23-04-2019, 07:45 AM
(This post was last modified: 04-10-2019, 03:44 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
लुट गया भरतपुर… साल्ली का, होली में,
और जिस तरह से रीमा सिसक रही थी, उचक रही थी।
उससे साफ़ था की कम से कम एक ऊूँगली जड़ तक धंस चुकी थी और दूसरी,
उनकी कुूँवारी, कच्ची कली साली के जादुई बटन को क्लिट को जोर-जोर से रगड़ दबा रही थी।
वहाूँ पर पानी रीमा की कमर के बराबर था।
मैंने मुश्कुरा के छुटकी और लाली इशारा ककया,
और दोनों ने मिल के अपने जीजू के शॉर्ट के साथ वही सलूक किया जो उन्होंने रीमा की जींस के साथ किया था। और उठाकर सीधे मेरी ओर
अबकी उनके शार्ट को कैच करने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं अपनी छोटी बहनों का साथ दे रही थी , और मैंने कैच कर लिया।
शेर पिंजड़े से बाहर आ गया था, लेकिन कब तक।
दो नटखट, नवल नवेली, नए आ रहे जोबन के जोर से मदमाती, दो सालियाँ छुटकी और लाली थी न उसे गिरफ्तार करने को।
पकड़ने , रगड़ने को।
दोनों मिल के उसे मुठिया रहीं थीं , रंग पोत रही थीं।
उन्होंने रीमा के कान में कुछ कहा और रीमा, चहबच्चे का किनारा पकड़ के झुक गयी,
मैं और रीतू भाभी, साूँस थामे, देख रहे थे। हमारी दिल की धड़कने बढ़ रही थी।
हमें मालूम था की असली होली तो अब शुरू होने वाली है।
मैंने छुटकी और उसकी सहेली लीला को इशारा किया , और वो धीमे से दूसरे किनारे से चुपचाप हलके से निकल आयीं ,
इन्हे रीमा के पास अकेले छोड़कर, और हमदोनों के पास बैठ के देखने लगीं ।
अंदाज तो उन दोनों कच्ची कलियों को भी था की अब बस उनकी सहेली की फटने वाली है।
वो और रीमा ऐसी जगह थे जहाूँ पानी एकदम छिछला था और ‘बहुत कुछ’ बल्कि ' सब कुछ ' दिख रहा था।
कुछ देर उन्होंने रीमा के उभरते उभारों को जोर जोर से मसला, अपनी टाींगों को अपनी कच्ची उमर की साली की लम्बी गोरी टांगों के बीच में डाल के अच्छी तरहफैलाया ,
और अपना हथियार , उसकी गुलाबी परी के सेंटर पे सेट किया ।
रीतू भाभी ने छेड़ते हुए अपनी दोनों कुूँवारी ननदों से कहा-
“ठीक से देख, अभी तुम दोनों की भी ऐसे फटेगी …”
उनकी उँगलियों की की बदमाशी और उनके खूंटे की गुलाबी परी पे रगड़, मस्ती के मारे रीमा की हालत ख़राब हो रही थी।
“करो न जीजू…”
उसके होंठों से सिसकियों के बीच निकल रहा था। वो कच्ची कली , दर्जा नौ में पढ़ने वाली उनकी कोरी स्साली , मस्ता रही थी ,गरमा रही थी ,
बस, उनसे ज्यादा कौन जानता था लोहा गरम करना, और… ठीक समय पर हथोड़ा मारना।
और उन्होंने हथोड़ा मार दिया ।
रीमा बहुत जोर से चीखी।
लेकिन न वो रुके न उन्होंने होंठ बंद किये उसके। बस एक धक्का और मारा फिर दूसरा, तीसरा,
और हर धक्का पहले से दूना जोर से…
और वो रीतू भाभी की ननद , छुटकी की सहेली , इनकी स्साली , कली से फूल बन गयी।
आज होली जानबूझ के इसलिए बगीचे में थी, की इन पेड़ों के बीच न तो सालियों की चीखें सुनायी देंगी न मस्ती की आवाज।
जितना चीखना
