23-04-2019, 07:42 AM
(This post was last modified: 04-10-2019, 03:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
स्साली : रीमा और लाली
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था
तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।
मैंने वहीँ से छुटकी और लीला को इशारा किया और अगले पल रीमा की तरह वो भी टापलेस थे। और तीनों सालियों के शोर के बीच, चहबच्चे के बाहर उनकी
टी शर्ट मैंने कैच की।
वो टॉपलेस हो गए , लेकिन उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा।
वो उसी तरह अपनी प्यारी साली की, रीमा की नयी नयी आयी कच्ची ३० बी साइज़ की छोटी छोटी चूँचियाँ जोर-जोर से रगड़ते रहे, रंग पोतते रहे।
हाँ अब एक हाथ सरक के सीधे, छुटकी की सहेली , रीमा की जींस के ऊपर, पहले बटन, फिर ज़िपर , और उनका हाथ अंदर , .... और अगले पल रीमा की सिसकारियाँ चालू,
हम सब समझ गए थे की, भरतपुर पे, उसके जीजा की हथेली ने कब्जा जमा लिया है।
लेककन रीतू भाभी, पक्की छिनार उन्हें इतने से सन्तोष थोड़े ही था।
जब तक ननद पूरी तरह नंगी , एकदम निसूती न हो जाय,... तब तक क्या होली,
वहीँ से उन्होंने ललकारा, अरे नन्दोई जी
ज़रा मेरे ननद रानी की जींस इधर, मेरे पास…
लोग जोरू के गुलाम होते है, मेरे वो अपनी सलहज के गुलाम थे।
अगले ही पल रीमा की जींस , उन्होंने चहबच्चे के बाहर फेंकी और रीतू भाभी ने उछल के एक हाथ से लपक के लांग आन पे कैच कर लिया ।
और उसके बाद रीमा की पैंटी भी।
अब वो लोग , रीमा को दबोचे , मेरे ' वो ' आलमोस्ट किनारे पे आ गए थे।
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था
तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।
मैंने वहीँ से छुटकी और लीला को इशारा किया और अगले पल रीमा की तरह वो भी टापलेस थे। और तीनों सालियों के शोर के बीच, चहबच्चे के बाहर उनकी
टी शर्ट मैंने कैच की।
वो टॉपलेस हो गए , लेकिन उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा।
वो उसी तरह अपनी प्यारी साली की, रीमा की नयी नयी आयी कच्ची ३० बी साइज़ की छोटी छोटी चूँचियाँ जोर-जोर से रगड़ते रहे, रंग पोतते रहे।
हाँ अब एक हाथ सरक के सीधे, छुटकी की सहेली , रीमा की जींस के ऊपर, पहले बटन, फिर ज़िपर , और उनका हाथ अंदर , .... और अगले पल रीमा की सिसकारियाँ चालू,
हम सब समझ गए थे की, भरतपुर पे, उसके जीजा की हथेली ने कब्जा जमा लिया है।
लेककन रीतू भाभी, पक्की छिनार उन्हें इतने से सन्तोष थोड़े ही था।
जब तक ननद पूरी तरह नंगी , एकदम निसूती न हो जाय,... तब तक क्या होली,
वहीँ से उन्होंने ललकारा, अरे नन्दोई जी
ज़रा मेरे ननद रानी की जींस इधर, मेरे पास…
लोग जोरू के गुलाम होते है, मेरे वो अपनी सलहज के गुलाम थे।
अगले ही पल रीमा की जींस , उन्होंने चहबच्चे के बाहर फेंकी और रीतू भाभी ने उछल के एक हाथ से लपक के लांग आन पे कैच कर लिया ।
और उसके बाद रीमा की पैंटी भी।
अब वो लोग , रीमा को दबोचे , मेरे ' वो ' आलमोस्ट किनारे पे आ गए थे।