं पिलाऊंगी नहीं , और बिन पिलाये छोडूंगी नहीं, अभी तो खाली हम दोनों हैं देर करोगी तो ,... "
गुलबिया उसे उकसा रही थी ,
मैं बँसवाड़ी की आड़ में खड़ी , छिपी दुबकी , खेल तमाशा देख रही थी , अबतक लग रहा था की बसंती आज मज़ाक मज़ाक में , लेकिन अब लग रहा था ,
वो नयी आयी जवानी वाली कुछ देर तक तो , लेकिन ,... जिस तरह गुलबिया ने जोर से उसकी घुंडी पकड़ के मरोड़ा , पहले तो वो चीखी ,
पर वो समझ गयी ,...
"मू ,... मू ,... "
" अरे ननद रानी पूरा बोल , खुल के तब उ भौजाइन का परसाद मिलेगा , देखना , ई टिकोरे अइसन जल्दी से बड़े होंगे न , ... ले चलूंगी तोहें अपने टोले भरौटी मेंएक दिन , पहले भरौटी क भौजाइन के संग फिर ,...
पता नहीं उस ने बोला की नहीं , लेकिन बसंती ने मुझे देख लिया , ( देख तो मुझे दोनों शुरू से रही थीं ) , बोली ,
" अरे घबड़ा जनि अरे जरा आज इसको , ... फिर कल से तोहें बिना नागा पिलाऊंगी , ... झान्टन से छान के सुनहला शरबत ,... सबेरे सबेरे ,... "
" अरे खाली सबेरे नहीं दोनों जून , ... और खाली पिलाऊंगी नहीं , खिलाऊंगी भी , पचा पचाया ,... घबड़ा जिन ननद रानी "
मैं छुपने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी ठिठक कर रुक गयी
और फिर बारिश शुरू हो गई, पहले तो बूँद-बूँद, फिर घल-घल, गुलबिया की जाँघों के बीच से, सुनहली पीली बारिश,
“अरे बिना भौजाइन क खारा शरबत पिए, हमारे ननदन क जवानी ठीक से नहीं आती…” बंसती बोल रही थी।
मेरी आँखे वहीँ चिपकी थी , उस कच्ची कली का मुंह एकदम खुला था , सुनहली बारिश , पहले बूँद बूँद ,... फिर
तेज धार , छरर छरर ,
एक बूँद बाहर छलकी तो गुलबिया गरजी ,
एक बूँद भी ननद रानी बाहर नहीं ,
मेरी आँखे वही चिपकी थी , कल की लड़की , मुझसे भी छोटी और कैसे
तब तक कामिनी भाभी की आवाज आयी , और मैं बँसवाड़ी से निकल कर उनके पास
कामिनी भाभी का घर पास में ही था, थोड़ी देर में मैं और चम्पा भाभी, उनके साथ, उनके घर पहुँच गए।