हों , चीखें मन भर के।
उन्होंने अब रीमा को पुचकारना, चूमना शुरू कर दिया । उनके हाथ उसके कच्चे टिकोरों को प्यार से दबा रहे थे, सहला रहे थे।
कुछ ही देर में दर्द भरी चीख, मजे की सिसकारियों में बदल गयी। रीमा भी अपने छोटे-छोटे नितम्ब पीछे की ओर पुश करने लगी।
और अब उनके धक्कों की रफ्तार दूनी हो गयी। मोटा खूंटा सटासट अंदर बाहर हो रहा था
. रीमा झुकी , निहुरी थी , और ये पूरी ताकत से अपनी साली कीचुनमुनिया में हचक हचक के ठेल रहे थे , पेल रहे थे।
और जहाँ हम बैठे थे वहां से रीमा की बुलबुल में उनका मोटा मूसल अंदर बाहर होता साफ़ साफ़ दिख रहा था।
छुटकी और लीला , मेरे और रीतू भाभी के साथ अपनी सहेली की फटने की , गपागप घोंटने की हाल देख रहे थे
मैंने कनखखयों से छुटकी और लीला की ओर देखा, हम दोनों से ज्यादा मजा उन दोनों को आ रहा था।
भाभी हों, और ननद नन्दोई हों और गालियां न हों,
रीतू भाभी चालू हो गयीीं
चोदा, चोदा, अरे हमरी नन्दी के बुर चोदा,
चोदा, चोदा।
कुछ आज चोदा, कुछ कालह चोदा, कुछ होली के बाद चोदा।
चोदा, चोदा।
रीमा के चोदा, लीला के चोदा, अरे छुटकी को सारी रात चोदा।
चोदा, चोदा।
जीजा साली रंगों में डूबे, नहाये, ‘असली होली’ का मजा ले रहे थे। गपागप ,सटासट
और जब उनकी मोटी बित्ते भर की पिचकारी ने सफ़ेद रंग छोड़ा, अपनी प्यारी साली की कच्ची चूत में, वो दो बार किनारे लग चुकी थी। थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसेही चहबच्चे में पड़े रहे, खड़े खड़े।
और किर जब वो निकले , उनकी सालियों छुटकी और लीला ने उन्हें घेर लिया।
और जिस तरह से रीमा सिसक रही थी, उचक रही थी।
उससे साफ़ था की कम से कम एक ऊूँगली जड़ तक धंस चुकी थी और दूसरी,
उनकी कुूँवारी, कच्ची कली साली के जादुई बटन को क्लिट को जोर-जोर से रगड़ दबा रही थी।
वहाूँ पर पानी रीमा की कमर के बराबर था।
मैंने मुश्कुरा के छुटकी और लाली इशारा ककया,
और दोनों ने मिल के अपने जीजू के शॉर्ट के साथ वही सलूक किया जो उन्होंने रीमा की जींस के साथ किया था। और उठाकर सीधे मेरी ओर
अबकी उनके शार्ट को कैच करने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं अपनी छोटी बहनों का साथ दे रही थी , और मैंने कैच कर लिया।
शेर पिंजड़े से बाहर आ गया था, लेकिन कब तक।
दो नटखट, नवल नवेली, नए आ रहे जोबन के जोर से मदमाती, दो सालियाँ छुटकी और लाली थी न उसे गिरफ्तार करने को।
पकड़ने , रगड़ने को।
दोनों मिल के उसे मुठिया रहीं थीं , रंग पोत रही थीं।
उन्होंने रीमा के कान में कुछ कहा और रीमा, चहबच्चे का किनारा पकड़ के झुक गयी,
मैं और रीतू भाभी, साूँस थामे, देख रहे थे। हमारी दिल की धड़कने बढ़ रही थी।
हमें मालूम था की असली होली तो अब शुरू होने वाली है।
मैंने छुटकी और उसकी सहेली लीला को इशारा किया , और वो धीमे से दूसरे किनारे से चुपचाप हलके से निकल आयीं ,
इन्हे रीमा के पास अकेले छोड़कर, और हमदोनों के पास बैठ के देखने लगीं ।
अंदाज तो उन दोनों कच्ची कलियों को भी था की अब बस उनकी सहेली की फटने वाली है।
वो और रीमा ऐसी जगह थे जहाूँ पानी एकदम छिछला था और ‘बहुत कुछ’ बल्कि ' सब कुछ ' दिख रहा था।
कुछ देर उन्होंने रीमा के उभरते उभारों को जोर जोर से मसला, अपनी टाींगों को अपनी कच्ची उमर की साली की लम्बी गोरी टांगों के बीच में डाल के अच्छी तरहफैलाया ,
और अपना हथियार , उसकी गुलाबी परी के सेंटर पे सेट किया ।
रीतू भाभी ने छेड़ते हुए अपनी दोनों कुूँवारी ननदों से कहा-
“ठीक से देख, अभी तुम दोनों की भी ऐसे फटेगी …”
उनकी उँगलियों की की बदमाशी और उनके खूंटे की गुलाबी परी पे रगड़, मस्ती के मारे रीमा की हालत ख़राब हो रही थी।
“करो न जीजू…”
उसके होंठों से सिसकियों के बीच निकल रहा था। वो कच्ची कली , दर्जा नौ में पढ़ने वाली उनकी कोरी स्साली , मस्ता रही थी ,गरमा रही थी ,
बस, उनसे ज्यादा कौन जानता था लोहा गरम करना, और… ठीक समय पर हथोड़ा मारना।
और उन्होंने हथोड़ा मार दिया ।
रीमा बहुत जोर से चीखी।
लेकिन न वो रुके न उन्होंने होंठ बंद किये उसके। बस एक धक्का और मारा फिर दूसरा, तीसरा,
और हर धक्का पहले से दूना जोर से…
और वो रीतू भाभी की ननद , छुटकी की सहेली , इनकी स्साली , कली से फूल बन गयी।
आज होली जानबूझ के इसलिए बगीचे में थी, की इन पेड़ों के बीच न तो सालियों की चीखें सुनायी देंगी न मस्ती की आवाज।
जितना चीखना
हों , चीखें मन भर के।
उन्होंने अब रीमा को पुचकारना, चूमना शुरू कर दिया । उनके हाथ उसके कच्चे टिकोरों को प्यार से दबा रहे थे, सहला रहे थे।
कुछ ही देर में दर्द भरी चीख, मजे की सिसकारियों में बदल गयी। रीमा भी अपने छोटे-छोटे नितम्ब पीछे की ओर पुश करने लगी।
और अब उनके धक्कों की रफ्तार दूनी हो गयी। मोटा खूंटा सटासट अंदर बाहर हो रहा था
. रीमा झुकी , निहुरी थी , और ये पूरी ताकत से अपनी साली कीचुनमुनिया में हचक हचक के ठेल रहे थे , पेल रहे थे।
और जहाँ हम बैठे थे वहां से रीमा की बुलबुल में उनका मोटा मूसल अंदर बाहर होता साफ़ साफ़ दिख रहा था।
छुटकी और लीला , मेरे और रीतू भाभी के साथ अपनी सहेली की फटने की , गपागप घोंटने की हाल देख रहे थे
मैंने कनखखयों से छुटकी और लीला की ओर देखा, हम दोनों से ज्यादा मजा उन दोनों को आ रहा था।
भाभी हों, और ननद नन्दोई हों और गालियां न हों,
रीतू भाभी चालू हो गयीीं
चोदा, चोदा, अरे हमरी नन्दी के बुर चोदा,
चोदा, चोदा।
कुछ आज चोदा, कुछ कालह चोदा, कुछ होली के बाद चोदा।
चोदा, चोदा।
रीमा के चोदा, लीला के चोदा, अरे छुटकी को सारी रात चोदा।
चोदा, चोदा।
जीजा साली रंगों में डूबे, नहाये, ‘असली होली’ का मजा ले रहे थे। गपागप ,सटासट
और जब उनकी मोटी बित्ते भर की पिचकारी ने सफ़ेद रंग छोड़ा, अपनी प्यारी साली की कच्ची चूत में, वो दो बार किनारे लग चुकी थी। थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसेही चहबच्चे में पड़े रहे, खड़े खड़े।
और किर जब वो निकले , उनकी सालियों छुटकी और लीला ने उन्हें घेर लिया।